लाल पहाड़ों के बीच से दिखाई देता हुआ होली क्रोस का खूबसूरत चैपल  है l छोटे चैपल में प्रवेश करते हुए, मैं तुरंत क्रूस पर यीशु की एक असामान्य मूर्तिकला की ओर आकर्षित हुयी l पारंपरिक क्रूस के बजाय, यीश दो डालियों वाले एक पेड़ की शाखाओं पर क्रूस पर चढ़ा हुआ दिखाया गया है l क्षैतिज रूप से, एक कटा हुआ, मृत डाल पुराने नियम में इस्राएल के गोत्रों का प्रतिनिधित्व करता है जिन्होंने परमेश्वर को अस्वीकार कर दिया था l दूसरी डाल ऊपर की ओर बढ़ती है और शाखाएं निकलकर यहूदा की समृद्ध गोत्र और राजा दाऊद की पारिवारिक वंशावली का प्रतीक है l

प्रतीकात्मक रूप से महत्वपूर्ण कला पुराने नियम में यीशु के बारे में एक महत्वपूर्ण भविष्वाणी की ओर इशारा करती है l यद्यपि यहूदा का गोत्र दासत्व में रह रहा था, नबी यिर्मयाह ने परमेश्वर की ओर से एक आशापूर्ण सन्देश दिया : “जो वचन मैं ने इस्राएल और यहूदा के घरानों के विषय में कहा है, उसे पूरा करूँगा”(यिर्मयाह 33:14) ताकि एक बचानेवाला दिया जा सके जो “इस देश में न्याय और धर्म के काम करेगा”(पद.15) l लोगों को बचानेवाले की पहचान जानने का एक तरीका यह था कि वह “दाऊद के वंश” से उत्पन्न होगा(पद.15), जिसका अर्थ है कि बचानेवाला राजा दाऊद का शारीरिक वंशज होगा l

मूर्तिकला कुशलतापूर्वक एक महत्वपूर्ण सत्य को अधिकार में कर लेता है कि यीशु के पारिवारिक वंश के विवरण में, परमेश्वर वह सब करने में विश्वासयोग्य था जिसकी उसने प्रतिज्ञा की थी l इससे भी अधिक, यह एक ताकीद है कि अतीत में उसकी विश्वासयोग्यता निश्चित करती है कि वह भविष्य में हमसे की गयी अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरा करने के लिए विश्वासयोग्य रहेगा l