दो मित्र एक इलेक्ट्रॉनिक स्टोर में लैपटॉप खरीद रहे थे, तब ही उनकी मुलाकात बास्केटबॉल के महान शक्युइल ओनील से हुयी l यह जानते हुए कि ओ’नील ने हाल ही में अपनी बहन और एक पूर्व साथी को खोया था, उन्होंने सहानुभूतिपूर्वक अपनी संवेदना व्यक्त की l जब दोनों लोग अपनी खरीदारी करने लगे, तो शेक उनके पास आया और उनसे बोला कि जो सबसे अच्छा लैपटॉप उन्हें मिल सके, उसे चुन लें l फिर उसने इसे उनके लिए खरीद दिया, सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्होंने उसे एक कठिन समय से गुज़र रहे व्यक्ति के रूप में देखा और उनकी दयालुता से प्रभावित हुआ l
उस आकस्मिक भेंट से हज़ारों साल पहले, सुलैमान ने लिखा था, “कृपालु मनुष्य अपना ही भला करता है”(नीतिवचन 11:17) l जब हम दूसरों की ज़रूरतों पर विचार करते हैं और उनकी मदद करने और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं, तो हम स्वयं पुरुस्कृत होते हैं l यह लैपटॉप या भौतिक चीज़ों के साथ शायद नहीं हो, लेकिन परमेश्वर के पास हमें आशीष देने के ऐसे तरीके हैं जिन्हें यह संसार माप नहीं सकता है l जैसा कि सुलैमान ने उसी अध्याय के पहले केवल एक पद में समझाया था, “दयालु स्त्री का सम्मान होता है, और कठोर परिश्रम करनेवाला पुरुष धन प्राप्त करता है”(पद.16 ) l परमेश्वर की ओर से ऐसे उपहार हैं जिनका मूल्य पैसों से कहीं अधिक है, और वह उन्हें अपनी सम्पूर्ण बुद्धि और तरीके से उदारतापूर्वक मापता है l
दयालुता और उदारता परमेश्वर के चरित्र का हिस्सा हैं, और वह उन्हें हमारे हृदय और जीवन में व्यक्त होते देखना पसंद करता है l सुलैमान ने इस मामले को अच्छी तरह से संक्षिप्त करता है : “जो दूसरों की खेती सींचता है, उसकी भी सिंची जाएगी”(पद.25) l
परमेश्वर ने आप पर किस प्रकार दया की है? आज आप किन तरीकों से दूसरों को उसका प्यार दिखा सकते हैं?
प्रिय परमेश्वर, मुझे आपकी दयालुता पसंद है l कृपया मुझे आपके जैसा बनने में मदद करें ताकि मैं व्यवहारिक तरीकों से आपका प्यार साझा कर सकूँ l