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Articles by डेविड मैकेसलैंड

हमेशा उसकी देखभाल में

जिस दिन मेरी बेटी म्युनिक से बार्सिलोना विमान यात्रा कर रही थी, मैंने अपने पसंदीदा विमान खोज वेबसाइट पर उसकी यात्रा देखना चाहा l वेबसाइट पर विमान संख्या डालने पर, कंप्यूटर ने बताया कि उसका विमान ऑस्ट्रिया को पार कर उत्तरी इटली के ऊपर से जा रहा था l उसके बाद विमान को भूमध्यसागर, फ्रांस के उष्ण तटीय क्षेत्र से होकर समय से पहुंचना था l मुझे केवल ऐसा महसूस हो रहा था कि मुझे नहीं मालूम था कि उसे दिन के भोजन में क्या परोसा जा रहा था!

मैं अपनी बेटी के ठिकाने और स्थिति की चिंता क्यों कर रहा था? क्योंकि मैं उसे प्यार करता हूँ l वह कौन है, क्या कर रही है और वह जीवन में कहाँ जा रही है के विषय मैं चिंता करता हूँ l

भजन 32 में, दाऊद हमारे लिए परमेश्वर की क्षमा, मार्गदर्शन, और चिंता का उत्सव मनाता है l एक मानव पिता से हटकर, परमेश्वर हमारे जीवनों का हर अंश और हमारे हृदयों की स्थायी ज़रूरतें जानता है l प्रभु की प्रतिज्ञा है, “मैं तुझे बुद्धि दूँगा, और जिस मार्ग में तुझे चलना होगा उस में तेरी अगुवाई करूँगा; मैं तुझ पर कृपादृष्टि रखूँगा और सम्मति दिया करूँगा” (पद.8) l

हम आज अपनी हर परिस्थिति में, परमेश्वर की उपस्थिति और देखभाल में भरोसा कर सकते हैं क्योंकि “जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह करुणा से घिरा रहेगा” (पद.10) l

पुनर्निर्माण

अनेक वर्षों के बाद, एडवर्ड ली बर्लिन लौटकर, याद किया कि जिसे वह याद और प्रेम करता था, जो अब नहीं था l उसके साथ, वह शहर भी पूर्णरूपेण बदल गया था l हेमिसफीयर्स  पत्रिका में उसने लिखा, “एक शहर जिसे आप प्यार करते थे  संयोग का प्रस्ताव लगता है . . . जिसे छोड़ देना चाहिए l” अपने अतीत के स्थान पर जाना दुःख और हानि के भाव उत्पन्न करता है l हम उस समय की तरह वही व्यक्ति नहीं हैं, न ही वह स्थान हमारे जीवन में पहले जैसा  महत्वपूर्ण है l

नहेम्याह इस्राएल देश से अनेक वर्षों तक निर्वासन में था जब उसने अपने लोगों की दयनीय दशा और यरूशलेम शहर के विनाश के विषय सुना l उसने फारस के राजा, अर्तक्षत्र से दीवारों के पुनःनिर्माण के लिए अनुमति मांगी l एक रात स्थिति की टोह लेने के बाद (नहे. 2:13-15), नहेम्याह ने शहरवासियों से कहा, “हम कैसी दुर्दशा में हैं, कि यरूशलेम उजाड़ पड़ा है और उसके फाटक जले हुए हैं l आओ, हम यरूशलेम की शहरपनाह बनाएं, कि भविष्य में हमारी नामधराई न रहे” (पद.17) l

नहेम्याह यादें तरोताज़ा करने नहीं किन्तु पुनःनिर्माण करने लौटा l यह हमारे अतीत के ध्वस्त भागों को ठीक करने की सशक्त ताकीद है l यह मसीह में हमारा विश्वास और उसकी सामर्थ्य ही है जो हमें आगे देखकर, बढ़ने और पुनःनिर्माण करने की ताकत देता है l

व्यर्थ नहीं

मेरा परिचित एक वित्तीय सलाहकार इस तरह पैसा निवेश की सच्चाई का वर्णन करता है, “सर्वोत्तम की आशा करें और सबसे अधिक नुक्सान के लिए तैयार रहें l” जीवन में हमारे प्रत्येक निर्णय में परिणाम के विषय अनिश्चितता है l फिर भी हम एक मार्ग का अनुसरण हर परिस्थिति में कर सकते हैं, हम जानते हैं कि हमारी मेहनत व्यर्थ नहीं होगी l

नैतिक भ्रष्टाचार के लिए प्रसिद्ध शहर, कुरिन्थुस में, प्रेरित पौलुस, यीशु के अनुयायियों के संग एक वर्ष बिताया l अपने जाने के बाद, कार्य की निरंतरता में उसने उनको लिखा कि  वे  न निराश हों और न ही मसीह के लिए अपनी साक्षी को व्यर्थ समझें l उसने उनको आश्वस्त किया कि एक दिन आनेवाला है जब प्रभु आएगा और मृत्यु  भी जय द्वारा पराजित होगी (1 कुरिन्थियों 15:52-55) l

यीशु के प्रति ईमानदार रहना, कठिन, निराश करनेवाला, और खतरनाक भी हो सकता है, किन्तु यह व्यर्थ और बेकार नहीं है l प्रभु के संग चलकर उसकी उपस्थिति और सामर्थ्य का साक्षी बनकर, हमारे जीवन व्यर्थ नहीं हैं! हम इससे आश्वस्त हों l

कुछ छिपा नहीं

2015 में एक अंतर्राष्ट्रीय शोध कंपनी का कथन था कि पूरे विश्व में दो करोड़ पैंतालिस लाख निगरानी कैमरे लगे हुए हैं, और इनकी संख्या प्रतिवर्ष 15 फीसदी की दर से बढ़ रहा है l इसके अलावा, करोड़ों लोग अपने स्मार्टफोन से हर दिन, जन्मदिन उत्सव से लेकर बैंक डकैती तक की तस्वीर खींचते हैं l चाहे हम बढ़ी हुई सुरक्षा की सराहना करें या क्षीण एकान्तता की निंदा करें, हम वैश्विक, कैमरा-सर्वत्र समाज में रहते हैं l

नये नियम की पुस्तक इब्रानियों के अनुसार परमेश्वर के साथ हमारे सम्बन्ध में, हम कैमरे की आँख की चौकसी की तुलना में खुलासा और जबाबदेही का बृहद स्तर अनुभव करते हैं l दो धारी तलवार की तरह, उसका वचन, हमारे व्यक्तित्व के गहराई को बेधता है जहाँ वह “मन की भावनाओं और विचारों को जाँचता है l सृष्टि की कोई वस्तु उससे छिपी नहीं है वरन् जिस से हमें काम है, उसकी आँखों के सामने सब वस्तुएँ खुली और प्रगट हैं” (इब्रा. 4:12-13) l

क्योंकि हमारा उद्धारकर्ता यीशु बिना पाप किये हमारी निर्बलताओं और परीक्षाओं का अनुभव किया, हम “अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बांधकर चलें कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएँ जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे” (पद. 15-16) l हमें उससे डरने की ज़रूरत नहीं किन्तु उसके निकट आने पर अनुग्रह हेतु आश्वस्त रहें l

पूर्ण उपहार

अमरीका में क्रिसमस के बाद के सप्ताह वर्ष का सबसे व्यस्त समय व्यवसाय के पुनः आरंभ होने का समय जब लोग अनचाहे उपहारों का लेन-देन वास्तविक ज़रुरतों की वस्तुओं से करते हैं l फिर भी शायद आप पूर्ण उपहार देनेवालों को जानते होंगे l उनको कैसे मालूम दूसरे व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण और अवसर के लिए उचित क्या है? सही उपहार देना दूसरों को सुनने और व्यक्ति की रुचि जानने से होती है कि वह किसमें आनंदित और प्रसन्नचित होते हैं l

यह परिवार और मित्रों के साथ सही है l किन्तु परमेश्वर के साथ क्या? क्या परमेश्वर को भेट करने के लिए कुछ अर्थपूर्ण और विशेष है? क्या कुछ है जो उसके पास नहीं है?

 रोमियों 11:33-36, परमेश्वर की महान बुद्धिमत्ता, ज्ञान, और महिमा के लिए प्रशंसा के गीत पश्चात उसके प्रति हमारे समर्पण की बुलाहट है l ”इसलिए हे भाइयों, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिला कर विनती करता हूँ कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ l यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है” (पद. 12:1) l अपने चारो ओर के संसार के सदृश न बनकर, हमारे “मन के नए हो जाने से [हमारा] चालचलन भी बदलता जाए” (पद.2) l

आज हम कौन सा सर्वोत्तम उपहार परमेश्वर को दे सकते हैं? हम धन्यवाद, दीनता, और प्रेम में सम्पूर्ण रूप से अपने को दें-हृदय,मन,और इच्छा l प्रभु यही हमसे चाहता है l

सबके लिए आनंद

सिंगापुर में एक मसीही प्रकाशन सम्मेलन के आखिरी दिन, 50 देशों के 280 भागिदार एक समूह तस्वीर के लिए होटल के बाहिरी मैदान में इकट्ठे हुए l दूसरी मंजिल के बालकनी से, फोटोग्राफर ने अलग-अलग कोण से अनेक तस्वीर खींचे इससे पूर्व कि वह कहता, “फोटो खिंच गयीं l”  भीड़ में से चैन की एक आवाज़ आयी, “अच्छा, खुश हों!” तुरंत, जवाब आया, “खुदावन्द आया है l” जल्द ही सभी क्रिसमस का परिचित गीत तारतम्य से गा रहे थे l मैं एकता और आनंद के इस मार्मिक प्रदर्शन को नहीं भूल सकता l

लूका के क्रिसमस की कहानी के वर्णन में, एक स्वर्गदूत ने चरवाहों को यीशु के जन्म की सूचना दी, “मत डरो; क्योंकि देखो, मैं तुम्हें बड़े आनंद का सुसमाचार सुनाता हूँ जो सब लोगों के लिए होगा, कि आज दाऊद के नगर में तुम्हारे लिए एक उद्धारकर्ता जन्मा है, और यही मसीह प्रभु है” (लूका 2:10-11) l

आनंद कुछ लोगों के लिए नहीं किन्तु सब के लिए था l “क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नष्ट न हो, परन्तु अनंत जीवन पाए” (यूहन्ना 3:16) l

जब हम यीशु का जीवन-परिवर्तन करने वाला सन्देश दूसरों को बांटते हैं, हम विश्वव्यापी रूप से “उसकी धार्मिकता और उसके प्रेम का आश्चर्य” मिलकर बांटते हैं l

“खुश हो खुदावंद आया है!”

कैद में क्रिसमस

हिटलर का विरोध करने के कारण जर्मनी के एक प्रसिद्ध पासवान, रेव्ह. मार्टिन निमोलर को, नाज़ी नज़रबन्दी-शिविर में लगभग आठ वर्ष बिताने पड़े l उसने डकाऊ में 1944 की एक क्रिसमस संध्या में, अपने सह-कैदियों से आशा के वचन कहे : “मेरे प्रिय मित्रों, हम इस क्रिसमस ... बैतलहम के बालक में, उसको खोजें जो उस बोझ को उठाने आया जिनसे हम दबे हैं ... परमेश्वर ने खुद से हम तक पहुँचने हेतु एक सेतु बनाया है! ऊपर से एक ज्योति हम तक पहुंची है!”

क्रिसमस में हम शुभसंदेश को गले लगाते हैं कि परमेश्वर, मसीह में, हमारे स्थान पर हमारे निकट आया और हमारे बीच की खाई को पाट दिया l वह हमारे अन्धकार के कैदखाने में अपनी ज्योति द्वारा प्रवेश करके हमें दबाने वाले दुःख, दोष, या एकाकीपन को हटाता है l

कैदखाने के उस अंधकारमय क्रिसमस संध्या में, निलोमर ने यह सुसमाचार बांटा : “उस ज्योति से जिससे चरवाहे घिरे थे हमारे अन्धकार में एक चमकीली किरण प्रवेश करेगी l” उसके वचन नबी यशायाह की याद दिलाती है जिसने कहा, “जो लोग अंधियारे में चल रहे थे उन्होंने बड़ा उजियाला देखा; और जो लोग घोर अन्धकार से भरे हुए मृत्यु के देश में रहते थे, उन पर ज्योति चमकी” (यशा. 9:2) l

 चाहे हम जिस स्थिति में हों, यीशु अपने आनंद और अपनी ज्योति से हमारे अंधकारमय संसार में प्रवेश किया है l

शुभ सन्देश!

विश्व समाचार इन्टरनेट, टेलीविजन, रेडियो, और मोबाइल से हम पर बौछार करते हैं l  अधिकतर गलत बातें बतातीं हैं-अपराध, आतंकवाद, युद्ध और आर्थिक समस्याएँ l फिर भी कभी-कभी सुसमाचार हमारे दुःख और निराशा के अंधकारमय समय में प्रवेश करता है-स्वार्थहीन कार्यों की कहानी, एक चिकित्सीय खोज, या युद्ध से बर्बाद स्थानों में शांति प्रयास l

बाइबिल के पुराने नियम में दो लोगों के शब्द लड़ाई से व्यथित लोगों के लिए बड़ी आशा लेकर आयी l

एक बेरहम और शक्तिशाली राष्ट्र पर परमेश्वर के भावी न्याय का वर्णन करके, नहूम कहता है, “देखो, पहाड़ों पर शुभसमाचार का सुनानेवाला और शांति का प्रचार करनेवाला आ रहा है!” (नहूम 1:15) l इस खबर ने क्रूरता से शोषित लोगों के लिए आशा लेकर आयी l

एक मिलताजुलता वाक्यांश यशायाह में है : “पहाड़ों पर उसके पाँव क्या ही सुहाने हैं जो शुभ समाचार लाता है, जो शांति की बातें सुनाता है और कल्याण का शुभ समाचार और उद्धार का सन्देश देता है” (यशा. 52:7) l

नहूम और यशायाह के भविष्यसूचक शब्दों की परिपूर्णता प्रथम क्रिसमस में हुई जब स्वर्गदूत ने चरवाहों से कहा, “मत डरो; क्योंकि देखो, मैं तुम्हें बड़े आनंद का सुसमाचार सुनाता हूँ जो सब लोगों के लिए होगा, कि आज दाऊद के नगर में तुम्हारे लिए एक उद्धारकर्ता जन्मा है, और यही मसीह प्रभु है” (लूका 2:10-11) l

हमारे दैनिक जीवनों में बोला गया सर्वोत्तम समाचार है-मसीह उद्धारकर्ता जन्मा है!

प्रोत्साहन का उपहार

मेरी हैगार्ड का एक पुराना गीत, “इफ़ वी मेक इट थ्रू दिसम्बर,” एक व्यक्ति की कहानी है जिसकी नौकरी छुटने के बाद अपनी छोटी बेटी के लिए क्रिसमस उपहार खरीदने में असमर्थ है l यद्यपि दिसम्बर एक आनंदित समय होना चाहिए, उसका जीवन अँधेरा और ठंडा था l

निराशा दिसम्बर के लिए अनूठी नहीं है, किन्तु उस समय बढ़ सकती है l हमारी अपेक्षाएं बड़ी और हमारी उदासी अधिक l थोड़ा प्रोत्साहन अति सहायक होता है l  

साइप्रस का, यूसुफ, यीशु का आरंभिक अनुयायी था l प्रेरित उसे बरनबास पुकारते थे, अर्थात् “शांति का पुत्र l” हम उससे प्रेरितों 4:36-37 में मिलते हैं जहाँ उसने आवश्यकतामंद विश्वासियों की सहायता हेतु भूमि बेचकर रुपये दान कर दिए l

बाद में, हम पढ़ते हैं कि शिष्य शाऊल से भयभीत थे (प्रेरितों 9:26) l “किन्तु बरनबास उसे अपने साथ प्रेरितों के पास ले [गया]” (पद.27) l बरनबास ने विश्वासियों को घात करने का प्रयास करनेवाला, शाऊल, जो बाद में पौलुस कहलाया, का बचाव मसीह द्वारा रूपांतरित व्यक्ति के रूप में किया l

हमारे चारों ओर के लोगों को प्रोत्साहन चाहिए l एक सामयिक वचन, एक फोन कॉल, अथवा एक प्रार्थना यीशु में उनके विश्वास को सहारा दे सकता है l

बरनबास की उदारता और सहारा प्रदर्शित करता है कि शांति का पुत्र या पुत्री होना क्या है l इस क्रिसमस शायद हम यही महानतम उपहार दूसरों को दे सकते हैं l