सुबह की सैर के दौरान मैंने देखा कि एक वाहन गलत दिशा में सड़क पर खड़ा था l ड्राइवर को खुद और दूसरों के लिए खतरे का अंदाज़ा नहीं था क्योंकि वह सो रही थी और शराब के नशे में लग रह थी l स्थिति खतरनाक थी और मुझे कार्य करना पड़ा l उसे काफी सचेत करके मैंने उसे कार के यात्री हिस्से में बैठाया और ड्राईवर की सीट पर बैठ कर, उसे एक सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया l
शारीरिक खतरा ही एकमात्र हानि नहीं है जिसका हम सामना करते हैं l जब पौलुस ने एथेंस में सांसारिक रूप से बुद्धिमान, चतुर लोगों को आत्मिक संकट में देखा, क्योंकि . . . नगर मूरतों से भरा हुआ [था]” तो “उसका जी जल गया”(प्रेरितों 17:16) l उन लोगों के प्रति प्रेरित की सहज प्रतिक्रिया जो मसीह पर विचार करने में विफल रहने वाले विचारों से खिलवाड़ करते थे, यीशु में और उसके द्वारा परमेश्वर के उद्देश्यों के बार में साझा करना था (पद.18,30-31) l और सुनने वालों में से कुछ ने विश्वास किया(पद.34) l
मसीह में विश्वास के आलावा परम अर्थ की तलाश करना खतरनाक है l जिन लोगों ने यीशु में क्षमा और सच्ची पूर्णता पायी है उन्हें गतिरोध वाली गतिविधियों से बचाया गया है और उन्हें मेल-मिलाप का सन्देश दिया गया है (देखें 2 कुरिन्थियों 5:18-21) l इस जीवन के नशे के प्रभाव में रहने वाले लोगों के साथ यीशु के सुसमाचार को साझा करना अभी भी वह साधन है जिसका उपयोग परमेश्वर लोगों को हानि के रास्ते से बचाने के लिए करता है l
यदि आपने यीशु की ओर अपना मार्ग नहीं बनाया है, तो आप किसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं? यदि आपने बनाया है, तो आपको किसी को यह बताने से क्या रोक रहा है कि परमेश्वर ने आपको आत्मिक हानि से कैसे बचाया है?
स्वर्गिक पिता, मुझे मेरे पापों की आत्मिक हानि से बचाने के लिए धन्यवाद l कृपया मेरा उपयोग उन लोगों की मदद करने के लिए करें जो यह नहीं देख सकते कि वे खतरे में हैं l