जॉर्ज, कैरोलिना की गर्मियों की धुप में एक निर्माण कार्य पर काम कर रहा था, तभी पास में रहनेवाला कोई व्यक्ति उस कार्य स्थान में प्रवेश किया l स्पष्ट रूप से क्रोधित, पड़ोसी ने परियोजना के बारे में और इसे कैसे किया जा रहा है, के बारे में हर बात को कोसना और आलोचना करना आरम्भ कर दिया l जब तक क्रोधित पड़ोसी ने चिल्लाना बन्द नहीं किया तब तक जॉर्ज को बिना किसी प्रतिक्रिया के मौखिक चोट मिलते रहे l फिर उसने धीरे से उत्तर दिया, “आपका दिन सचमुच बहुत कठिन रहा है, है न?” अचानक, क्रोधित पड़ोसी का चेहरा नरम हो गया, उसका सिर झुक गया और उसने कहा, “मैंने तुमसे जिस तरह से बात की उसके लिए मैं खेदित हूँ l” जॉर्ज की दयालुता ने पड़ोसी के क्रोध को शांत कर दिया था l 

कई बार हम जवाबी हमला करना चाहते हैं l गाली के बदले गाली और अपमान के बदले अपमान देना l इसके बजाय जॉर्ज ने जिस दयालुता का नमूना दिया वह यीशु द्वारा हमारे पापों के परिणामों को सहन करने के तरीके में सबसे अच्छी तरह से देखी गयी थी : “वह गाली सुनकर गाली नहीं देता था, और दुःख उठाकर किसी को भी धमकी नहीं देता था, परन्तु अपने को सच्चे न्यायी के हाथ में सौंपता था”(1 पतरस 2:23) l 

हम सभी को ऐसे क्षणों का सामना करना पड़ेगा जब हमें गलत समझा जाएगा, गलत तरीके से प्रस्तुत किया जाएगा या हम पर हमला किया जाएगा l हम दयालुतापुर्वक प्रतिक्रिया देना चाह सकते हैं, लेकिन यीशु का हृदय हमें दयालु होने, शांति का प्रयास करने और समझ प्रदर्शित करने के लिए कहता है l जैसे वह आज हमें सक्षम बनाता है, शायद परमेश्वर हमें किसी कठिन दिन को सहने वाले को आशीष देने के लिए उपयोग कर सकता है l