अफगानिस्तान में एक चुनौतीपूर्ण दौरे के बाद, ब्रिटिश सेना में एक सार्जेंट/हवलदार स्कॉट थक गया l उसे याद आया : “मैं एक अँधेरी जगह में था l” परन्तु जब उसने “यीशु को खोजकर उसका अनुसरण करना आरम्भ किया,” तो उसका जीवन मौलिक रूप से बदल गया l अब वह मसीह के प्रेम को दूसरों के साथ साझा करना चाहता है, विशेष रूप से सेवानिवृत्त सैनिकों के साथ, जिनके साथ वह प्रतिस्पर्धात्मक खेलों(Invictus Games) में भाग लेता है, जो घायल और चोटिल सदस्यों और सशस्त्र बलों के सेवानिवृत्त सैनिकों के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम है l 

स्कॉट के लिए, बाइबल पढ़ना, प्रार्थना करना और स्तुति गीत सुनना उसे खेलों में जाने से पहले तैयार करता है l तब परमेश्वर उसे “यीशु के चरित्र को दर्शाने और वहाँ प्रतिस्पर्धा करने वाले साथी सेवानिवृत्त सैनिकों के प्रति दयालुता, नम्रता और अनुग्रह दिखाने” में मदद करता है l 

स्कॉट ने यहाँ आत्मा के कुछ फलों का उल्लेख किया है जिनके बारे में प्रेरित पौलुस ने गलातिया के विश्वासियों को लिखा था l उन्होंने झूठे शिक्षकों के प्रभाव में संघर्ष किया, इसलिए पौलुस ने उन्हें “आत्मा के नेतृत्व में” होने के कारण, परमेश्वर और उसके अनुग्रह के प्रति सच्चे बने रहने के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश की(गलातियों 5:18) l ऐसा करने से, तब वे आत्मा का फल उत्पन्न करेंगे—“प्रेम, आनंद, शांति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम”(पद.22-23) l 

परमेश्वर की आत्मा के हमारे भीतर रहने से, हम भी आत्मा की भलाई और प्रेम के साथ खिल पड़ेंगे l हम भी अपने आस-पास के लोगों के प्रति नम्रता और दयालुता दिखाएंगे l