आशीषमय पश्चाताप
“दिवालिया ”(BROKE) उस सड़क का नाम था” ग्रेडी ने उत्तर दिया था, और वे पांच अक्षर उसके लाइसेंस प्लेट पर गर्व से चमक रहे थे l हालाँकि आत्मिक भाव के इरादे से नहीं, यह मुँह बोला नाम अधेड़ उम्र के जुआरी, व्यभिचारी और धोखेबाज के लिए उपयुक्त है l वह टूट गया था, दिवालिया हो गया था, और परमेश्वर से दूर था l हालाँकि, एक शाम वह सब बदल गया जब उसे एक होटल के कमरे में परमेश्वर की आत्मा द्वारा दोषी ठहराया गया l उसने अपनी पत्नी से कहा, : “मुझे लगता है की मुझे उद्धार मिल रहा है!” उस शाम वह यीशु के पास क्षमा के लिए आया उसने अपने पापों को स्वीकार किया, जिसके विषय में उसने सोचा था कि वह उन्हें अपने साथ कब्र में ले जाएगाl अगले तीस वर्षों तक जिस व्यक्ति ने यह नहीं सोचा था कि वह स्वयं चालीस की उम्र देखने तक जीवित रहेगा उसने जीवित रहकर यीशु में परिवर्तित विश्वासी के रूप में परमेश्वर की सेवा की l उसकी लाइसेंस प्लेट अब—“दिवालिया”(BROKE) से “पश्चाताप” (REPENT)—में बदल गया थीl
REPENT(पश्चाताप) l यही तो ग्रेडी ने किया था और होशे 14:1-2 में परमेश्वर ने इस्राएल से यही करने को बुलाया था l “हे इस्राएल, अपने परमेश्वर यहोवा के पास लौट आ . . . बातें सीखकर और यहोवा की ओर लौटकर, उससे कह, ‘सब अधर्म दूर कर; अनुग्रह से हम को ग्रहण कर’ l” बड़े या छोटे, कम या अधिक, हमारे पाप हमें परमेश्वर से अलग कर देते हैं l लेकिन पाप से परमेश्वर की ओर मुड़ने और यीशु की मृत्यु के माध्यम से अनुग्रहपूर्वक प्रदान की गयी क्षमा को प्राप्त करने से यह फासला खत्म किया जा सकता है l चाहे आप मसीह में एक संघर्षरत विश्वासी हों या फिर जिसका जीवन ग्रेडी की तरह दिखाई देता हो, आपकी क्षमा केवल एक प्रार्थना की दूरी पर है l
गहरा पानी बचाव
दिसम्बर 2015 के विनाशकारी बारिश के दौरान, चेन्नई में केवल 24 घंटों में 494 मिलीमीटर की असामान्य रूप से उच्च वर्षा दर्ज की गई। बारिश के अलावा, कुछ जलाशयों को खोल दिया गया जिससे बाढ़ और बढ़ गई। 250 से अधिक लोग मर गये, और चेन्नई को "आपदा क्षेत्र" घोषित कर दिया गया। जब प्रकृति ने चेन्नई में बाढ़ ला दी, तो चेन्नई के मछुआरों ने शहर को दयालुता से भर दिया।
मछुआरों ने बहादुरी से 400 से अधिक लोगों को बचाया। कई घर पानी में डूब गए और कारें और अन्य वाहन तैर रहे थे। यदि इन समर्पित मछुआरों की करुणा और कुशलता न होती तो मानव जीवन का नुकसान और भी अधिक होता।
अकसर जीवन में हम जिस जल का भंवर का सामना करते हैं, नहीं, वह शाब्दिक नहीं है--लेकिन ओह, कितना असली! , अनिश्चितता और अस्थिरता के दिनों में, हम अभिभूत, असुरक्षित महसूस कर सकते हैं। लेकिन हमें निराश होने की जरूरत नहीं।
भजन 18 में, हम पढ़ते है की दाऊद के शत्रु कितने अधिक और सामर्थी थे, लेकिन उसका परमेश्वर उनसे भी अधिक महान और सामर्थी था। कितना महान? इतना महान की उसने उसका वर्णन करने के लिए बहुत सारे रूपक का इस्तेमाल किया (2)। परमेश्वर उसे गहरे जल और ताकतवार शत्रुओं से बचाने के लिए काफी सामर्थी था (16-17)। कितना महान? हमारे लिए यीशु के नाम से उसे पुकारने के लिए पर्याप्त है, हमारे जीवन में चारों ओर "जल" की मात्रा की लम्बाई और गहराई की परवाह किए बिना (3)
एक अविभाजित घर
16 जून 1858 में अमेरिकी प्रबंधकारिणी समिति, नव नामांकित गणतंत्रवादी उम्मीदवार के रूप में अब्राहम लिंकन ने अपना प्रसिद्ध “विभाजित घर” भाषण दिया, जिसमें अमेरिका में विभिन्न गुटों के बीच गुलामी को लेकर तनाव पर प्रकाश डाला गया। इससे लिंकन के मित्रों और शत्रुओं में हलचल मच गया। लिंकन ने महसूस किया कि “अविभाजित घर” भाषण की आकृति का उपयोग्य करना महत्वपूर्ण था जो यीशु ने मत्ती 12:25 में उपयोग्य किये क्योंकि यह व्यापक रूप से जाना जाता था और बस व्यक्त किया गया था। उसने यह रूपक का उपयोग किया “यह उन्हें समय के संकट में डालने के लिए पुरुषों के दिमाग में घर कर जाता।”
जबकि एक विभाजित घर खड़ा नहीं हो सकता—एक अविभाजित घर एकीकृत खड़ा रह सकता है निहित विपरीत कर सकता है। सैद्धांतिक रूप में, परमेश्वर का घर इसी इरादे के अनुसार होने के लिए बनाया गया है। (इफिसियों 2:19)। भले ही विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों से बनाया गया हो, क्रूस पर यीशु की मृत्यु के द्वारा हम परमेश्वर (और एक दूसरे) के साथ मिलन हुआ है (14-16)। इस सच्चाई के दृष्टीकोण में (इफिसियों 3 देखें), पौलुस यीशु में विश्वासियों को यह निर्देश प्रदान करता है: “और मेल के बन्धन में आत्मा की एकता रखने का यत्न करो। ”(4:3)।
आज, जब बढ़ता तनाव लोगों को बाँटने का खतरा है जो अन्यथा संयुक्त है जैसे की हमारे परिवार और सह विश्वासी। पवित्र आत्मा के मदद के द्वारा एक दूसरे के साथ एकता बनाए रखने के लिए परमेश्वर हमें बुद्धि और सामर्थ्य दे सकता है। यह हमे अंधकार, विभाजित दुनिया में ज्योति होने में मदद करेगा।
माँगो!
हमारे तहखाने से उठने वाली उल्लासपूर्ण चीखें मेरी पत्नी शर्ली की आई थीं। घंटों तक उसने एक न्यूज़लेटर प्रोजेक्ट के साथ संघर्ष करा, और अब वह उसे लगभग समाप्त ही करने वाली थी। आगे बढ़ने की अपनी चिंता और अनिश्चितता में, उसने परमेश्वर की मदद के लिए प्रार्थना की थी। उसने फेसबुक दोस्तों से भी संपर्क किया था और जल्द ही यह प्रोजेक्ट पूरा हो गया था- एक टीम प्रयास।
जबकि एक समाचार पत्र प्रोजेक्ट जीवन में एक छोटी सी चीज है, छोटी (या कम छोटी) चीजें चिंता या व्याकुलता पैदा कर सकती हैं। शायद आप नए-नए माता-पिता बने है और बच्चे को पालने के अनुभव से गुज़र रहे है; या एक छात्र हो सकते है जो नए शैक्षिक चुनौतियों का सामना कर रहे हो; या ऐसा व्यक्ति जो अपने किसी प्रियजन को खोने का शोक मना रहे हो; या ऐसा कोई व्यक्ति जो घर, काम, या अपनी सेवकाई में चुनौती का अनुभव कर रहा हो। कभी-कभी हम अनावश्यक रूप से ऐसे कगार पर होते हैं क्योंकि हम परमेश्वर से सहायता नहीं मांगते हैं (याकूब ४:२)।
पौलुस ने फिलिप्पी में यीशु के अनुयायियों और हमें आवश्यकता के समय हमारी रक्षा का सबसे पहले हथियार केंद्रित करते हुए कहा: "किसी बात की चिन्ता न करना, परन्तु हर बात में प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपनी बिनती प्रस्तुत करना" (फिलिप्पियों ४:६)। जब जीवन जटिल हो जाता है, तो हमें इस भजन जैसे अनुस्मारक की आवश्यकता होती है "यीशु कैसा दोस्त प्यारा.." :"ओह क्या शांति हम अक्सर खोते, / ओह क्या नाहक गम उठाते हैं, / यह ही बाइस है यकीनन, / बाप के पास न जाते हैं। ”
और शायद हमारे परमेश्वर से सहायता माँगने में, वह हमें ऐसे लोगों से पूछने के लिए प्रेरित करेगा जो हमारी सहायता कर सकते हैं।
वह मेरे दिल को जानता है
एक किराने की दुकान पर एक ग्राहक द्वारा अपना लेन–देन पूरा करने के बाद, मैं बिलिंग काउंटर पर गया, और अपने सामान का भुगतान करने के लिए आगे बढ़ा। एकाएक एक क्रोधित स्त्री से मेरा सामना हुआ। मैं यह नहीं देख सका कि वह वास्तव में चेकआउट के लिए कतार में थी। अपनी गलती को स्वीकार करते हुए मैंने ईमानदारी से कहा, “मुझे क्षमा करें।” उसने जवाब दिया (हालांकि इन शब्दों तक सीमित नहीं) “नहीं, तुम नहीं हो”
क्या आपने कभी खुद को ऐसी स्थिति में पाया है जहां आप गलत थे, आपने इसे स्वीकार किया, और चीजों को सही करने की कोशिश की—केवल फटकार सुनने के लिए? गलत समझा जाना या गलत राय लगाया जाना अच्छा नहीं लगता और हम उन लोगों के जितने करीब होते हैं, जो हमें ठेस पहुँचाते हैं या जिन्हें हमें ठेस पहुँचाते हैं, उतना ही अधिक दुख होता है। हम तो चाहते हैं कि वे हमारे दिलों को देख सकें!
यशायाह 11:1–5 में भविष्यवक्ता यशायाह द्वारा दिया गया चित्र पूर्ण न्याय के लिए बुद्धि के साथ परमेश्वर द्वारा नियुक्त एक शासक का है। “वह अपनी आंखों से जो कुछ देखता है, उसका न्याय नहीं करेगा, और जो वह अपने कानों से सुनता है, उसके द्वारा निर्णय नहीं करेगा, परन्तु वह दरिद्र का न्याय धर्म से करेगा, और पृय्वी के कंगालों का न्याय सच्चाई से करेगा” (पद 3--4)। यह यीशु के जीवन और सेवकाई में पूरा हुआ। यद्यपि हमारी पापपूर्णता और दुर्बलता में हम हमेशा इसे ठीक नहीं कर पाते हैं, हम यह निश्चय कर सकते हैं कि स्वर्ग का सब कुछ देखने और सब कुछ जानने वाला परमेश्वर हमें पूरी तरह से जानता है और हमारा न्याय सही ढंग से करता है।
अंधेरे क्षण, गहरी प्रार्थनाएं
"मेरा एक अंधकारमय वक्त था।" ये पांच शब्द कोविड-19 महामारी के दौरान एक लोकप्रिय महिला हस्ती की आंतरिक पीड़ा को बयान करते हैं। एक नए सामान्य वातावरण के साथ तालमेल बिठाना उसकी चुनौती का हिस्सा था, और अपनी उथल-पुथल में, उसने स्वीकार किया कि वह आत्महत्या के विचारों से जूझ रही थी। नीचे की तरफ बढ़ने से खुद को बाहर निकालने के लिए उसने एक मित्र के साथ अपना संघर्ष बांटा जो उसकी परवाह करती थी।
हम सभी अशांत घंटों, दिनों और मौसमों के प्रति संवेदनशील हैं। घाटियाँ और कठिन स्थान अजनबी नहीं हैं लेकिन ऐसी जगहों से बाहर निकलना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। और मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की सहायता लेने की कभी-कभी आवश्यकता होती है।
भजन 143 में, हम दाऊद की प्रार्थना उसके जीवन के अंधेर समय में से एक के दौरान सुनते और निर्देश पाते हैं। सटीक स्थिति नहीं मालूम, लेकिन परमेश्वर से उसकी प्रार्थना ईमानदारी और आशा से भरी थी। “शत्रु मेरा पीछा करता है, वह मुझे भूमि पर गिरा देता है; वह मुझे उन लंबे समय से मरे हुओं की तरह अँधेरे में डालता है। इसलिथे मेरी आत्मा मेरे भीतर मूर्छित हो जाती है; मेरा मन भीतर से व्याकुल है" (पद 3-4)। यीशु में विश्वास करने वालों के लिए, यह पर्याप्त नहीं है कि हमारे भीतर क्या हो रहा है, इसे हम खुद, या हमारे मित्र के समक्ष, या चिकित्सा विशेषज्ञों के समक्ष स्वीकारे। हमें प्रार्थना के साथ ईमानदारी से परमेश्वर (विचारों और सभी बातों) के पास आना चाहिए जिसमें भजन संहिता 143:7-10 में पाई गई गंभीर याचिकाएं शामिल हैं। हमारे अंधेरे क्षण भी गहरी प्रार्थनाओं का समय हो सकते हैं — प्रकाश और जीवन की तलाश में जिसे केवल परमेश्वर ही ला सकता है।
साइमन के घर में चैन पाना
साइमन के घर की मेरी यात्रा अविस्मरणीय थी। केन्या के न्याहुरुरु में एक तारों से जगमगाते आकाश में हम रात के खाने के लिए उनके साधारण से घर गए। फर्श पर गंदगी और लालटेन की रोशनी साइमन के सीमित साधनों को दर्शाती है। खाने में क्या था, मुझे याद नहीं है। जो मैं नहीं भूल सकता वह शमौन की खुशी थी कि हम उसके मेहमान थे। उसका दयाशील आतिथ्य यीशु के समान था—निःस्वार्थ, जीवन–स्पर्शी और चैन देने वाला।
1 कुरिन्थियों 16:15–18 में, पौलुस ने एक परिवार का उल्लेख किया– स्तिफनास का घराना (पद 15), जो उनकी देखभाल करने के लिए प्रसिद्ध था। उन्होंने खुद को प्रभु के लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया (पद 15)। जबकि उनकी सेवा में हकीकी चीजें शामिल होने की संभावना थी (पद17), इसका प्रभाव ऐसा था कि पौलुस ने लिखा, “उन्होंने मेरी और तुम्हारी आत्मा को भी चैन दिया” (पद 18)।
जब हमारे पास दूसरों के साथ साझा करने का अवसर होता है, तो हम भोजन, सेटिंग और अन्य चीजों पर ध्यान देते हैं जो ऐसे अवसरों के लिए उपयुक्त होती हैं। लेकिन हम कभी–कभी यह भूल जाते हैं कि हालांकि “क्या” और “कहां” मायने रखता है वे सबसे महत्वपूर्ण चीजें नहीं हैं। यादगार भोजन महान हैं और सुखद सेटिंग्स का अपना स्थान है, लेकिन भोजन पूरी तरह से पोषण और प्रोत्साहित करने की क्षमता में सीमित है। सच्चा चैन परमेश्वर की ओर से आता है और यह दिल की बात है, यह दूसरों के दिलों तक पहुंचता है, और खत्म होने के बाद भी भोजन लंबे समय तक पोषण करता रहता है।
धूल-धूसरित अहसास करना
जब रवि ने हमारी साप्ताहिक सेवा समूह मुलाकात में बताया कि वह “धूल-धूसरित” महसूस कर रहा था, तो मैं जान लिया कि यह उम्रवृद्धि और ख़राब स्वास्थ्य से जुड़ी भौतिक चुनौतियों का सन्दर्भ देने का उसका तरीका था l रवि और उसकी पत्नी के लिए, दोनों जो साठ के उत्तरार्ध में हैं, 2020 में डॉक्टरों से मुलाकात, सर्जिकल प्रक्रियाएँ, और घर को अस्पताल के कमरे के रूप में बदलना जिससे घर पर ही इलाज मिल सके शामिल था l वे दोनों जीवन के प्रमुख पड़ाव की दूसरी ओर थे और उसका आभास कर रहे थे l
शारीरिक, बौद्धिक, भावनात्मक, और आध्यात्मिक रूप से─अपर्याप्तता, अधूरापन, और कमजोरी का एहसास करने से पहले किसी को भी लम्बे समय तक जीने की ज़रूरत नहीं है l परमेश्वर अपने पुत्र यीशु के व्यक्तित्व में, हमारी पापमय दुनिया में प्रवेश किया और मानवीय अस्तित्व के दायित्वों का एहसास करनेवालों की देखभाल करता है (भजन 103:13) l आगे दाऊद लिखता है, “वह हमारी सृष्टि जानता है; और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी(धूल) है” (पद.14) l शब्द मिट्टी(धूल) हमें वापस उत्पत्ति में ले जाती है : “तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को भूमि की मिट्टी(धूल) से रचा, और उसके नथनों में जीवन का श्वास फूंक दिया; और आदम जीवित प्राणी बन गया” (2:7) l
क्या आप इन दिनों धूसरित(dusty) महसूस कर रहे हैं? सांसारिक जीवन की वास्तविकताओं में आपका स्वागत है। हालाँकि, याद रखें, जब हम सबसे अधिक कमज़ोर महसूस करते हैं, हम अकेले नहीं छोड़े गए हैं l हमारा करुणामय परमेश्वर “जानता” और “याद” रखता है। वह आप और मुझ जैसे पृथ्वी के लोगों को क्षमा देने के लिए अपने पुत्र को भेजकर अपना प्रेम प्रदर्शित किया l जीवन हमारे सामने कुछ भी लेकर आए, हम उस पर भरोसा रखें l
सुरक्षित हाथ
रस्सी के टूटने की तरह, डॉग मर्की के जीवन के धागे एक-एक कर टूट रहे थे। “मेरी माँ ने कैंसर से अपनी लंबी लड़ाई हार गयी थी; एक लम्बे समय का प्रेम प्रसंगयुक्त संबंध विफल हो रहा था; मेरी आमदनी समाप्त हो रही थी ; मेरा व्यवसाय धुंधला रहा था . . . l मेरे आसपास और मेरे भीतर भावनात्मक और आत्मिक अंधकार गहरा और दुर्बल करने वाला और गहन प्रतीत होता है , ”पादरी और मूर्तिकार ने लिखा। ये सामूहिक घटनाएं, एक तंग अटारी में रहने के साथ मिलकर, वह जगह बन गईं जहां से उनकी मूर्तिकला द हाइडिंग प्लेस उभरी। यह मसीह के बलवन्त, कीलो से ज़ख्मी खुले हुए हाथों को एक सुरक्षित जगह के रूप में दर्शाती है।
डौग ने अपनी कलाकृति की बनावट को इस प्रकार से समझाया: "मूर्तिकला मसीह का निमंत्रण है उसमें छिपने के लिए" भजन संहिता ३२ में, दाऊद ने उस व्यक्ति के रूप में लिखा जिसने परम सुरक्षित स्थान—स्वयं परमेश्वर को पाया था। वह हमें हमारे पापों से क्षमा प्रदान करता है (पद १-५) और हमें कोलाहल के बीच प्रार्थना करने के लिए प्रोत्साहित करता है (पद ६)। पद ७ में, भजनकार परमेश्वर पर अपने भरोसे की घोषणा करता है: “तू मेरे छिपने का स्थान है; तू विपत्ति से मेरी रक्षा करेगा, और मुझे छुटकारे के गीतों से घेर लेगा।”
जब संकट आता है, तो आप कहाँ मुड़ते हैं? यह जानना कितना भला है कि जब हमारे सांसारिक अस्तित्व की नाजुक डोरियाँ खुलने लगती हैं, तो हम उस परमेश्वर की ओर दौड़ सकते हैं जिसने यीशु के क्षमाशील कार्य के द्वारा से अनन्त सुरक्षा प्रदान की है।