आपने इस कहावत का कुछ रूप देखा या सुना होगा : “यदि आप तेजी से जाना चाहते हैं, तो अकेले जाएं l लेकिन यदि आप दूर जाना चाहते हैं, तो साथ जाएं l” यह एक नेक विचार है, है न? लेकिन क्या हमें निश्चित करने के लिए कोई ठोस शोध है कि ये शब्द न सिर्फ नेक हैं, बल्कि सच भी हैं?

हाँ! वास्तव में, ब्रिटिश और अमेरिकी शोधकर्ताओं द्वारा किये गए ऐसे एक अध्ययन से पता चला है कि अगर लोग अकेले खड़े होते हैं तो उन्हें किसी और के साथ खड़े होने पर पहाड़ों का आकार काफी छोटा लगता है l दूसरे शब्दों में, “सामजिक समर्थन” मायने रखता है—इतना कि यह हमारे दिमाग में पहाड़ों के आकार को भी छोटा कर देता है l 

दाऊद को योनातान के साथ अपनी मित्रता में उस तरह का प्रोत्साहन प्यारा और सच्चा दोनों लगा l राजा शाऊल का ईर्ष्यालु क्रोध दाऊद की कहानी में एक दुर्गम पहाड़ की तरह था, जिससे उसे अपने जीवन के लिए डर सता रहा था(देखें 1 शमूएल 19:9-18) l किसी तरह के समर्शन के बिना—इस मामले में उसका सबसे निकट का मित्र—यह कहानी काफी अलग हो सकती थी l लेकिन योनातान, अपने पिता के शर्मनाक व्यवहार से “बहुत खेदित था”(20:34), और पुछा, “वह क्यों मारा जाए?”(पद.20) l उनकी ईश्वर-निर्धारित(God ordained) मित्रता ने दाऊद को सहारा दिया, जिससे वह इस्राएल का राजा बन सका l