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प्रेम की मजदूरी
1986 में, यूक्रेन में चेरनोबिल परमाणु दुर्घटना ने संसार का ध्यान खींचा l जैसे ही आपदा की भयावहता स्पष्ट हुयी, अधिकारी विकिरण(radiation) को रोकने के अत्यंत आवश्यक कार्य में जुट गए l अत्यधिक रेडियोधर्मी(radioactive) मलबे से निकलने वाली घातक गामा किरणें(gamma rays) कचरे को साफ़ करने के लिए तैनात किये गए रोबोटों(robots) को नष्ट करती रहीं l
इसलिए उन्हें “जैव रोबोट(bio robots)”—मानवों का उपयोग करना पड़ा! हज़ारों वीर व्यक्ति नब्बे सेकंड या उससे कम की “पालियों(shifts)” में खतरनाक सामग्री को निपटाते हुए “चेरनोबिल परिसमापक/नष्ट करनेवाले(Chernobyl liquidators)” बन गए l लोगों ने बड़े व्यक्तिगत जोखिम पर वह किया जो तकनीक नहीं कर सकी l
बहुत समय पहले, परमेश्वर के विरुद्ध हमारे विद्रोह ने एक ऐसी तबाही ला दी थी जिसके कारण अन्य सभी आपदाएं हुयी(उत्पत्ति 3 देखें) l आदम और हव्वा के द्वारा, हमनें अपने सृष्टिकर्ता से अलग होने का फैसला किया और इस प्रक्रिया में हमने अपने संसार को एक जहरीली गन्दगी बना दिया l हम कभी भी इसे स्वयं साफ़ नहीं कर सकते थे l
यही क्रिसमस का सम्पूर्ण उद्देश्य है l प्रेरित यूहन्ना ने यीशु के बारे में लिखा, “यह जीवन प्रगट हुआ, और हम ने उसे देखा, और उसकी गवाही देते हैं, और तुम्हें उस अनंत जीवन का समाचार देते हैं जो पिता के साथ था और हम पर प्रगट हुआ”(1 यूहन्ना 1:2) l उसके बाद यूहन्ना ने घोषणा की, “[परमेश्वर के] पुत्र का लहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है”(पद.7) l
यीशु ने वह प्रबंध किया जो उसके प्राणी/मनुष्य नहीं कर सके l जैसे ही हम उस पर विश्वास करते हैं, वह हमें अपने पिता के साथ एक सही सम्बन्ध में बहाल करता है l उसने मृत्यु को ही नष्ट कर दिया है l जीवन प्रगट हुआ है l
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क्रिसमस लाइट
जब मेरी बहन को हमारे बचपन की कहानियों की किताब मिली, तो मेरी माँ, जो अब सत्तर के दशक की हैं, बहुत खुश हुयी l उसे एक भालू के बारे में सारी मज़ेदार बातें याद आ गयी, जिसने शहद चुराया था और क्रोधित मधुमक्खियों के झुण्ड ने उसका पीछा किया था l उसे यह भी याद आया कि भालू के भागने की उम्मीद पर मैं और मेरी बहन कैसे हँसे थे l “जब हम बच्चे थे तो हमें हमेशा कहानियाँ सुनाने के लिए धन्यवाद,” मैंने अपनी माँ से कहा l वह मेरी पूरी कहानी जानती है, जिसमें यह भी शामिल है कि मैं एक छोटे बच्चे के रूप में कैसी थी l अब जबकि मैं व्यस्क हो गयी हूँ, वह अब भी मुझे जानती और समझती है l
परमेश्वर भी हमें जानता है—किसी भी इंसान से कहीं अधिक गहराई से, जिसमें हम स्वयं भी शामिल हैं l दाऊद का कहना है कि उसने हमारी “जाँच” की है(भजन सहिंता 139:1) l अपने प्रेम में, उसने हमारी जांच की है और हमें पूरी तरह से समझता है l परमेश्वर हमारे विचारों को जानता है, हम जो कहते हैं उसके पीछे के कारणों और अर्थों को समझता है(पद.2,4) l वह गहराई से हमारे हर एक विवरण से परिचित है जो हमें बनाता है कि हम कौन हैं, और वह इस ज्ञान का उपयोग हमारी मदद करने के लिए करता है(पद.2-5) l वह जो हमें सबसे अधिक जानता है, हमारी उपेक्षा करके हमसे दूर नहीं जाता है बल्कि अपने प्रेम और बुद्धिमत्ता के साथ हम तक पहुंचता है l
जब हम अकेला, अनदेखा और भूला हुआ महसूस करते हैं, तो हम इस सच्चाई में सुरक्षित रह सकते हैं कि परमेश्वर हमेशा हमारे साथ हैं, हमें देखता है और हमें जानता है(पद.7-10) l वह हमारे उन सभी पक्षों को जानता है जो दूसरे नहीं जानते—और उससे भी अधिक l दाऊद की तरह, हम विश्वास के साथ कह सकते हैं, “तू ने मुझे . . . जान लिया है . . . तू अपने हाथ से मेरी अगुवाई करेगा, और अपने दाहिने हाथ से मुझे पकड़े रहेगा”(पद.1, 10) l
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आपसी प्रोत्साहन
“विशुद्ध प्रोत्साहन(Sheer encouragement) l” इसी वाक्यांश द्वारा जे.आर.आर. टॉकिन ने अपने मित्र और सहकर्मी सी.एस. ल्युईस को उनके व्यक्तिगत समर्थन को परिभाषित किया जब वे महाकाव्य(epic) द लॉर्ड ऑफ़ द रिंग्स(The Lord of the Rings) ग्रन्थत्रय(trilogy) लिख रहे थे l श्रृंखला पर टॉकिन का काम अति परिश्रमी और सटीक था, और उन्होंने व्यक्तिगत रूप से लम्बी पांडुलिपियों को दो से अधिक बार टाइप किया था l जब उन्होंने उन्हें ल्युईस के पास भेजा, तो ल्युईस ने उत्तर दिया, “आपने इस पर जितने लम्बे वर्ष खर्च किये हैं, वे उचित हैं l”
संभवतः पवित्रशास्त्र का सबसे प्रसिद्ध प्रोत्साहन करनेवाला साइप्रस का युसूफ था, जिसे बरनबास(जिसका अर्थ है “प्रोत्साहन का पुत्र) के नाम से जाना जाता है, नाम जिसे प्रेरितों ने उसे दिया था (प्रेरितों के काम 4:36) l यह बरनबास ही था जिसने प्रेरितों के सामने पौलुस का समर्थन किया था(9:27) l बाद में, जब गैर-यहूदी विश्वासियों ने यीशु में विश्वास आरम्भ किया तो लूका हमें बताता है कि बरनबास “आनंदित हुआ, और सब को उपदेश दिया कि तन मन लगाकर प्रभु से लिपटे रहो”(11:23) l लूका ने उसका वर्णन “भला मनुष्य” और पवित्र आत्मा और विश्वास से परिपूर्ण” व्यक्ति के रूप में किया, और कहा कि उसके कारण, “बहुत से लोग प्रभु में आ गए”(पद.24) l
उत्साहवर्धक शब्दों का मूल्य मापा नहीं जा सकता है l जब हम दूसरों को विश्वास और प्रेम के शब्द पेश करते हैं, परमेश्वर—जो “अनंत प्रोत्साहन(शांति)” देता है (2 थिस्सलुनीकियों 2:16)—जो कुछ हम साझा करते हैं उसके द्वारा किसी के जीवन को हमेशा के लिए बदल सकता है l आज वह किसी को “विशुद्ध प्रोत्साहन” देने में हमारी सहायता करे!
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जो आप हैं
फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी में अपने कॉलेज के दिनों में, चार्ली वार्ड दो-खेल के छात्र एथलीट थे l 1993 में, इस युवा क्वार्टरबैक/quarterback(खेल में एक स्थान) ने देश के सवर्श्रेष्ठ कॉलेज अमेरिकी फुटबॉल खिलाड़ी के रूप में हेज़मैन ट्रॉफी(Heisman Trophy) जीती, और वे बास्केटबॉल टीम में भी सर्वोत्तम रहे l
एक दिन खेल से पहले बातचीत में, उनके बास्केटबॉल कोच ने अपने खिलाड़ियों से बातचीत में कुछ अभद्र भाषा उपयोग किया l उन्होंने देखा कि चार्ली “आरामदायक नहीं था,” और कहा, “चार्ली, क्या चल रहा है?” वार्ड ने कहा, “कोच, आप जानते हैं, कोच बोडेन {फुटबॉल कोच] उस तरह की भाषा का उपयोग नहीं करते हैं, और वह हमें बहुत कठिन खेल खिलाते हैं l”
चार्ली के मसीह जैसे चरित्र ने उसे इस मुद्दे पर अपने बास्केटबॉल कोच से धीरे से बात करने की अनुमति दी l जब कोच ने चार्ली से बात की तो वास्तव में, उन्होंने एक रिपोर्टर से कहा : “यह लगभग ऐसा है जैसे कोई स्वर्गदूत आपको देख रहा है l”
अविश्वासियों के साथ एक नेकनामी और मसीह का एक विश्वासयोग्य साक्षी होना कठिन है l लेकिन साथ ही, यीशु में विश्वास करने वाले उसके जैसे बन सकते हैं क्योंकि वह हमारी सहायता और हमारा मार्गदर्शन करता है l तीतुस 2 में, युवा पुरुषों, और विस्तार से सभी विश्वासियों को, बुलाया गया है कि वे “संयमी”(पद.6) और “[उनके] उपदेश में . . . ऐसी खराई [हो] . . . कि कोई . . . दोष लगाने का अवसर न पा [सके]”(पद.7-8) l
जब हम इस तरह मसीह की सामर्थ्य में जीते हैं, तो हम न केवल उसका आदर करेंगे बल्कि एक अच्छा नाम भी निर्मित करेंगे l फिर चूँकि परमेश्वर हमें आवश्यक बुद्धि प्रदान करता है, लोगों के पास हमें सुनने का कारण होगा l