“नीचो उतरो!” मेरी सहेली ने अपने बेटे से दृढ़ता से कही जब वह चर्च के बेंच पर चढ़ गया और हाथ हिलाया l “मैं चाहता हूँ कि पास्टर मुझे देखें,” उसने मासूमियत से उत्तर दिया l “अगर मैं खड़ा नहीं होऊँगा, तो वह मुझे नहीं देख पाएंगे l” 

जबकि अधिकाँश चर्चों में संभवतः बेंच पर खड़े होने का बढ़ावा नहीं दिया जाता है, मेरी सहेली के बेटे की बात अच्छी थी l खड़ा होना और हाथ हिलाना निश्चित रूप से पास्टर को देखने और उनका ध्यान आकर्षित करने का एक तरीका था l 

जब हम परमेश्वर का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं, तो हमें उसके द्वारा देखे जाने के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है l परमेश्वर हममें से हर एक को हर समय देखता है l वह वही है जिसने हाजिरा को तब अपने बारे में बताया था जब वह शायद अपने जीवन के सबसे निचले, सबसे अकेले, सबसे निराशाजनक समय में थी l उसे मोहरे के रूप में उपयोग किया गया था और अब्राम को उसकी पत्नी सारै ने बेटा पैदा करने के लिए दिया था (उत्पत्ति 16:3) l और जब वह गर्भवती हुयी, तो अब्राम ने अपनी पत्नी को हाजिरा के साथ दुर्व्यवहार करने की अनुमति दी : “सारै उसको दुःख देने लगी, और वह उसके सामने से भाग गयी”(पद.6) l 

भागी हुयी दासी ने स्वयं को अकेला, गर्भवती और दुखी पाया l फिर भी निर्जन स्थान में उसकी निराशा के बीच, परमेश्वर ने दयालुतापुर्वक उससे बात करने के लिए एक दूत को भेजा l स्वर्गदूत ने उसे बताया कि परमेश्वर ने “[उसके] दुःख का हाल सुन लिया है”(पद.11) l उसने यह कहकर उत्तर दिया, “क्या मैं यहाँ भी उसको जाते हुए देखने पाई”(पद.13) l 

क्या एहसास है—खासकर जंगल के बीच में l परमेश्वर ने हाजिरा को देखा और उस पर दया की l और चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों, वह आपको देखता है l