जीवन के लिए सर्वोत्तम रणनीति
जब मैं दीर्घा में बैठकर अपनी बेटी का बास्केटबाल मैच देख रही थी, मैंने कोच को लड़कियों से एक शब्द बोलते सुना : “डबल्स”(समरूप खेल) l तुरंत, उनकी खेलने वाली टीम की बचाव रणनीति बॉल फेंकने वाले सबसे लम्बे प्रतिद्वंदी के विरुद्ध एक एक के साथ से दो दो एक साथ हो गयी l वे उनके बॉल फेंककर और स्कोर बनाने के प्रयास को विफल करने में सफल हो गए, और आख़िरकार बॉल को अपने क्षेत्र के बास्केट(basket) में ले गए l
जब सभोपदेशक का लेखक, सुलेमान, संसार के परिश्रम और निराशाओं का सामना कर रहा था, उसने भी पहचाना कि हमारे मेहनत में सहयोगी के होने से “अच्छा फल मिलता है” (सभोपदेशक 4:9) l जबकि सघर्ष करते हुए अकेले व्यक्ति पर “कोई प्रबल हो तो हो, परन्तु दो उसका सामना कर सकेंगे” (पद.12) l जब हम गिर जाते हैं निकट का एक मित्र हमारी सहायता कर सकता है (पद.10) l
सुलेमान के शब्द हमारी यात्रा को दूसरों के साथ साझा करने के लिए उत्साहित करते हैं ताकि हमें अकेले ही जीवन की आजमाइशों का सामना न करना पड़े l हममें से कुछ के लिए, यह अतिसंवेदनशीलता के एक मानक की मांग करता हैं जिससे हम अपरिचित हैं या जो हमारे लिए असुखद है l हममें से कुछ लोग उस प्रकार की निकटता की तीव्र इच्छा करते हैं और मित्रों को ढूंढने में संघर्ष करते हैं जिनके साथ हम उन बातों को साझा करना चाहते हैं l जो भी मामला हो, हमें प्रयास में हार नहीं मानना चाहिए l
सुलेमान और बास्केटबाल के कोच सहमत हैं : जीवन में और खेल के मैदान में टीम के साथियों का अपने आस-पास होना हमारे ऊपर मंडराने वाले संघर्षों का सामना करने के लिए सबसे सर्वोत्तम रणनीति है l हे प्रभु, उन लोगों के लिए धन्यवाद जिन्हें आपने हमारे उत्साह और सहयोग के लिए हमारे जीवनों में दिए हैं l
शांति से भरे हुए हृदय
एक व्यवसायिक एथलीट(खिलाड़ी) के रूप में उसकी आजीविका का अंत होने के बाद पैंतालिस वर्षों तक जेरी क्रेमर को उसके फेम ऑफ़ स्पोर्ट्स हॉल (सर्वोत्तम सम्मान) में प्रतिष्ठित होने नहीं दिया गया l उन्होंने अनेक उपाधियाँ और उपलब्धियों का आनंद उठाया, किन्तु यह उनके हाथ न लगा l यद्यपि उनको इस सम्मान के लिए दस बार नामित किया गया, यह उनको कभी नहीं प्रदान की गयी l अनेक बार उनकी आशा चूर होने का बावजूद, क्रेमर यह कहने में विनीत थे, “मैंने महसूस किया कि [नेशनल फूटबाल लीग] ने मुझे मेरे जीवनकाल में 100 उपहार दिए हैं और एक नहीं प्राप्त करने के विषय परेशान या क्रोधित होना बेवकूफी है!”
अनेक बार जब दूसरे खिलाड़ियों के पक्ष में निर्णय आने पर अन्य द्वेषपूर्ण महसूस कर सकते थे, क्रेमर कष्ट का अहसास नहीं किया l उसका आचरण उस मार्ग का वर्णन करता है जिससे हम अपने हृदयों को इर्ष्या, जिससे “हड्डियां भी जल जाती हैं” (नीतिवचन) के क्षयकारी स्वभाव से सुरक्षित कर सकते हैं l जब हम उन बातों में तल्लीन हो जाते हैं जो हमारे पास है ही नहीं – और उन अनेक चीजों को पहचानने से चूक जाते हैं जो हम करते हैं – परमेश्वर की शांति हमें नहीं मिलेगी l
ग्यारवीं बार नामित होने के बाद, आखिरकार फरवरी 2018 में जेरी क्रेमर को नेशनल फूटबाल लीग[NFL] के फेम ऑफ़ स्पोर्ट्स हॉल से सम्मानित किया गया l शायद हमारी सांसारिक अभिलाषाएँ पूरी न हों जैसे अंत में उसकी हुयी l फिर भी हम सब के पास “शांति से भरा हृदय” हो सकता है जब हम उसके स्थान पर उन अनेक चीजों पर ध्यान केन्द्रित करते हैं जिसके प्रति परमेश्वर हमारे साथ उदार रहा है l इसकी परवाह किये बिना कि हमें क्या चाहिए किन्तु हमारे पास है नहीं, हम हमेशा जीवनदायक शांति का आनंद ले सकते हैं जो वह हमारे जीवनों में देता है l
कठिन स्थानों में आनन्द
जब भी वह मेरे फोन का जवाब देने में असमर्थ होती थी, तो मेरी मित्र की वॉयसमेल रिकॉर्डिंग मुझे उसके लिए एक सन्देश छोड़ने के लिए कहती थी। वह रिकॉर्डिंग बहुत ही प्रसन्नता के साथ सन्देश को समाप्त करती थी, “आपका दिन अच्छा हो!” जब मैंने उसके शब्दों पर ध्यान दिया, तो मुझे अहसास हुआ कि हमारे दिन को अच्छा बनाने की सामर्थ हम में नहीं है-कुछ परिस्थितियाँ वास्तव में हानिकारक होती हैं। परन्तु ध्यान से देखना मेरे दिन में कुछ अच्छा और सुन्दर प्रकट कर सकता है, चाहे उसमें चीज़ें अच्छी हो रही हों या बुरी।
हब्बकूक सरल परिस्थितियों का सामना नहीं कर रहा था। एक नबी के रूप में परमेश्वर ने उसे आने वाले दिनों को दिखाया था जब कोई भी फसल या पशु-जिन पर परमेश्वर के लोग निर्भर थे-फलदायी नहीं होगा। (3:17) । आने वाली कठिनाइयों को सहन करने के लिए आशावादी होने से अधिक किसी और चीज़ की आवश्यकता होगी। एक समुदाय के रूप में इस्राएल बहुत अधिक गरीबी में होगा। हब्बकूक कलेजा कम्पा देने, ओंठ थरथरा देने, खड़े-खड़े कम्पा देने वाले भय का अहसास कर रहा था। (पद 16) ।
तौभी हब्बकूक ने कहा कि वह “यहोवा के कारण आनन्दित और मगन” रहेगा (पद 18) । उसने परमेश्वर में अपनी आशा की घोषणा की, जो कठिन स्थानों में चलने के लिए सामर्थ प्रदान करता है (पद 19) ।
कईबार हम गहन पीड़ा और कठिनाई के समय से हो कर गुज़रते हैं। परन्तु इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम ने क्या खोया है या हम जो चाहते थे वह कभी नहीं पाया, हम ह्ब्बकूक के समान प्रेमी परमेश्वर के साथ हमारे सम्बन्ध में आनन्दित हो सकते हैं। तब भी जब हमें लगे कि हमारे पास कुछ भी शेष नहीं रहा है, वह हमें कभी भी नहीं छोड़ेगा और कभी नहीं त्यागेगा (इब्रानियों 13:5) । वह जो “उन लोगों को उपलब्ध करवाता है, जो विलाप करते हैं” वही हमारे आनन्द का अन्तिम कारण है (यशायाह 61:3)।
निवेश पर प्रतिलाभ
1995 में यूएस के स्टॉक मार्किट के निवेशकों ने सबसे अधिक प्रतिलाभ प्राप्त किया-अपने डॉलरों पर औसतन 37.6 प्रतिशत का जबरदस्त प्रतिलाभ। फिर 2008 में उसी प्रकार उन्होंने लगभग सबकुछ खो दिया : नकारात्मक रूप से 37.0 प्रतिशत। बीच के वर्षों में भिन्न प्रतिलाभ प्राप्त हुआ था, जो उन लोगों को आश्चर्य में डाल रहा था-कई बार तो भयभीत-कि उनके निवेश का क्या होगा।
यीशु ने अपने अनुयायियों को आश्वासन दिया कि उनमें अपने जीवनों का निवेश करने पर उन्हें अतुलनीय प्रतिलाभ प्राप्त होगा। उन्होंने “उसके पीछे चलने के लिए सबकुछ छोड़ दिया”-अपने घर, नौकरियाँ, औहदा और परिवारों को अपने जीवन का निवेश करने के लिए छोड़ दिया (पद 28)। परन्तु उनकी चिन्ता बढ़ गई कि उनका निवेश अच्छा प्रतिलाभ प्रदान नहीं करेगा, जब उन्होंने एक धनी मनुष्य पर सांसारिक बन्धनों की जकड़ से संघर्ष करते हुए देखा। (हालाँकि)यीशु ने उत्तर दिया, कि जो कोई उसके लिए त्यागने का इच्छुक है वह “वर्तमान समय में ही सौ गुणा प्राप्त करेगा. . . और आने वाले समय में अनन्त जीवन” (पद 30) । वह एक बहुत ही उत्तम प्रतिलाभ था जो कोई स्टॉक मार्किट कभी भी प्रदान नहीं सकती।
हमें अपने आत्मिक निवेश-परमेश्वर के साथ- की “ब्याज की दर” के बारे में कभी चिन्ता नहीं करनी चाहिए, यह एक अतुलनीय आश्वासन है। पैसे के साथ हमारा लक्ष्य हमारे निवेश से अपने आर्थिक लाभ को अधिकत्तम करना होता है। परमेश्वर से हमें जो प्राप्त होता है, उसे डॉलर और सेंट्स में नापा नहीं जा सकता, परन्तु उसे जानने से जो आनन्द आता है और उस आनन्द को दूसरों के साथ बाँटना अभी और सर्वदा का होता है!
शान्त भय
मेरा जीवन प्राय: उन्माद और जल्दबाज़ी से भरा रहता है। मैं एक जिम्मेदारी से दूसरी जिम्मेदारी की ओर भागती रहती, अपने मार्ग में ही फोन करने और अपने कभी न समाप्त होने वाले कामों की सूची में चीज़ें देखती रहती हूँ। एक रविवार को बहुत जल्दबाज़ी में मैं अपने घर के पीछे के आंगन में गिर गई। मेरा फोन अन्दर था और मेरे बच्चे और पति भी अन्दर ही थे। पहले तो मैंने एक या दो मिनट के लिए बैठे रहने का सोचा, परन्तु उस अबाधित स्थिरता में मैंने कई बातों पर ध्यान दिया, जिन्होंने मुझे वहीं लम्बे समय तक रुकने के लिए आमन्त्रित किया। मैं हेमरॉक के धीरे धीरे हिलने, लैवेंडर के फूल पर मधुमक्खी के भिनभिनाने और मेरे सिर के ऊपर पक्षी के पंख फड़फड़ाने को सुन सकती थी। आकाश गहरा नीला था और पवन से बादल उड़ रहे थे।
जो कुछ परमेश्वर ने बनाया है उसको देखकर मेरी आँखों में आँसू आ गए। जब मैं अपनी आँखों और कानों में अनेक अद्भुत चीज़ें देखने के लिए पर्याप्त समय के लिए ठहरी, तो मैं परमेश्वर की रचनात्मक सामर्थ के लिए धन्यवाद के साथ उसकी आराधना करने के लिए उत्साहित हो गई। भजन संहिता 104 का लेखक भी इसी समान परमेश्वर की हस्तकला के द्वारा नम्र हो गया था, “तेरे कामों के फल से पृथ्वी तृप्त रहती है” (पद 13) ।
भागदौड़ के जीवन में एक शान्त क्षण हमें परमेश्वर की रचनात्मक सामर्थ को याद दिला सकता है। वह अपनी सामर्थ और नम्रता के प्रमाणों से हमें घेरे रहता है; उसी ने ऊँचे पर्वत और पक्षियों के लिए डालियाँ बनाई हैं। “इन सब वस्तुओं को तू ने बुद्धि से बनाया है (पद 24)।
पुनर्स्थापित
2003 के मोरमन टिड्डियों का संक्रमण 25 लाख डालर्स की फसलों की बर्बादी का कारण बना। ये टिड्डियाँ इतनी संख्या में आई कि लोगों के कितनी भी सावधानी से पैर रखने पर भी उनके पैर के नीचे एक तो होती ही थी। टिड्डे जैसा दिखने वाला यह कीट, जिसका नाम उटाह की फसलों पर हमला करने के लिए रखा गया था, 1848 में पहली बार दिखाई दिया था, मात्र दो से तीन इंच लम्बा होने के बावजूद भी यह अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में आश्चर्यजनक रीति से अड़तीस पाऊंड तक की फसल-सामग्री चट कर सकता है। किसानों और राज्य और देश की कुल अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव विनाशकारी हो सकता है।
पुराना नियम के नबी योएल ने ऐसे ही कीटों के एक दल का वर्णन किया जिसने उनकी सामूहिक अनाज्ञाकारिता के परिणामस्वरूप यहूदा के समस्त राष्ट्र से प्रतिशोध लिया था। उसने टिड्डियों के आक्रमण (बाइबल के कुछ विद्वानों के अनुसार एक विदेशी सेना के लिए एक उपमा) के बारे में पहले से ही बता दिया था और पिछली पीढ़ियों ने ऐसा पहले कभी नहीं देखा था (योएल 1:2)। टिड्डियाँ अपने मार्ग में आने वाली हर चीज़ को बर्बाद कर लोगों को अकाल और गरीबी में पहुँचा देंगी। यदि लोग अपने पापी चालचलन से फिर जाएँगे और परमेश्वर से क्षमा माँग लेंगे, तो योएल बताता है कि प्रभु कहता है “मेरे बड़े दल ने जिसको मैंने तुम्हारे बीच भेजा..., मैं उसकी हानि तुम को भर दूँगा” (योएल 2:25)।
यहूदा के सबक से हम भी सीख सकते हैं: कीटों के समान, हमारे गलत कार्य उस फलवन्त और खुशबूदार जीवन को खा जाते हैं, जिस जीवन की इच्छा परमेश्वर हमारे लिए रखता है। जब हम अपने बीते हुए गलत चुनावों से उसकी ओर मुड़ते हैं, तो वह हमारी लज्जा को हटा देने और उसमें हमें एक भरपूर जीवन देने की प्रतिज्ञा करता है।
ज़ोर से बंद आँखें
वह जानता था कि उसे ऐसा नहीं करना चाहिए थाl मैं स्पष्ट देख पा रहा था कि वह जानता था कि यह गलत था: यह उसके चिहरे पर साफ़ लिखा था! जब मैं उसके साथ उसकी गलती के बारे में बात करने के लिए बैठा तो मेरे भतीजे ने तुरन्त अपनी आखें ज़ोर से बंद कर लींl वह बैठा सोच रहा था और उसका तीन वर्षीय अबोध मन विचार कर रहा था कि यदि वह मुझे नहीं देख रहा था तो इसका मतलब था कि वह मेरी दृष्टि से ओझल थाl और सोच रहा था कि यदि वह मुझसे अदृश्य था तो वह बात करने से और अपने किए से (और इसके परिणामों से) बच सकता थाl
मुझे बहुत ख़ुशी है कि मैं उस समय उसे देख पा रहा थाl जो उसने किया था मैं उससे सहमत नहीं था और हमें इसके बारे में बात करने की आवश्यकता थी, इसलिए मैं बिलकुल नहीं चाहता था कि कोई चीज़ हमारे बीच में आएl मैं चाहता था कि वह सीधा मेरे चिहरे की ओर देखे और जाने कि मैं उससे कितना प्यार करता हूँ और उसे क्षमा करने के लिए उत्सुक हूँ! उसी पल मुझे विचार आया कि जब आदम और हवा ने अदन की बाटिका में परमेश्वर के भरोसे को तोड़ा तो उस समय उसे कैसा महसूस हुआ होगाl अपने अपराधबोध को महसूस करते हुए उन्होंने परमेश्वर से छिपने का प्रयास किया (उत्पत्ति 3:10), जो उन्हें उतना ही साफ़ साफ़ “देख” पा रहा था जितना कि मैं अपने भतीजे को देख रहा थाl
जब हमें अहसास होता है कि हमने कुछ गलती की है तो अक्सर हम परिणामों से बचना चाहते हैंl हम अपनी गलती से भागते हैं, इसे छिपाते हैं, या सत्य के प्रती अपनी आँखों को बंद कर लेते हैंl परमेश्वर हमें अपने धर्मी मापदंड के हिसाब से निश्चित रूप से ज़िम्मेदार ठहरता है, लेकिन वह हमें देखता है (हमें खोजता है!) क्योंकि वह हमसे प्रेम करता है और यीशु मसीह के द्वारा क्षमा प्रदान करता हैl
अधिकता में या दुःख में
ऐन वोस्कईम्प की पुस्तक वन थाउजेंड गिफ्ट्स पाठकों को प्रभु ने उनके लिए क्या किया है, प्रतिदिन खोजने के लिए उत्साहित करती है l उसमें, वह रोजाना बड़ी और छोटी दोनों उपहारों में परमेश्वर की प्रचुर उदारता, जिसमें बरतन धोने वाले सिंक में साधारण बुलबुलों से लेकर पापियों के (और बाकी हम सब!) के अतुलनीय उद्धार की बात करती है l ऐन का तर्क है कि धन्यवाद ही वह कुंजी है जो जीवन के सबसे अशांत क्षणों में भी परमेश्वर को देखती है l
अय्यूब ऐसे “अशांत क्षणों” के जीवन के लिए लोकप्रिय है l वास्तव में, उसकी हानि गहरी और बहुत थी l अपने सभी पशुओं को खोने के कुछ ही क्षण बाद, उसे उसी समय अपने दसों बच्चों की मृत्यु का समाचार मिलता है l अय्यूब का अत्यधिक दुःख उसके प्रतिउत्तर में दिखाई देता है : वह “बागा फाड़, सिर [मुड़वाता है]” (1:20) l उसके दर्द भरे शब्द मुझे सोचने पर मजबूर करते हैं कि अय्यूब कृतज्ञता के अभ्यास को जानता था, क्योंकि वह स्वीकार करता है कि परमेश्वर ने उसे वह सब कुछ दिया था जो वह खो चुका था (पद.21) l इस तरह के अपमानजनक दुःख के बीच में वह और किस प्रकार उपासना कर सकता था?
दैनिक कृतज्ञता का अभ्यास हानि के मौसम में महसूस किये जानेवाले दुःख के परिणाम को मिटा नहीं सकता है l जिस तरह पुस्तक वर्णन करता है अय्यूब अपने दुःख में होकर प्रश्न और सामना करता रहा l किन्तु अपने लिए परमेश्वर की भलाइयाँ पहचानने पर - यहाँ तक कि छोटे तरीकों में भी – हम जीवन के अंधकारमय समयों में भी शक्तिशाली परमेश्वर के सामने उपासना में घुटना टेकने के लिए तैयार होते हैं l
मदद
हमारे बच्चों ने इदाहो की ठंडी सर्दियों में पीछे के आँगन में आइस-स्केटिंग दौड़ के रोमांच का आनंद उठाया है l बचपन में, स्केटिंग सीखना उनके लिए चुनौती थी : बर्फ के कठोर सतह पर जानबूझ कर पैर रखने के लिए उन्हें विवश करना कठिन था क्योंकि वे गिरने की पीड़ा जानते थे l हर समय उनके पैर फिसलने पर, हम दोनों पति-पत्नी उनको पैर पर सीधे खड़े होने औरउनके शरीर को सीधा करने में सहायता करते थे l
गिरने पर हमें उठानेवाले सहयोगी हाथ एक वरदान है जो सभोपदेशक की पुस्तक में दिखाई देता है l दूसरे के साथ मिलकर काम करना हमारे कार्य को और मधुर और अधिक प्रभावशाली बना देता है (4:9), और मित्र हमारे जीवनों को स्नेही बनाते हैं l चुनौतियों का सामना करते समय, किसी की व्यवहारिक और भावनात्मक सहायता से मदद मिलती है l ऐसे सम्बन्ध हमें शक्ति, उद्देश्य, और आराम देते हैं l
जब हम जीवन की कठिनायों के ठन्डे बर्फ पर खुद को पराजित पाते हैं, क्या कोई सहायता करनेवाला हाथ आपके निकट होता है? यदि हाँ, तो यह परमेश्वर की ओर से है l या जब किसी और को मित्र की ज़रूरत हो, क्या हम उनको उठाने के लिए परमेश्वर की ओर से उत्तर हैं? सहचर बनकर, हमें भी अक्सर सहयोगी मिल जाता है l यदि हमें उठाने वाला कोई नहीं है, हम इस बात में विश्राम पाते हैं कि परमेश्वर हमारा अति सहज से मिलनेवाला सहायक है (भजन 46:1) l जब हम उसे पुकारते हैं, वह अपनी मजबूत पकड़ से हमें थाम लेता है l