अनाथ नहीं
जॉन सोवर्स अपनी किताब फादरलेस जेनरेशन(Fatherless Generation) में लिखते हैं कि “किसी पीढ़ी ने इस पीढ़ी के समान इतनी स्वैच्छिक पिता की उनुपस्थिति नहीं देखी है जहाँ 2.5 करोड़ बच्चे एकल माता-पिता के घर में बढ़ रहे हैं l” मेरे खुद के अनुभव में, यदि मैं अपने पिता से सड़क पर टकराता तो मैं उन्हें नहीं पहचानता । जब मैं बहुत छोटा था तब मेरे माता-पिता का तलाक हो गया था, और मेरे पिता की सारी तस्वीरें जला दी गईं थी l इसलिये मैंने वर्षों तक अनाथ महसूस किया । फिर 13 साल की उम्र में मैंने प्रभु की प्रार्थना सुनी (मत्ती 6:9-13) और मैंने अपने आप से कहा, तुम्हारे पास एक सांसारिक पिता नहीं हो सकता है पर अब परमेश्वर तुम्हारे पास स्वर्गीय पिता के रूप में है ।
मत्ती 6:9 में हमें प्रार्थना करना सिखाया जाता है, “हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए।” इससे पहले पद 7 प्रार्थना करते समय “बक बक न करो” करने के लिए कहता है, और हम आश्चर्य कर सकते हैं कि ये पद आपस में कैसे जुड़े हैं । मैंने यह एहसास किया कि क्योंकि परमेश्वर याद रखता है, हमें दोहराने की जरूरत नहीं है । वह सच में समझता है, तो हमें समझाने की जरूरत नहीं है । उसके पास एक करुणामय हृदय है, तो हमें उसकी भलाई के विषय अनिश्चित रहने की जरूरत नहीं है । और इसलिए कि वह आरम्भ से ही अंत जानता है, हम जानते हैं कि उसका समय सही है l
क्योंकि परमेश्वर हमारा पिता है, उसे कार्यवाही करने के लिए हमें “बहुत बोलने” (पद.7) की ज़रूरत नहीं है l प्रार्थना के द्वारा, हम ऐसे पिता से बात करते हैं जो हमसे प्रेम करता है और हमारी देखभाल करता है और यीशु के द्वारा हमें अपनी संतान बनाया है l
डर पर जीत
एक व्यक्ति के जीवन पर डर ने बत्तीस सालों तक राज्य किया l अपने अपराधों के लिए पकड़े जाने के डर से, वह अपनी बहन के फार्महाउस में छिप गया, न कहीं गया और न ही किसी से मिला, यहाँ तक कि अपनी माँ के अंतिम संस्कार में भी उपस्थित नहीं हुआ l जब वह चौंसठ साल का हो गया, उसे ज्ञात हुआ कि उसके विरुद्ध अपराध का कोई मामला दर्ज नहीं हुआ था l वह व्यक्ति स्वाभाविक जीवन जीने के लिए स्वतंत्र था l आवश्य ही, सजा का खतरा वास्तविक था, परन्तु उसने उस डर को उसे नियंत्रित करने की अनुमति दी l
इसी प्रकार, जब पलिश्तियों ने एला की घाटी में इस्राएलियों को चुनौती दी तो उनके ऊपर भय छा गया l खतरा वास्तविक था l उनका शत्रु गोलियात 9 फीट 9 इंच लम्बा था और उसके कवच/बख्तर का वजन 125 पौंड(लगभग 57 किलोग्राम) था l चालीस दिनों तक सुबह और शाम, गोलियात इस्राएली सेना को उसके साथ युद्ध लड़ने की चुनौती देता रहा l लेकिन किसी ने हिम्मत नहीं की l जब तक दाऊद युद्ध भूमि में नहीं पहुँचा तक तक कोई आगे नहीं आया l उसने ताना मारते हुए सुना और देखा, और गोलियात से लड़ने के लिए स्वेच्छा से आगे आया l
जब इस्राएली सेना के सभी लोग सोचते थे कि गोलियात लड़ाई के लिए बहुत बड़ा है, दाऊद चरवाहा लड़का जानता था कि वह परमेश्वर के लिए बहुत बड़ा नहीं था l उसने कहा, “संग्राम तो यहोवा का है, और वही तुम्हें हमारे हाथ में कर देगा” (पद.47) l
डर के चपेट में आने पर, हम दाऊद की मिसाल का अनुसरण करें, और समस्या का सही दृष्टिकोण प्राप्त करने के लिए अपनी नज़रें परमेश्वर की ओर लगाएँ l खतरा वास्तविक हो सकता है, लेकिन जो हमारे साथ और हमारी ओर है वह उससे भी बड़ा है जो हमारे विरुद्ध है l
अपूर्ण, फिर भी प्रेम किया गया
जापान में भोजन पदार्थ शुद्धता से तैयार और पैक किये जाते हैं l उनके स्वाद और रूप दोनों ही अच्छे होने चाहिए l अक्सर मैं सोचता हूँ कि मैं भोजन सामग्री खरीद रहा हूँ या उसकी पैकिंग! जापान द्वारा अच्छी गुणवत्ता पर बल देने के कारण, उत्पाद में थोड़ी त्रुटी के कारण भी उसे हटा दिया जाता है l हालाँकि, इन हाल के वर्षों में वेकियरी(wakeari) उत्पाद ने लोकप्रियता हासिल कर लिया है l जापानी भाषा में वेकियरी(wakeari) का अर्थ है “एक कारण है l” ये हटाए गए उत्पाद फेंके नहीं जाते हैं किन्तु “एक कारण से” थोड़े कम दाम में बेचे जाते हैं-उदहारण के लिए, टूटे हुए बिस्कुट l
जापान में रहनेवाला मेरा मित्र मुझे बताता है कि वेकियरी(wakeari) प्रत्यक्ष रूप से अपूर्ण लोगों के लिए उपयोग किया जानेवाला तकिया कलाम भी है l
यीशु सभी लोगों से प्रेम करता है-वेकियरी(wakeari) लोगों को भी जिन्हें समाज अलग कर देता है l जब एक पापिनी स्त्री को पता चला कि यीशु एक फरीसी के घर में भोजन पर निमंत्रित है, वह रोती हुयी यीशु के चरणों पर गिर गयी(लूका 7:37-38) l फरीसी ने उसे “एक पापिनी” कहा (पद.39), किन्तु यीशु ने उसे स्वीकार किया l उसने उससे कोमलता से बात करते हुए, उसे भरोसा दिलाया कि उसके पाप क्षमा कर दिए गए (पद.48) l
यीशु अपूर्ण, वेकियरी(wakeari) लोगों से प्रेम करता है अर्थात् जिसमें आप और मैं शामिल हैं l और उसके प्रेम का महानतम रूप यह है कि “जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिए मरा” (रोमियों 5:8) l उसके प्रेम को ग्रहण करनेवाले के रूप में, हम अपने चारों तरफ के दोषपूर्ण लोगों के लिए उसके प्रेम का माध्यम बन जाएं ताकि वे भी जान सकें कि उनकी अपूर्णता के बावजूद वे भी परमेश्वर का प्रेम प्राप्त कर सकते हैं l
थामें रहें
चीन के ज्हंजज़ियाज़िए का तियानमे पर्वत विश्व के खूबसूरत पर्वतों में से एक है l ऊंची घाटियों को उनके समस्त प्रतापी भव्यता में देखने के लिए, आपको तियानमे शान केबल कार से 7,455 मीटर (4.5 मील) की दूरी पूरी करनी होगी l केबल कार का बगैर किसी मोटर के इतनी लम्बी दूरी और ऊंचे पर्वतों की चोटियों पर चढ़ना अपने…
क्रिसमस का जन्म
जब जिब्राइल स्वर्गदूत मरियम और तब गड़रियों के पास संसार के लिए शुभ संदेश लेकर आया(लुका 1:26-27;2:10), क्या यह शुभ संदेश इस युवती के लिए भी था? संभवतः मरियम सोच रही थी: मैं अपनी गर्भावस्था अपने परिवार को कैसे समझाऊँ? क्या मेरा मंगेतर मेरी मंगनी तोड़ देगा? शहर के लोग क्या कहेंगे? यद्यपि मेरा जीवन बक्श दिया जाता है, मैं…
हम कौन हैं
कोरी टेन बूम, अपनी आत्मकथा में 1940 के दशक के आरम्भ में नाज़ी नज़रबंदी शिविर में अपनी बहन बेट्सी और अपने भयावह समय का वर्णन करती है l एक जाँच के दौरान उनको निर्वस्त्र किया गया l कोरी कलुषित एवं त्यागी हुई महसूस की l अचानक, उसने याद किया कि यीशु को भी नग्नावस्था में क्रूसित किया गया था l…
जीवन की आँधियाँ
मरकुस की पुस्तक में हम एक प्रचण्ड आँधी के विषय पढ़ते हैं। शिष्य यीशु के साथ नाव से गलील सागर को पार कर रहे थे। जब एक “बड़ी आँधी आयी,“ शिष्य-जिनमें कुछ एक अनुभवी मछुवारे भी थे-अति भयभीत हुए(4:37-38)। क्या परमेश्वर चिन्तित नहीं था? क्या यीशु ने उनका चुनाव नहीं किया था और वे उसके अति निकट नहीं थे? क्या…