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Articles by करेन पिम्पो

एक अनर्जित उपहार

हाल ही में जब मेरी सहेली ने मुझे एक उपहार दिया तो मैं हैरान रह गयी। मुझे नहीं लगता था कि मैं उससे इतने अच्छे उपहार पाने की हकदार हूं। मेरे काम के कुछ तनाव के बारे में सुनने के बाद उसने इसे भेजा था। फिर भी वह एक वृद्ध माता-पिता, चुनौतीपूर्ण बच्चों, काम में उथल-पुथल, और अपनी शादी में तनाव के साथ, अगर अधिक नहीं तो उतने ही तनाव से गुजर रही थी। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसने स्वयं के बारे में सोचने से पहले मेरे बारे में सोचा था, और उसके साधारण उपहार ने मेरी आँख में आंसू ला दिए थे।

सच में, हम सभी उस उपहार के प्राप्तकर्ता हैं जिसके हम कभी हकदार नहीं हो सकते। पौलुस ने इसे इस तरह से कहा : "मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत में आया - जिनमें सबसे बड़ा मैं हूँ" (1 तीमुथियुस 1:15) हालाँकि वह “एक समय निन्दा करनेवाला, और सतानेवाला, और क्रूर मनुष्य था, . . . हमारे प्रभु का अनुग्रह [उस पर] बहुतायत से उण्डेला गया” (पद. 13-14) पुनुरुत्थित यीशु ने पौलुस को अनुग्रह के मुफ्त उपहार की गहरी समझ दी। परिणामस्वरूप, उसने सीखा कि उस उपहार का अनर्जित प्राप्तकर्ता होने का क्या मतलब है और वह परमेश्वर के प्रेम का एक शक्तिशाली साधन बन गया और उसने बहुत से लोगों को बताया कि परमेश्वर ने उसके लिए क्या किया है।

यह केवल परमेश्वर के अनुग्रह के द्वारा ही है कि हम निंदा के बदले प्रेम और न्याय के बदले दया प्राप्त करते हैं। आज, आइए उस अनर्जित/अपात्र अनुग्रह का उत्सव मनाएं जो परमेश्वर ने दिया है और दूसरों को उस अनुग्रह को प्रदर्शित करने के तरीकों की तलाश में रहें।

तृप्त हो जाओ

डॉ• मार्टिन लूथर किंग जूनियर की भीषण हत्या उस समय हुई थी जब 1960 के अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन बुलंदी पर था। लेकिन सिर्फ चार दिन बाद, उनकी विधवा कोरेटा स्कॉट किंग ने साहसपूर्वक अपने पति की जगह ले ली, और एक शांतिपूर्ण विरोध जुलुस का नेतृत्व किया। कोरेटा में न्याय के प्रति गहरी लगन थी और वह कई  अभियानों की प्रबल समर्थक थी।

यीशु ने कहा, “धन्य हैं वे जो  धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि वे तृप्त होंगे” (मत्ती 5:6)। हम जानते हैं कि किसी दिन परमेश्वर न्याय देने और हर गलत को सही करने के लिए आएगा, लेकिन उस समय तक हमारे पास, कोरेटा की तरह ही, पृथ्वी पर परमेश्वर के न्याय को एक वास्तविकता बनाने के काम में भाग लेने का अवसर है। यशायाह 58 में परमेश्वर अपने लोगों को जो करने के लिए बुलाता है, इसका एक स्पष्ट  चित्र चित्रित करता है: अन्याय सहने वालों का जुआ तोड़ो, उत्पीड़ितों को मुक्त करो, भूखे के साथ अपना भोजन साझा करो, मारे मारे फिरते हुये को आश्रय दो, नंगे को वस्त्र पहिनाओ, और उन लोगों से जिन्हें सहायता की आवश्यकता है दूर मत हो जाना  (पद 6–7)। उत्पीड़ित और कमजोर लोगों के लिए न्याय की तलाश करना एक तरीका है जिससे हमारा जीवन ईश्वर की ओर इशारा करता है। यशायाह लिखता है कि  न्याय की खोज करने वाले उसके लोग भोर के प्रकाश की तरह हैं और उनके लिए और साथ ही दूसरों के लिए भी चंगाई का परिणाम है (पद 8)।

आज, परमेश्वर हमें यहाँ पृथ्वी पर अपनी धार्मिकता के लिए भूख (लालसा) पैदा करने में मदद करें। जब हम उसके तरीके से और उसकी शक्ति में न्याय की तलाश करते हैं, तो बाइबल कहती है कि हम संतुष्ट होंगे।

भार हल्का करें

जब हमारे नवगठित बाइबल अध्ययन में जुड़ी महिलाएँ कई त्रासदियों का सामना कर रही थी, हमने अचानक खुद को गहरे व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए पाया। पिता के खोने का सामना, तलाक के बाद शादी की सालगिरह का दर्द, पूरी तरह से बहरे बच्चे का जन्म, आपातकालीन कक्ष में बच्चे को लाने के लिए दौड़ का अनुभव-यह अकेले उठाना किसी के लिए भी बहुत ज्यादा था। प्रत्येक व्यक्ति की भेद्यता के कारण अधिक पारदर्शिता आई। हम एक साथ रोये और प्रार्थना की, और जो अजनबियों के समूह के रूप में शुरू हुआ था कुछ ही हफ्तों में करीबी मित्रों का एक समूह हो गया.. 

कलीसिया के देह के अंग के रूप में, यीशु में विश्वासी लोगों के पास उनकी पीड़ा में गहरे और व्यक्तिगत रूप से आने में सक्षम हैं। संबंधपरक संबंध जो मसीह में भाइयों और बहनों को एक साथ बांधता है इस बात पर निर्भर नहीं हैं कि हममें क्या समानताएं है या हम एक-दूसरे को कितने समय से जानते हैं। इसके बदले हम वह करते हैं, जिसे पौलुस “तुम एक दूसरे का भार उठाओ” (v. 2) कहता है। परमेश्वर की सामर्थ्य पर भरोसा करते हुए, हम सुनते, सहानुभूति रखते, जहां हम मदद कर सकते हैं करते हैं, और हम प्रार्थना करते हैं। हम “इसलिये जहाँ तक अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें, विशेष करके विश्‍वासी भाइयों के साथ” (v.10) के तरीके ढूंढ सकते हैं। पौलुस कहता है कि जब हम ऐसा करते हैं, तो हम मसीह की व्यवस्था को पूरा करते हैं (v.2): परमेश्वर से और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखने के लिए। जिन्दगी का बोझ भारी हो सकता है, लेकिन उन्होंने हमें उस बोझ को हल्का करने के लिए हमारे कलीसिया का  परिवार दिया है।

करुणा को चुनना

बर्फ से संबंधित हादसों का पांच मिनट का संग्रहित चित्र एक टीवी शो के एक एपिसोड का केंद्रीय हिस्सा था। लोगों के छतों से स्कीइंग करते हुए, ट्यूबिंग करते समय वस्तुओं से टकराते हुए, और बर्फ पर फिसलते हुए लोगों के घरेलू वीडियोने स्टूडियो के दर्शकों और घर पर देखने वाले लोगों से हँसी और तालियाँ बटोरीं। हँसी सबसे तेज़ तब लग रही थी जब ऐसा प्रतीत हुआ कि जिन लोगों का सफाया हुआ है वे अपने स्वयं के मूर्ख व्यवहार के कारण इसके लायक हैं।

मजेदार घरेलू वीडियो कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन वे हमारे बारे में कुछ प्रकट कर सकते हैं: हम दूसरों पर हंसने या दूसरों की कठिनाइयों का लाभ उठाने के लिए प्रवृत्त हो सकते हैं। ऐसी ही एक कहानी ओबद्याह में दो विरोधी राष्ट्रों, इस्राएल और एदोम के बारे में पायी जाती है। जब परमेश्वर ने इस्राएल को उनके पाप का दण्ड देना उचित समझा, तब एदोम आनन्दित हुआ। उन्होंने इस्राएलियों का लाभ उठाया, उनके नगरों को लूटा, उनके बच कर भागने को नाकाम किया, और उनके शत्रुओं का समर्थन किया (ओबद्याह 1:13-14)। भविष्यद्वक्ता ओबद्याह के द्वारा एदोम को चेतावनी का एक शब्द आया: "उचित नहीं ..भाई के ..विपत्ति के दिन में ...और संकट के दिन बड़ा बोल बोलता..," "क्योंकि सारी जातियों पर यहोवा के दिन का आना निकट है" (पद 12,15)।

जब हम दूसरों की चुनौतियों या पीड़ाओं को देखते हैं, भले ही ऐसा लगता है कि वे इसे खुद अपने ऊपर लाए हैं, फिर भी हमें घमंड के जगह दया को चुनना है। हम दूसरों का न्याय करने की स्थिति में नहीं हैं। केवल परमेश्वर ही ऐसा कर सकता है। इस संसार का राज्य उसी का है (पद 21)—वह अकेला न्याय और दया की सामर्थ रखता है।

परमेश्वर पर नियंत्रण छोड़ना

एक शक्तिशाली ओक के पेड़ की कल्पना करें जो कि रसोई की मेज पर फिट होने के लिए प्रयाप्त छोटा है। यह एक बोन्साई जैसा दिखता है - एक सुंदर सजावटी पेड़ जो आपको प्रकृति में मिलता है उसका छोटा रूप। बोन्साई और उसके पूर्ण आकार के समकक्ष के बीच कोई आनुवंशिक अंतर नहीं है। यह बस इतना है कि एक उथला मटका, छंटाई और जड़ की छंटाई विकास को प्रतिबंधित करती है, इसलिए पौधा छोटा रहता है।

जबकि बोन्साई पेड़ अद्भुत सजावटी पौधे बनाते हैं, वे नियंत्रण की शक्ति का भी वर्णन करते हैं। यह सच है कि हम उनके विकास में जोड़तोड़ कर सकते हैं क्योंकि पेड़ उनके पर्यावरण के प्रति प्रतिक्रिया करते हैं, लेकिन अंततः ईश्वर ही है जो चीजों को विकसित करता है।

परमेश्वर ने भविष्यद्वक्ता यहेजकेल से इस प्रकार बात की: "मैं यहोवा ऊँचे वृक्ष को गिराता हूँ, और नीचे के वृक्ष को ऊँचा करता हूँ" (यहेजकेल १७:२४)। परमेश्वर भविष्य की घटनाओं का पूर्वाभास कर रहा था जब वह बाबुलियों को आक्रमण करने की अनुमति देकर इस्राएल राष्ट्र को "उखाड़" देगा। हालाँकि, भविष्य में, परमेश्वर इस्राएल में एक नया पेड़ लगाएगा जो फल देगा, जिसमें "हर प्रकार के पक्षी" उसकी शाखाओं की छाया में आश्रय पाएंगे (पद २३)। परमेश्वर ने कहा कि आने वाली कितनी भी घटनाएँ नियंत्रण से बाहर लग रही हों, फिर भी वह प्रभारी है।

दुनिया हमसे कहती है कि हम तोड़मोड़ करके और अपनी मेहनत से अपनी परिस्थितियों को नियंत्रित करने का प्रयास करें। लेकिन सच्ची शांति और फलता-संपन्नता उसी पर नियंत्रण छोड़ने से मिलता है जो पेड़ों को बढ़ाता है।

 

जीवन देने वाला सुधार

श्रेया ने कहा, "दुर्भाग्य से, हमने हाल ही में बहुत कठिन बातचीत की थी।" "मुझे नहीं लगता कि हम दोनों में से किसी ने इसका आनंद लिया होगा, लेकिन मुझे वास्तव में लगा की उसके रवैये और कार्यों पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि उसके आसपास के लोगों को चोट न पहुंचे।" श्रेया उस युवती के बारे में बात कर रही थी जिसकी वह एक सलहाकार है। हालांकि असुविधाजनक थी, पर उनकी बातचीत फलदायी रही और वास्तव में उनके रिश्ते को मजबूत किया। कुछ ही हफ्तों बाद, दोनों महिलाओं ने नम्रता के विषय पर साथ में एक चर्च-व्यापी प्रार्थना समय का नेतृत्व किया।

औपचारिक परामर्श संबंध के बाहर भी, हम मसीह में एक भाई या बहन के साथ कुछ कठिन बातचीत का सामना कर सकते है। नीतिवचन में, जो कालातीत ज्ञान से भरी पुस्तक है, सुधार देने और प्राप्त करने में नम्रता के  महत्व के विषय को दोहराती है। वास्तव में, रचनात्मक आलोचना को "जीवन देने वाला" कहा जाता है और यह सच्चे ज्ञान  की ओर ले जाता है (नीतिवचन १५:३१)। नीतिवचन १५:५ कहता है कि मूर्ख अनुशासन को ठुकराता है, परन्तु जो डाँट को मानता है, वह चतुर हो जाता है। स्पष्ट रूप से कहें, "जो सुधार से बैर रखता है, वह मर जाता है" (पद १०)। जैसा कि श्रेया ने देखा, प्रेम में बोला गया सच एक रिश्ते में नई जान ला सकता है।

क्या आपके जीवन में कोई है जिससे प्रेमपूर्ण, जीवनदायिनी सुधार की बात कही जानी चाहिए ? या हो सकता है कि आपको हाल ही में बुद्धिमान फटकार दी गई हो और आप क्रोध या उदासीनता के साथ जवाब देने की परीक्षा में पड़े हो। अनुशासन की अवहेलना करना स्वयं का तिरस्कार करना है, परन्तु जो डाँट को सुनता है, वह बुद्धि प्राप्त करता है (पद ३२)। आइए हम परमेश्वर से प्रार्थना करें की वह आज हमारी नम्रता के साथ सुधार देने और प्राप्त करने में सहायता करे।

एक जीवित दस्तावेज़

अपने दादा के कार्य को यादगार बनाते हुए, पीटर क्रोफ्ट ने लिखा, “उस व्यक्ति के लिए जो अपनी बाइबल उठाते हैं, मेरी गहरी इच्छा है कि, कोई भी संस्करण जो वे उपयोग करते हैं, केवल समझें नहीं लेकिन पवित्रशास्त्र को एक जीवित दस्तावेज़ के रूप में अनुभव करें, वर्तमान में प्रासंगिक, खतरनाक, और उत्तेजक जैसे वह हज़ारों वर्ष पहले था l” पीटर के दादा जे.बी. फिलिप्स थे, एक युवा सेवक जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अपने चर्च में विद्यार्थियों के लिए बाइबल को जीवित बनाने के लिए अंग्रेजी में उसकी एक नई व्याख्या(paraphrase) की l 

फिलिप्स के विद्यार्थियों के समान, हम भी पवित्रशास्त्र को पढ़ने एवं अनुभव करने में बाधाओं का सामना करते हैं, और ज़रूरी नहीं कि अपने बाइबल अनुवाद के कारण l हम समय, अनुशासन, या समझने के लिए सही साधन की कमी महसूस कर सकते हैं l लेकिन भजन 1 हमसे कहता है कि क्या ही धन्य है वह . . . जो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता [है]” (पद.1-2) l पवित्रशास्त्र पर दैनिक चिंतन हमें सभी समय “यशस्वी” करता है, चाहे हम जिस भी कठिनाई का सामना कर रहें हों l 

आप अपनी बाइबल को किस तरह देखते हैं? यह आज भी अंतर्दृष्टि के साथ जीने के लिए प्रासंगिक है, यीशु पर विश्वास करने और उसका अनुसरण करने की अपनी बुलाहट में अभी भी खतरनाक है, परमेश्वर और मानवता के अन्तरंग ज्ञान में जो वह प्रदान करता है अभी भी उत्तेजक है l यह बहती हुई  नालियों की तरह है (पद.3) जो हमें आवश्यक दैनिक पोषण देता है l आज, हम उसकी ओर झुकें──समय निकालें, सही साधन ढूंढें, और परमेश्वर से पवित्रशास्त्र को एक जीवित दस्तावेज की तरह अनुभव करने में परमेश्वर से मदद मांगें l 

यीशु के साथ चलना

पहाड़ों पर पैदल चलनेवाले बिना चर्बी की भोजन  आपूर्ति, जलरोधक जूते, और एक नक्शा, जैसे आवश्यक सामन हैं जो वे लेकर चलते हैं l यह लम्बी पैदल यात्रा मार्ग में संकरी खाड़ी, आसपास की झील और जंगल, और ऊपर पहाड़ों पर, हज़ारों फीट की ऊंचाई पार करना शामिल होता है l इसलिए कि पहाड़ की ऊंचाई के कारण पहाड़ पर तिरछे चढ़ने में कई सप्ताह लग सकते हैं, सही मात्रा में आपूर्ति लेकर चलना जोखिम का काम है l बहुत अधिक आपूर्ति लेकर चलने से आप इसे लेकर चलने में थक जाएंगे; बहुत कम लेकर चलेंगे तो यात्रा में आपकी ज़रूरत की वस्तु कम पड़ जाएगी l 

यीशु में विश्वासियों के रूप में अपनी यात्रा को अच्छी तरह से समाप्त करने के लिए भी सावधनीपूर्वक विचार की आवश्यकता है कि हम क्या लेकर चलते हैं l इब्रानियों 12 में, प्रेरित पौलुस हमसे “हर एक रोकनेवाली वस्तु और उलझानेवाले पाप को दूर” करने की नसीहत देता है l वह हमारे जीवन की तुलना “एक दौड़” से करता है “जिसमें हमें दौड़ना है” जिसमें हमें “निराश होकर साहस नहीं [छोड़ना]” है (पद. 1,3) l हमारे लिए परमेश्वर के उद्देश्य के बाहर पाप का  अत्यधिक बोझ उठाना या चीजों द्वारा विकर्षित होना अनावश्यक बोझ ढोना है l 

जैसे पहाड़ पर पैदल चलने के लिए पैकिंग सूची दी गयी है, परमेश्वर ने बाइबल में यीशु का अनुसरण करने के लिए दिशा निर्देश दिया है l हम जान सकते हैं कि पवित्रशास्त्र के प्रकाश में कौन-सी आदतें, सपने और इच्छाएँ हैं जिनकी जांच आवश्यक है l जब हम कम सामान लेकर यात्रा करते हैं, हम सही तौर से समाप्त करेंगे l 

परमेश्वर हमें उठाए चलता है

2015 में, बाढ़ ने चेन्नई के शहर को तेज बारिश, हवा और जल भराव द्वारा जलप्लावित

कर दिया जिससे बहुत लोग प्रभावित हुए──देश के इतिहास में एक सबसे खराब प्राकृतिक आपदा । जब वह अपने एक महीने के बच्चे के साथ घर में शरण लिए हुए था, वह जानता था कि उसे वह स्थान छोड़ना होगा l यद्यपि वह दृष्टिहीन था, उसे अपने बेटे को बचाना था l कोमलता से, उसने अपने बच्चे को बचाने के लिए उसे अपने कन्धों पर रखा और ठुड्डी तक पानी में उतर गया l 

यदि एक सांसारिक पिता बड़ी बाधा का सामना करते हुए अपने बेटे की मदद करने के लिए उत्सुक था, तो स्वर्गीय पिता के बारे में सोचे कि वह अपने बच्चों के बारे में और कितना अधिक चिंतित रहता है । पुराने नियम में, मूसा ने याद किया कि परमेश्वर के लोगों द्वारा डगमगाते विश्वास के खतरे का अनुभव करने के बावजूद, वह उन्हें उठाकर लिए चला l उसने इस्राएलियों को याद दिलाया कि कैसे परमेश्वर ने उन्हें छुड़ाया, मरुभूमि में उनके लिए भोजन और जल का प्रबंध किया, उनके शत्रुओं से लड़ा, बादल और आग के खम्भे द्वारा इस्राएलियों का मार्गदर्शन करता रहा l अनेक तरीकों पर विचार करते हुए जिसके द्वारा परमेश्वर ने उनके पक्ष में काम किया था, मूसा ने कहा, “फिर तुम ने जंगल में भी देखा, कि जिस रीति कोई पुरूष अपने लड़के को उठाए चलता है, उसी रीति हमारा परमेश्वर यहोवा हम को इस स्थान पर पहुँचने तक, उस सारे मार्ग में जिस से हम आए हैं, उठाये रहा” (व्यवस्थाविवरण 1:31) l

जंगल की यात्रा इस्राएलियों के लिए सरल नहीं थी, और उनका विश्वास कई बार घटा l लेकिन वह परमेश्वर की सुरक्षा और प्रावधान के सबूत से भरा हुयी थी──पिता का एक बेटे को उठाकर लिए चलने की तस्वीर──कोमलता, साहस और आत्मविश्वास के साथ──एक अद्भुत तस्वीर है कि परमेश्वर ने कैसे इस्राएलियों की देखभाल की । हमारे द्वारा चुनौतियों का सामना करने के बावजूद जो हमारे विश्वास की परीक्षा करता है, हम याद कर सकते हैं कि परमेश्वर वहां रहकर हमें उसमें से लिए चल रहा है l