लन्दन मैराथन में एक धावक ने अनुभव किया कि लम्बी दौड़ में अकेले दौड़ना क्यों महत्वपूर्ण नहीं है l महीनों की कठिन तैयारी के बाद, वह आदमी जोरदार अंत करना चाहता था l लेकिन जैसे ही वह समापन रेखा की ओर लड़खड़ाने लगा, उसने खुद को दोगुना थका हुआ और गिरने की कगार पर पाया l इससे पहले कि वह भूमि पर गिरता, दो साथी मैराथन धावकों ने उसकी बाँहें पकड़ लीं—एक बायीं ओर से और एक दायीं ओर से—और संघर्षरत धावक को दौड़ पूरी करने में मदद की l 

उस धावक की तरह, सभोपदेशक का लेखक हमें कई महत्वपूर्ण फायदों की याद दिलाता है जो दूसरों को हमारे साथ जीवन की दौड़ में दौड़ने से मिलते हैं l सुलैमान ने यह सिद्धांत निर्धारित किया कि “एक से दो अच्छे हैं”(सभोपदेशक 4:9) l उसने संयुक्त प्रयासों और आपसी परिश्रम के फायदों पर प्रकाश डाला l उसने यह भी लिखा कि साझेदारी से “उनके परिश्रम का अच्छा फल मिलता है”(पद.9) l कठिनाई के समय में, एक साथी “दूसरे को उठाने” के लिए उपस्थित रहता है(पद.10) l जब रातें अँधेरी और ठंडी होती हैं, तो मित्र “गर्म रहने” के लिए इकठ्ठा हो सकते हैं(पद.11) l और, खतरे के मध्य, दो लोग एक हमलावर का “सामना कर सकते हैं”(पद.12) l जिनका जीवन एक साथ बुना हुआ है, उनमें अत्यधिक  शक्ति हो सकती है l 

हमारी सभी कमजोरियों और निर्बलताओं के बावजूद, हमें यीशु में विश्वास करने वाले समुदाय के मजबूत समर्थन और सुरक्षा की ज़रूरत है l आइये एक साथ आगे बढ़ें क्योंकि वह हमारा नेतृत्व करता है l