जब मैंने पियानो ट्यूनर को उस सुन्दर भव्य पियानो को ट्यून(सुर मिलाना) करते देखा, तो मैं उस समय के विषय सोचा जब मैंने इसी पियानो को “प्रभु महान विचारूं कार्य तेरे,” गीत को अविश्वसनीय, समृद्ध माधुर्य में बजते सुना था। लेकिन अब इस वाद्य को ट्यून करने की ज़रूरत थी। जबकि कुछ एक सुर आवाज़ में सही थे, अन्य तेज़ या सपाट थे, जिससे एक अप्रिय ध्वनि पैदा हो रही थी। पियानो ट्यूनर का काम सभी कुंजियों को समान ध्वनि बजाने की नहीं थी, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रत्येक सुर की अद्वितीय ध्वनि दूसरों के साथ मिलकर एक मनभावन सामंजस्यपूर्ण सम्पूर्णता बनाने की थी।
चर्च में भी हम विसंगति के सुर देख सस्कते हैं। अद्वितीय महत्वकांक्षा या प्रतिभा वाले लोग जब एक साथ मिलते हैं, तो एक विचित असंगति पैदा कर सकते हैं। गलातियों 5 में, पौलुस ने विश्वासियों से “झगड़ा, ईर्ष्या, क्रोध, विरोध, फूट [और] डाह,” जो परमेश्वर और दूसरों के साथ संगति को नाश कर सकती है दूर करने का आग्रह किया। आगे पौलुस हमें आत्मा के फल को अपनाने के लिए उत्साहित करता है : “प्रेम, आनंद, शांति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम” (पद.22-23) l
जब हम आत्मा में जीवन जीते हैं, तब हम अनावश्यक मामलों में व्यर्थ झगड़ों को आसानी से दूर रख सकेंगे। हमारे उद्देश्य की साझा भावना हमारे मतभेदों से अधिक हो सकती है। और परमेश्वर की मदद से, हम में से प्रत्येक अनुग्रह और एकता में बढ़ सकता है क्योंकि हम अपने दिलों को उसके साथ सुर में कर सकते हैं।