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Articles by एमी बाउचर पाई

आशा और लालसा

जब मैं इंग्लैंड में रहने लगी, तो नवम्बर के महीने में थैंक्सगिविंग (Thanksgiving day/कृतज्ञता दिवस) का अमरीकी अवकाश सप्ताह का एक और गुरुवार के समान बन गया l बहरहाल,मैंने सप्ताह के अंत में एक दावत आयोजित की थी क्योंकि मैं उस दिन परिवार और दोस्तों के साथ रहना चाहती थी l हालांकि मैं समझ थी कि मेरी अभिलाषा अनोखी नहीं थी l हम सभी विशेष अवसरों और छुट्टियों पर अपने प्रिय लोगों के साथ रहना चाहते हैं l और जब हम जश्न मना रहे होते हैं, तब भी हम किसी ऐसे व्यक्ति को याद कर सकते हैं जो हमारे साथ नहीं है या हम प्रार्थना करते हैं कि हमारा खंडित परिवार शांति से रहे l 

ऐसे समय के दौरान, प्रार्थना करने और बाइबल की बुद्धि पर मनन करने से मुझे मदद मिली है, जिसमें राजा सुलेमान का एक नीतिवचन भी शामिल है : “जब आशा पूरी होने में विलम्ब होता है, तो मन शिथिल होता है, परन्तु जब लालसा पूरी होती है, तब जीवन का वृक्ष लगता है” (नीतिवचन 13:12) l इस नीतिवचन में, सुलेमान अपने ज्ञान को सपष्टता से साझा करते हुए टिप्पणी करता है कि “आशा टलने” से हो सकता है: किसी चीज़ में  बहुत अधिक विलम्ब होने के कारण अत्यधिक घबराहट और पीड़ा हो सकती है l लेकिन जब इच्छा पूरी हो जाती है, तो यह जीवन के वृक्ष की तरह होती है—कुछ ऐसा जो हमें तरोताज़ा और नए सिरे से महसूस करने की अनुमति देता है l 

हो सकता है कि हमारी कुछ आशाएं और इच्छाएँ तुरंत पूरी न हों, और कुछ हमारे मरने के बाद परमेश्वर द्वारा पूरी होंगी l हमारी जो भी अभिलाषा हो, हम परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं, यह जानते हुए कि वह हमसे असीम प्रेम करता है l और,एक दिन, जब हम अपने प्रियजनों के साथ फिर से मिल जाएंगे तब हम उसके साथ भोज करते हुए उसे धन्यवाद दे सकते हैI (देखें प्रकाशितवाक्य 19:6-9) 

अपने पड़ोसियों से प्रेम करना

कोरोनावाइरस महामारी के समय आत्म-अलगाव/स्वपृथकीकरण और लॉकडाउन के दिनों में, मार्टिन लूथर किंग जूनियर द्वारा उनके “लेटर फ्रॉम ए बर्मिंघम जेल” के शब्द सच्चे थे l अन्याय के विषय बोलते हुए, उन्होंने टिप्पणी की कि कैसे वह एक शहर में आलस्य से नहीं बैठ सकते और दूसरे में क्या होता है इसके बारे में चिंतित नहीं हो सकते l “हम पारस्परिकता के एक अपरिहार्य नेटवर्क में फंस गए हैं,” उन्होंने कहा, “नियति के एक ही परिधान में बंधे हुए हैं l जो कुछ भी प्रत्यक्ष रूप से एक को प्रभावित करता है, अप्रत्यक्ष रूप से सभी को प्रभावित करता है l”

उसी प्रकार, कोविड-19 महामारी हमारी संयुक्तता(कनकटेडनेस/connectedness) को उजागर किया जब संसार भर के शहरों और देशों ने वायरस के प्रसार को रोकने के लिए खुद को बंद कर दिया था l जिसने एक शहर को प्रभावित किया वह जल्द ही दूसरे को प्रभावित कर सकता था l 

कई शताब्दी पहले, परमेश्वर ने अपने लोगों को निर्देश दिया था कि कैसे दूसरों के लिए चिंता दर्शाएँ l मूसा के द्वारा, उसने इस्राएलियों को उनका मार्गदर्शन करने और उन्हें एक साथ रहने में सहायता करने के लिए व्यवस्था  दी l उसने उनसे कहा कि “न अपने पड़ोसी की हत्या के उद्देश्य से घात लगाना” (लैव्यव्यवस्था 19:16); और बदला लेने या दूसरों से बैर रखने के लिए नहीं, वरन् “अपने पड़ोसी को अपने ही समान प्रेम करना” (पद.18)  परमेश्वर जानता था कि समुदाय का टूटकर बिखरना शुरू हो जाएगा यदि लोग दूसरों की चिंता नहीं करेंगे, उनके जीवनों को उतना महत्व नहीं देंगे जितना अपने जीवनों को देते हैं l  

हम भी परमेश्वर की बुद्धिमत्ता के निर्देश को अपना सकते हैं l जब हम अपने दैनिक गतिविधियों में लगे रहते हैं, हम याद रख सकते हैं कि हम कितने एक दूसरे से जुड़े हुए हैं जब हम परमेश्वर से पूछते हैं कि हम किस तरह उनसे प्रेम और उनकी सेवा अच्छी तरह कर सकते हैं l 

सच्चा बदलाव

दक्षिण लंदन में एक अशांत घर में पले-बढ़े, क्लाउड ने पन्द्रह वर्ष की उम्र में मारिजुआना और हेरोइन बेचना शुरू कर दिया था। अपनी गतिविधियों को ढाकने की जरूरत के लिए, वह युवाओं के लिए एक संरक्षक बन गया। जल्द ही वह अपने मैनेजर के कारण उत्सुक हुआ ,जो यीशु में एक विश्वासी था, और वह और अधिक जानना चाहता था। मसीही विश्वास की खोज के एक पाठ्यक्रम में भाग लेने के बाद, उसने मसीह को अपने जीवन में लाने की "हिम्मत" की। "मैंने इस तरह की एक स्वागत योग्य उपस्थिति महसूस की," उसने कहा। “लोगों ने मुझमें तुरंत बदलाव देखा। मैं दुनिया का सबसे खुश ड्रग व्यापारी था!"

यीशु यहीं नहीं रुके। जब क्लाउड ने अगले दिन कोकीन का एक बैग तौला, तो उसने सोचा, यह पागलपन है। मैं लोगों को जहर दे रहा हूँ! उसने महसूस किया कि उसे ड्रग्स बेचना बंद कर देना चाहिए और नौकरी ढूंढनी चाहिए। पवित्र आत्मा की मदद से, उसने अपने फोन बंद कर दिए और कभी वापस नहीं गया।

इस प्रकार के परिवर्तन का उल्लेख प्रेरित पौलुस ने किया जब उसने इफिसुस की कलीसिया को लिखा। लोगों को परमेश्वर से अलग न रहने का आह्वान करते हुए, उसने उनसे आग्रह किया कि "..पुराने मनुष्यत्व को जो भरमानेवाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्ट होता जाता है, उतार डालो" और इसके बजाय "नये मनुष्यत्व को पहिन लो, जो परमेश्वर के अनुरूप सत्य की  धार्मिकता और पवित्रता में सृजा गया है” (इफिसियों 4:22, 24)। पौलुस ने जिस क्रिया रूप का प्रयोग किया, उसका अर्थ है कि हमें नियमित रूप से नए स्व को धारण करना है।

जैसे क्लाउड के साथ, पवित्र आत्मा हमारी भी प्रसन्नता के साथ सहायता करना चाहता है कि अपने नए स्व में जिए और यीशु जैसे और अधिक बने।

निवास करनेवाला मसीह

अंग्रेजी उपदेशक एफ.बी. मेयर (1847-1929) ने एक अंडे के उदाहरण का इस्तेमाल यह समझाने के लिए जिसे उन्होंने नाम दिया है "निवास करने वाले मसीह का गहरा दर्शन"। उन्होंने ध्यान दिया  कि कैसे निषेचित अंडे का पीला भाग एक छोटा "जीवन रोगाणु" है जो हर दिन अधिक से अधिक बढ़ता है जब तक कि खोल में चूजा नहीं बन जाता है। उसी प्रकार यीशु भी हमारे भीतर निवास करने आते हैं  अपनी पवित्र आत्मा के द्वारा , हमें बदलते हैं। मेयर ने कहा, "अब से मसीह बढ़ेगा और फैलता जाएगा अपने आप में सब कुछ अवशोषित करेगा, और आप में बनेगा।"

उन्होंने यीशु के सत्यों को अपूर्ण रूप से बताने के लिए माफी मांगी, यह जानते हुए कि उनके शब्द  विश्वासियों में पवित्र आत्मा द्वारा मसीह के वास करने की अद्भुत वास्तविकता को पूरी तरह से व्यक्त नहीं कर सकते। लेकिन उन्होंने अपने श्रोताओं से दूसरों के साथ साझा करने का आग्रह किया, चाहे वह कितना भी अपूर्ण हो, कि यीशु का क्या मतलब था जब उसने कहा, "उस दिन तुम जानोगे कि मैं अपने पिता में हूं, और तुम मुझ में हो, और मैं तुम में" (यूहन्ना 14:20)। यीशु ने ये शब्द अपने मित्रों के साथ अपने अंतिम भोज की रात को कहे थे। वह चाहता था कि वे जानें कि वह और उनके पिता आएंगे और उनके साथ अपना घर बनाएंगे जो उसकी आज्ञा का पालन करते हैं (पद 23)। यह इसलिए संभव है क्योंकि आत्मा के द्वारा यीशु उन लोगों में वास करते हैं जो उस पर विश्वास करते हैं, उन्हें अंदर से बाहर तक बदलते हैं।

आप इसे चाहे कैसे भी चित्रित करे, हमारे पास मसीह हमारे अंदर रहता है, हमारा मार्गदर्शन करता है और हमें उसके जैसा बनने में मदद करता है।

एक नाम का सामर्थ्य

भारत में , मुम्बई के सड़कों पर रहने वाले कुछ बच्चों की पुष्टि करने के लिए, रंजीत ने उनके नाम का एक गीत बनाया। उसने उन्हें धुन सिखाया, उन्हें जैसे बुलाया जाता है, उन्हें एक सकारात्मक स्मृति देने की उम्मीद में, प्रत्येक नाम के लिए एक अद्वित्य माधुर्य के साथ आया, उन बच्चों के लिए जो नियमित रूप से अपने नाम को प्यार से बुलाते हुए नहीं सुनते। उसने उन्हें आदर का उपहार दिया।

बाइबल में नाम महत्वपूर्ण है, अक्सर किसी व्यक्ति के व्यवहार और नए भूमिका या लक्षण को दर्शाता है। उदाहरण के लिए, परमेश्वर ने अब्राम और सारै का का नाम बदले जब उन्होंने उसके साथ प्रेम की वाचा बांधी, यह वादा करते हुए की वह उनका परमेश्वर होता और वे उसके लोग होते। अब्राम, जिसका अर्थ है “महान पिता” अब्राहम बन गया, जिसका अर्थ है “बहुतों का पिता।” और सारै, जिसका अर्थ है “राजकुमारी”,  सारा बन गया, जिसका अर्थ है “बहुतों की माता ” (17:5, 15)

परमेश्वर के नये नाम अनुग्रहित वादों को भी शामिल किया की वे अब और निसंतान नहीं रहेंगे। जब सारा ने अपने बेटे को जन्म दिया, वे बहुत खुश थे और उसका नाम इसहाक रखा, जिसका अर्थ है “वह हंसता है”: सारा ने कहा, “और सारा ने कहा, “परमेश्‍वर ने मुझे प्रफुल्‍लित किया है; इसलिये सब सुननेवाले भी मेरे साथ प्रफुल्‍लित होंगे।” (उत्पत्ति 21:6)।

जब हम लोगों को उनके नाम से बुलाते है हम लोगों को आदर और सम्मान देते हैं और पुष्टि करते की परमेश्वर ने उन्हें क्या होने के लिए बनाए। एक प्यारा उपनाम जो किसी के अद्वितीय गुण की पुष्टि करता है जैसे कोई परमेश्वर के स्वरूप में बनाया गया है कर सकता है।

मैं जहाँ का हूँ

चर्च में धन्यवाद-प्रदान सभा के अंत में, उसके सदस्यों ने अपना ख़ुशी और एकता को एक साथ घेरे में नाचने के द्वारा व्यक्त किया। बैरी(Barry) पीछे खड़ा एक बड़ी मुस्कराहट के साथ देख रहा था। वह यह कहते हुए टिप्पणी किया की वह इन अवसरों को कैसे पसंद करता है। “मैंने कहीं पाया है जहाँ मैं जनता हूँ की मैं प्रेम कर सकता हूँ और प्रेम किया जा सकता हूँ यह अब मेरा परिवार है। यह मेरा समाज है...जहाँ का मैं हूँ” 

उसके बचपन में, बैरी क्रूर भावनात्मक और भौतिक पीड़ा सहा, जिसने उसके ख़ुशी चुरा लिया था। लेकिन उसके स्थानीय कलीसिया ने उसका स्वागत किया और यीशु से परिचय कराया। उनका ख़ुशी और एकता को फैलते हुए पाकर, उसने मसीह का अनुकरण करना शुरू किया और प्रेम और ग्रहण किया हुआ महसूस किया।

भजन 133 में, राजा दाऊद ने दूर पहुँचनेवाली मसीही लोगों के एकता का “अच्छा और सुखद” प्रभाव को दर्शाने के लिए शक्तिशाली तस्वीरों का उपयोग किया। उसने कहा यह किसी ऐसे व्यक्ति की तरह है जिसका बहुमूल्य तेल से अभिषेक किया जाता है, और तरल उनके पट्टे के ऊपर से बह रहा हो (2)। अभिषेक प्राचीन दुनिया में आम था, कभी-कभी एक अभिवादन के रूप में जब कोई घर में प्रवेश किया। दाऊद इस एकता को ओस के साथ भी तुलना करता है जो जीवन और आशीष को लाते हुए पहाड़ों पर गिरता है (3)।

तेल एक खुशबु बिखेरती है जो एक कमरे को भर देता है और ओस सूखे जगहों में नमी लता है। एकता का भी अच्छा और सुखद प्रभाव होता है जैसे उन लोगों का स्वागत करना जो अकेले है। आइए हम मसीह में एक होने का प्रयास करें ताकि परमेश्वर हमारे द्वारा अच्छाई को ला सके।

संकट के लिए अनुग्रह

श्रीदेवी बचपन से ही गर्दन से नीचे तक लकवाग्रस्त थीं। जबकि अन्य बच्चे बाहर खेलते थे, वह अपनी जरूरतों के लिए दूसरों पर, विशेष रूप से अपने पिता पर बहुत अधिक निर्भर थी। उनके गांव में मसीही फिल्म 'करुणामूर्ति' की स्क्रीनिंग के एक मौका ने उनके जीवन को छू लिया, और उन्होंने अपना दिल मसीह के लिए समर्पित कर दिया। उसके बाद वह अपने संपर्क में आने वाले सभी लोगों के लिए प्रोत्साहन की दूत बन गईं।

वह अनुभव से जानती थी कि दुख अक्सर आता है, लेकिन परमेश्वर उन्हें कभी नहीं छोड़ेगा जिनसे वह प्रेम करता है। हर कोई जो उसके पास निराशा के साथ आता था, उसने वह मसीह के प्रेम को साझा करती थी। अपनी दौड़ के अंत में, वह १८० से अधिक लोगों को प्रभु में लायी और कई जिनका जीवन उन्होंने छुआ था, वे स्वयं मिशनरी और सेवक बन गए।

मूसा ने भी कष्ट सहे और संघर्षों का सामना किया, परन्तु वह जानता था कि परमेश्वर की उपस्थिति उसके साथ है। जब उसने इस्राएलियों के नेतृत्व को यहोशू को सौंप दिया, तो उसने उस जवान से कहा कि वह हियाव बान्ध और दृढ़ हो, क्योंकि "तेरे संग चलनेवाला तेरा परमेश्वर यहोवा है" (व्यवस्थाविवरण ३१:६)। मूसा ने यह जानते हुए कि इस्राएल के लोगों को वादा किए गए देश में प्रवेश करते और उसे लेते समय दुर्जेय शत्रुओं का सामना करना पड़ेगा, यहोशू से कहता है, “उनसे न डर न भयभीत हो" (पद ८)।

इस पतित संसार में मसीह के चेले कठिनाई और संघर्ष का सामना करेंगे, लेकिन हमारे पास सांत्वना देने और प्रोत्साहित करने के लिए परमेश्वर की आत्मा है। वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा।

बुद्धि और समझ

1373 में, जब नॉर्विच की जूलियन तीस वर्ष की थी, वह बीमार हो गई और लगभग मर गई थी। जब उसके पादरी ने उसके साथ प्रार्थना की, तो उसने कई दर्शनों का अनुभव किया जिसमें उसने यीशु को सूली पर चढ़ाए जाने पर विचार किया। चमत्कारिक रूप से अपना स्वास्थ्य ठीक होने के बाद, उसने अगले बीस साल चर्च के एक साइड रूम में एकांत में रहने, प्रार्थना करने और अनुभव के बारे में सोचने में बिताए। उसने निष्कर्ष निकाला कि “प्रेम उसका प्रयोजन  था” अर्थात्– मसीह का बलिदान परमेश्वर के प्रेम की सर्वोच्च अभिव्यक्ति है।

जूलियन के रहस्योद्घाटन प्रसिद्ध हैं, लेकिन लोग अक्सर जिस चीज को नजरअंदाज कर देते हैं, वह समय और प्रयास है जिसे उसने प्रार्थना के साथ बिताये थे वह जानने के लिये जो परमेश्वर ने उसे बताया था। उन दो दशकों में उसने यह समझने की कोशिश की कि उसकी उपस्थिति के इस अनुभव का क्या अर्थ है, जब उसने उससे उसकी बुद्धि और मदद माँगी।

जैसा कि उसने जूलियन के साथ किया था, परमेश्वर अनुग्रहपूर्वक स्वयं को अपने लोगों पर प्रकट करता है, जैसे कि बाइबिल के वचनों के द्वारा,  उसकी शांत छोटी आवाज एक गीत के माध्यम से, या यहाँ तक कि केवल उसकी उपस्थिति के प्रति जागरूकता से। जब ऐसा होता है, तो हम उसकी बुद्धि और सहायता प्राप्त कर सकते हैं। यह वह बुद्धि है जिसे राजा सुलैमान ने अपने पुत्र को यह कहते हुए अनुकरण करने का निर्देश दिया था कि वह अपना कान बुद्धि की ओर लगाए, और अपना हृदय समझ की ओर लगाए (नीतिवचन 2:2)। तब वह परमेश्वर के ज्ञान को प्राप्त करेगा (पद 5)।

परमेश्वर हमें विवेक और समझ देने का वादा करता है। जैसे–जैसे हम उसके चरित्र और तरीकों के बारे में गहन ज्ञान में बढ़ते हैं, हम उसका सम्मान कर सकते हैं और उसे समझ सकते हैं।

 

उदार दान

जनरल चार्ल्स गॉर्डन (1833–1885) ने चीन और अन्य जगहों पर महारानी विक्टोरिया की सेवा की, लेकिन इंग्लैंड में रहते हुए वह अपनी आय का 90 प्रतिशत हिस्सा दे देते थे। जब उन्होंने अपने देश में अकाल के बारे में सुना, तो उन्होंने एक विश्व नेता से प्राप्त शुद्ध स्वर्ण पदक से अभिलेख को  निकाला और यह कहते हुए उत्तर की ओर भेज दिया कि उन्हें इसे पिघला देना चाहिए और पैसे का उपयोग गरीबों के लिये रोटी  खरीदने के लिए करना चाहिए। उस दिन उसने अपनी डायरी में लिखा था “इस संसार में जो आखिरी कीमती सांसारिक वस्तु मेरे पास थी,  मैं ने प्रभु यीशु को दी है।”

जनरल गॉर्डन की उदारता का स्तर हम जो विस्तार करने में सक्षम हैं, उससे ऊपर और परे लग सकता है, लेकिन परमेश्वर ने हमेशा अपने लोगों को जरूरतमंद लोगों की देखभाल करने के लिए बुलाया है। मूसा के द्वारा दिए गए कुछ नियमों में, परमेश्वर ने लोगों को निर्देश दिया कि वे अपने खेत के किनारों पर न काटें और न ही पूरी फसल को इकट्ठा करें। इसके बजाय, दाख की बारी की कटाई करते समय उन अंगूरों को छोड़ देने के लिए कहा जो गरीबों और परदेशियों के लिए गिरे थे (लैव्यव्यवस्था 19:10)। परमेश्वर चाहता था कि उसके लोग जागरूक हों और अपने बीच में कमजोर लोगों को प्रदान करें।

हम चाहे कितना भी उदार महसूस करें, हम परमेश्वर से दूसरों को देने की अपनी इच्छा बढ़ाने, और ऐसा करने के लिए रचनात्मक तरीकों के लिए उसकी बुद्धि की तलाश करने के लिए कह सकते हैं। वह दूसरों को अपना प्यार दिखाने में हमारी मदद करना पसंद करता है।