खुरचा हुआ मक्खन
जे.आर.आर. टॉकिंस की पुस्तक द फेलोशिप ऑफ़ द रिंग्स(The Fellowship of the Rings) में, बिल्बो बैग्गिंस ने छह दशकों तक, अँधेरे शक्तियों वाली एक जादुई अंगूठी वहन करने का प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया l धीरे-धीरे उसकी संक्षारक(corrosive) प्रकृति/स्वभाव से परेशान होकर, वह जादूगर गंडाल्फ़ से कहता है, “क्यों, मैं बिलकुल दुबला, फैला हुआ महसूस करता हूँ, यदि आप जानते हैं कि मेरा क्या मतलब है : मक्खन की तरह जिसे रोटी पर बहुत अधिक खुरच दिया गया है l” वह आराम की खोज में अपना घर छोड़ने का फैसला करता है, कहीं “शांति और सुकून में, जहाँ आसपास बहुत सारे सम्बन्धी/रिश्तेदार न हों l”
टॉकिन की कहानी का यह पहलु मुझे पुराने नियम के एक नबी के अनुभव की याद दिलाता है l इज़ेबेल से भागते समय और झूठे नबियों के साथ युद्ध के बाद थके हुए एलिय्याह को कुछ आराम की सख्त ज़रूरत थी l कमजोर महसूस करते हुए, उसने परमेश्वर से उसे मरने देने की प्रार्थना करते हुए कहा, " हे यहोवा, बस है”(1 राजा 19:4) l उसके सो जाने के बाद, परमेश्वर के दूत ने उसे जगाया ताकि वह खा-पी सके l वह फिर सो गया, और बाद में स्वर्गदूत द्वारा दिया गया भोजन अधिक खा लिया l पुनः ऊर्जा प्राप्त करने के बाद, उसके पास परमेश्वर के पर्वत तक चालीस दिन की पैदल यात्रा के लिए पर्याप्त शक्ति थी l
जब हम थके हुए महसूस करते हैं, तो हम भी सच्ची ताज़गी के लिए परमेश्वर की ओर देख सकते हैं l हमें अपने शरीर की देखभाल करने की आवश्यकता हो सकती है, साथ ही हम उससे उसकी आशा, शांति और विश्राम से भरने के लिए भी प्रार्थना करते हैं l यहाँ तक कि जैसे स्वर्गदूत ने एलिय्याह की देखभाल की, हम भरोसा कर सकते हैं कि परमेश्वर हम पर अपनी ताज़गी भरी उपस्थिति प्रदान करेगा (मत्ती 11:28 देखें) l
परमेश्वर का प्रबंध
जून 2023 में जब एक से तेरह साल की उम्र के चार भाई-बहन कोलोम्बिया के अमेज़न जंगल में जीवित पाए गए तो संसार आश्चर्यचकित रह गया l एक विमान दुर्घटना के बाद भाई-बहन चालीस दिनों तक जंगल में जीवित रहे, जिसमें उनकी माँ की मृत्यु हो गयी थी l बच्चे, जो जंगल के कठोर इलाके से परिचित थे, जंगली जानवरों से पेड़ों के तनों में छिपते थे, झरनों और बारिश से पानी बोतलों में इकठ्ठा करते थे, और मलबे से कसावा/tapioca(एक प्रकार का जड़) का आटा खाते थे l वे यह भी जानते थे कि कौन से जंगली फल और बीज खाने के लिए सुरक्षित हैं l
परमेश्वर ने भाई-बहनों को सहारा दिया l
उनकी अविश्वसनीय कहानी मुझे याद दिलाती है कि कैसे परमेश्वर ने चालीस वर्षों तक मरुभूमि में इस्राएलियों को चमत्कारिक ढंग से जीवित रखा था, जो कि निर्गमन और गिनती की पुस्तकों में अंकित है और पूरे बाइबल में उल्लेख किया गया है l उसने उनके प्राणों की रक्षा की ताकि वे जानें कि वह उनका परमेश्वर है l
परमेश्वर ने कड़वे झरने के पानी को पीने योग्य बना दिया, चट्टान से दो बार पानी उपलब्ध कराया, और दिन में बादल के खम्भे और रात में आग के खम्भे में अपने लोगों का मार्गदर्शन किया l उसने उनके लिए मन्ना भी उपलब्ध कराया l “मूसा ने उनसे कहा, ‘यह वही भोजन वस्तु है जिसे यहोवा तुम्हें खाने के लिए देता है l जो आज्ञा यहोवा ने दी है वह यह है : तुम उसमें से अपनी आवश्यकता के अनुसार खाने के लिए बटोरा करना’”(निर्गमन 16:15-16) l
वही परमेश्वर हमें “हमारी प्रतिदिन की रोटी” देता है(मत्ती 6:11) l हम उस पर भरोसा कर सकते हैं कि वह “उस धन के अनुसार जो महिमा सहित मसीह यीशु में है, तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा”(फिलिप्पियों 4:19) l हम कितने सामर्थी परमेश्वर के उपासक हैं!
आनंद की गति
आनंद की गति से चलो l यह वाक्यांश मेरे दिमाग में आया जब एक सुबह मैंने प्रार्थनापूर्वक आने वाले वर्ष पर विचार किया, और यह उपयुक्त लगा l मुझ में अत्यधिक काम करने का झुकाव था, जिससे अक्सर मेरा आनंद ख़त्म हो जाता था l इसलिए, इस मार्गदर्शन का पालन करते हुए, मैंने खुद को आने वाले वर्ष में आनंददायक गति से काम करने, मित्रों और आनंददायक गतिविधियों के लिए जगह बनाने के लिए प्रतिबद्ध किया l
यह योजना काम कर गयी . . . मार्च तक! फिर मैंने खुद के द्वारा विकसित किये जा रहे पाठ्यक्रम के परीक्षण की देखरेख के लिए एक विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी की l विद्यार्थियों के नामांकन और अध्यापन के साथ-साथ, मैं जल्द ही लम्बे समय तक काम करने लगा l अब मैं आनंद की गति से कैसे जा सकता था?
यीशु उन लोगों को ख़ुशी का वादा करता है जो उस पर विश्वास करते हैं, वह हमें बताता है कि यह उसके प्रेम में बने रहने(यूहन्ना 15:9) और प्रार्थनापूर्वक अपनी ज़रूरतों को उसके पास लाने से आता है(16:24) l वह कहता है, “मैं ने ये बातें तुम से इसलिए कही हैं, कि मेरा आनंद तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनंद पूरा हो जाए”(15:11) l यह ख़ुशी उसकी आत्मा के द्वारा एक उपहार के रूप में आती है, जिसके साथ हमें कदम से कदम मिलाकर चलना है(गलातियों 5:22-25) l मैंने पाया कि मैं अपने व्यस्त समय के दौरान केवल तभी आनंद बनाए रख सकता था जब मैं हर रात आराम से, भरोसेमंद प्रार्थना में समय बिताता था l
चूँकि आनंद बहुत विशेष है, इसलिए इसे अपने समय-सारणी में प्राथमिकता देना उचित है l लेकिन चूँकि जीवन कभी भी पूरी तरह से हमारे नियंत्रण में नहीं होता है, मुझे ख़ुशी है कि ख़ुशी का एक और श्रोत—आत्मा—हमारे लिए उपलब्ध है l मेरे लिए, आनंद की गति से जाने का अर्थ अब प्रार्थना की गति से जाना है—आनंद देने वाले से प्राप्त करने के लिए समय निकालना l
परमेश्वर में अनुशासित जीवन
यह जून 2016 था, महारानी एलिजाबेथ का नब्बेवाँ जन्मदिन l अपनी गाड़ी से, सम्राट ने, लाल कोट पहने सैनिकों की लम्बी कतारों के सामने से गुजरते हुए, जो बिलकुल सावधान खड़े थे, भीड़ की ओर हाथ हिलाया l यह इंग्लैंड में एक गर्म दिन था, और गार्ड अपने पारंपरिक गहरे ऊनी पैन्ट, ठुड्डी तक बटन वाले ऊनी जैकेट और भालू के रोएँ(bear-fur) की बड़ी टोपियाँ पहने हुए थे l जब सैनिक धूप में दृढ़ पंक्तियों में खड़े हुए थे, एक गार्ड बेहोश होने लगा l उल्लेखनीय रूप से, उसने अपना सख्त नियंत्रण बनाए रखा और बस आगे की ओर गिरा, लेकिन उसका शरीर एक तख्ते की तरह सीधा रह गया जब उसने अपना चेहरा रेतीले बजरी में रहने दिया l वह वहीँ लेटा रहा—किसी तरह अभी भी सावधान मुद्रा में l
इस गार्ड को इस तरह का आत्म-नियंत्रण सीखने में, बेहोश होने पर भी अपने शरीर को अपनी जगह पर रखने के लिए वर्षों के अभ्यास और अनुशासन की ज़रूरत पड़ी l प्रेरित पौलुस ने इस तरह के प्रशिक्षण का वर्णन किया है : “मैं अपनी देह को मारता कूटता और वश में रखता हूँ”(1 कुरिन्थियों 9:27) l पौलुस ने माना कि “हर एक पहलवान सब प्रकार का संयम करता है”(पद.25) l
जबकि परमेश्वर का अनुग्रह (हमारे प्रयास नहीं) हमारे सभी कार्यों को सहायता करता है, हमारा आध्यात्मिक जीवन कठोर अनुशासन का हकदार है l जैसे ही परमेश्वर हमारे मन, हृदय और शरीर को अनुशासित करने में हमारी मदद करता है, हम आजमाइशों या दिशा भ्रमित होने के बीच भी अपना ध्यान उस पर केन्द्रित रखना सीखते हैं l
दयालुता के साधारण कार्य
जब मेरी माँ वृद्धों के अस्पताल(hospice) में और पृथ्वी पर अपने जीवन के आखिरी दिनों में थीं, तो एक नर्सिंग होम देखभाल कर्मी की वास्तविक दयालुता ने मुझे छू लिया l मेरी कमजोर माँ को धीरे से कुर्सी से उठाकर बिस्तर पर लिटाने के बाद, नर्सिंग सहायक ने माँ के सर को सहलाते हुए उन पर झुकते हुए बोली, “आप बहुत प्यारी हैं l” फिर उसने पुछा कि मैं कैसी हूँ l उसकी दयालुता ने मुझे तब भी रुलाया था और आज भी रुलाता है l
उसकी दयालुता का एक साधारण कार्य था, लेकिन यह वही था जिसकी मुझे उस पल आवश्यकता थी l इससे मुझे इससे सामना करने में मदद मिली, यह जानकार कि इस महिला की नज़र में मेरी माँ सिर्फ एक मरीज़ नहीं थी l वह उसकी देखभाल करती थी और उसे एक बहुत ही मूल्यवान व्यक्ति के रूप में देखती थी l
जब नाओमी और रूत अपने पतियों को खोने के बाद बेघर हो गयीं, तो बोअज़ ने रूत को कटाई करने वालों के पीछे बचा हुआ अनाज बीनने की अनुमति देकर उस पर दया दिखायी l यहाँ तक कि उसने कटाई करने वालों को उसे अकेला छोड़ देने की भी आज्ञा दी(रूत 2:8-9) l उसकी दयालुता नाओमी के लिए रूत की देखभाल से प्रेरित थी : “जो कुछ तू ने . . . अपनी सास से किया है . . . सब मुझे विस्तार के साथ बताया गया है”(पद.11) l उसने उसे एक विदेशी या विधवा के रूप में नहीं बल्कि एक आवश्यकतामंद महिला के रूप में देखा l
परमेश्वर चाहता है कि हम “करुणा, दया, नम्रता, और सहनशीलता धारण करें”(कुलुस्सियों 3:12) l जब परमेश्वर हमारी मदद करता है, दयालुता के हमारे साधारण कार्य दिलों को खुश कर सकते हैं, आशा ला सकते हैं और दूसरों में दयालुता को प्रेरित कर सकते हैं l