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Articles by डेविड मैकेसलैंड

400 मील से दृष्टि

अंतरिक्ष यान के अंतरिक्ष यात्री, चार्ल्स फ्रैंक बोल्डन जूनियर कहते हैं, “पहली ही बार अंतरिक्ष में जाने पर पृथ्वी के विषय मेरा दृष्टिकोण नाटकीय ढँग से बदल गया l पृथ्वी से 400 मील ऊपर से, उसको सब कुछ शांतिमय और खुबसूरत दिखाई दिया l फिर भी बोल्डन ने याद किया कि मध्य पूर्व के ऊपर से गुज़रते समय, वह वहाँ पर जारी द्वन्द पर विचारते हुए “वास्तविकता में पहुँच” गया l फिल्म निर्माता जैरेड लेटो से एक साक्षात्कार में, बोल्डन ने उस क्षण पृथ्वी को उस अवस्था में देखा जैसा उसे होना चाहिए-और तब उसे बेहतर बनाने की चुनौती महसूस की l

बैतलहम में यीशु के जन्म के समय, संसार परमेश्वर की इच्छानुसार नहीं था l इस नैतिक और आत्मिक अंधकार में यीशु सबके लिए जीवन और ज्योति लेकर आया (यूहन्ना 1:4) l यद्यपि संसार ने उसे नहीं पहचाना, “जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर की संतान होने का अधिकार दिया” (पद.12) l

जीवन के अपने मूल अवस्था में नहीं होने के कारण हम दुखित होते हैं-जब परिवार टूटते हैं, बच्चे भूखे होते हैं, और संसार युद्ध में संलग्न है l किन्तु परमेश्वर की प्रतिज्ञा है कि कोई भी मसीह में विश्वास करके एक नयी दिशा में बढ़ सकता है l

क्रिसमस का मौसम हमें स्मरण कराता है कि उद्धारकर्ता, यीशु, उसको ग्रहण करने और उसका अनुसरण करनेवाले को जीवन और ज्योति देता है l

मैं धनी हूँ!

शायद आपने वह टीवी विज्ञापन देखा है जिसमें एक व्यक्ति दरवाजे में एक बड़ा चेक प्राप्त करता है l तब प्राप्तकर्ता चिल्लाने, नाचने, कूदने, और सभों को गले लगाता है l “मैं जीत गया! मुझे विश्वास नहीं है! मेरी समस्याएँ हल हो गई हैं!” समृद्धि अत्याधिक भावनात्मक प्रतिउत्तर जगाता है l

बाइबिल के सबसे लम्बे अध्याय भजन119 में हम यह उललेखनीय कथन पढ़ते हैं : “मैं तेरी चितौनियों के मार्ग से, मानो सब प्रकार के धन से हर्षित हुआ हूँ” (पद.14) l गज़ब की  तुलना! परमेश्वर के निर्देश मानना धन प्राप्ति की तरह हर्षित करता है! पद 16 इन शब्दों को दोहराते हुए भजनकार प्रभु की आज्ञाओं के लिए कृतज्ञ आनंद प्रकट करता है l “मैं तेरी विधियों से सुख पाऊंगा; और तेरे वचन को न भूलूंगा l”

किन्तु यदि हम ऐसा अहसास नहीं करते हैं तो? किस तरह परमेश्वर की आज्ञाओं में आनंदित होना धन प्राप्ति के बराबर आनंददायक है? यह सब धन्यवाद से आरंभ होता है, जो आचरण और चुनाव है l हम उस पर ध्यान देते हैं जिसको हम महत्व देते हैं, इसलिए हम परमेश्वर के उन उपहारों के लिए धन्यवाद दें जिससे हमारी आत्माएं तृप्त होती हैं l हम उसके वचन में बुद्धिमत्ता, ज्ञान, और शांति का भण्डार देखने हेतु हमारी आँखों को खोलने का कहें l

जब प्रतिदिन यीशु के लिए हमारा प्रेम बढ़ेगा, हम वास्तव में धनी बनेंगे!

न भेजें

ई-मेल भेजकर क्या आपने अचानक जाना कि वह गलत व्यक्ति तक पहुँच गया या उसमें हानिकारक, कठोर शब्द थे? काश आप बटन दबाकर उसे रोक सकते l वाह, अब संभव है l अनेक कंपनियां अब एक फीचर देती हैं जिससे आप अल्प समय में ई-मेल को जाने से रोक सकते हैं l उसके बाद, ई-मेल एक उच्चारित शब्द की तरह हो जाता है जो अनकहा नहीं हो सकता l इसे सर्वरोगहारी देखने की बजाए, एक “भेजा नहीं” फीचर हमें स्मरण दिलाए कि हमें अपने शब्दों पर लगाम लगाना होगा l

प्रेरित पतरस ने अपनी पहली पत्री में यीशु के अनुगामियों से कहा, “बुराई के बदले बुराई मत करो और न गाली के बदले गाली दो; पर इसके विपरीत आशीष ही दो ... जो कोई जीवन की इच्छा रखता है, और अच्छे दिन देखना चाहता है, वह अपनी जीभ को बुराई से, और अपने होंठों को छल की बातें करने से रोके रहे l वह बुराई का साथ छोड़ें, और भलाई ही करे; वह मेल मिलाप को ढूंढ़ें, और उसके यत्न में रहे” (1 पतरस 3:9-11) l

भजनकार दाऊद ने लिखा, “हे यहोवा, मेरे मुख पर पहरा बैठा, मेरे होठों के द्वार की रखवाली कर” (भजन 141:3) l यह शब्दों द्वारा प्रहार की इच्छा के आरंभ में और प्रत्येक स्थिति में एक महान प्रार्थना है l

प्रभु, आज हमारे शब्दों की रखवाली कर जिससे हम हानि न करें l

व्यर्थ नहीं

मेरा परिचित एक वित्तीय सलाहकार इस तरह पैसा निवेश की सच्चाई का वर्णन करता है, “सर्वोत्तम की आशा करें और सबसे अधिक नुक्सान के लिए तैयार रहें l” जीवन में हमारे प्रत्येक निर्णय में परिणाम के विषय अनिश्चितता है l फिर भी हम एक मार्ग का अनुसरण हर परिस्थिति में कर सकते हैं, हम जानते हैं कि हमारी मेहनत व्यर्थ नहीं होगी l

नैतिक भ्रष्टाचार के लिए प्रसिद्ध शहर, कुरिन्थुस में, प्रेरित पौलुस, यीशु के अनुयायियों के संग एक वर्ष बिताया l अपने जाने के बाद, कार्य की निरंतरता में उसने उनको लिखा कि  वे  न निराश हों और न ही मसीह के लिए अपनी साक्षी को व्यर्थ समझें l उसने उनको आश्वस्त किया कि एक दिन आनेवाला है जब प्रभु आएगा और मृत्यु  भी जय द्वारा पराजित होगी (1 कुरिन्थियों 15:52-55) l

यीशु के प्रति ईमानदार रहना, कठिन, निराश करनेवाला, और खतरनाक भी हो सकता है, किन्तु यह व्यर्थ और बेकार नहीं है l प्रभु के संग चलकर उसकी उपस्थिति और सामर्थ्य का साक्षी बनकर, हमारे जीवन व्यर्थ नहीं हैं! हम इससे आश्वस्त हों l

बारहवाँ व्यक्ति

टेक्सास एएंडएम यूनिवर्सिटी फूटबाल स्टेडियम में एक बड़ा संकेत है “12 वाँ व्यक्ति का घर l” जबकि हर टीम से ग्यारह खिलाड़ी मैदान में अनुमत हैं, हजारों एएंडएम विद्यार्थियों की भीड़ में 12 वाँ व्यक्ति वह उपस्थिति है जो सम्पूर्ण खेल में अपनी टीम को उत्साहित करने को खड़े रहते हैं l परंपरा की जड़ें 1922 में है जब कोच ने दीर्घा से एक विद्यार्थी को एक घायल खिलाड़ी का स्थान लेने हेतू तैयार रहने को कहा l यद्यपि वह खेल कभी नहीं खेला, साइडलाइन पर उसकी इच्छित उपस्थिति से टीम अत्याधिक उत्साहित हुई l

इब्रानियों 11 विश्वास के नायकों का वर्णन करती है जिन्होंने बड़े आजमाइशों का सामना करके भी परमेश्वर के प्रति वफ़ादार रहे l अध्याय 12 आरंभ होता है, “इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकनेवाली वस्तु और उलझानेवाले पाप को दूर करके, वह दौड़ जिसमें हमें दौड़ना है धीरज से दौड़ें” (पद.1) l

हम अपने विश्वास यात्रा में अकेले नहीं हैं l प्रभु के प्रति विश्वासयोग्य रह चुके महान संत और साधारण लोग हमें अपने उदहारण और स्वर्ग में अपनी उपस्थिति द्वारा उत्साहित करते हैं l जब तक हम मैदान में हैं वे हमारे लिए खड़े रहनेवाले 12 वाँ आत्मिक व्यक्ति हैं l

“विश्वास के कर्ता,” यीशु पर अपनी दृष्टि लगाकर (12:2), हम उनके द्वारा प्रोत्साहित हैं जो उसके पीछे चले l

प्रेम द्वारा मार्गदर्शन

अपनी पुस्तक स्पिरिचुअल लीडरशिप  में जे. ऑस्वाल्ड सैंडर्स युक्ति  और कूटनीति  के गुण एवं महत्त्व खोजता है l सैंडर्स कहते हैं, “इन दोनों शब्दों के मेल से अपकार और सिद्धांत में समझौता किये बगैर दो विपरीत विचारों के सामंजस्य के कौशल का विचार उभरकर आता है l”

पौलुस रोम में कैद के दौरान, उनेसिमुस नामक भगोड़े दास का आत्मिक सलाहकार और निकट मित्र बन गया, जिसका मालिक फिलेमोन था l पौलुस ने कुलुस्से की कलीसिया का अगुआ, फिलेमोन को पत्र लिखकर उनेसिमुस को मसीह में भाई मानकर स्वीकार करने का आग्रह करते समय, यक्ति और कूटनीति का उदहारण प्रस्तुत किया l “इसलिए यद्यपि मुझे मसीह में बड़ा साहस है कि जो बात ठीक है, उसकी आज्ञा तुझे दूँ l तौभी ... भला जान पड़ा कि प्रेम से विनती करूँ ... [उनेसिमुस] मेरा तो विशेष प्रिय है ही, पर अब शरीर में और प्रभु में भी, तेरा भी विशेष प्रिय हो” (फिले. 8-9, 16) l

आरंभिक कलीसिया का आदरणीय अगुआ, पौलुस यीशु के अनुयायियों को अक्सर स्पष्ट आदेश देता था l इस परिस्थिति में, यद्यपि, उसने फिलेमोन से समानता, मित्रता, और प्रेम के आधार पर आग्रह किया l “मैं ने तेरी इच्छा बिना कुछ भी करना न चाहा, कि तेरी यह कृपा दबाव से नहीं पर आनंद से हो” (पद.14) l

हम अपने सभी संबंधों में, प्रेम के भाव में तालमेल और सिद्धांत को बनाए रखने का प्रयास करें l

प्रार्थना करनेवाला मरीज़

हमारे शहर का एक व्यक्ति, ऐलन ननिंगा, का मृत्यु लेख उसे “प्रथम, मसीह का एक समर्पित साक्षी” की पहचान दी l उसके पारिवारिक जीवन और जीविका के वर्णन के बाद, लेख लगभग एक वर्ष का गिरते स्वास्थ्य के विषय बताया l लेख ने यह बताते हुए अंत किया, “हॉस्पिटल में उसका रहना ... ने दूसरे मरीजों की उसकी सेवा के…

हृदय से

कई एक संस्कृतियों में व्यक्तिगत दुःख या बड़े राष्ट्रीय विपदा में ऊंची आवाज़ में रोना, क्रंदन, और वस्त्र फाड़ना विलाप करने के स्वीकार्य तरीके हैं l पुराने नियम के इस्राएलियों के लिए, प्रभु से विमुख होने पर समान बाह्य क्रियाएँ गहरा विलाप और मन फिराव दर्शाते थे l

पश्चाताप का बाह्य प्रगटीकरण यदि हृदय से हो तो सशक्त प्रक्रिया हो…

क्रूस को थामना

मसीही सेवा के लिए पुरुषों के प्रशिक्षण हेतु लन्दन का महान प्रचारक, चार्ल्स स्पर्जन ने, 1856 में, पास्टर कॉलेज की स्थापना की l 1923 में इस कॉलेज को स्पर्जन कॉलेज नाम दिया गया l आज कॉलेज के शिखर पर क्रूस को पकड़ा हुआ एक हाथ और लतीनी शब्द, Et Teneo, Et Teneor, अर्थात्, “मैं थामा हूँ और थामा हुआ हूँ” दिखता…