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Articles by आर्थर जैक्सन

व्याकुल आत्माएं, ईमानदार प्रार्थनाएं

जनवरी 1957 में उनके घर पर एक बम विस्फोट होने से तीन दिन पहले, डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर के साथ एक ऐसा सामना हुआ जिसने उन्हें जीवन भर के लिए यादगार बना दिया। एक धमकी भरा फ़ोन कॉल प्राप्त करने के बाद, किंग ने नागरिक अधिकार(civil rights) आंदोलन से बाहर निकलने की रणनीति पर विचार करना शुरू कर दिया। तब उनकी आत्मा से प्रार्थनाएँ निकलीं। “मैं यहां उस बात के लिए खड़ा हो रहा हूं जिसे मैं सही मानता हूं। लेकिन अब मैं डर गया हूं। मेरे पास कुछ नहीं बचा है। मैं उस जगह पर आ गया हूँ जहाँ मैं अकेले इसका सामना नहीं कर सकता।” उनकी प्रार्थना के बाद शांति का आश्वासन मिला। किंग ने कहा, “लगभग तुरंत ही मेरा डर ख़त्म होने लगा। मेरी अनिश्चितता दूर हो गई।

 

यूहन्ना 12 में, यीशु ने कहा, "अब मेरा जी व्याकुल है" (पद.27)। वह अपने आंतरिक स्वभाव के प्रति पारदर्शी रूप से ईमानदार था; फिर भी वह अपनी प्रार्थना में परमेश्वर-केंद्रित था। “हे पिता, अपने नाम की महिमा कर” (पद.28)। यीशु की प्रार्थना परमेश्वर की इच्छा के प्रति समर्पण था।

 

जब हम अपने सामने परमेश्वर का सम्मान करने या न करने का विकल्प पाते हैं तो भय और असुविधा का पीड़ा महसूस करना हमारे लिए कितना मानवीय है; जब बुद्धि के लिए रिश्तों, आदतों या अन्य पैटर्न/स्वरूप (अच्छे या बुरे) के बारे में कठोर निर्णय लेने की आवश्यकता होती है। इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि हमें किस चीज़ का सामना करना पड़ा है, जब हम साहसपूर्वक परमेश्वर से प्रार्थना करते है, वह हमें हमारे और डर और असहजता पर काबू पाने और वह करने के लिए सामर्थ्य देगा जो उसको महिमा देता है—हमारी भलाई और दूसरों की भलाई के लिए।

परमेश्वर की भलाई के बारे में बताएं

गवाही का समय हमारी चर्च आराधना का वह समय था जब लोग साझा करते थे कि परमेश्वर उनके जीवन में क्या काम कर रहे थे। आंटी - या सिस्टर लैंगफ़ोर्ड, जैसा कि हमारे चर्च परिवार में अन्य लोग उन्हें जानते थे - अपनी गवाही में बहुत सारी प्रशंसाएँ भरने के लिए जानी जाती थीं। ऐसे अवसरों पर जब उसने अपनी व्यक्तिगत उद्धार की कहानी साझा की, तो कोई उम्मीद कर सकता था की आराधना का ज्यादा समय लेंगी। उसका हृदय परमेश्वर की स्तुति से गूँज उठा जिसने दयालुता पूर्वक उसका जीवन बदल दिया!

इसी प्रकार, भजन 66 के लेखक की गवाही प्रशंसा से भरी हुई है क्योंकि वह इस बात की गवाही देता है कि परमेश्वर ने अपने लोगों के लिए क्या किया है। "आओ परमेश्वर के कामों को देखो; वह अपने कार्यों के कारण मनुष्यों को भययोग्य देख पड़ता है।"(पद 5) उनके कार्यों में चमत्कारी बचाव(पद 6), सुरक्षा (पद 9), और परीक्षण और अनुशासन भी शामिल था जिसके परिणामस्वरूप उनके लोगों को एक बेहतर स्थान पर लाया गया (पद 10-12)। जबकि ऐसे ईश्वर-अनुभव हैं जो यीशु में अन्य विश्वासियों के साथ हमारे समान हैं,लेकिन हमारी व्यक्तिगत यात्राओं के लिए कुछ अनोखी चीज़ें भी हैं। क्या आपके जीवन में ऐसे समय आए हैं जब परमेश्वर ने स्वयं को विशेष रूप से आपके सामने प्रकट किया है? वे दूसरों के साथ साझा करने लायक हैं जिन्हें यह सुनने की ज़रूरत है कि उसने आपके जीवन में कैसे काम किया है। "हे परमेश्वर के सब डरवैयो, आकर सुनो, मैं बताऊँगा कि उसने मेरे लिये क्या क्या किया है।"(पद 16)

सभी के लिए एक दरवाजा

मेरे बचपन के पड़ोस में रेस्तरां के प्रोटोकॉल 1950 के दशक के अंत और 1960 के दशक की शुरुआत में सामाजिक और नस्लीय गतिशीलता के अनुरूप थे। रसोई में सहायक के तौर पर - मेरी, रसोइया और बर्तन धोने वाले मेरे जैसे काले लोग थे; हालाँकि, रेस्तरां में संरक्षक/ पालक गोरे लोग  थे। काले ग्राहक भोजन का ऑर्डर दे सकते थे, लेकिन उन्हें इसे पिछले दरवाजे से लेना पड़ता था। ऐसी नीतियों ने उस युग में काले लोगों के साथ असमान व्यवहार को और  बढ़ावा दिया । हालाँकि हम तब से काफ़ी लंबा सफर तय कर चुके हैं, फिर भी हमारे पास परमेश्वर की छवि में बने लोगों के रूप में एक-दूसरे से जुड़ने के तरीके में अभी भी विकास की गुंजाइश है। 

जैसे पवित्रशास्त्र में रोमियों 10:8-13  हमें यह देखने में मदद करता हैं कि परमेश्वर के परिवार में सभी का स्वागत है; कोई पिछला दरवाज़ा नहीं है. सभी एक ही रास्ते से प्रवेश करते हैं - शुद्धिकरण और क्षमा के लिए यीशु की मृत्यु में विश्वास के माध्यम से। इस परिवर्तनकारी अनुभव के लिए बाइबल का शब्द है उद्धार पाए हुये (बचाये गये)  (पद- 9, 13)। आपकी सामाजिक स्थिति या नस्लीय (जातीय) स्थिति या फिर दूसरों की अन्य स्थिति से कोई फ़र्क नहीं पड़ता है। "जैसा कि पवित्रशास्त्र कहता है, 'जो कोई उस पर विश्वास करेगा, वह लज्जित न होगा। क्योंकि यहूदियों और यूनानियों में कुछ भेद नहीं, इसलिए कि वह सब का प्रभु है और अपने सब नाम लेनेवालों के लिए उदार है " (पद 11- 12) क्या आप अपने हृदय में यीशु के बारे में बाइबल के संदेश पर विश्वास करते हैं? तो उसके परिवार में आपका स्वागत है!

असीम करुणा

फास्ट-फूड रेस्तराँ में काम करने वाले केविन फोर्ड ने सत्ताईस वर्षों की अपनी नौकरी में एक भी छुट्टी नहीं की थी। उसकी दशकों की सेवा के उपलक्ष्य में उसे मिले एक मामूली उपहार के लिए उसकी विनम्र कृतज्ञता का प्रदर्शन करने वाले एक वीडियो के सामने आने के बाद, हजारों लोगों ने उसके प्रति करुणा दिखाने के लिए एकजुट होकर रैली की। और जब एक धन उगाहने (जुटाने) के प्रयास में 2,50,000 डॉलर केवल एक ही सप्ताह में जमा हो गए तो उसने कहा कि “यह उस सपने की तरह है, जो सच हो गया है।”

बंधुआई में गया यहूदा का राजा यहोयाकीन भी अत्यधिक करुणा का पात्र था। बेबीलोन के राजा की उदारता के परिणामस्वरूप उसकी स्वतंत्रता से पहले उसे सैंतीस वर्षों तक बंदीगृह में रखा गया था। “[राजा ने] यहोयाकीन कोबंदीगृह से निकालकर...और उससे मधुर-मधुर वचन कहकर, जो राजा उसके साथ बाबुल में बंधुए थे, उनके सिंहासनों से उसके सिंहासन को अधिक ऊँचा किया” (यिर्मयाह 52:31-32)। यहोयाकीन को नया पद, नए वस्त्र और नया निवास दिया गया था। और प्रति दिन के खर्च के लिये बाबुल के राजा के यहां से उसको नित्य कुछ मिलने का प्रबन्ध हुआ” 

यह कहानी चित्रित करती है कि आत्मिक रूप से क्या होता है, जब स्वयं या दूसरों के योगदान के बिना, यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान में विश्वास करने वाले लोगों को ईश्वर से अलगाव से बचाया जाता है। उन्हें अंधकार और मृत्यु से प्रकाश और जीवन में लाया गया है; परमेश्वर की अत्यधिक दयालुता के कारण उन्हें परमेश्वर के परिवार में लाया गया है।

मुझे धो!

"मुझे धो!" हालाँकि वे शब्द मेरे वाहन पर नहीं लिखे गए थे, लेकिन वे हो सकते थे। तो, कार धोने के लिए मैं चला गया, और इसी तरह अन्य ड्राइवर नमकीन सड़कों से बचे हुए मैलों से राहत चाहते थे जो हाल ही में बर्फबारी के बाद हुआ था। कतारें लंबी थीं, और सेवा धीमी। लेकिन यह प्रतीक्षा के लायक था। मैं एक साफ वाहन के साथ निकला और सेवा में देरी के मुआवजे के लिए, कार का धुलाई नि:शुल्क था!

किसी और के खर्च पर शुद्ध होना—यही यीशु मसीह का सुसमाचार है। परमेश्वर ने, यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा, हमारे पापों के लिए क्षमा प्रदान किया है। जब जीवन की "गंदगी और मैल" हमसे चिपकता है हम में से किसे "स्नान करने" का आवश्यकता महसूस नहीं होता? जब हम स्वार्थी विचारों या कार्यों से मैले हो जाते हैं जो हमें या दूसरों को नुकसान पहुँचाता हैं और परमेश्वर के साथ हमारा मेल को छीन लेता हैं? भजन संहिता 51 दाऊद का पुकार है जब उसके जीवन में प्रलोभन जीत गया था। उसके पाप के बारे में जब एक आत्मिक अगुआ ने उसका सामना किया (देखें 2 शमूएल 12), उसने प्रार्थना किया "मुझे धो!" प्रार्थना: जूफा से मुझे शुद्ध कर, तो मैं पवित्र हो जाऊँगा; मुझे धो, और मैं हिम से भी अधिक श्वेत बनूँगा। (पद. 7)। गंदा और दोषी महसूस कर रहे हैं? अपना रास्ता यीशु के तरफ बनायें और इन शब्दों को याद रखें: "यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है" (1 यूहन्ना 1:9)।

लिखित संदेश, मुसीबतें, और जीत

जिमी ने सामाजिक अशांति, खतरे और असुविधा की वास्तविकता को इसकी अनुमति नहीं दी थी कि वे उसे सेवकाई करने वालो  को प्रोत्साहित करने के लिए दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक की यात्रा करने से  रोक सकें । घर में हमारी टीम को निरंतर भेजे गये टेक्स्ट संदेशों ने उन चुनौतियों का खुलासा किया जिनका उसने सामना किया — “प्रार्थना को  सक्रिय करो। हम पिछले दो घंटों में दस मील जा चुके हैं। कार एक दर्जन बार गर्म हो चुकी है।” परिवहन बाधाओं का मतलब था कि वह उन लोगों को प्रचार करने के लिए आधी रात से ठीक पहले पहुँचे, जिन्होंने पाँच घंटे तक उनका इंतज़ार किया था। बाद में हमें एक अलग संदेश वाला टेक्स्ट मिला — “अदभुत सहभागिता का सुन्दर समय। करीब एक दर्जन लोग प्रार्थना के लिए आगे आए।” यह एक ज़बरदस्त शक्तिशाली रात थी!

ईमानदारी से परमेश्वर की सेवा करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इब्रानियों 11 में सूचीबद्ध विश्वास करने वालों के उदाहरण इस बात से सहमत होंगे। ईश्वर में अपनी आस्था से विवश होकर सामान्य स्त्री–पुरुषों को असहज और अथाह परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। कितनों ने उपहास और कोड़ों का सामना किया, और यहां तक कि जंजीरों में जकड़े जाने  और कारावास का भी सामना किया  (पद 36)। उनके विश्वास ने उन्हें जोखिम उठाने और परिणाम के लिए परमेश्वर पर भरोसा करने के लिए मजबूर किया। हमारे लिए भी यही सच है। अपने विश्वास में बने रहना  हमें शायद दूर के जोखिम भरे स्थानों पर तो न लेजाये, लेकिन यह हमें अपनी गली,  या कार्य स्थल के परिसर में, या लंचरूम, या सभा क़़क्ष में एक खाली सीट पर ले जा सकता है। क्या यह जोखिम भरा है ? शायद। लेकिन इसका प्रतिफल, अभी या बाद में, जोखिम उठाने  के लायक होंगा क्योंकि परमेश्वर हमारी मदद करता है।

यीशु के लिए खड़े होने का साहस

सन् 155ईस्वी में, प्रारम्भिक कलीसिया के पादरी पॉलीकार्प को मसीह पर उनके विश्वास के लिए आग से जलाकर मार डालने की धमकी दी गई थी। उन्होंने यह प्रतिउत्तर दिया था, “मैं छियासी वर्ष से उसका सेवक हूँ, और उसने मेरे साथ कुछ भी गलत नहीं किया। और अब मैं अपने उस राजा की निन्दा कैसे करूँ जिसने मेरा उद्धार किया है?”जब हम अपने राजा, अर्थात् यीशु पर अपने विश्वास के कारण नितान्त परीक्षा का सामना करते हैं, तो ऐसे समय में पॉलीकार्प की यह प्रतिक्रिया हमारे लिए भी एक प्रेरणा हो सकती है।

यीशु की मृत्यु से कुछ घंटे पहले, पतरस ने साहसपूर्वक मसीह के प्रति अपनी वफादारी की शपथली थी: “मैं तो तेरे लिए अपना प्राण दूँगा” (यूहन्ना 13:37)। यीशु ने, जो पतरस को पतरस से भी अधिक जानता था,उसे यह प्रतिउत्तर दिया, “मैं तुझ से सच-सच कहता हूँ कि मुर्गा बाँग न देगा जब तक तू तीन बार मेरा इन्कार न कर लेगा!” (पद 38)। हालाँकि, यीशु के जी उठने के बाद, उसी पतरसने जिसने उसका इन्कार किया था, साहसपूर्वक उसकी सेवा करना आरम्भ किया और उसी ने अंत में अपनी मृत्यु के माध्यम से उसकी महिमा की (21:16-19)।

तो आप पॉलीकार्प हैं या पतरस? यदि हम ईमानदार बनें, तो हम में से अधिकांश लोग पतरस के समान हैं जिनमें “साहस की कमी है”, अर्थात् यह यीशु परविश्वास करने वाले एक व्यक्ति के रूप में बोलने या सम्मानपूर्वक कार्य करने की विफलता है। इस प्रकार के अवसरों को हमें स्थाई रुप से  परिभाषित नहीं करना चाहिए, चाहे वे कक्षा में हों, सभा कक्ष में हों, या विश्राम कक्ष में हों। जब ऐसीविफलताएँ घटित हों, तो हमें प्रार्थनापूर्वक स्वयं को झाड़कर उस यीशु की ओर फिरना चाहिए, जो हमारे लिए मरा और जो हमारे लिए जीवित है। वह हमें उसके प्रति विश्वासयोग्य रहने में सहायता करेगा और प्रतिदिन कठिन स्थानों में साहसपूर्वक उसके लिए जीवन व्यतीत करने में भी सहायता करेगा।

थके हुए तम्बू

"तम्बू थक गया है!" ये मेरे मित्र पॉल के शब्द थे, जो केन्या के नैरोबी में एक चर्च के पासबान हैं।  2015 से, मण्डली ने एक तम्बू जैसी संरचना में आराधना की है। अब, पौलुस लिखता है, “हमारा तम्बू जीर्ण हो गया है, और वर्षा होने पर टपकता है।

उनके तम्बू की संरचनात्मक कमजोरियों के बारे में मेरे मित्र के शब्द हमें हमारे मानव अस्तित्व की कमजोरियों के बारे में प्रेरित पौलुस के शब्दों की याद दिलाते हैं। “बाहरी तौर पर हम नाश हो रहे हैं . . . जब तक हम इस तम्बू में हैं, हम कराहते और बोझ से दबे रहते हैं" (2 कुरिन्थियों 4:16; 5:4)।

यद्यपि हमारे नाजुक मानव अस्तित्व के बारे में जागरूकता अपेक्षाकृत प्रारंभिक जीवन में होती है, लेकीन हमारी उम्र बढ़ने के साथ इसके बारे में अधिक जागरूक हो जाते हैं। दरअसल, हमारा समय चोरी हो जाता है। युवावस्था की जीवन शक्ति उम्र बढ़ने की वास्तविकता के सामने आत्मसमर्पण करती है (सभोपदेशक 12:1-7 देखें)। हमारा शरीर- हमारा तंबू-थक जाता हैं।

लेकिन थके हुए तंबू को थके हुए भरोसे के बराबर नहीं होना चाहिए। उम्र बढ़ने के साथ आशा और दिल को फीका नहीं पड़ना चाहिए। "इस कारण हम हियाव नहीं छोड़ते," प्रेरित कहते हैं (2 कुरिन्थियों 4:16)। जिस ने हमारी देह बनाई है उसी ने अपने आत्मा के द्वारा वहां वास किया है। और जब यह शरीर अब हमारी सेवा नहीं कर सकता है, तो हमारे पास एक ऐसा निवास होगा जो टूटने और दर्द के अधीन नहीं होगा - हमें "परमेश्वर की ओर से एक भवन, स्वर्ग में एक अनन्त घर" मिलेगा (5:1)।

यीशु के पास दौड़ना

पेरिस की यात्रा दौरान, बेन और उसके दोस्तों ने खुद को शहर के प्रसिद्ध संग्रहालयों में से एक में पाया। हालांकि बेन कला का छात्र नहीं था, फिर भी जब उसने यूजीन बर्नैंड द्वारा एक चित्रकारी पुनरुत्थान की सुबह चेले पतरस और यूहन्ना कब्र की ओर दौड़ते हुए को देखा तो वह विस्मय में था। बिना कुछ कहे, पतरस और यूहन्ना के चेहरे और उनके हाथों की स्थिति बहुत कुछ कहती है, दर्शकों को अपनी जगह पर खुद को रखने और अपनी भावनाओं को साझा करने के लिए आमंत्रित करती है।

यूहन्ना 20:1-10 के आधार पर, पेंटिंग यीशु की खाली कब्र की दिशा में दौड़ते हुए दोनों चेलों को चित्रित करती है (पद 4)। यह अति उत्कृष्ट कृति भावनात्मक रूप से संघर्ष कर रहे दो चेलों की गहनता को दिखती है। यद्यपि उस समय उनका विश्वास पूरी तरह से निर्मित नहीं था, पर वे सही दिशा में दौड़ रहे थे, और अंततः पुनरुत्थित यीशु ने स्वयं को उनके सामने प्रकट किया (पद. 19-29)। उनकी खोज सदियों से यीशु के खोजकर्ताओं से कुछ अलग नहीं थी। हालाँकि हम एक खाली कब्र या कला के एक शानदार टुकड़े के अनुभवों से दूर हो सकते हैं, पर हम सुसमाचार को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। पवित्रशास्त्र हमें आशा और खोज करने और यीशु और उसके प्रेम की दिशा में चलने के लिए विवश करता है - यहाँ तक कि संदेहों, प्रश्नों और अनिश्चितताओं के साथ भी। कल, जैसा कि हम ईस्टर मनाते हैं, हम यीशु के शब्दों को याद रखें: "तुम मुझे ढूंढ़ोगे और पाओगे भी; क्योंकि तुम अपने सम्पूर्ण मन से मेरे पास आओगे" (यिर्मयाह 29:13)।<a href="https://www.bible.com/bible/1683/1SA.10.HINDI-BSI" title="1 शमूएल 10" target="_blank">1 शमूएल 10</a>
<a href="https://www.bible.com/bible/1683/1SA.11.HINDI-BSI" title="1 शमूएल 11" target="_blank">1 शमूएल 11</a>
<a href="https://www.bible.com/bible/1683/1SA.12.HINDI-BSI" title="1 शमूएल 12" target="_blank">1 शमूएल 12</a>
<a href="https://www.bible.com/bible/1683/LUK.9.37-62.HINDI-BSI" title="लूका 9.37-62" target="_blank">लूका 9.37-62</a>