
आवाज की शक्ति
इतिहास में सबसे शक्तिशाली वक्ता अक्सर वे नेता होते हैं जिन्होंने अपनी आवाज का इस्तेमाल सकारात्मक बदलाव लाने के लिए किया है। फ्रेडरिक डगलस पर विचार करें, जिनके दासत्व को समाप्त करने और स्वतंत्रता पर भाषणों ने एक आंदोलन को बढ़ावा दिया, जिससे संयुक्त राज्य अमेरिका में दासत्व का अंत करने में मदद मिली। अगर उसने चुप रहना चुना होता तो क्या होता? हम सब में दूसरों को प्रेरित करने और उनकी मदद करने के लिए अपनी आवाज का उपयोग करने की क्षमता होती है, लेकिन बोलने का डर हमें शक्तिहीन बना सकता है। ऐसे क्षणों में जब हम इस भय से अभिभूत महसूस करते हैं, हम परमेश्वर की ओर देख सकते हैं, जो हमारे ईश्वरीय ज्ञान और प्रोत्साहन का स्रोत है।
जब परमेश्वर ने यिर्मयाह को अन्यजातियों के लिए भविष्यद्वक्ता होने के लिए बुलाया, तो वह तुरंत अपनी क्षमताओं पर संदेह करने लगा। वह चिल्ला उठा, “मैं तो बोलना भी नहीं जानता, क्योंकि मैं लड़का ही हूँ” (यिर्मयाह 1:6)। लेकिन परमेश्वर यिर्मयाह के डर को उसकी आवाज के द्वारा एक पीढ़ी को प्रेरित करने के लिए उसकी ईश्वरीय बुलाहट के रास्ते में नहीं आने दिया। इसके बजाय, उसने भविष्यवक्ता को निर्देश दिया कि वह जो कुछ भी कहे और जो कुछ भी उसने आज्ञा दी है उसे करने के द्वारा केवल परमेश्वर पर भरोसा रखे (पद 7)। यिर्मयाह की पुष्टि करने के अतिरिक्त, उसने उसे समर्थ भी किया। “मैं ने अपने वचन तेरे मुंह में डाल दिये हैं ” (पद 9), उसने उसे आश्वासन दिया।
जब हम परमेश्वर से यह दिखाने के लिए कहें कि वह हमें कैसे उपयोग करना चाहता है, तो वह हमें हमारे उद्देश्य को पूरा करने के लिए सामर्थ देगा। उसकी मदद से, हम अपने आस–पास के लोगों पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए साहसपूर्वक अपनी आवाज़ का उपयोग कर सकते हैं।

ईश्वर की अचूक यादाश्त
एक व्यक्ति के पास बिटकॉइन में $400 मिलियन से अधिक मुद्रा थी। लेकिन वह इसके एक पैसा भी नहीं पा सका। अपने धन को जमा करने वाले उपकरण का पासवर्ड उससे खो गया था। और आपदा घटी — दस पासवर्ड से कोशिश करने के बाद, उपकरण अपने आप ही नष्ट हो गया। उसकी सम्पति (तकदीर) हमेशा के लिए खो गई। एक दशक तक, वह व्यक्ति बैचेन था, वह अपने जीवन को बदलने वाले निवेश पूँजी के पासवर्ड को याद करने की सख्त कोशिश कर रहा था। उसने आठ पासवर्ड आज़माए और आठ बार विफल रहा। 2021 में, वह बहुत दुखी हुआ कि उसके पास सिर्फ दो और मौके थे इससे पहिले कि सब कुछ धुएं में उड़ जाए।
हम भूलने वाले (भुलक्कड़) लोग हैं। कभी–कभी हम छोटी चीजें भूल जाते हैं – हमने अपनी चाबियां कहां रखी हैं; और कभी–कभी हम बड़ी चीजें भूल जाते हैं (एक पासवर्ड जो लाखों की मुद्रा को अनलॉक करता है)। शुक्र है परमेश्वर हमारे जैसा नहीं है। वह उन चीजों या लोगों को कभी नहीं भूलता जो उसे प्रिय हैं। संकट के समय में इस्राएल को डर था कि परमेश्वर उन्हें भूल गया है। “यहोवा ने मुझे त्याग दिया है, मेरा प्रभु मुझे भूल गया है।" (यशायाह 49:14)। हालाँकि, यशायाह ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनका परमेश्वर हमेशा याद रखता है। “क्या कोई माँ अपने दूध पीते बच्चे को भूल सकती है?” वह पूछता है। बेशक, एक माँ अपने दूध पीते बच्चे को नहीं भूलेगी। फिर भी, भले ही एक माँ ऐसी मूर्खता करे, पर हम जानते हैं कि परमेश्वर हमें कभी नहीं भूलेगा (पद 15)।
परमेश्वर कहते हैं, “देख, मैंने तेरा चित्र अपनी हथेलियों पर खोद कर बनाया है।” (पद 16)। परमेश्वर ने हमारे नामों को अपने अस्तित्व में खोदा है। आइए हम याद रखें कि वह हमें भूल नहीं सकता है – जिनसे वह प्यार करता है।

टुकड़ों को टुकड़ों को एक साथ रखना (जोड़ना)
जब हमारा परिवार वैश्विक महामारी के कारण क्वारंटीन था, तब हमने एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर काम किया- अठारह हज़ार टुकड़ों वाली पहेली! हालाँकि हम इस पर लगभग रोज़ाना काम करते थे, लेकिन अक्सर हमें लगता था कि हम ज़्यादा प्रगति नहीं कर पा रहे हैं। शुरू करने के पाँच महीने बाद, हमने आखिरकार नौ-बाई-छह फ़ीट की पहेली में आखिरी टुकड़ा जोड़ने का जश्न मनाया, जो हमारे डाइनिंग रूम के फर्श को ढक लिया था।
कभी–कभी मुझे मेरा जीवन एक विशाल पहेली की तरह महसूस होता है — कई टुकड़े जगह में हैं, लेकिन बहुत कुछ अभी भी फर्श पर मिले जुले पड़े हैं। जबकि मैं जानती हूं कि परमेश्वर मुझे अधिक से अधिक यीशु की तरह बदलने के लिए काम कर रहा है, लेकिन कभी–कभी बहुत अधिक प्रगति देखना कठिन हो जाता है।
फिलिप्पियों को लिखे अपने पत्र में पौलुस के प्रोत्साहन में मुझे बहुत शान्ति मिलती है जब उसने कहा कि जो अच्छा काम वे कर रहे थे उसके कारण उसने खुशी के साथ उनके लिए प्रार्थना की (1:3–4)। लेकिन उसका भरोसा उनकी योग्यताओं पर नहीं बल्कि परमेश्वर पर था, यह मानते हुए कि जिस ने अच्छा काम आरम्भ किया वह इसे पूर्णता तक ले जायेगा (पद 6)।
परमेश्वर ने हममें अपने कार्य को पूरा करने की प्रतिज्ञा की है। एक पहेली की तरह, ऐसे अंश हो सकते हैं जिन पर अभी भी हमें ध्यान देने की आवश्यकता है, और कई बार ऐसा भी होता है जब लगता है कि हम ज्यादा प्रगति नहीं करते हैं। लेकिन हम भरोसा रख सकते हैं कि हमारा विश्वासयोग्य परमेश्वर अब भी टुकड़ों को जोड़ रहा है।

लिखित संदेश, मुसीबतें, और जीत
जिमी ने सामाजिक अशांति, खतरे और असुविधा की वास्तविकता को इसकी अनुमति नहीं दी थी कि वे उसे सेवकाई करने वालो को प्रोत्साहित करने के लिए दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक की यात्रा करने से रोक सकें। घर में हमारी टीम को निरंतर भेजे गये लिखित संदेशों ने उन चुनौतियों का खुलासा किया जिनका उसने सामना किया — “प्रार्थना को सक्रीय करो। हम पिछले दो घंटों में दस मील जा चुके हैं। कार एक दर्जन बार गर्म हो चुकी है।” परिवहन बाधाओं का मतलब था कि वह उन लोगों को प्रचार करने के लिए आधी रात से ठीक पहले पहुँचे, जिन्होंने पाँच घंटे तक उनका इंतज़ार किया था। बाद में हमें एक अलग संदेश मिला — “अदभुत सहभागिता का सुन्दर समय। करीब एक दर्जन लोग प्रार्थना के लिए आगे आए।” यह एक ज़बरदस्त शक्तिशाली रात थी!
ईमानदारी से परमेश्वर की सेवा करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इब्रानियों 11 में सूचीबद्ध विश्वास करने वालों के उदाहरण इस बात से सहमत होंगे। परमेश्वर में अपनी आस्था से विवश होकर सामान्य स्त्री–पुरुषों को असहज और अथाह परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। कितनों ने उपहास और कोड़ों का सामना किया, और यहां तक कि जंजीरों में जकड़े जाने और कारावास का भी सामना किया (पद 36)। उनके विश्वास ने उन्हें जोखिम उठाने और परिणाम के लिए परमेश्वर पर भरोसा करने के लिए विवश किया। हमारे लिए भी यही सच है। अपने विश्वास में बने रहना हमें शायद दूर के जोखिम भरे स्थानों पर तो न ले जाए, लेकिन यह हमें अपनी गली, या कार्य स्थल के परिसर में, या लंचरूम, या सभा कक्ष में एक खाली सीट पर ले जा सकता है। क्या यह जोखिम भरा है? शायद। लेकिन इसका प्रतिफल, अभी या बाद में, जोखिम उठाने के लायक होगा क्योंकि परमेश्वर हमारी मदद करता है।
