ट्रे फ़िटनेस सेंटर में नियमित है और यह प्रगट है l उसके कंधे चौड़े हैं, उसकी मांसपेशियाँ उभरी भुजाएँ मेरी जांघों के आकार के करीब हैं l उसकी शारीरिक स्थिति ने मुझे उसे आत्मिक बातचीत में शामिल करने के लिए प्रेरित किया l मैंने उससे पुछा कि क्या शारीरिक फिटनेस के प्रति उसकी प्रतिबद्धता किसी तरह से परमेश्वर के साथ स्वस्थ सम्बन्ध को दर्शाती है l हालाँकि हम बहुत गहराई तक नहीं गए, ट्रे ने “अपने जीवन में परमेश्वर को स्वीकार किया l हमने काफी देर तक बात की और उसने मुझे अपनी चार सौ पौंड वजनी, अनुपयुक्त, अस्वस्थ संस्करण की तस्वीर दिखायी l उनकी जीवनशैली में बदलाव ने शारीरिक रूप से अद्भुत काम किया l 

1 तीमुथियुस 4:6-10 में, शारीरिक और आत्मिक प्रशिक्षण केंद्र-बिंदु में आता है l “भक्ति की साधना कर l क्योंकि देह की साधना से कम लाभ होता है, पर भक्ति सब बातों के लिए लाभदायक है, क्योंकि इस समय के और आनेवाले जीवन की भी प्रतिज्ञा इसी के लिए है”(पद.7-8) l किसी की बाहरी फिटनेस परमेश्वर के साथ हमारी स्थिति को नहीं बदलती है l हमारी आत्मिक फिटनेस हृदय का मामला है l इसका आरम्भ यीशु पर विश्वास करने के निर्णय से होती है, जिसके द्वारा हमें क्षमा मिलती है l उस बिंदु से, ईश्वरीय जीवन के लिए प्रशिक्षण आरम्भ होता है l इसमें “विश्वास और उस अच्छे उपदेश की बातों से . . . पालन पोषण”(पद.6) शामिल है(पद.6) और, परमेश्वर की सामर्थ्य से, ऐसा जीवन जीना जो हमारे स्वर्गिक पिता का सम्मान करता हो l