मैग दूसरे देश की अपनी नियोजित यात्रा की प्रतीक्षा कर रही थी l लेकिन, जैसा कि उसकी सामान्य पद्धति थी, उसने पहले इसके बारे में प्रार्थना की l “यह केवल एक छुट्टी है,” एक मित्र ने टिप्पणी की l “आपको परमेश्वर से परामर्श करने की ज़रूरत क्यों है?” हालाँकि, मैग सब कुछ उसे समर्पित करने में विश्वास करती थी l इस बार, उसने महसूस किया कि वह उसे यात्रा रद्द करने के लिए प्रेरित कर रहा है l उसने ऐसा ही किया, और बाद में—जब वह वहाँ होती—उस देश में एक महामारी फ़ैल गयी l “मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे परमेश्वर मेरी रक्षा कर रहा था,” वह कहती है l 

नूह को भी परमेश्वर की सुरक्षा पर भरोसा था जब वह और उसका परिवार जल प्रलय कम होने के बाद लगभग दो महीने तक जहाज में इंतजार करता रहा l दस महीने से अधिक समय तक बंद रहने के बाद, वह बाहर निकलने के लिए उत्सुक रहा होगा l आखिरकार, “जल पृथ्वी पर से सूख गया [था]” और “धरती सूख गयी [थी]”(उत्पत्ति 8:13) l लेकिन नूह ने केवल जो देखा उस पर भरोसा नहीं किया; इसके बजाय उसने जहाज तभी छोड़ा जब परमेश्वर ने उससे कहा(पद.15-19) l उसे भरोसा था कि लम्बे इंतज़ार के लिए परमेश्वर के पास अच्छा कारण था—शायद धरती अभी तक पूरी तरह से सुरक्षित नहीं था l 

जब हम अपने जीवन में निर्णयों के बारे में प्रार्थना करते हैं, अपनी परमेश्वर प्रदत्त क्षमताओं का उपयोग करते हुए और उसकी अगुवाई की प्रतीक्षा करते हुए, हम उसके समय पर भरोसा कर सकते हैं, यह जानते हुए कि हमारा बुद्धिमान सृष्टिकर्ता जानता है कि हमारे लिए सर्वोत्तम क्या है l जैसा कि भजनकार ने कहा, “मैं ने तो तुझ पर भरोसा रखा है . . . मेरे दिन तेरे हाथ में है”(भजन सहिंता 31:14-15) l