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Articles by जेम्स बैंक्स

क्रिसमस की उपस्थिति

“खामोशी में एक बेश बहा, बख्सिश है नमूदार; आसमानी बरकतों का अब, हर दिल में है इज़हार; हर आजिज़ दिल में यीशु तू दाखिल होता है; और ताइब गुनाहगार को भी, काबुल तू करता है l” एक अत्याधिक पसंदीदा गीत “बैतलहेम के ऐ छोटे कस्बे(O Little Town of Bethlehem)” के शब्द क्रिसमस के सार की ओर इशारा करता है l यीशु हमें हमारे पाप से छुड़ाने के लिए हमारी टूटी-फूटी दुनिया में आया और परमेश्वर में अपना विश्वास रखनेवालों को परमेश्वर के साथ एक नया और महत्वपूर्ण सम्बन्ध देता है l

गीत लिखने के दशकों बाद एक मित्र को लिखे एक पत्र में, रचयिता ने मार्मिक रूप से अपने जीवन में इस रिश्ते के परिणाम का वर्णन किया : “मैं आपको यह नहीं बता सकता कि यह मेरे लिए कितना व्यक्तिगत है । वह यहाँ है । वह मुझे जानता है और मैं उसे जानता हूँ l यह अलंकार(figure of speech) नहीं है । यह दुनिया की सबसे असली चीज़ है, और हर दिन इसे और अधिक वास्तविक बनाता है । और कोई भी खुशी के साथ आश्चर्य करता है कि जैसे-जैसे वर्ष बीतते जाते हैं यह किस दिशा में उन्नति करेगा l

उसके जीवन में परमेश्वर की उपस्थिति की यह शांत निश्चयता यशायाह द्वारा नबूवत किये गए यीशु के नामों में से एक को प्रतिबिम्बित करता है : “एक कुमारी गर्भवती होगी और पुत्र को जनेगी, और उसका नाम इम्मानुएल रखेगी” (यशायाह 7:14) l मत्ती का सुसमाचार हमें इब्री नाम इम्मानुएल का अर्थ बताता है : "परमेश्वर हमारे साथ” (1:23) ।

परमेश्वर यीशु के द्वारा हमारे निकट आया ताकि हम उसे व्यक्तिगत रूप से जान सकें और हमेशा उसके साथ रह सकें l हमारे साथ उसकी प्रेममय उपस्थिति सबसे बड़ा उपहार है l

परमेश्वर सब कुछ सुनता है

इतिहास में सबसे लंबे समय तक दर्ज किए गए डाक विलंब में से एक नवासी साल तक का था l  2008 में यूके में एक घर के मालिक को एक पार्टी का निमंत्रण मिला जो मूल रूप से 1919 में उसके पते के एक पूर्व निवासी को भेजा गया था । उस निमंत्रण पत्र को रॉयल मेल के माध्यम से उसके लेटरबॉक्स में रखा गया था, लेकिन इसके लंबे विलंब के पीछे का कारण एक रहस्य बना हुआ है ।

यहां तक ​​कि संचार के सर्वोत्तम मानवीय प्रयास भी कभी-कभी हमें निराश करते हैं, लेकिन पवित्रशास्त्र यह स्पष्ट करता है कि परमेश्वर अपने विश्वासी लोगों को सुनने में कभी विफल नहीं होता है । 1 राजा 18 में, एलिय्याह ने मूर्तिपूजक बाल देवता और यहोवा परमेश्‍वर के बीच असाधारण विरोधाभास का प्रदर्शन किया । बाल के नबियों द्वारा घंटों प्रार्थना करने के बाद, सच्चा परमेश्वर कौन था, यह प्रदर्शित करने के लिए, एलिय्याह ने उनका ठट्ठा किया : “ऊंचे शब्द से पुकारो, वह तो देवता है; वह तो ध्यान लगाए होगा, या कहीं  गया होगा, या यात्रा में होगा या हो सकता है कि सोता हो और उसे जगाना चाहिये” (पद.27) l तब एलिय्याह ने यहोवा से उत्तर के लिए प्रार्थना की ताकि उसके लोग विश्वास में लौट आएँ, और परमेश्वर की सामर्थ्य स्पष्टता से प्रदर्शित हुई ।

यद्धपी हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर हमेशा एलिय्याह के समान नहीं मिल सकती है, हम आश्वस्त हो सकते हैं कि परमेश्वर उन्हें सुनता है (भजन 34:17) । बाइबल हमें याद दिलाती है कि वह हमारी प्रार्थनाओं को इस कदर संजोता है कि वह उन्हें “सुनहरे कटोरों” में अनमोल धूप की तरह रखता है (प्रकाशितवाक्य 5:8) । परमेश्वर हर प्रार्थना का जवाब अपनी पूर्ण बुद्धि और तरीके से देगा । स्वर्ग में कोई खोए हुए पत्र नहीं हैं ।

तारों से परे सुनना

मोबाइल फोन, वाई-फाई, जीपीएस, ब्लूटूथ डिवाइस या माइक्रोवेव ओवन के बिना जीवन की कल्पना करें । यह वैसा ही है जैसा कि ग्रीन बैंक के छोटे शहर वेस्ट वर्जीनिया में है, जिसे "अमेरिका का सबसे शांत शहर" कहा जाता है । यह ग्रीन बैंक वेधशाला/आकाशलोचन का स्थान भी है, जो दुनिया का सबसे बड़ा घुमाने वाला(steerable) रेडियो टेलीस्कोप है । दूरबीन को गहरे अंतरिक्ष में पल्सर(अत्यधिक घनत्व का तारा) और आकाशगंगाओं की गति से उत्सर्जित होने वाली रेडियो तरंगों को "सुनने" के लिए "शांति/निस्तभ" की ज़रूरत है l यह एक सतह क्षेत्र है जो एक फुटबॉल मैदान से बड़ा है और टेलिस्कोप की चरम संवेदनशीलता के लिए इलेक्ट्रॉनिक हस्तक्षेप को रोकने के लिए स्थापित राष्ट्रीय रेडियो शांत क्षेत्र के 13,000 वर्ग मील के क्षेत्र में स्थित है ।

यह साभिप्राय शांति/निस्तभ वैज्ञानिकों को "आकाश का संगीत" सुनने में सक्षम बनाता है । यह मुझे ब्रह्मांड को बनाने वाले को सुनने के लिए पर्याप्त रूप से खुद को शांत करने की हमारी आवश्यकता की भी याद दिलाता है । परमेश्वर ने भविष्यवक्ता यशायाह के द्वारा एक हठधर्मी और विचलित लोगों से बातचीत की, “कान लगाओ, और मेरे पास आओ; सुनो, तब तुम जीवित रहोगे; और मैं तुम्हारे साथ सदा की वाचा बांधूंगा” (यशायाह 55:3) l परमेश्‍वर उन सभी के प्रति अपने विश्वासयोग्य प्रेम का वादा करता है जो उसे खोजते हैं और क्षमा के लिए उसके पास लौटते हैं l

हम जानबूझकर परमेश्वर की सुनने के लिए अपनी व्याकुलता से मुड़कर उससे पवित्रशास्त्र में और प्रार्थना में मिलते हैं । परमेश्वर दूर नहीं है । वह हमें उसके लिए समय निकालने के लिए लालायित रहता है ताकि वह हमारे दैनिक जीवन की प्राथमिकता हो और फिर अनंत काल के लिए ।

अपनी प्रार्थनाओं द्वारा दूसरों से प्रेम

यह पहला सवाल था जो एक मिशनरी ने अपनी पत्नी से पूछा जब भी उसकी पत्नी को जेल में उससे मिलने की अनुमति दी गई । उसे उसके विश्वास के लिए झूठा अभियुक्त बनाया गया था और दो साल के लिए कैद किया गया था l जेल में परिस्थितियों और विरोध के कारण उसका जीवन अक्सर खतरे में रहता था, और दुनिया भर के विश्वासियों ने उसके लिए ईमानदारी से प्रार्थना की थी । वह आश्वस्त होना चाहता था कि वे नहीं रुकेंगे, क्योंकि उसका मानना ​​था कि परमेश्वर उनकी प्रार्थनाओं का शक्तिशाली तरीके से उपयोग कर रहा था ।

दूसरों के लिए हमारी प्रार्थनाएँ - विशेष रूप से वे जो अपने विश्वास के लिए सताए जाते हैं - एक महत्वपूर्ण उपहार हैं । पौलुस ने यह स्पष्ट किया जब उसने कुरिंथुस में विश्वासियों को अपनी मिशनरी यात्रा के दौरान आने वाली कठिनाइयों के बारे में लिखा । वह "भारी बोझ से दबा” हुआ था, यहाँ तक कि वह “जीवन से भी हाथ धो” बैठा था (2 कुरिन्थियों 1: 8) । लेकिन फिर उसने कहा कि परमेश्वर ने उसे छुडाया था और उस उपकरण का वर्णन किया जिसका उपयोग परमेश्वर ने उसे करने के लिए किया : “हमारी यह आशा है कि वह आगे को भी बचाता रहेगा l तुम भी मिलकर प्रार्थना के द्वारा हमारी सहायता करोगे” (पद 10–11 महत्व दिया) ।

परमेश्वर हमारी प्रार्थना के माध्यम से अपने लोगों के जीवन में महान भलाई करने के लिए आगे बढ़ता है। दूसरों से प्यार करने का एक सबसे अच्छा तरीका उनके लिए प्रार्थना करना है, क्योंकि हमारी प्रार्थनाओं के माध्यम से हम उस सहायता के द्वार को खोलते हैं जो केवल परमेश्वर दे सकता है l जब हम दूसरों के लिए प्रार्थना करते हैं, तो हम उसकी सामर्थ्य में उनसे प्यार करते हैं । उससे बड़ा या अधिक प्रेम करने वाला कोई नहीं है ।

अंतिम लहर

लोग “लहर(the wave” करना पसंद करते हैं l दुनिया भर में खेल की घटनाओं और समारोहों में, यह तब शुरू होता है जब कुछ लोग खड़े होकर अपना हाथ उठाते हैं l एक क्षण बाद,  उनके पास बैठे लोग भी ऐसा ही करते हैं l लक्ष्य है कि एक पूरे प्रवाह के दौरान एक क्रमिक प्रवाहित गति अपना काम करे l एक बार जब यह अंत तक पहुँच जाता है,  तो इसे शुरू करने वाले लोग मुस्कुराते हैं और खुश होते हैं और गति को जारी रखते हैं l

लहर की पहली दर्ज की गई घटना 1981 में अमेरिका में एक पेशेवर खेल कार्यक्रम में हुई थी l  मुझे इस लहर में शामिल होना पसंद है क्योंकि यह मजेदार है l लेकिन मेरे साथ यह भी हुआ कि यह करते हुए हमें जो खुशी और साथ का अनुभव होता है,  वह सुसमाचार की याद दिलाता है - यीशु में उद्धार की अच्छी खबर जो प्रशंसा और आशा में हर जगह विश्वासियों को एकजुट करती है l यह “अंतिम लहर(ultimate wave)” यरूशलेम में बीस सदी पहले शुरू हुई थी l  कुलुस्से के चर्च के सदस्यों को लिखते हुए, पौलुस ने इसे इस तरह वर्णित किया : “[सुसमाचार] फल लाता और बढ़ता जाता है, वैसे ही जिस दिन से तुम ने उसको सुना और सच्चाई से परमेश्वर का अनुग्रह पहिचाना है, तुम में भी ऐसा ही करता है”(कुलुस्सियों 1:6) l इस शुभ समाचार का स्वाभाविक नतीजा है, “ आप का विश्वास और प्रेम उस आशा पर आधारित है, जो स्वर्ग में आपके लिए सुरंक्षित है”(पद.5 Hindi-C.L.) l

यीशु में विश्वासियों के रूप में,  हम इतिहास की सबसे बड़ी लहर का हिस्सा हैं l चलते रहने दें! एक बार इसके पूरा हो जाने के बाद,  हम उस व्यक्ति की मुस्कान देखेंगे, जिसने इसे शुरू किया था l

उद्देश्य पर जीना

“हम छुट्टी पर जा रहे हैं!” मेरी पत्नी ने उत्साह से हमारे तीन वर्षीय पोते अजय को बताया जब हम अपनी यात्रा के पहले चरण में घर से निकले l छोटे अजय ने उन्हें विचारमग्न ढंग से देखकर कर जवाब दिया, “मैं छुट्टी पर नहीं जा रहा हूँ। मैं एक मिशन पर जा रहा हूँ!”

हमें यकीन नहीं है कि हमारे पोते ने "एक मिशन पर" जाने की अवधारणा को कहां प्राप्त किया,  लेकिन उसकी टिप्पणी ने मुझे विचारने के लिए कुछ दिया, जब हम हवाई अड्डे पर गए : जब मैं इस छुट्टी पर जा रहा हूँ और कुछ दिनों के लिए अवकाश लेता हूँ,  क्या मैं इस बात को ध्यान में रख रहा हूँ कि मैं अभी भी “मिशन पर हूँ” और प्रत्येक क्षण परमेश्वर के साथ और उसके लिए जी सकूँ?  क्या मुझे अपने हर काम में उसकी सेवा करना याद है?

प्रेरित पौलुस ने रोमी साम्राज्य की राजधानी रोम में रहने वाले विश्वासियों को “आशा में आनंदित; क्लेश में स्थिर; प्रार्थना में नित्य” (रोमियों 12:11) लगे रहने के लिए उत्साहित किया l उसका कहना था कि यीशु में हमें अपना जीवन उद्देश्य और उत्साह के साथ जीना है l यहां तक ​​कि सबसे नीरस क्षण नए अर्थ प्राप्त करते हैं जब हम परमेश्वर की ओर आशा से देखते हैं और उसके उद्देश्यों के लिए जीते हैं l

जब हम ट्रेन में अपने-अपने सीटों पर बैठ गए, मैंने प्रार्थना की, “प्रभु, मैं आपका हूँ l इस सैर में जो कुछ आप मेरे लिए रखे हैं, मुझे उसे याद रखने में मदद करें l”

हर दिन उसके साथ एक अनंत महत्वपूर्ण मिशन है!

निरंतर परिश्रम!

परमेश्वर उन लोगों को उपयोग करना पसंद करता है जिन्हें दुनिया अनदेखा कर सकती है l विलियम कैरी की परवरिश 1700 के दशक में एक छोटे से गाँव में हुई थी और उनकी औपचारिक शिक्षा बहुत कम थी l उन्हें अपने चुने हुए धंधे में सीमित सफलता मिली और उन्हेंने गरीबी में जीवन व्यतीत किया l लेकिन परमेश्वर ने उसे खुशखबरी सुनाने की चाहत दी और उसे मिशनरी होने के लिए बुलाया l कैरी ने यूनानी(Greek), इब्री(Hebrew), लतीनी(Latin) भाषा सीखी और अंततः बंगाली भाषा में पहले नए नियम का अनुवाद किया l आज उन्हें “आधुनिक मिशनों का जनक” माना जाता है, लेकिन अपने भतीजे को लिखे पत्र में उन्होंने अपने क्षमताओं का यह विनम्र आंकलन किया : “मैं निरंतर परिश्रम कर सकता हूँ l मैं डटा रह सकता हूँ l”

जब परमेश्वर हमें किसी कार्य के लिए बुलाता है, तो वह हमें हमारी सीमाओं की परवाह किये बिना इसे पूरा करने की शक्ति भी देता है l न्यायियों 6:12  में प्रभु का दूत गिदोन को दिखाई दिया और कहा, “हे शूरवीर सूरमा, यहोवा तेरे संग है l” तब स्वर्गदूत ने उसे बताया कि वह इस्राएलियों को उन मिद्यानियों से छुड़ाएगा जो उसके कस्बों और फसलों पर हमला कर रहे थे l लेकिन गिदोन, जिसने “शूरवीर सूरमा” की उपाधि प्राप्त नहीं की थी, ने विनम्रतापूर्वक जबाब दिया, “मेरा कुल मनश्शे में सब से कंगाल है, फिर मैं अपने पिता के घराने में सब से छोटा हूँ” (पद.15) l फिर भी, परमेश्वर ने अपने लोगों को छुटकारा देने के लिए गिदोन का इस्तेमाल किया l

गिदोन की सफलता की कुंजी इन शब्दों में थी, “यहोवा तेरे संग है” (पद.12) l जैसा कि हम विनम्रतापूर्वक अपने उद्धारकर्ता के साथ चलते हैं और उसकी ताकत पर भरोसा करते हैं, वह हमें यह सुनिश्चित करने के लिए सशक्त करेगा जो केवल उसके माध्यम से संभव है l

विफलता में एक मित्र

27 नवम्बर, 1939 को, तीन निधि खोजी(treasure hunters) तीन कर्मी दल के साथ अमेरिका में “हॉलीवुड” नामक प्रसिद्ध फिल्म निर्माण स्थल के बाहर गड्ढा खोदे l वे गड़ा हुआ धन ढूँढ रहे थे, जिसमें सोना, हीरे, और मोती थे जिसके वहां पचहत्तर साल पहले गाड़े जाने की अफवाह थी l

उनको वह कभी नहीं मिला l चौबीस दिनों तक खोदने के बाद, उनको एक शिलाखंड मिला और वे रुक गए l उनकी उपलब्धि धरती में केवल नौ फीट चौड़ा, बयालीस फीट गहरा सुराख़ था l वे खिन्न होकर लौट आए l  

गलती करना मानवता है – हम सभी कभी-कभी विफल होते हैं l पवित्रशास्त्र हमें बताता है कि युवा मरकुस एक मिशनरी यात्रा पर पौलुस और बरनबास से अलग चला गया “और काम पर उनके साथ न गया l” इस कारण, अगली यात्रा में “पौलुस . . . उसे साथ ले जाना अच्छा न समझा” (प्रेरितों 15:38), जिसका परिणाम बरनबास के साथ एक गहरा मतभेद था l लेकिन अपनी शुरूआती असफलताओं के बावजूद, वर्षों बाद मरकुस आश्चर्यजनक तरीके से दिखायी दिया l जब पौलुस अकेला था और अपने जीवन के अंत के समीप जेल में था, उसने मरकुस के विषय पुछा और उसे “सेवा के लिए . . . बहुत काम का है” कहा (2 तीमुथियुस4:11) l परमेश्वर ने मरकुस को सुसमाचार लिखने के लिए भी प्रेरित किया जो उसके नाम से है l

मरकुस का जीवन हमें दिखाता है कि परमेश्वर हमें हमारी गलतियों और विफलताओं का सामना करने के लिए अकेले नहीं छोड़ेगा l वह मदद और सामर्थ्य भी देगा जिनकी हमें ज़रूरत है l

छुटकारे की आशा

वह आदमी छुटकारे से परे लग रहा था l उसके अपराधों में आठ गोलीबारी (छह की हत्या) और 1970 के दशक में न्यूयॉर्क शहर को दहलाने वाली लगभग 1,500 आग की घटनाएँ शामिल थीं l वह अपने अपराधों के घटनास्थलों पर पत्र छोड़ते हुए पुलिस का मज़ाक उड़ाता रहा, और अंततः उसे गिरफ्तार कर लिए गया और प्रत्येक हत्या के लिए क्रमानुगत पच्चीस साल की सज़ा हुई l

फिर भी परमेश्वर इस आदमी के पास पहुँच गया l आज वह मसीह में एक विश्वासी है जो पवित्रशास्त्र में प्रतिदिन समय व्यतीत करता है, उसने पीड़ित परिवारों के प्रति गहरा खेद व्यक्त किया है, और उनके लिए प्रार्थना करता रहता है l यद्यपि चार दशकों से अधिक समय तक कैद रहने के बाद, यह व्यक्ति जो छुटकारे से परे था, वह परमेश्वर में आशा पाता है और दावा करता है, “मेरी स्वतंत्रता एक शब्द में पायी जाती है : यीशु l”

पवित्रशास्त्र एक और अविश्वसनीय परिवर्तन का वर्णन करता है l दमिश्क के मार्ग पर जीवित मसीह से उसकी मुलाकात से पूर्व, शाऊल(जो बाद में प्रेरित पौलस बन गया) “प्रभु के चेलों को धमकाने और घात करने की धुन में था” (प्रेरितों 9:1) l फिर भी पौलुस का हृदय और जीवन यीशु द्वारा रूपांतरित कर दिया गया (पद.17-18), और वह इतिहास में उसके लिए सबसे शक्तिशाली गवाहों में से एक बन गया l वह व्यक्ति जो एक समय मसीहियों की मृत्यु की योजना बनाता था सुसमाचार की आशा को फैलाने में अपने जीवन को समर्पित कर दिया l

छुटकारा हमेशा परमेश्वर का एक अद्भुत काम है l कुछ कहानियाँ अधिक नाटकीय हैं, परन्तु आधारभूत सच्चाई वही है : हममें से कोई भी उसकी क्षमा के लायक नहीं है, फिर भी यीशु एक शक्तिशाली उद्धारकर्ता है! “जो उसके द्वारा परमेश्वर के पास आते हैं, वह उनका पूरा पूरा उद्धार [करता है]” (इब्रानियों 7:25) l