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Articles by सिंडी हेस कैस्पर

जाने देना

“आपके पिता की मृत्यु सक्रिय रूप से हो रही है,” मरणासन्न रोगियों के आश्रय स्थल(hospice) की नर्स बोली l “सक्रिय रूप से मृत्यु होना” मरने की प्रक्रिया की अंतिम चरण को संदर्भित करता है और मेरे लिए एक नया शब्द था, अजीब तरह से एक एकल सड़क पर यात्रा करने जैसा महसूस होना l मेरे पिता के अंतिम दिन, नहीं जानते हुए कि वे हमारी सुन पा रहे हैं कि नहीं, मेरी बहन और मैं उनके बिस्तर के निकट बैठ गए l हमने उनके सुन्दर गंजे सिर को चूमा l हमने उनको परमेश्वर की प्रतिज्ञाएं फुसफुसायी l हमने एक गाना गया और 23वाँ भजन उद्धृत किया l हमने उन्हें बताया कि हम उनसे प्यार करते हैं और हमारे पिता होने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया l हमें पता था कि उनका दिल यीशु के साथ रहने के लिए लालायित था, और हमने उनसे कहा कि वह जा सकते हैं l उन शब्दों को बोलना जाने देने के लिए पहला कठिन कदम था l कुछ मिनटों के बाद, हमारे पिताजी का उनके शास्वत घर में ख़ुशी से स्वागत किया गया l

किसी प्रियजन का अंतिम छुटकारा कष्टदायक होता है l यहाँ तक कि यीशु के आँसू बह गए जब उसके अच्छे मित्र लाजर की मृत्यु हो गई (यूहन्ना 11:35) l लेकिन परमेश्वर के वादों के कारण, हमें शारीरिक मृत्यु के आगे आशा है l भजन 116:15 कहता है कि ईश्वर के “भक्त” – जो उसके हैं – उसके लिए “अनमोल” है l हालाँकि वे मर जाते हैं, वे फिर से जीवित होंगे l

यीशु प्रतिज्ञा करता है, “पुनरुत्थान और जीवन मैं हूँ; जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए तौभी जीएगा, और जो कोई जीवित है और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनंतकाल तक न मरेगा” (यूहन्ना 11:25-26) l यह जानने में हमें कितना सुकून मिलता है कि हम हमेशा के लिए परमेश्वर की उपस्थिति में होंगे l

पसंदीदा

मेरे पति का भाई लगभग 2000 किलोमीटर दूर रहता है, वह हमेशा अपने परिवार का प्रिय सदस्य रहा है, उसके मज़ाक करने की असाधारण आदत और दयालु हृदय के कारण l जहाँ तक मैं याद रख सकता हूँ, हालाँकि, उसके भाई-बहनों ने अपनी माँ की आँखों में उसकी पसंदीदा स्थिति के बारे में नेकी से मज़ाक किया है l कई साल पहले, उन्होंने उसे इन शब्दों के साथ एक टी-शर्ट भी भेंट की थी, “मैं मॉम का फेवरिट(प्रिय) हूँ l” जबकि हम सभी ने अपने भाई-बहनों के भोलेपन का आनंद लिया, सच्चा पक्षपात/तरफदारी कोई मज़ाक का विषय नहीं है l

उत्पत्ति 37 में, हम याकूब के बारे में पढ़ते हैं, जिसने अपने बेटे यूसुफ को एक रंगबिरंगा अंगरखा दिया था – जो उसके अन्य बच्चों के लिए एक संकेत था कि युसूफ विशेष था (पद.3) l कुटिलता की झलक के बिना, अंगरखा का सन्देश चिल्लाया : “युसूफ मेरा पसंदीदा बेटा है l”

पक्षपात दिखाना एक परिवार में पंगु अशक्त कर देनेवाला हो सकता है l याकूब की माँ, रिबका ने, अपने बेटे एसाव की तुलना में उसको अधिक पसंद किया, जिससे दोनों भाइयों के बीच टकराव हुआ (25:28) l जब याकूब ने अपनी पत्नी लिआ के ऊपर अपनी पत्नी राहेल (युसूफ की माँ) की मदद की, तो कलह और गहन खिन्नता उत्पन्न हुई (29:30-31) l इसमें कोई शक नहीं कि यह नमूना युसूफ के भाइयों के लिए अपने छोटे भाई का तिरस्कार करने का अस्वास्थ्यकर आधार था, यहाँ तक कि उसकी हत्या की साजिश भी (37:18) l

जब हमारे संबंधों की बात आती है, तो हम इसे उद्देश्यपूर्ण होने के लिए कभी-कभी छली पाते हैं l लेकिन हमारा लक्ष्य सभी के साथ पक्षपात रहित व्यवहार करना और जीवन में हर व्यक्ति से प्रेम करना होना चाहिये जैसे हमारे पिता हमसे प्यार करते हैं (यूहन्ना 13:34) l

आत्मा के लय में

जब मैंने पियानो ट्यूनर को उस सुन्दर भव्य पियानो को ट्यून(सुर मिलाना) करते देखा, तो मैं उस समय के विषय सोचा जब मैंने इसी पियानो को “प्रभु महान विचारूं कार्य तेरे,” गीत को अविश्वसनीय, समृद्ध माधुर्य में बजते सुना था। लेकिन अब इस वाद्य को ट्यून करने की ज़रूरत थी। जबकि कुछ एक सुर आवाज़ में सही थे, अन्य तेज़ या सपाट थे, जिससे एक अप्रिय ध्वनि पैदा हो रही थी। पियानो ट्यूनर का काम सभी कुंजियों को समान ध्वनि बजाने की नहीं थी, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रत्येक सुर की अद्वितीय ध्वनि दूसरों के साथ मिलकर एक मनभावन सामंजस्यपूर्ण सम्पूर्णता बनाने की थी।
चर्च में भी हम विसंगति के सुर देख सस्कते हैं। अद्वितीय महत्वकांक्षा या प्रतिभा वाले लोग जब एक साथ मिलते हैं, तो एक विचित असंगति पैदा कर सकते हैं। गलातियों 5 में, पौलुस ने विश्वासियों से “झगड़ा, ईर्ष्या, क्रोध, विरोध, फूट [और] डाह,” जो परमेश्वर और दूसरों के साथ संगति को नाश कर सकती है दूर करने का आग्रह किया। आगे पौलुस हमें आत्मा के फल को अपनाने के लिए उत्साहित करता है : “प्रेम, आनंद, शांति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम” (पद.22-23) l
जब हम आत्मा में जीवन जीते हैं, तब हम अनावश्यक मामलों में व्यर्थ झगड़ों को आसानी से दूर रख सकेंगे। हमारे उद्देश्य की साझा भावना हमारे मतभेदों से अधिक हो सकती है। और परमेश्वर की मदद से, हम में से प्रत्येक अनुग्रह और एकता में बढ़ सकता है क्योंकि हम अपने दिलों को उसके साथ सुर में कर सकते हैं।

ख़ुशी के विचार

व्हाट वी कीप (What We Keep), विभिन्न लोगों के साथ साक्षात्कार का एक संग्रह में, साक्षात्कारकर्ता उनके साथ महत्त्व और ख़ुशी के केवल एक विषय के बारे में बात करता है जो वे पकड़ते हैं l कुछ जिससे वे कभी अलग नहीं हो सकते थे l  

इसने मुझे उन चीजों पर विचार करने के लिए प्रेरित किया जो मेरे लिए सबसे अधिक मायने रखती हैं और मुझे ख़ुशी देती हैं l एक मेरी माँ की लिखावट में एक साधारण चालीस वर्ष पुराना जन्मदिन कार्ड है l एक और मेरी दादी के गहनों का डिब्बा है l अन्य लोग कीमती यादों को महत्त्व दे सकते हैं – एक प्रशंसा, जिसने उन्हें प्रोसाहित किया, एक पोते/नाती की खिलखिलाहट, या एक विशेष अंतर्दृष्टि जिसे उन्होंने पवित्रशास्त्र से बटोरा हो l 

भले ही, जो हम अक्सर अपने दिलों में दबा कर रखते हैं, ऐसी चीजें है जो हमें बहुत दुखी करती हैं : चिंता – छिपी हुयी, लेकिन आसानी से फिर मिल जा सकती है l क्रोध – सतह के नीचे, लेकिन आक्रमण करने के लिए तत्पर l आक्रोश – चुपचाप हमारे विचारो के भीतरी भाग को खाता जाता है l 

प्रेरित पौलुस ने फिलिप्पी के चर्च को लिखे एक पत्र में “सोचने” के लिए और अधिक सकारात्मक तरीका बताया l उसने चर्च के लोगों को हमेशा आनंदित रहने, कोमल होने और सब कुछ प्रार्थना में परमेश्वर के सम्मुख उपस्थित करने के लिए प्रोत्साहित किया (फिलिप्पियों 4:4-9) l 

क्या सोचना चाहिए के विषय पौलुस के प्रेरक शब्द हमें यह देखने में मदद करता है कि अँधेरे विचारों को बाहर करना संभव है और परमेश्वर की शांति को हमारे हृदय और हमारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखने की अनुमति देता है (पद.7) l यह तब होता है जब हमारे मन को भरने वाले विचार सच्चे, श्रेष्ठ, सही, पवित्र, खूबसूरत, उत्कृष्ट, और प्रशंसनीय होते हैं जिससे हम अपने दिलों में उसकी शांति बनाए रखते हैं (पद.8) l 

जो तुम्हारे पास है उसे लेकर आओ

“पत्थर का सूप (Stone Soup)” कई संस्करण के साथ एक पुरानी कहानी, एक भूखे आदमी के बारे में बताती है जो एक गाँव में आता है, लेकिन कोई भी उसके लिए थोड़ा सा भोजन भी नहीं देता है l वह एक बर्तन में पानी और एक पत्थर डालकर आग पर चढ़ा देता है l चकित होकर, गाँव वाले उसे देखते हैं जब वह अपने “सूप” को चलाना शुरू करता है l आखिरकार, मिश्रण में डालने के लिए एक दम्पति आलू लाते है; दूसरे के पास कुछ गाजर है l एक व्यक्ति एक प्याज़ डालता है, एक और व्यक्ति मुट्ठी भर जौ डालता है l एक किसान थोड़ा दूध दे देता है l आखिर में, “पत्थर का सूप” स्वादिष्ट सूप बन जाता है l 

यह कहानी साझा करने के महत्त्व को दर्शाती है, लेकिन यह हमें याद दिलाती है कि हमारे पास क्या है, तब भी जब यह महत्वहीन लगता है l युहन्ना 6:1-14 में हमें एक ऐसे लड़के के बारे में पढ़ते हैं, जो एक बड़ी भीड़ में अकेला व्यक्ति प्रतीत होता है, जिसने कुछ खाना लेकर आने के बारे में सोचा था l मसीह के शिष्यों के पास लड़के की पांच रोटियों और दो मछलियों के दोपहर के भोजन का बहुत कम उपयोग था l लेकिन जब यह समर्पित कर दिया गया, तो यीशु ने इसे बढ़ाया और हज़ारों भूखे लोगों को खिलाया!

मैंने एक बार किसी को यह कहते सुना, “आपको पांच हज़ार को नहीं खिलाना है l आपको बस अपनी रोटियाँ और मछलियां पहुंचानी हैं l” जिस तरह यीशु ने एक व्यक्ति के भोजन को लेकर उसे किसी की अपेक्षाओं या कल्पना से कहीं अधिक गुणित कर दिया (पद.11), वह हमारे समर्पित प्रयासों, गुणों, और सेवा को स्वीकार करेगा l वह केवल चाहता है कि जो हमारे पास है हम उसे उसके पास लाने के लिए इच्छुक हो l 

सोचीसमझी दयालुता

अपने बच्चों के साथ अकेले विमान में सवार होकर, एक युवा माँ अपने तीन साल की बेटी को शांत करने की कोशिश करने में लगी थी जो परेशान कर रही थी और रो रही थी l फिर उसका चार महीने का बेटा जो भूखा था ऊंची आवाज़ में रोने लगा l

उसके बगल में बैठे एक यात्री ने जल्दी से छोटे बच्चे को पकड़ने की पेशकश की, जबकि जेसिका ने अपनी बेटी को संभाला l तब यात्री ने अपने खुद के दिनों को एक युवा पिता के रूप में याद करते हुए – उस तीन साल की बेटी के साथ रंग भरना शुरू कर दिया, जबकि जेसिका ने अपने शिशु को दूध पिलाया l और अगली कनेक्टिंग फ्लाइट पर, उसी व्यक्ति ने ज़रूरत पड़ने पर फिर से सहायता करने की पेशकश की l

जेसिका ने याद किया, “मैं इस घटना में परमेश्वर की दया से चकित रह गयी l हमें किसी भी व्यक्ति के बगल में सीट दी जा सकती थी, लेकिन हमें एक सबसे अच्छे पुरुष के बगल में सीट मिली जिनसे मैं कभी मिली हो l”

2 शमूएल 9 में, हम एक और उदाहरण के बारे में पढ़ते हैं जिसे मैं सोचीसमझी दयालुता कहती हूँ l राजा शाऊल और उसके बेटे योनातान के मारे जाने के बाद, कुछ लोगों ने आशा की कि दाऊद सिंहासन के अपने दावे में किसी भी प्रतिद्वंदिता को कुचल देगा l इसके बजाय, उसने पूछा, “क्या शाऊल के घराने में से कोई अब तक बचा है, जिसको मैं परमेश्वर  की सी प्रीति दिखाऊँ?” (पद.3) l तब योनातान के पुत्र मपिबोशेत को दाऊद के पास लाया गया जिसने उसकी विरासत को बहाल किया और उसके बाद गर्मजोशी से उसे अपने खाने की मेज को साझा करने दिया – मानो वह उसका अपना पुत्र हो (पद.11) l

परमेश्वर की असीम दयालुता के लाभार्थियों के रूप में, हम दूसरों के प्रति जानबूझकर दया दिखाने के अवसरों की तलाश कर सकते हैं (गलातियों 6:10) l

आसानी से उलझ जाना

कई साल पहले एक तपने वाले  जंगल में लड़ रहे सैनिकों को एक निराशाजनक समस्या का सामना करना पड़ा l चेतावनी के बिना, एक विकट कांटेदार बेल खुद को सैनिकों के शरीर और साज़-समान से लिपट जाती थी, जिससे वे फंस जाते थे l जैसे-जैसे वे उससे छूटने के लिए संघर्ष करते थे, पौधे के लता-तंतु उनको और अधिक उलझा देते थे l सैनिकों ने उस घासपात को “वेट-ए-मिनट(एक मिनट रुको)” बेल नाम दिया, क्योंकि एक बार जब वे फंस जाते थे और आगे बढ़ने में असमर्थ हो जाते थे, तो उन्हें अपने समूह के अन्य सदस्यों को चिल्लाना पड़ता था, “अरे, एक मिनट रुको, मैं अटक गया हूँ!”

इसी तरह, जब हम पाप में फंसते हैं, तो यीशु के अनुयायियों के लिए आगे बढ़ना कठिन होता है l इब्रानियों 12:1 हमसे कहता है “हर एक रोकनेवाली वस्तु और उलझानेवाले पाप को दूर करके, वह दौड़ जिसमें हमें दौड़ना है धीरज से दौड़ें l” लेकिन हम किस प्रकार हमको दबाने वाले पाप को फेंक सकते हैं?

यीशु ही एकमात्र ऐसा है जो हमें हमारे जीवन में फैलनेवाले पाप से मुक्त कर सकता है l काश हम हमारे उद्धारकर्ता की ओर अपनी आँखें गड़ाना सीखें (12:2) l क्योंकि परमेश्वर का पुत्र “सब बातों में अपने भाइयों के समान [बन गया],” वह जानता है कि परीक्षा में पड़ना क्या होता है - और फिर भी पाप न करना (2:17-18; 4:15) l अकेले, हम अपने पाप में हताश होकर फंस सकते हैं, लेकिन परमेश्वर चाहता है कि हम परीक्षा पर विजयी हों l यह हमारी अपनी शक्ति से नहीं, लेकिन उसकी सामर्थ्य से हम उलझानेवाले पाप को “फेंककर” उसकी धार्मिकता के पीछे दौड़ सकते हैं (1 कुरिन्थियों 10:13) l

खाएँ और दोहराएँ

जब केरी और पॉल का विवाह हुआ, दोनों में से कोई भी भोजन पकाना नहीं जानता था l परन्तु एक रात केरी ने स्पगेटी बनाने कोशिश की – इतनी अधिक मात्रा में बना दी कि उस जोड़े ने अगले दिन फिर उसे रात के भोजन में उसे खाया l तीसरे दिन, पॉल ने भोजन बनाने की पेशकश की, और आशा करते हुए कि पास्ता और सॉस सप्ताहांत तक चलेगा दूना मात्र में बना डाला l हालाँकि, जब वे दोनों उस रात को भोजन करने बैठे, केरी ने स्वीकार किया, “स्पेगेटी से मेरा जी ऊब गया है l”

इस्राएलियों की तरह एक ही भोजन खाने की कल्पना करें – चालीस वर्षों तक l प्रत्येक सुबह  वे लोग मीठा “सुपर भोजन” बटोरते थे परमेश्वर जिसका प्रबंध करता था और उसे पकाता भी था (कुछ भी बचता नहीं था यदि अगला दिन सबत नहीं है, निर्गमन 16:23-26) l ओह, अवश्य, वे रचनात्मक हो गए – उसे सेंक लेते और उबाल लेते थे (पद.23) l परन्तु, ओह, उन्होंने मिस्र में जिन भोजन वस्तुओं का आनंद लिया था उसकी कमी महसूस कर रहे थे (पद.3; गिनती 11:1-9), यद्यपि क्रूरता और दासत्व की ऊँची कीमत पर वह पोषण उन्हें मिलता था!

हम भी कभी-कभी कुढ़ते हैं कि अब जीवन वैसा नहीं है जैसा कभी हुआ करता था l या शायद जीवन की वह “एकरूपता” हमारे असंतुष्ट होने का कारण है l परन्तु निर्गमन 16 इस्राएलियों के प्रति परमेश्वर का विश्वासयोग्य प्रबंध बताते हुए उनको हर दिन उसपर भरोसा करने और उसकी देखभाल पर निर्भर रहना सिखाता है l

परमेश्वर हमारी सभी ज़रूरतें पूरी करने की प्रतिज्ञा करता है l वह हमारी इच्छाएँ पूरी करता है और “उत्तम पदार्थों” से हमारी आत्मा को भर देता है (भजन 107:9) l

पड़ोस के परे

2017 की गर्मियों में, हरिकेन हार्वे (बड़ी भारी आंधी) ने अमेरीका के खाड़ी तट के पास  जीवन और सम्पति को विनाशकारी नुक्सान पहूंचाया l अनेक लोगों ने तात्कालिक आवश्यकतामन्द लोगों के लिए भोजन, जल, वस्त्र, और आश्रय का प्रबंध किया l

मेरिलैंड में एक पियानो स्टोर के मालिक नकुछ अधिक करने को प्रेरित हुआ l उसने सोचा कि किस तरह संगीत उन लोगों में जिन्होनें सबकुछ खो दिया था एक विशेष प्रकार की चंगाई और सामान्य अवस्था ला सकता था l तब वह और उसके कर्मचारी ऐसे पियानों को जो पूर्व में किसी के थे नया करने में लग गए और पता लगाने लगे कि आवश्यकता सबसे अधिक कहाँ थी l उस बसंत के समय, डीन क्रेमर और उसकी पत्नी, लोईस, एक ट्रक में मुफ्त पियानों लाद कर उजड़े हुए क्षेत्र के कृतज्ञ परिवारों, कलीसियाओं, और स्कूलों में बांटने के लिए टेक्सास, के हयूस्टन की लम्बी यात्रा पर निकल पड़े l

हम कभी-कभी ऐसा मान लेते हैं कि शब्द पड़ोसी का अर्थ है कोई जो निकट रहता है या कम से कम जिसे हम जानते हैं l किन्तु लूका 10 में यीशु ने नेक सामरी का दृष्टान्त यह सिखाने के लिए दिया कि हमारे पड़ोसियों के लिए हमारे प्रेम की कोई सीमा नहीं होनी चाहिए l सामरिया के उस मनुष्य ने एक घायल अजनबी को मुफ्त में दिया, यद्यपि वह मनुष्य एक यहूदी था, ऐसे लोगों के समूह के भाग को जो सामरियों से एकमत नहीं थे (पद.25-37) l

जब डीन क्रेमर से पूछा गया क्यों उसने वे सारे पियानों को मुफ्त में दे दिया, उसने सरलता से समझाया : “हमें अपने पड़ोसियों से प्रेम करने की आज्ञा मिली है l” और वह यीशु ही था जिसने कहा, परमेश्वर और अपने पड़ोसी से प्रेम करने में “इससे बड़ी और कोई आज्ञा नहीं” (मरकुस 12:31) l