आनंद की गति से चलो l यह वाक्यांश मेरे दिमाग में आया जब एक सुबह मैंने प्रार्थनापूर्वक आने वाले वर्ष पर विचार किया, और यह उपयुक्त लगी l मुझ में अत्यधिक काम करने का झुकाव था, जिससे अक्सर मेरा आनंद ख़त्म हो जाता था l इसलिए, इस मार्गदर्शन का पालन करते हुए, मैंने खुद को आने वाले वर्ष में आनंददायक गति से काम करने, मित्रों और आनंददायक गतिविधियों के लिए जगह बनाने के लिए प्रतिबद्ध किया l 

यह योजना काम कर गयी . . . मार्च तक! फिर मैंने खुद के द्वारा विकसित किये जा रहे पाठ्यक्रम के परीक्षण की देखरेख के लिए एक विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी की l विद्यार्थियों के नामांकन और अध्यापन के साथ-साथ, मैं जल्द ही लम्बे समय तक काम करने लगी l अब मैं आनंद की गति से कैसे जा सकती थी?

यीशु उन लोगों को ख़ुशी का वादा करता है जो उस पर विश्वास करते हैं, वह हमें बताता है कि यह उसके प्रेम में बने रहने(यूहन्ना 15:9) और प्रार्थनापूर्वक अपनी ज़रूरतों को उसके पास लाने से आता है(16:24) l वह कहता है, “मैं ने ये बातें तुम से इसलिए कही हैं, कि मेरा आनंद तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनंद पूरा हो जाए”(15:11) l यह ख़ुशी उसकी आत्मा के द्वारा एक उपहार के रूप में आती है, जिसके साथ हमें कदम से कदम मिलाकर चलना है(गलातियों 5:22-25) l मैंने पाया कि मैं अपने व्यस्त समय के दौरान केवल तभी आनंद बनाए रख सकती थी जब मैं हर रात आराम से, भरोसेमंद प्रार्थना में समय बिताती थी l 

चूँकि आनंद बहुत विशेष है, इसलिए इसे अपने समय-सारणी में प्राथमिकता देना उचित है l लेकिन चूँकि जीवन कभी भी पूरी तरह से हमारे नियंत्रण में नहीं होता है, मुझे ख़ुशी है कि ख़ुशी का एक और श्रोत—आत्मा—हमारे लिए उपलब्ध है l मेरे लिए, आनंद की गति से जाने का अर्थ अब प्रार्थना की गति से जाना है—आनंद देने वाले से प्राप्त करने के लिए समय निकालना l