परमेश्वर के परिवार में जोड़े गए
कुछ साल पहले मैं अपने पिता के साथ उनके प्रिय शहर गई थी और उस पारिवारिक खेत का दौरा किया जहाँ वह पले-बढ़े थे। मैंने अजीब पेड़ों का एक समूह देखा। मेरे पिताजी ने समझाया कि जब बचपन में उन्हें शरारत करने की सूझती, तो वह एक फल के पेड़ से एक टूटी हुई शाखा लेते, एक अलग प्रकार के फल के पेड़ में चीरा लगाते, और टूटी हुई शाखा को तने से बाँध देते थे, जैसा की उन्होंने बड़ो को करते देखा था। उनकी शरारतों पर तब तक ध्यान नहीं गया जब तक कि उन पेड़ों पर उम्मीद से अलग फल लगने नहीं लगे।
जैसे ही मेरे पिताजी ने ग्राफ्टिंग की प्रक्रिया का वर्णन किया(जिसमे दो अलग-अलग पौधों के तनों को एक साथ जोड़ा जाता है, और वें एक ही पौधे के रूप में विक्सित होने लगते है), मुझे एक तस्वीर दिखी यह दर्शाते हुए कि परमेश्वर के परिवार में जोड़े जाने का हमारे लिए क्या मतलब है। मैं जानती हूँ कि मेरे दिवंगत पिता अब स्वर्ग में हैं क्योंकि यीशु में विश्वास के द्वारा उन्हें परमेश्वर के परिवार में जोड़ा गया था।
अंततः हमें भी स्वर्ग में होने का आश्वासन मिला है। प्रेरित पौलुस ने रोम में विश्वासियों को समझाया कि परमेश्वर ने अन्यजातियों, या गैर-यहूदियों के लिए एक मार्ग बनाया है जिससे परमेश्वर और उनका मेल-मिलाप हो सके: " उनकी जगह पर कलम लगाये गये और जैतून के रस के भागीदार बने हुए।” (रोमियों 11:17)। जब हम मसीह में अपना विश्वास रखते हैं, तो हम उसके साथ जुड़ जाते हैं और परमेश्वर के परिवार का हिस्सा बन जाते हैं। "यदि तुम मुझ में बने रहो और मैं तुम में, तो तुम बहुत फल फलोगे" (यूहन्ना 15:5)।
जोड़े गए पेड़ों के समान, जब हम मसीह पर भरोसा करते हैं, तो हम एक नई रचना बन जाते हैं और बहुत फल पैदा कर सकते हैं।
मसीह पर बनाए हुए
आगरा में ताज महल, दिल्ली का लाल किला, मैसूर में रॉयल पैलेस, महाबलीपुरम में तट मंदिर सभी प्रसिद्ध नाम हैं। कुछ संगमरमर से बने हैं, कुछ लाल पत्थर से बने हैं, कुछ चट्टान को काटकर बनाए गए हैं और अन्य सोने से जड़े हुए हैं लेकिन इन सभी में एक चीज समान है, वे एक सामान्य शब्दावली के अंतर्गत आते हैं, वे सभी इमारतें हैं।
आत्मिक घर,वास्तव में, यीशु में विश्वासियों के लिए बाइबल में दिए गए नामों में से एक है। "तुम . .परमेश्वर का मंदिर हो,'' प्रेरित पौलुस ने लिखा (1 कुरिन्थियों 3:9)। विश्वासियों के लिए अन्य नाम भी हैं: "झुंड" (प्रेरितों के काम 20:28), "मसीह की देह" (1 कुरिन्थियों 12:27), "भाई और बहनें" (1 थिस्सलुनीकियों 2:14), और भी कई।
इमारत का रूपक 1 पतरस 2:5 में दोहराया गया है, जहाँ पतरस कलीसिया से कहता है, "तुम भी आप जीवते पत्थरों के समान, एक आत्मिक घर बनते जाते हो।" फिर, पद 6 में, पतरस यशायाह 28:16 को बताता है, "देखो, मैं सिय्योन में एक पत्थर रखता हूं, जो कोने के सिरे का चुना हुआ और बहुमूल्य पत्थर है।" यीशु ही अपनी इमारत की नींव है।
हम एसा समझ सकते है कि कलीसिया बनाना हमारा काम है, लेकिन यीशु ने कहा, "मैं अपनी कलीसिया बनाऊंगा" (मत्ती 16:18)। हमें परमेश्वर द्वारा "उसकी स्तुति का वर्णन करने" के लिए चुना गया है जिसने “तुम्हें अंधकार से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है” (1 पतरस 2:9)। जब हम उन स्तुतियों का बखान करते हैं, तो उसके भले काम जो वो करता है उसके लिए हम उसके हाथों में साधन बन जाते हैं।
अब कोई कब्र नहीं
यहां तक कि जब देशी संगीत के दिग्गज जॉनी कैश अपनी मृत्यु के करीब थे, तब भी वह संगीत बनाते रहने के लिए दृढ़ थे। उनकी अंतिम एल्बम, अमेरिकन VI: Ain’t No Grave (अब कोई कब्र नहीं), उनके जीवन के अंतिम महीनों में रिकॉर्ड की गई थी। शीर्षक गीत, कैश के भजन का संस्करण, उनके अंतिम विचारों के बारे में बताता है जब हम उन्हें पुनरुत्थान की आशा के बारे में गाते हुए सुनते हैं। उनकी प्रसिद्ध गहरी आवाज, हालांकि उनके गिरते स्वास्थ्य के कारण कमजोर हो गई थी, विश्वास की एक शक्तिशाली गवाही की घोषणा करती है।
जॉनी की आशा केवल इस तथ्य में नहीं थी कि यीशु ईस्टर रविवार की सुबह पुनर्जीवित हुए थे; उनका विश्वास था कि एक दिन उनका भौतिक (प्राकृतिक) शरीर भी पुनर्जीवित हो जाएगा, और वह फिर से जीवित हो उठेंगे।
यह एक महत्वपूर्ण सत्य है जिसे स्वीकार करना जरूरी है क्योंकि प्रेरित पौलुस के दिनों में भी, लोगों ने भविष्य में शारीरिक पुनरुत्थान से इनकार किया था। पौलुस ने उनके तर्क की कड़ी आलोचना की, जब उसने लिखा, "यदि मरे हुओं का पुनरुत्थान ही नहीं, तो मसीह भी नहीं जी उठा। और यदि मसीह भी नहीं जी उठा, तो हमारा प्रचार करना भी व्यर्थ है; और तुम्हारा विश्वास भी व्यर्थ है” (1 कुरिन्थियों 15:13-14)।
जिस तरह कब्र यीशु के शरीर को नहीं रोक सकी, एक दिन वे सभी जिन्हें विश्वास है कि वह पुनर्जीवित हुए है, "जिलाए जाएंगे" (पद 22)। और हमारे पुनर्जीवित शरीरों में, हम उसके साथ एक नई पृथ्वी पर अनंत काल का आनंद लेंगे। यह हमारे गाने का कारण है!
एक अच्छी बिरयानी
वर्षा की फूड स्टॉल पर सबसे ज्यादा बिकने वाली डिश उसकी बिरयानी थी। वह प्याज को बहुत सावधानी से भूनती थी जब तक कि उसका रंग सुनहरा भूरा न हो जाए। इसलिए, वह चौंक गई जब एक नियमित ग्राहक ने कहा, “आपकी बिरयानी का स्वाद अलग लग रहा है, स्वाद में कुछ कमी लग रही है।" वर्षा की नई सहयोगी ने इस बार इसे तैयार किया था और बताया कि यह अलग क्यों थी: “मैंने प्याज उतनी देर तक नहीं भुनी जितनी देर रेसिपी में कहा गया था क्योंकि मैं इसे घर पर इसी तरह करती हूँ। मैंने मिर्ची पाउडर भी थोड़ा ज्यादा डाला था। मेरी राय में, इस तरह इसका स्वाद बेहतर लगता है।" उसने तय किया कि बताई गयी रेसिपी को नजरअंदाज करके वह इसे अपने तरीके से बनाएगी।
इसी तरह मैं भी कभी-कभी परमेश्वर के निर्देशों के साथ करती हूँ। पवित्रशास्त्र में दी गई उनकी आज्ञाओं का पूरी तरह से पालन करने के बजाय, मैं उन्हें अपनी राय के अधीन करती हूँ और अपने रास्ते पर आगे बढ़ती हूँ।
सीरियाई सेना का सेनापति नामान भी ऐसी ही गलती करने की कगार पर था।उसका कुष्ठ रोग ठीक हो जाए, इसके लिए एलीशा नबी के द्वारा यरदन में खुद को धोने के लिए परमेश्वर का निर्देश पाने पर, अभिमानी सेनापति क्रोधित हो गया। उसकी अपनी अपेक्षाएँ थीं कि उसकी आवश्यकता को कैसे संबोधित किया जाना चाहिए, यह मानते हुए कि उसकी राय परमेश्वर की आज्ञा से बेहतर थी (2 राजा 5:11-12)। हालाँकि, उसके सेवकों ने उसे एलीशा की बात सुनने के लिए मना लिया (पद 13)। परिणामस्वरूप, नामान चंगा हो गया।
जब हम परमेश्वर के तरीके से काम करते हैं, तो हमें एक ऐसी शांति का अनुभव होता है जो अवर्णनीय है। आइए उसके उद्देश्यों को पूरा करने में उसके साथ काम करें।
राज्य के आकार का कार्यस्थल
विक्टोरियन इंग्लैंड की फ़ैक्टरियाँ अँधेरे स्थान थे। जहाँ कई जाने जाती थी, और मज़दूर अक्सर गरीबी में रहते थे। जॉर्ज कैडबरी ने पूछा, "एक काम करने वाला आदमी एक आदर्श चीज़ को कैसे विकसित कर सकता है, जब उसका खुद का घर एक झुग्गी हो?" और इसलिए उन्होंने अपने विस्तारित चॉकलेट व्यवसाय के लिए एक नई तरह की फैक्ट्री बनाई, जिससे उनके मज़दूरों को लाभ हुआ। इसका नतीजा था बॉर्नविले - एक गांव जहाँ तीन सौ से अधिक घर थे जिसमें कैडबरी के मज़दूरों और उनके परिवारों के लिए खेल के मैदान, स्कूल और चर्च थे। मज़दूरों को अच्छा वेतन दिया गया और चिकित्सा स्थलों की सुविधा भी दी गयी, यह सब इसलिए था क्योंकि कैडबरी का विश्वास यीशु मसीह पर था।
यीशु हमें परमेश्वर की इच्छा "जैसे स्वर्ग में पूरी होती है वैसे पृथ्वी पर" पूरी करने के लिए प्रार्थना करना सिखाते हैं (मत्ती 6:10)। यह प्रार्थना हमें कल्पना करने में मदद कर सकती है, जैसा कि कैडबरी की, कि परमेश्वर के राज्य में हमारे कार्यस्थल कैसे होंगे, जहां हमारी "प्रतिदिन की रोटी" कमाई जाती है और हमारे "कर्ज़दारों" को माफ कर दिया जाता है (पद 11-12)। एक काम करनेवाले के रूप में, इसका अर्थ है "पूरे मन से काम करना . . प्रभु के लिये” (कुलुस्सियों 3:23)। एक स्वामी के रूप में, इसका अर्थ है कर्मचारियों को वह देना जो "सही और निष्पक्ष" हो (4:1)। हमारी भूमिका जो भी हो, चाहे वेतन कमाने वाले हो या स्वयंसेवी हो, इसका मतलब उन लोगों की भलाई के लिए प्रयास करना है जिनकी हम सेवा करते हैं।
जॉर्ज कैडबरी की तरह, आइए कल्पना करें कि अगर परमेश्वर हमारे पड़ोस और कार्यस्थलों को चलाने वाला हो तो चीजें कैसे भिन्न होंगी। क्योंकि जहाँ वो होता है, वहाँ लोग फलते-फूलते हैं।