यह जून 2016 था, महारानी एलिजाबेथ का नब्बेवाँ जन्मदिन l अपनी गाड़ी से, सम्राट ने, लाल कोट पहने सैनिकों की लम्बी कतारों के सामने से गुजरते हुए, जो बिलकुल सावधान खड़े थे, भीड़ की ओर हाथ हिलाया l यह इंग्लैंड में एक गर्म दिन था, और गार्ड अपने पारंपरिक गहरे ऊनी पैन्ट, ठुड्डी तक बटन वाले ऊनी जैकेट और भालू के रोएँ(bear-fur) की बड़ी टोपियाँ पहने हुए थे l जब सैनिक धूप में दृढ़ पंक्तियों में खड़े हुए थे, एक गार्ड बेहोश होने लगा l उल्लेखनीय रूप से, उसने अपना सख्त नियंत्रण बनाए रखा और बस आगे की ओर गिरा, लेकिन उसका शरीर एक तख्ते की तरह सीधा रह गया जब उसने अपना चेहरा रेतीले बजरी में रहने दिया l वह वहीँ लेटा रहा—किसी तरह अभी भी सावधान मुद्रा में l
इस गार्ड को इस तरह का आत्म-नियंत्रण सीखने में, बेहोश होने पर भी अपने शरीर को अपनी जगह पर रखने के लिए वर्षों के अभ्यास और अनुशासन की ज़रूरत पड़ी l प्रेरित पौलुस ने इस तरह के प्रशिक्षण का वर्णन किया है : “मैं अपनी देह को मारता कूटता और वश में रखता हूँ”(1 कुरिन्थियों 9:27) l पौलुस ने माना कि “हर एक पहलवान सब प्रकार का संयम करता है”(पद.25) l
जबकि परमेश्वर का अनुग्रह (हमारे प्रयास नहीं) हमारे सभी कार्यों को सहायता करता है, हमारा आध्यात्मिक जीवन कठोर अनुशासन का हकदार है l जैसे ही परमेश्वर हमारे मन, हृदय और शरीर को अनुशासित करने में हमारी मदद करता है, हम आजमाइशों या दिशा भ्रमित होने के बीच भी अपना ध्यान उस पर केन्द्रित रखना सीखते हैं l
आपके लिए अपने दिल, दिमाग या शरीर को अनुशासित करना सबसे कठिन कहाँ है? आपको क्या लगता है कि परमेश्वर आपको गहरे अनुशासन में बुला रहा है?
प्रिय परमेश्वर, कृपया मुझे सिखाएं कि मैं कैसे आपके लिए अधिक अनुशासित रहूँ l मैं आपके प्रति अपना प्यार बढ़ाना चाहता हूँ और अपना हृदय आपके करीब रखना चाहता हूँ l