मुझे परीक्षा में 84 अंक मिले!

जब मैंने अपने फोन पर उसका सन्देश पढ़ा तो मुझे अपने किशोरावस्था का उत्साह महसूस हुआ l उसने हाल ही में एक हाई स्कूल की कक्षाओं में भाग लेना शुरू किया था और दोपहर के भोजन के दौरान अपने फोन का उपयोग कर रही थी l मेरी माँ का हृदय अत्यंत प्रसन्नता से भर गया, सिर्फ इसलिए नहीं कि मेरी बेटी ने एक चुनौतीपूर्ण परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन किया था, बल्कि इसलिए कि वह यह बात मुझे बताना चाह रही थी l वह अपनी खुशखबरी मेरे साथ साझा करना चाहती थी! 

यह महसूस करते हुए कि उसके सन्देश ने मेरा दिन बना दिया था, मैंने बाद में सोची कि जब मैं परमेश्वर के पास पहुँचती हूँ तो उसे कैसा महसूस होता होगा l जब मैं उससे बात करती हूँ तो क्या वह उतना ही प्रसन्न होता है? प्रार्थना वह तरीका है जिससे हम परमेश्वर के साथ संवाद करते हैं और प्रार्थना “निरंतर” करने के लिए कहा गया है(1 थिस्सलुनीकियों 5:17) l उसके साथ बात करना हमें याद दिलाता है कि वह हर अच्छे और बुरे समय में हमारे साथ है l परमेश्वर के साथ अपनी खबरें साझा करना, भले ही वह पहले से ही हमारे बारे में सब कुछ जानता हो, सहायक है क्योंकि यह हमारा ध्यान केन्द्रित करता है और हमें उसके बारे में सोचने में सहायता करता है l यशायाह 26:3 कहता है, “जिसका मन तुझ में धीरज धरे हुए है, उसकी तू पूर्ण शांति के साथ रक्षा करता है क्योंकि वह तुझ पर भरोसा रखता है l” जब हम अपना ध्यान परमेश्वर की ओर लगाते हैं तो शांति हमारा इंतज़ार कर रही होती है l 

चाहे हम किसी भी स्थिति का सामना करें, हम लगातार परमेश्वर से बात करते रहें और अपने सृष्टिकर्ता और उद्धारकर्ता के संपर्क में रहें l धीरे से प्रार्थना करें और आनंद मानना और “धन्यवाद देना” याद रखें l आखिरकार, पौलुस कहता है, हमारे लिए “परमेश्वर की यही इच्छा है”(1 थिस्सलुनीकियों 5:18) l