परमेश्वर हमारी कहानियों का उपयोग करता है
मैंने मेमोरी बॉक्स(memory box) खोली और एक छोटा, चांदी का ब्रोच(broach) निकाली, जो दस सप्ताह के अजन्मे बच्चे के पैरों के बिलकुल नाप और आकार का था l दस नन्हे पैर की उँगलियों को सहलाते हुए, मुझे अपनी पहली गर्भावस्था के नुकसान की याद आई और जो लोग कहते थे कि मैं “भाग्यशाली” थी, मैं “आशा से परे” थी l मुझे दुःख हुआ था, यह जानकार कि मेरे बच्चे के पैर उतने ही असली थे जितना कि एक समय मेरे गर्भ में धड़कने वाला हृदय l मैंने ईश्वर को मुझे निराशा से मुक्त करने और अपनी कहानी का उपयोग उन लोगों को सांत्वना देने के लिए किया जो एक बच्चे को खोने के बाद दुखी थे l मेरे गर्भपात के दो दशक से भी अधिक समय बाद, मेरे पति और मैंने उस खोए हुए बच्चे का नाम काई(Kai) रखा, जिसका कुछ भाषाओं में अर्थ है “आनंदित होना l” यद्यपि मैं अभी भी अपने नुकसान से दुखी हूँ, मैं अपने दिल को ठीक करने और दूसरों की मदद करने के लिए अपनी कहानी का उपयोग करने के लिए परमेश्वर को धन्यवाद देती हूँ l
भजन 107 का लेखक परमेश्वर के स्थायी चरित्र पर आनंदित हुआ और उसने गाया : “यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करुणा सदा की है!”(पद.1) l उसने “यहोवा के छुड़ाए [हुओं]” से “ऐसा ही (अपनी कहानी कहने)” का निवेदन करता है, “उन कर्मों के कारण, जो वह मनुष्यों के लिए करता है, उसका धन्यवाद” करने को कहता है(पद.8) l उसने इस प्रतिज्ञा के साथ आशा की पेशकश की कि केवल ईश्वर ही “अभिलाषी जीव को संतुष्ट करता है, और भूखे को उत्तम पदार्थों से तृप्त करता है” (पद.9) l
कोई भी दुःख या कष्ट से बच नहीं सकता, यहाँ तक कि वे भी जिन्हें क्रूस पर मसीह के बलिदान के द्वारा छुटकारा मिला है l हम ईश्वर की दया का अनुभव कर सकते हैं जब वह हमारी कहानियों का उपयोग दूसरों को अपने उद्धारक प्रेम की ओर इशारा करने के लिए करता है l

मसीह जैसा प्रतिउत्तर
जॉर्ज, कैरोलिना की गर्मियों की धुप में एक निर्माण कार्य पर काम कर रहा था, तभी पास में रहनेवाला कोई व्यक्ति उस कार्य स्थान में प्रवेश किया l स्पष्ट रूप से क्रोधित, पड़ोसी ने परियोजना के बारे में और इसे कैसे किया जा रहा है, के बारे में हर बात को कोसना और आलोचना करना आरम्भ कर दिया l जब तक क्रोधित पड़ोसी ने चिल्लाना बन्द नहीं किया तब तक जॉर्ज को बिना किसी प्रतिक्रिया के मौखिक चोट मिलते रहे l फिर उसने धीरे से उत्तर दिया, “आपका दिन सचमुच बहुत कठिन रहा है, है न?” अचानक, क्रोधित पड़ोसी का चेहरा नरम हो गया, उसका सिर झुक गया और उसने कहा, “मैंने तुमसे जिस तरह से बात की उसके लिए मैं खेदित हूँ l” जॉर्ज की दयालुता ने पड़ोसी के क्रोध को शांत कर दिया था l
कई बार हम जवाबी हमला करना चाहते हैं l गाली के बदले गाली और अपमान के बदले अपमान देना l इसके बजाय जॉर्ज ने जिस दयालुता का नमूना दिया वह यीशु द्वारा हमारे पापों के परिणामों को सहन करने के तरीके में सबसे अच्छी तरह से देखी गयी थी : “वह गाली सुनकर गाली नहीं देता था, और दुःख उठाकर किसी को भी धमकी नहीं देता था, परन्तु अपने को सच्चे न्यायी के हाथ में सौंपता था”(1 पतरस 2:23) l
हम सभी को ऐसे क्षणों का सामना करना पड़ेगा जब हमें गलत समझा जाएगा, गलत तरीके से प्रस्तुत किया जाएगा या हम पर हमला किया जाएगा l हम दयालुतापुर्वक प्रतिक्रिया देना चाह सकते हैं, लेकिन यीशु का हृदय हमें दयालु होने, शांति का प्रयास करने और समझ प्रदर्शित करने के लिए कहता है l जैसे वह आज हमें सक्षम बनाता है, शायद परमेश्वर हमें किसी कठिन दिन को सहने वाले को आशीष देने के लिए उपयोग कर सकता है l

विश्वास से हाँ कहना
जब मुझसे पुछा गया कि क्या मैं कार्यस्थल पर एक नया उत्तरदायित्व स्वीकार करूंगी, तो मैं नहीं कहना चाहती थी l मैंने चुनौतियों के बारे में सोचा और उन्हें संभालने में अपर्याप्त महसूस किया l लेकिन जब मैंने प्रार्थना की ओर बाइबल और अन्य विश्वासियों से मार्गदर्शन माँगा, तो मुझे एहसास हुआ कि परमेश्वर मुझे हाँ कहने के लिए बुला रहा था l पवित्रशास्त्र के द्वारा, मुझे भी उसकी सहायता का आश्वासन मिला l इसलिए, मैंने कार्य स्वीकार कर लिया, लेकिन फिर भी कुछ डर के साथ l
मैं स्वयं को इस्राएलियों और उन दस जासूसों में देखती हूँ जो कनान पर कब्ज़ा करने से पीछे हट गए थे(गिनती 13:27-29, 31-33; 14:1-4) l उन्होंने भी कठिनाइयों को देखा, और सोच रहे थे कि वे देश के शक्तिशाली लोगों को कैसे हरा सकते हैं और उनके गढ़वाले शहरों को अपने अधीन कर सकते हैं l जासूसों ने कहा(13:33), “हम . . . उनके सामने टिड्डे के समान दिखायी पड़ते थे,” और इस्राएलियों ने कुड़कुड़ाया, “यहोवा हम को उस देश में ले जाकर क्यों तलवार से मरवाना चाहता है?”(14:3) l
कालिब और यहोशू को याद था कि परमेश्वर ने पहले ही प्रतिज्ञा की थी कि वह कनान को अपने लोगों को देगा(उत्पत्ति 17:8; गिनती 13:2) l उन्होंने परमेश्वर की उपस्थिति और प्रकाश में आगे आने वाली कठिनाइयों को देखकर, उसकी प्रतिज्ञा पर भरोसा जताया l वे उसकी सामर्थ्य, सुरक्षा और संसाधनों से कठिनाइयों का सामना करने वाले थे, न कि अपनी शक्ति से(गिनती 14:6-9) l
परमेश्वर ने मुझे जो काम दिया वह आसान नहीं था—लेकिन उसने इसमें मेरी सहायता की l हालाँकि हम हमेशा उसके कार्यों में कठिनाइयों से नहीं बचेंगे, हम—कालिब और यहोशू की तरह—यह जानते हुए उनका सामना कर सकते हैं, “यहोवा हमारे संग है”(पद.9) l

यीशु का चरित्र दर्शाना
अफगानिस्तान में एक चुनौतीपूर्ण दौरे के बाद, ब्रिटिश सेना में एक सार्जेंट/हवलदार स्कॉट थक गया l उसे याद आया : “मैं एक अँधेरी जगह में था l” परन्तु जब उसने “यीशु को खोजकर उसका अनुसरण करना आरम्भ किया,” तो उसका जीवन मौलिक रूप से बदल गया l अब वह मसीह के प्रेम को दूसरों के साथ साझा करना चाहता है, विशेष रूप से सेवानिवृत्त सैनिकों के साथ, जिनके साथ वह प्रतिस्पर्धात्मक खेलों(Invictus Games) में भाग लेता है, जो घायल और चोटिल सदस्यों और सशस्त्र बलों के सेवानिवृत्त सैनिकों के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम है l
स्कॉट के लिए, बाइबल पढ़ना, प्रार्थना करना और स्तुति गीत सुनना उसे खेलों में जाने से पहले तैयार करता है l तब परमेश्वर उसे “यीशु के चरित्र को दर्शाने और वहाँ प्रतिस्पर्धा करने वाले साथी सेवानिवृत्त सैनिकों के प्रति दयालुता, नम्रता और अनुग्रह दिखाने” में मदद करता है l
स्कॉट ने यहाँ आत्मा के कुछ फलों का उल्लेख किया है जिनके बारे में प्रेरित पौलुस ने गलातिया के विश्वासियों को लिखा था l उन्होंने झूठे शिक्षकों के प्रभाव में संघर्ष किया, इसलिए पौलुस ने उन्हें “आत्मा के नेतृत्व में” होने के कारण, परमेश्वर और उसके अनुग्रह के प्रति सच्चे बने रहने के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश की(गलातियों 5:18) l ऐसा करने से, तब वे आत्मा का फल उत्पन्न करेंगे—“प्रेम, आनंद, शांति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम”(पद.22-23) l
परमेश्वर की आत्मा के हमारे भीतर रहने से, हम भी आत्मा की भलाई और प्रेम के साथ खिल पड़ेंगे l हम भी अपने आस-पास के लोगों के प्रति नम्रता और दयालुता दिखाएंगे l
यीशु का चरित्र दर्शाना
अफगानिस्तान में एक चुनौतीपूर्ण दौरे के बाद, ब्रिटिश सेना में एक सार्जेंट/हवलदार स्कॉट थक गया l उसे याद आया : “मैं एक अँधेरी जगह में था l” परन्तु जब उसने “यीशु को खोजकर उसका अनुसरण करना आरम्भ किया,” तो उसका जीवन मौलिक रूप से बदल गया l अब वह मसीह के प्रेम को दूसरों के साथ साझा करना चाहता है, विशेष रूप से सेवानिवृत्त सैनिकों के साथ, जिनके साथ वह प्रतिस्पर्धात्मक खेलों(Invictus Games) में भाग लेता है, जो घायल और चोटिल सदस्यों और सशस्त्र बलों के सेवानिवृत्त सैनिकों के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम है l
स्कॉट के लिए, बाइबल पढ़ना, प्रार्थना करना और स्तुति गीत सुनना उसे खेलों में जाने से पहले तैयार करता है l तब परमेश्वर उसे “यीशु के चरित्र को दर्शाने और वहाँ प्रतिस्पर्धा करने वाले साथी सेवानिवृत्त सैनिकों के प्रति दयालुता, नम्रता और अनुग्रह दिखाने” में मदद करता है l
स्कॉट ने यहाँ आत्मा के कुछ फलों का उल्लेख किया है जिनके बारे में प्रेरित पौलुस ने गलातिया के विश्वासियों को लिखा था l उन्होंने झूठे शिक्षकों के प्रभाव में संघर्ष किया, इसलिए पौलुस ने उन्हें “आत्मा के नेतृत्व में” होने के कारण, परमेश्वर और उसके अनुग्रह के प्रति सच्चे बने रहने के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश की(गलातियों 5:18) l ऐसा करने से, तब वे आत्मा का फल उत्पन्न करेंगे—“प्रेम, आनंद, शांति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम”(पद.22-23) l
परमेश्वर की आत्मा के हमारे भीतर रहने से, हम भी आत्मा की भलाई और प्रेम के साथ खिल पड़ेंगे l हम भी अपने आस-पास के लोगों के प्रति नम्रता और दयालुता दिखाएंगे l
