यीशु के साथ संगति
मैं उस समय को नहीं भूल सकता जब मुझे बिली ग्रैहम के साथ रात्रि भोजन करने का अवसर मिला l मैं सम्मानित हुआ किन्तु क्या बोलना उचित होगा के विषय कुछ घबराहट भी हुई l मेरी सोच थी उनकी सेवा में उनको सबसे अधिक क्या अच्छा लगा पूछकर बातचीत को आरंभ करना अच्छा था l उसके बाद मैं खुद ही अजीब तरीके से उस प्रश्न का संभावित उत्तर देने लगा l राष्ट्राध्यक्षों, राजाओं, और रानियों को जानना? या संसार के लाखों लोगों को सुसमाचार सुनाना?
इससे पहले कि मैं सलाह देना बंद करता, रेव्ह. ग्रैहम ने मुझे रोक दिया l बगैर हिचकिचाहट के उन्होंने कहा, “यह यीशु के साथ मेरी संगति रही है l उसकी उपस्थिति का अनुभव करना, उस बुद्धिमत्ता प्राप्त करना, उसका मार्गदर्शन प्राप्त करना, यही मेरा सर्वोत्तम आनंद रहा है l” उसी क्षण मैं निरुत्तर हुआ और चुनौती प्राप्त किया l निरुत्तर इसलिए क्योंकि मैं इस बात से निश्चित नहीं था कि उनका उत्तर मेरा उत्तर होता, और चुनौती प्राप्त किया क्योंकि इसकी मुझे ज़रूरत थी l
यही बात पौलुस के मन में थी जब उसने “सब वस्तुओं की हानि [उठाकर], और उन्हें कूड़ा [समझकर] मसीह को प्राप्त” (फ़िलि. 3:8) करने को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि समझा l विचार करें कि जीवन कितना समृद्ध होता यदि यीशु और उसके साथ हमारी संगति हमारी सबसे ऊँचा लक्ष्य होता l
एक आभारी हृदय रखने की कला
अपने विवाह में मार्टी और मैंने, ख़ुशी-ख़ुशी विश्वासयोगी होने की शपथ ली थी, "अच्छे समय के साथ बुरे में, बीमारी और चंगाई में, अमीरी में, गरीबी में।"। बुरे समय की वास्तविकता को विशेषतः विवाह के ख़ुशी के मौके पर शामिल करना थोड़ा अजीब लगता है। परंतु यह दिखाता है कि जीवन में अक्सर “बुरे” समय होते हैं।
तो कठिन समय का, जो जीवन में अवश्यम्भावी है, कैसे सामना करना चाहिए? पौलुस मसीह की ओर से आग्रह करते हैं कि हर बात में धन्यवाद करो (1थिस्सलुनीकियों 5:18)। चाहे ऐसा करना कितना भी कठिन हो। परमेश्वर हमें आभार की भावना धारण करने को प्रोत्साहित करते हैं। जो इस सत्य पर आधारित है कि परमेश्वर भला है और उसकी करुणा सदा की है (भजन संहिता 118:1)। वह हमारे पास हैं और संकट में हमें बल देते हैं (इब्रानियों 13:5-6)। और वह हमारे क्लेशों का प्रयोग हमारे चरित्र को अपने स्वरूप में ढालने के लिए करते हैं (रोमियों 5:3-4)।
जब जीवन बुरा समय लेकर आए तब आभारी बने रहने से हमारा ध्यान परमेश्वर की भलाई की ओर जाता है। और वह हमें अपनी समस्याओं से जूझने का सामर्थ देते हैं। हम भजनकार के साथ गा सकते हैं “यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करूणा सदा बनी रहेगी”(भजन संहिता 118:29)।
अंतिम उपाय
कुछ साल पहले, मेरे साथी का युवा पुत्र शिकागो में यूनियन स्टेशन पर भीड़ में चलते समय खो गया l बताने की ज़रूरत नहीं कि वह एक भयानक अनुभव था l चिंता में, वह फिर से चलती सीढ़ी से ऊपर गयी और अपने छोटे बेटे को खोजने का प्रयास करती रही l अलगाव के क्षण घंटों में बदल गए l धन्यवाद हो कि अचानक उसका बेटा भीड़ से बाहर उसकी बाहों की सुरक्षा में लौट आया l
मैं अपने मित्र के विषय सोचने लगा जो अपने बच्चे को खोजने के लिए सब कुछ करने को तैयार थी l परमेश्वर ने हमें बचाने के लिए अद्भुत काम किया जो मुझे फिर से धन्यवाद करने का मन देता है l जब आदम और हव्वा जिसमें परमेश्वर का रूप था, पाप कर दिये, उसने अपने लोगों के साथ संगती नहीं रख सकने पर दुःख महसूस किया l उसने सम्बन्ध को फिर से जोड़ने के लिए अत्यधिक प्रयास किया l उसने अपने पुत्र को “खोए हुओं को ढूढ़ने और उनका उद्धार करने [भेजा]” (लूका 19:10) l यदि यीशु हमें परमेश्वर के पास लाने के लिए जन्म न लेता और हमारे पापों के लिए मरने को तैयार न होता, क्रिसमस के समय उत्सव मनाने के लिए हमारे पास कुछ नहीं होता l
इसलिए इस क्रिसमस के समय, हम धन्यवादित हों कि परमेश्वर ने यीशु को भेजकर अंतिम उपाय किया कि उसके साथ हमारी संगती पुनः स्थापित हो जाए l यद्यपि हम एक समय खो गए थे, यीशु के कारण हम खोज लिए गए हैं l
अन्य प्रकार का प्रेम
अनेक वर्ष पूर्व मेरा एक पसंदीदा चर्च पूर्व-कैदियों के बीच एक सेवा के रूप में आरंभ हुआ जो समाज की मुख्य धारा में लौट रहे थे l वर्तमान में उस कलीसिया में समाज के हर क्षेत्र के लोग हैं l मैं उस कलीसिया को पसंद करता हूँ क्योंकि वह स्वर्ग की एक तस्वीर है-जिसमें विभिन्न तरह के लोग हैं, बचाए गए पापी, यीशु के प्रेम से बंधे हुए लोग l
कभी-कभी, यद्यपि, मुझे कलीसिया क्षमा प्राप्त पापियों के लिए एक सुरक्षित-आश्रय की जगह एक विशेष क्लब की तरह लगती है l जब लोग स्वाभाविक रूप से खींचकर “ख़ास प्रकार के” समूहों और झुंडों में उन लोगों के चारों ओर इकट्ठे हो जाते हैं जिनके साथ वे आरामदायक महसूस करते हैं, तब दूसरें अपने को अधिकार विहीन समझने लगते हैं l किन्तु जब यीशु ने अपने शिष्यों से कहा कि “जैसे मैंने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम घी एक दूसरे से प्रेम रखो” (यूहन्ना 15:12) उसके मस्तिष्क में उपरोक्त बात नहीं थी l उसकी कलीसिया को उसके प्रेम का विस्तार होना था जिसमें सभी परस्पर भागीदार थे l
यदि दुखित, उपेक्षित लोग यीशु में स्नेही शरण, आराम, और क्षमा प्राप्त कर सकते हैं, उनको कलीसिया से कम अपेक्षा नहीं करनी चाहिए l इसलिए हम सभी के सामने यीशु के प्रेम को प्रदर्शित करें-विशेष रूप से उनके सामने जो हमसे भिन्न हैं l हमारे चारों ओर लोग हैं जिन्हें यीशु हमारे द्वारा प्रेम करना चाहता है l प्रेम में एक साथ आराधना करना कितना आनंदायक है-स्वर्ग का एक टुकड़ा जिसका आनंद हम पृथ्वी पर ले सकते हैं l
कठिनाई से निकलना
मैं उथले पानी में प्रथम रबर नौकायन अनुभव का आनंद ले रहा था-जब मुझे आगे तीव्र धारा की गर्जन सुनाई दी l एक ही समय में मेरी भावनाओं में अनिश्चितता, भय, और असुरक्षा भर गया l और तब, अचानक, वे समाप्त हो गए l गाईड ने नौका को पार कर दिया l मैं सुरक्षित था-कम-से-कम अगली तीव्र धारा तक l
जीवन में परिवर्तनकाल उथले पानी के अनुभव की तरह हो सकता है l जीवन के एक काल से अगले काल तक की अपरिहार्य छलाँगें-कॉलेज से जीविका, कार्यों में परिवर्तन, माता-पिता के संग रहने के बाद अकेले रहना अथवा जीवन साथी के साथ रहना, आजीविका से सेवा निवृति, युवावस्था से वृद्धावस्था-सब अनिश्चितता और असुरक्षा द्वारा चिन्हित हैं l
पुराने नियम के इतिहास के एक सबसे प्रमुख परिवर्तनकाल में, सुलेमान अपने पिता दाऊद से विरासत में सिंहासन प्राप्त करता है l मैं मानता हूँ कि वह भविष्य के विषय असुरक्षा से भरा होगा l उसके पिता की सलाह? “हियाव बाँध और दृढ़ होकर इस काम में लग जा ... क्योंकि यहोवा परमेश्वर जो मेरा परमेश्वर है, वह तेरे संग है” (1 इतिहास 28:20) l
हम सब को जीवन में कठिन परिवर्तानकाल से गुज़ारना होगा l किन्तु हम नौका में परमेश्वर के साथ अकेले नहीं हैं l अपनी निगाहें नौका चलनेवाले पर रखने से आनंद और सुरक्षा मिलती है l उसने पहले बहुतों को पार उतारा है l
लम्बी छाया
कई वर्ष पूर्व, हमदोनों पति-पत्नी और अन्य चार ब्रिटेन वासी जोड़े इंग्लैंड के एकांतयॉर्कशायर डेल्स के एक ग्रामीण होटल में ठहरे थे l हम एक दूसरे से अपरिचित थे l रात्री भोजन पश्चात् बैठक में कॉफ़ी पीते समय, हमारी बातचीत एक प्रश्न के साथ व्यवसाय में बदल गई “आप क्या करते हैं?” उस समय मैं शिकागो में मूडी बाइबिल इंस्टीट्यूट का अध्यक्ष था l मेरा अनुमान था कि वहाँ पर सभी मूडी बाइबिल इंस्टीट्यूट या उसके संस्थापक डी.एल. मूडी से अपरिचित थे l इंस्टीट्यूट का नाम बताने पर उनका प्रतिउत्तर त्वरित और चौकाने वाला था l “मूडी और शैंकी ... वह मूडी?” एक अन्य अतिथि बोला, “हमारे पास शैंकी गीतावली है और हम पियानो के चारों ओर खड़े होकर उसमें से गाते हैं l” मैं चकित हुआ! डिवाईट मूडी और उसका संगीतकार आयरा शैंकी ने ब्रिटिश आइल्स में 120 वर्ष पूर्व सभाएं आयोजित की थी, और उनका प्रभाव वर्तमान में भी था l
मैं उस रात उस कमरे से जाते समय सोचता रहा कि किस तरह हमारे जीवन परमेश्वर के लिए प्रभाव की लम्बी छाया छोड़ते हैं-बच्चों पर प्रार्थना करनेवाली माँ का प्रभाव, एक सहकर्मी का उत्साहित करनेवाले शब्द, एक शिक्षक का सहयोग और चुनौती, मित्र के प्रेमी किन्तु उपचारात्मक शब्द l अदभुत प्रतिज्ञा में भूमिका निभाना उच्च सौभाग्य है कि “उसकी करुणा ... पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है” (भजन 100:5) l
धन्यवाद का खेल
कोर्नरस्टोन यूनिवर्सिटी में हम प्रत्येक शरद ऋटू में एक शानदार धन्यवादी भोज आयोजित करते हैं l विद्यार्थी को पसंद है l पिछले वर्ष एक विद्यार्थी समूह ने एक खेल खेला l उन्होंने तीन सेकंड या उससे कम में परस्पर चुनौती दिया कि वे किस लिए धन्यवादित थे-और उन्हें दूसरे की कही हुई बात दोहरानी भी नहीं थी l चुप रहनेवाला खेल से बाहर होता था l
विद्यार्थी जांच, निर्धारित तिथियाँ, नियम, और कॉलेज के प्रकार की बातों के विषय शिकायत कर सकते हैं l किन्तु इन विद्यार्थियों ने धन्यवाद देने का चुनाव किया l यदि शिकायत का चुनाव करते तो इसकी तुलना में मेरा अनुमान है कि इस खेल के पश्चात उन्होंने बेहतर महसूस किया l
शिकायत करने की बातें हमेशा रहेंगी, किन्तु ध्यान से देखें तो धन्यवाद की आशीषें हमेशा रहेंगी l मसीह में हमारी नवीनता का वर्णन करते समय पौलुस ने, “धन्यवाद” का वर्णन एक से अधिक बार है l वास्तव में तीन बार l “धन्यवादी बने रहो,” उसने कुलुस्सियों 3:15 में कहा l “अपने अपने मन में अनुग्रह[धन्यवाद] के साथ” परमेश्वर के लिए ... आत्मिक गीत गाओ (पद.16) l जो कुछ भी करो ... उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो l (पद.17) l धन्यवाद देने का पौलुस का निर्देश चकित करता है जब हम विचारते हैं कि उसने यह पत्री कैद से लिखी l
आज, हम धन्यवाद का मनोभाव रखने का चुनाव करें l
अपनी आत्मा को तसल्ली देना
एक संगीत समारोह में उपस्थिति के दौरान, मेरा मन एक कष्टकर बात की ओर मेरा ध्यान अपनी ओर करना चाहा l धन्यवाद हो, वह विकर्षण थोड़े समय का था जब एक खूबसूरत गीत के शब्द मेरे व्यक्तित्व के अन्दर प्रवेश करने लगा l पुरुषों का कैपेला समूह गा रहा था “मेरी आत्मा शांत रह l” शब्दों को सुनते समय आँसू…
विरासती जीवन
जब मैं एक छोटे शहर के एक होटल में रुका हुआ था, मैं ने देखा कि सड़क के उस पार चर्च में आराधना हो रही है l छोटे-बड़े सभी लोग बड़ी संख्या में उस चर्च में और बाहर भी खड़े थे l मैं भीड़ के निकट एक शव-गाड़ी देखकर समझ लिया कि कोई अंतिम संस्कार है l मैंने अनुमान लगाया…