पश्चाताप का उपहार
“नहीं! मैंने उसे नहीं किया!” जेन ने अपने किशोर बेटे को इन्कार करते हुये बहुत उदास मन से सुनाए क्योंकि वह जानती थी वह सच नहीं बोल रहा था। फिर से साइमन से पूछने से पहले कि क्या हुआ था, उसने परमेश्वर से मदद के लिए प्रार्थना की। साइमन ने इनकार करना जारी रखा।अंत में निराश होकर वह बाहर जाने लगी जब उसने अपने कंधे पर एक हाथ महसूस किया और साइमन की क्षमा याचना सुनी। उसने पवित्र आत्मा के दोषी ठहराए जाने का उत्तर दिया और पश्चाताप किया।
पुराने नियम की योएल की पुस्तक में, परमेश्वर ने अपने लोगों को उनके पापों के लिए सच्चे पश्चाताप के लिए बुलाया क्योंकि उसने पूरे मन से अपने पास लौटने के लिए उनका स्वागत किया (2:12)। परमेश्वर ने पछतावे के बाहरी कृत्यों की तलाश नहीं की, बल्कि यह कि वे अपने कठोर रवैये को नरम कर देंगे, “अपना हृदय फाड़ोए न कि अपने वस्त्र।” योएल ने इस्राएलियों को याद दिलाया कि “परमेश्वर अनुग्रहकारी और दयालु, विलम्ब से कोप करने वाला, और अति प्रेम करने वाला है” (पद 13)।
हमें अपने गुनाहों को कबूल करना कठिन लग सकता है, क्योंकि हम अपने घमंड में अपने पापों को मानना नहीं चाहते। शायद हमने सच्चाई को ठगा है, और हम अपने कर्मों को यह कहते हुए सिद्ध करते हैं की यह केवल “थोड़ा सफेद झूठ” था। पर जब हम परमेश्वर के कोमल पर दृढ़ पश्चाताप की प्रेरणा को ध्यान देते है वह हमें क्षमा करेगा और हमारे सारे अधर्मों से शुद्ध करेगा (1 यूहन्ना 1रू9)। हम अपराध बोध और शर्म से आजाद हो सकते हैं,यह जानते हुए की हम क्षमा किए गये हैं ।
आओ आराधना करें
जब उन्होंने बहु-पीढ़ी आराधना सभा में स्तुति के गीत गाए, कईयों ने आनंद और शांति का अनुभव किया। परंतु एक थकी हुए मां नहीं l जब वह अपने बच्चे को झुला रही थी, जो रोने पर था, उसने अपने पांच वर्ष के बच्चे के लिए गीत की पुस्तक पकड़ रखी थी और साथ ही साथ अपने छोटे बच्चे को दूर जाने से रोकने का प्रयास कर रही थी l तभी पीछे बैठे एक वरिष्ठ सज्जन ने उस स्त्री से कहा कि लाइए मैं आपके बच्चे को चर्च के आस-पास घुमा लाऊँ और एक युवा स्त्री ने इशारा किया कि वह उनके बड़े बच्चे के लिए गीत पुस्तक को पकड़ लेगी l 2 मिनट के अंदर उस मां का अनुभव बदल गया और वह साँस ले सकी, अपनी आखें बंद कर सकी, और परमेश्वर की आराधना कर सकी ।
परमेश्वर ने हमेशा से चाहा कि उसके लोग उसकी आराधना करें─पुरुष और स्त्री, वृद्ध और युवा, लम्बे समय से विश्वासी, और नवागंतुक l प्रतिज्ञात देश में पहुँचने से पहले जब मूसा ने इस्राएल के गोत्रों को आशीष दी, उसने उनसे एक साथ इकठ्ठा होने का आग्रह किया, “क्या पुरुष, क्या स्त्री, क्या बालक, क्या तुम्हारे फाटकों के भीतर के परदेशी,” कि वे “सुनकर सीखें, और तुम्हारे परमेश्वर यहोवा का भय मानकर” उसकी आज्ञाओं का पालन करें (व्यवस्थाविवरण 31:12)। यह परमेश्वर को आदर देता है जब हम उसके लोगों के लिए एक साथ उसकी आराधना करना संभव बनाते हैं, चाहे हमारे जीवन की कोई भी अवस्था हो l
चर्च में उस सुबह, वह माँ, वरिष्ठ सज्जन, और वह युवा स्त्री प्रत्येक ने देने और लेने के द्वारा परमेश्वर के प्रेम का अनुभव किया l शायद अगली बार जब आप चर्च में हैं, आप भी किसी की मदद करके परमेश्वर का प्रेम फैला सकते हैं या आप विनीत कार्य को स्वीकारने वाले बन सकते हैं l
परमेश्वर का दूतावास
लुडमिल्ला, एक विधवा स्त्री, जिसकी उम्र अस्सी वर्ष है, ने चेक गणराज्य में अपने घर को "स्वर्ग के राज्य का दूतावास" घोषित किया है, यह कहते हुए, "मेरा घर मसीह के राज्य का विस्तार है।" वह प्रेम भरे सत्कार के साथ उन अजनबियों और दोस्तों का स्वागत करती है जो आहत और जरूरतमंद हैं, कभी-कभी भोजन और सोने के लिए जगह प्रदान भी करती है─हमेशा एक दयालु और प्रार्थनापूर्ण भावना के साथ। अपने घर पर आने वाले लोगों की देखभाल में मदद करने के लिए पवित्र आत्मा की प्रेरणा पर भरोसा करते हुए, वह परमेश्वर द्वारा उनकी प्रार्थनाओं का उत्तर देने के तरीकों से आनंदित होती है।
लुडमिल्ला यीशु की सेवा अपने घर और दिल को खोलने के द्वारा करती है, उस प्रमुख धार्मिक नेता के विपरीत जिसके घर पर यीशु ने एक सब्त के दिन खाना खाया था। यीशु ने व्यवस्था के इस शिक्षक से कहा कि उसे "गरीब, अपंग, लंगड़े, अंधों" का अपने घर में स्वागत करना चाहिए─उनका नहीं जो उसे चुका सकते हैं (लूका 14:13)। जबकि यीशु की टिप्पणी का अर्थ है कि उस फरीसी ने यीशु का स्वागत अपने घमंड के कारण किया (पद.12), लुडमिल्ला, इतने सालों बाद, लोगों को अपने घर में आमंत्रित करती है ताकि वह "परमेश्वर के प्रेम और उसकी बुद्धि का एक साधन" बन सके।
जैसा कि लुडमिल्ला कहती हैं, नम्रता से दूसरों की सेवा करना एक तरीका है जिससे हम “स्वर्ग के राज्य के प्रतिनिधि” बन सकते हैं। हम अजनबियों के लिए बिस्तर उपलब्ध करा पाए या नहीं, हमें अलग-अलग और रचनात्मक तरीकों से दूसरों की जरूरतों को अपनी से ऊपर रखना है । आज हम संसार के अपने हिस्से में परमेश्वर के राज्य का विस्तार कैसे कर सकते है?
एक विनम्र मुद्रा
"अपने हाथों को अपनी पीठ के पीछे रखो। आप ठीक होगे।" एक समूह से बात करने के लिए जाने से पहले जान के पति ने हमेशा यही प्यार भरी नसीहत दी। जब उसने खुद को लोगों को प्रभावित करने की कोशिश करते हुए या किसी स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश करते हुए पाया, तो उसने इस मुद्रा को अपनाया क्योंकि इसने उसे एक सिखाने योग्य, सुनने की क्षमता में डाल दिया। उसने इसका इस्तेमाल खुद को अपने सामने वालों से प्यार करने और विनम्र और पवित्र आत्मा के लिए उपलब्ध होने की याद दिलाने के लिए किया।
जान की नम्रता की समझ राजा डेविड के अवलोकन में निहित है कि सब कुछ परमेश्वर की ओर से आता है। दाऊद ने परमेश्वर से कहा, “तू मेरा प्रभु है; तेरे सिवा मेरे पास कोई अच्छी वस्तु नहीं" (भजन संहिता 16:2)। उसने परमेश्वर पर भरोसा करना और उसकी सलाह लेना सीखा: "रात को भी मेरा मन मुझे सिखाता है" (v 7)। वह जानता था कि उसके बगल में परमेश्वर के साथ, वह हिलेगा नहीं (v 8)। उसे अपने आप को फूलने की ज़रूरत नहीं थी क्योंकि वह उस शक्तिशाली परमेश्वर पर भरोसा करता था जो उससे प्यार करता था।
जब हम हर दिन परमेश्वर की ओर देखते हैं, जब हम निराश महसूस करते हैं तो उससे हमारी मदद करने के लिए कहते हैं या जब हम जीभ से बंधे हुए महसूस करते हैं तो हमें बोलने के लिए शब्द देते हैं, हम उसे अपने जीवन में काम करते हुए देखेंगे। जैसा कि जान कहते हैं, हम "परमेश्वर के साथ साझीदार" होंगे; और हम महसूस करेंगे कि अगर हमने अच्छा किया है, तो ऐसा इसलिए है क्योंकि परमेश्वर ने हमें फलने-फूलने में मदद की है।
हम दूसरों को प्यार से देख सकते हैं, हमारे हाथ हमारी पीठ के पीछे नम्रता की मुद्रा में जकड़े हुए हैं और हमें याद दिलाते हैं कि हमारे पास जो कुछ भी है वह परमेश्वर से आता है।
जब आप खुद को किसी और के सामने विनम्र मुद्रा में रखते हैं तो आपको कैसा लगता है? आज आप अपने सामने के कार्यों में आपकी सहायता करने के लिए परमेश्वर पर कैसे निर्भर हो सकते हैं?
सृष्टिकर्ता परमेश्वर, आपने दुनिया और उसके भीतर जो कुछ भी बनाया है, और फिर भी आप मुझसे प्यार करते हैं और मुझे अपनी महिमा के लिए उपयोग करना चाहते हैं। मदद और ताकत के लिए आपकी ओर देखने में मेरी मदद करें।
शब्द और एक नया साल
फिलीपींस में बड़े होने के दौरान मिशेलन को चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन वह हमेशा शब्दों से प्यार करती थी और उनमें आराम पाती थी। फिर एक दिन विश्वविद्यालय जाने के दौरान, उसने यूहन्ना के सुसमाचार का पहला अध्याय पढ़ा, और उसका "पत्थर का हृदय हिल गया।" उसे लगा जैसे कोई कह रहा है, "हाँ, तुम्हें शब्दों से प्यार है, और क्या लगता है? एक शाश्वत शब्द है, जो . . . अँधेरे को काट सकता है, अभी और हमेशा। एक शब्द जो देहदारी हुआ। एक शब्द जो आपको वापस प्यार कर सकता है। ”
वह उन शब्दों से शुरू होने वाले सुसमाचार को पढ़ रही थी जो यूहन्ना के पाठकों को उत्पत्ति की शुरुआत की याद दिलाया होता : “आदि में . . . l" (उत्पत्ति 1:1)। यूहन्ना ने यह दिखाने की कोशिश की कि यीशु समय की शुरुआत में न केवल परमेश्वर के साथ था बल्कि परमेश्वर था (यूहन्ना 1:1)। और यह जीवित वचन मनुष्य बन गया "और हमारे बीच में डेरा किया" (पद 14)। इसके अलावा, जो लोग उसे ग्रहण करते हैं, उसके नाम पर विश्वास करते हुए, उसके संतान बन जाते हैं (पद 12)।
मिशेलन ने उस दिन परमेश्वर के प्रेम को ग्रहण किया और वह "परमेश्वर से उत्पन्न" हुयी (पद 13)। वह अपने परिवार की बुरी आदत के ढांचे से उसे बचाने के लिए प्रभु को श्रेय देती है और अब यीशु की खुशखबरी के बारे में लिखती है, जीवित वचन के बारे में अपने शब्दों को साझा करने में प्रसन्न होती है।
यदि हम मसीह में विश्वास रखते हैं, तो हम भी परमेश्वर के संदेश और उसके प्रेम को साझा कर सकते हैं। जैसा कि हम 2022 की शुरुआत कर रहे हैं, इस वर्ष हम कौन-से अनुग्रह से भरे हुए शब्द बोल सकते हैं?
शांति का राजकुमार
जब जॉन की सर्दी निमोनिया में बदल गई, तो वह अस्पताल में भर्ती हो गया। उसी समय, उसकी माँ का उससे कुछ मंजिल ऊपर कैंसर का इलाज चल रहा था, और उसका मन उनके बारे में और अपने स्वयं के स्वास्थ्य के बारे में चिंताओं से भर गया। फिर क्रिसमस की पूर्व संध्या पर, जब रेडियो ने "ओ होली नाइट(O Holy Night)" गीत बजाया, तो जॉन परमेश्वर की शांति की गहरी भावना से भर गया। उसने प्रिय उद्धारकर्ता के जन्म की रात होने के बारे में शब्दों को सुना : "आशा का एक रोमांच थकी हुई आत्मा को आनन्दित करता है, क्योंकि एक नयी और गौरवशाली सुबह उभर रही है!" उस पल में, उसकी और अपनी माँ की चिंताएँ गायब हो गईं।
यह "प्रिय उद्धारकर्ता" हमारे लिए पैदा हुआ, यीशु, "शान्ति का राजकुमार" है, जैसा कि यशायाह ने भविष्यवाणी की थी (यशायाह 9:6)। यीशु ने इस भविष्यवाणी को तब पूरा किया जब वह एक बच्चे के रूप में पृथ्वी पर आया, और जो "लोग अंधकार से भरे हुए मृत्यु के देश में रहते थे” उनके लिए प्रकाश और उद्धार लेकर आया (मत्ती 4:16; यशायाह 9:2 देखें)। वह उन लोगों का प्रतीक है और उन्हें शांति देता है जिन्हें वह प्यार करता है, तब भी जब वे कठिनाई और मृत्यु का सामना करते हैं।
वहाँ अस्पताल में, जॉन ने उस शांति का अनुभव किया जो पूरी समझ से परे है (फिलिप्पियों 4:7) जब उसने यीशु के जन्म पर विचार किया। परमेश्वर के साथ इस मुलाकात ने उसके विश्वास और कृतज्ञता की भावना को मजबूत किया क्योंकि वह क्रिसमस पर अपने परिवार से दूर उस साफ-सुथरे कमरे में लेटा था। हम भी परमेश्वर की शांति और आशा का उपहार प्राप्त करें।
एक बड़ी भीड़
हम खुशी और अपेक्षा के साथ रविवार की सुबह की चर्च सभा के लिए एक साथ आए। हालाँकि, हम कोरोनोवायरस महामारी के कारण स्थानिक रूप से दूर थे, हमने एक युवा जोड़े की शादी का जश्न मनाने के अवसर का स्वागत किया। हमारे तकनीकी रूप से प्रतिभाशाली चर्च के सदस्यों ने स्पेन, पोलैंड और सर्बिया सहित भौगोलिक रूप से फैले मित्रों और परिवार को सभा प्रसारित की। इस रचनात्मक दृष्टिकोण ने हमें बाधाओं को दूर करने में मदद की जब हम विवाह की वाचा में आनन्दित हुए। परमेश्वर की आत्मा ने हमें एक किया और हमें आनंद दिया।
हमारी अद्भुत बहुराष्ट्रीय मण्डली के साथ रविवार की सुबह आने वाली महिमा का एक छोटा सा स्वाद था जब "हर एक जाति, कुल, लोग और भाषा" के लोग स्वर्ग में परमेश्वर के सामने खड़े होंगे (प्रकाशितवाक्य 7:9)। प्रिय शिष्य यूहन्ना ने इस "बड़ी भीड़" को एक दर्शन में देखा जिसका वर्णन वह प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में करता है।
वहाँ जो इकट्ठे हुए वे स्वर्गदूतों और पुरनियों के साथ परमेश्वर की आराधना करेंगे, और सभी स्तुति करेंगे : "हमारे परमेश्वर की स्तुति और महिमा और ज्ञान और धन्यवाद और आदर और सामर्थ्य और शक्ति युगानुयुग बनी रहें" (पद 12)।
"मेम्ने के विवाह भोज" (19:9) में यीशु और उसकी अंतर्राष्ट्रीय दुल्हन का मिलन और विवाह आराधना और उत्सव का एक अद्भुत समय होगा। कई देशों के लोगों के साथ हमारी रविवार की चर्च सभा में हमारा अनुभव इस घटना की ओर इशारा करता है कि एक दिन हम आनंद करेंगे।
जब हम उस आनंदमय घटना की आशा में प्रतीक्षा करते हैं, तो हम परमेश्वर के लोगों के बीच दावत और आनन्द मनाने की प्रथा को अपना सकते हैं।
परमेश्वर की प्रशंसा करें
शिष्यता सम्मलेन में पूरे सप्ताह गर्मी के मौसम की गर्मी और उमस ने हमें घेर लिया, लेकिन आखिरी दिन हमने ठंडी हवा के झोंके का स्वागत किया । मौसम में बदलाव और परमेश्वर द्वारा किये गए अद्भुत कार्य के लिए धन्यवाद देते हुए, सैंकड़ों ने परमेश्वर की प्रशंसा, आराधना करने के लिए अपनी आवाजें मिलाईं । कईयों ने परमेश्वर के समक्ष पूरे दिल से गाने के लिए स्वतंत्रता का अनुभव करते हुए, हृदयों, आत्माओं, शरीरों, और मनों को उसके सामना अर्पित किया । जब मैं दशकों बाद उस दिन के विषय विचार करती हूँ, मुझे परमेश्वर की प्रशंसा के निर्मल आश्चर्य और आनंद की याद आती है ।
राजा दाऊद जानता था कि परमेश्वर की आराधना पूरे मन से कैसे की जाती है । वह अतिआनन्दित हुआ──नाचने, कूदने, और उत्सव मनाने के द्वारा──जब वाचा का संदूक, जो परमेश्वर की उपस्थिति प्रगट करता था, यरूशलेम में पहुँचा । (1 इतिहास 15:29) । यद्यपि उसकी पत्नी मीकल ने उसके उन्माद पर ध्यान दिया और “उसे मन ही मन तुच्छ जाना” (पद.29), दाऊद ने उसकी आलोचना को उसे एक सच्चे परमेश्वर की आराधना करने से रोकने नहीं दिया । यहाँ तक कि यदि वह मर्यादाहीन दिख भी रहा था, वह परमेश्वर को राष्ट्र की अगुवाई करने में उसका चुनाव करने के लिए धन्यवाद देना चाहता था (2 शमूएल 6:21-22 देखें) ।
दाऊद ने “यहोवा का धन्यवाद करने का काम आसाप और उसके भाइयों को सौंप दिया : यहोवा का धन्यवाद करो, उससे प्रार्थना करो; देश देश में उसके कामों का प्रचार करो , उसके सब आश्चर्यकर्मों का ध्यान करो” (1 इतिहास 16:7-9) । हम भी अपनी प्रशंसा और भक्ति को उंडेल कर परमेश्वर की पूर्ण आराधना करने में अपने को समर्पित करें ।
आपके लिए परमेश्वर की योजना
छह साल तक, एग्नेस ने खुद को अपनी प्यारी सास (वह भी एक पास्टर की पत्नी थी) के समान “पास्टर आदर्श की पत्नी,” बनने की कोशिश की l उसकी सोच थी कि इस भूमिका में वह एक लेखिका या चित्रकार भी नहीं बन सकती थी, लेकिन अपनी रचनात्मकता को दफ़न करने में वह खिन्न हो गयी और आत्महत्या पर विचार करने लगी l केवल एक पडोसी पास्टर ने उसे उस अन्धकार से निकाला जब वह उसके साथ प्रार्थना किया और उसे हर सुबह दो घंटे लिखने का कार्य सौंपा l यह उसे उसके प्रति जागृत किया जिसे वह “मोहरबंद निर्देश” कहती है──जो परमेश्वर की बुलाहट ने उसे दी थी l उसने लिखा, “मेरे लिए वास्तव में स्वयं──मेरा पूर्ण व्यक्तित्व──रचनात्मकता के हरेक . . . प्रवाह जो परमेश्वर ने मुझे दिया था को अपना माध्यम ढूँढना था l”
बाद में उन्होंने दाऊद के एक गीत की ओर इंगित किया जो बताता है कि कैसे उन्होंने अपनी बुलाहट पायी : “यहोवा को अपने सुख का मूल जान, और वह तेरे मनोरथों को पूरा करेगा” (भजन 37:4) l जब उन्होंने अपने मार्ग को परमेश्वर को समर्पित कर दिया, उसे लिए चलने और मार्गदर्शन करने में (पद.5), उसने उसके लिए केवल लेखन और चित्रकारी का ही नहीं लेकिन उसके(परमेश्वर) साथ बेहतर संप्रेक्षण करने के लिए दूसरों की मदद करने का भी द्वार खोला l
परमेश्वर के पास हममें से हर एक के लिए “मोहरबंद निर्देश,” केवल यह जानना नहीं कि हम उसके प्रिय बच्चे हैं लेकिन उन अद्वितीय तरीकों को समझना है जिससे हम अपने वरदानों और अभिलाषाओं के द्वारा उसकी सेवा कर सकते हैं l वह हमारी अगुवाई करेगा जब हम उसमें भरोसा रखते और उसको अपना सुख का मूल मानते हैं l