उद्देश्य के साथ आराम
रमेश दूसरों को यीशु के बारे में बताना पसंद करता है । वह साहसपूर्वक सहकर्मियों के साथ बात करता है, और हर महीने एक सप्ताह के अंत में अपने गांव में घर-घर जाकर प्रचार करता है । उनका उत्साह लगनेवाला है - खासकर जब से उसने आराम और विश्राम करने के लिए समय निकालने का मूल्य सीखा है ।
रमेश हर सप्ताहांत और अधिकांश शाम सुसमाचार के प्रचार में बिताता था । जब वह बाहर रहता था, तो उसकी पत्नी और बच्चों ने उसे याद करते थे,, और जब वह आसपास था, तो उन्होंने उसे थका हुआ पाया । उसे हर मिनट और बातचीत को महत्वपूर्ण बनाना था l वह खेल या छोटी सी बात का आनंद नहीं ले सकता था । रमेश कस कर जकड़ा हुआ था l
वह अपनी पत्नी के ईमानदार शब्दों, दोस्तों की सलाह और कुछ हद तक पवित्रशास्त्र के अस्पष्ट परिच्छेदों द्वारा अपने असंतुलन के प्रति जागृत हो गया था । नीतिवचन 30 साधारण बातों का उल्लेख करता है, जैसे चींटियाँ, बिज्जू और टिड्डियाँ । यह आचार्यचकित करता है कि "छिपकली हाथ से पकड़ी तो जाती है, तौभी राजभवनों में रहती है”(पद.28) ।
रमेश सोच रहा था कि कुछ साधारण चीजों ने बाइबल में जगह कैसे पाया l छिपकलियों को रुककर ध्यान से देखना पड़ता है l किसी ने महल के चारों ओर एक छिपकली को देखा और सोचा कि यह दिलचस्प है, और कुछ और देखने के लिए रुक गया । शायद परमेश्वर ने इसे अपने वचन में शामिल किया ताकि हमें आराम के साथ काम को संतुलित करने के लिए याद दिलाया जा सके । हमें छिपकलियों के बारे में कल्पना करने के लिए घंटों चाहिये, अपने बच्चों के साथ एक पकड़ें, और बस परिवार और दोस्तों के साथ आराम करें । परमेश्वर हमें ज्ञान दे कि हमें कब काम करना, सेवा करना और आराम करना है!
यह किसके लिए है?
तस्वीर ने मुझे जोर से हंसाया । भीड़ मार्ग में खड़ी होकर झंडे लहराते हुए, और कंफ़ेद्दी(confetti) फेंकते हुए अपने राजनीतिक नेता की प्रतीक्षा कर रही थी l सड़क के बीच में एक आवारा पिल्ला टहलता हुआ, मुस्कुराता हुआ दिखाई दे रहा था मानो जयकार पूरी तरह से उसके लिए था । हाँ! प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन के किसी न किसी समय में खुश होता है, और उसे इस प्रकार दिखायी देना चाहिये l
यह बहुत सुन्दर दिखता है जब एक पिल्ला “दिल जीत लेता है,” लेकिन दूसरे की प्रशंसा छीन लेना हमें नष्ट कर सकता है । डेविड यह जानता था, और उसने पानी पीने से इनकार कर दिया था जो उसके शक्तिशाली योद्धाओं ने पाने के लिए अपने जीवन को जोखिम में डाल दिया था । उसने उत्कंठा से कहा था कि यदि कोई बेतलहेम में कुएं से कोई पानी लाएगा तो यह बहुत अच्छा होगा । उसके तीन सैनिक उसे वस्तुतः समझ लिए l उन्होंने दुश्मन की सीमा-रेखाओं को तोड़ दिया, पानी निकाला, और उसे वापस ले गए । दाऊद उनकी भक्ति से अभिभूत था, और उसे आगे बढ़ाना था l उसने पानी पीने से इनकार कर दिया, लेकिन “यहोवा के सामने अर्घ करके उँडेला” (2 शमूएल 23:16) ।
हम प्रशंसा और सम्मान का जवाब कैसे देते हैं, हमारे बारे में बहुत कुछ कहता है । जब प्रशंसा दूसरों की ओर निर्देशित होती है, विशेष रूप से परमेश्वर, रास्ते से दूर रहें l परेड हमारे लिए नहीं है । जब सम्मान हमारी ओर निदेशित किया जाता है, तो उस व्यक्ति को धन्यवाद दें और फिर यीशु को सम्पूर्ण महिमा देते हुए उस प्रशंसा को बढ़ाएँ । "पानी" हमारे लिए भी नहीं है । धन्यवाद दीजिए, फिर उसे परमेश्वर को अर्घ करके चढ़ाएँ l
कभी पर्याप्त नहीं
फ्रैंक बोरमन ने चंद्रमा की परिक्रमा करने वाले पहले अंतरिक्ष मिशन की कमान संभाली । वह प्रभावित नहीं हुआ l दोनों तरफ से यात्रा में दो दिनों का समय लगा l फ्रैंक को गति-मिचली/रुग्णता(motion sickness) हो गई और उसको उलटी आ गयी l उन्होंने कहा कि तीस सेकंड के लिए वजन रहित होना अच्छा था । फिर उसे इसकी आदत हो गई । पास में उसने चंद्रमा को धूसर और गड्ढेदार पाया l उनके कर्मी दल ने धूसर बंजर भूमि की तस्वीरें लीं, फिर ऊब गए ।
फ्रैंक वहाँ गया जहाँ पहले कोई नहीं गया था । यह पर्याप्त नहीं था l यदि वह इस संसार के बाहर के एक अनुभव से जल्दी थक गया, तो शायद हमें इस बात की अपेक्षा कम करनी चाहिए कि इसमें क्या निहित है । सभोपदेशक के शिक्षक ने देखा कि कोई भी सांसारिक अनुभव परम आनन्द प्रदान नहीं करता है । “न तो आँखें देखने से तृप्त होती हैं, और न कान सुनने से भरते हैं” (1: 8) । हम परम आनंद के क्षणों को महसूस कर सकते हैं, लेकिन हमारा उत्साह जल्द ही मिट जाता है और हम अगले रोमांच की तलाश करते हैं ।
फ्रैंक के पास एक जीवनदायक क्षण था, जब उसने पृथ्वी को चंद्रमा के पीछे अंधेरे से उठते देखा । नीले और सफ़ेद घूमते हुए संगमरमर की तरह, हमारा संसार सूरज की रोशनी में चमकने लगा l इसी तरह, हमारी सच्ची खुशी पुत्र(Son) से आती है जो हम पर चमकता है l यीशु हमारा जीवन, अर्थ, प्रेम और सौंदर्य का एकमात्र अंतिम स्रोत है । हमारी गहरी संतुष्टि इस दुनिया से आती है । हमारी समस्या? हम चंद्रमा तक जा सकते हैं, फिर भी बहुत दूर नहीं जाते हैं l
मैं यहाँ कैसे पहुंचा?
तारा एयर कनाडा जेट विमान के अन्दर घोर अँधेरे में जागी l अभी भी अपनी सीट बेल्ट पहनी हुई, वह सो गई थी जबकि अन्य यात्री बाहर निकल गए और विमान को खड़ा कर दिया गया था l किसी ने उसे क्यों नहीं जगाया? वह यहां कैसे पहुंची? उसने अपने दिमाग के जालों को हटाया और याद करने की कोशिश की l
क्या आपने खुद को ऐसी जगह पाया है जिसकी आपने कभी उम्मीद नहीं की थी? आप इस बीमारी से ग्रस्त होने के लिए बहुत छोटे हैं, और यह लाइलाज है l आपकी अंतिम समीक्षा उत्कृष्ट थी; आपके पद को क्यों समाप्त किया जा रहा है? आप अपनी शादी के सबसे अच्छे वर्षों का आनंद ले रहे थे l अब आप एक अंशकालिक नौकरी के साथ एकल अभिभावक के रूप में फिर से शुरुआत कर रहे हैं l
मैं यहाँ कैसे पहुंचा? अय्यूब ने “राख पर” (अय्यूब 2:8) बैठ कर सोचा होगा l कुछ ही समय में, उसने पूरी तौर से अपने बच्चों, अपने धन और अपने स्वास्थ्य को खो दिया था l वह अनुमान नहीं लगा सकता था कि वह यहाँ कैसे पहुंचा; वह सिर्फ इतना जानता था कि उसे याद रखना है l
अय्यूब ने अपने सृष्टिकर्ता को याद किया और कि वह कितना अच्छा था l उसने अपनी पत्नी से कहा, “क्या हम जो परमेश्वर के हाथ से सुख लेते हैं, दुःख न लें? अय्यूब को याद था कि वह इस अच्छे परमेश्वर पर विश्वासयोग्य होने के लिए उस पर भरोसा कर सकता था l और उसने खेद प्रगट किया l वह स्वर्ग पर चिल्लाया l और वह आशा में विलाप किया, “मुझे निश्चय है कि मेरा छुड़ानेवाला जीवित है,” और कि “मैं शरीर में होकर [उसका] दर्शन करूँगा” (19:25-26) l अय्यूब आशा को थामे रहा जब उसने याद किया कि कहानी किस प्रकार शुरू हुई और कैसे समाप्त होती है l
सामान्य से परे अनुग्रह
विजय एक कानूनी फर्म/कंपनी के लिए काम करता था, जो सुरेश की कंपनी को सलाह देती थी l वे मित्र बन गए – जब तक कि विजय ने कंपनी से लाखों रूपयों का गबन नहीं कर लिया l सुरेश आहत और क्रोधित हुआ जब उसे पता चला, लेकिन उसने मसीह में विश्वास रखने वाले अपने मालिक से बुद्धिमान परामर्श प्राप्त किया l उसके मालिक ने देखा कि विजन बहुत शर्मिंदा और पश्चातापी था, और उसने सुरेश को आरोप मुक्त करने और विजय को नौकरी देने की सलाह दी l “उसे एक उचित वेतन का भुगतान करें ताकि वह वापस कर सके l आपके पास कभी भी अधिक आभारी, वफादार कर्मचारी नहीं होगा l” सुरेश ने किया, और विजय वफादार हुआ l
राजा शाऊल के पोते मपिबोशेत ने कुछ भी गलत नहीं किया था, लेकिन जब दाऊद राजा बना, तब वह एक कठिन जगह पर था l अधिकाँश राजाओं ने राजवंशों को घात किया l लेकिन दाऊद राजा शाऊल के बेटे योनातान से प्यार करता था, और उसके जीवित बेटे को अपना मानता था (देखें 2 शमूएल 9:1-13) l उसकी कृपा से जीवन भर के लिए एक दोस्त को जीत लिया l मपिबोशेत ने आश्चर्य किया कि “मेरे पिता का समस्त घराना तेरी ओर से प्राण दंड के योग्य था; परन्तु तू ने अपने दास को अपनी मेज पर खाने वालों में गिना है” (19:28) l वह दाऊद के प्रति तब भी वफादार रहा जब दाऊद के पुत्र अबशालोम ने दाऊद को यरूशलेम से भगाया (2 शमूएल 16:1-4; 19:24-30) l
क्या आप जीवन भर के लिए एक वफादार मित्र चाहते हैं? कोई जो असाधारण है आपको उसके लिए कुछ असाधारण करने की ज़रूरत हो सकती है l जब सामान्य ज्ञान दंड का चुनाव करता है, तो आप अनुग्रह का चुनाव करें l उन्हें जवाबदेह ठहराएं, लेकिन अयोग्य लोगों को सही बनने का मौका दें l आप कभी भी अधिक आभारी, समर्पित दोस्त नहीं पा सकते हैं l सामान्य से परे, अनुग्रह के साथ सोचें l
शायद मूर्तियाँ
सैम हर दिन दो बार अपना सेवानिवृत्ति खाता देखता है l उसने तीस साल तक बचत की, और एक बढ़ते शेयर बाजार के बढ़ने के साथ अंत में उसके पास रिटायर होने के लिए पर्याप्त है l जब तक स्टॉक डूबता नहीं है l इस डर से सैम को अपने बैलेंस(बाकी रकम) की चिंता रहती है l
यिर्मयाह ने इस बारे में चेतावनी दी : “हे यहूदा, जितने तेरे नगर हैं उतने ही तेरे देवता भी हैं; और यरूशलेम के निवासियों ने हर एक सड़क में उस लज्जापूर्ण बाल की वेदियाँ बनाकर उसके लिए धुप जलाया है” (11:13) l
यहूदा की मूर्तिपूजा उल्लेखनीय है l वे जानते थे कि प्रभु ही परमेश्वर था l वे किसी और की उपासना कैसे कर सकते थे? वे अपने होड़(bet) को सुरक्षित कर रहे थे l उन्हें भविष्य जीवन के लिए परमेश्वर की ज़रूरत थी, क्योंकि केवल सच्चा परमेश्वर ही उन्हें मृतकों में से जी उठा सकता था l लेकिन अब इसका क्या? गैर-यहूदी कथित ईश्वर स्वास्थ्य, धन और बहुतायत का वादा करते थे, इसलिए उनसे भी क्यों नहीं प्रार्थना की जाए, शायद?
क्या आप देख सकते हैं कि यहूदा की मूर्तिपूजा हमारी भी परीक्षा है? प्रतिभा, शिक्षा, और पैसा होना अच्छा है l लेकिन अगर हम सावधान नहीं होते हैं, तो हम अपना विश्वास उनके पास स्थानांतरित कर सकते हैं l हम जानते हैं कि हमारी मृत्यु के समय हमें परमेश्वर की आवश्यकता होगी, और हम उन्हें अभी हमें आशीष देने के लिए कहेंगे l लेकिन हम इन कमतर कथित ईश्वरों पर भी भरोसा करेंगे, शायद l
आपका भरोसा कहाँ है? बैक-अप(सहायक) भी तो मूर्तियाँ ही हैं l परमेश्वर के अनेक उपहारों के लिए धन्यवाद, और उसे बताएं कि आप उनमें से किसी पर भरोसा नहीं कर रहे हैं l आपका विश्वास सम्पूर्ण रूप से उस पर(परमेश्वर) है l
हटना
जब मेरे पास्टर ने हमारी कक्षा से यीशु के जीवन के बारे में एक कठिन सवाल पुछा, तो मेरे हाथ खड़े हो गए। मैंने उस कहानी को हाल ही में पढ़ी थी, इसलिए मैं इसे जानता था, और मेरी इच्छा थी कि कमरे में और भी जो लोग हैं उनको भी यह मालूम हो जाए कि मैं भी जानता था। आखिरकार, मैं एक बाइबल शिक्षक हूँ। उन सब के सामने असफल होना कितना लज्जाजनक होता! अब मैं शर्मिन्दिगी के भय से लज्जा महसूस की इसलिए मैंने अपना हाथ नीचे कर लिया। क्या मैं इतना असुरक्षित हूँ?
यूहन्ना बप्तिस्मा देनेवाला हमें और बेहतर मार्ग दिखाता है। जब उसके शिष्य शिकायत करने लगे कि लोग उसे छोड़कर यीशु का अनुसरण करने लगे हैं, यूहन्ना ने कहा कि वह यह सुनकर आनंदित है। वह केवल संदेशवाहक था। “मैं मसीह नहीं, परन्तु उसके आगे भेजा गया हूँ . . . कि वह बढ़े और मैं घटू” (3:28-30)। युहन्ना ने समझ लिया था कि उसके अस्तित्व का आशय यीशु था। वह ही है “जो ऊपर से आता है” और “सर्वोत्तम है” (पद.31)। – वह दिव्य पुत्र जिसने हम सब के लिए अपने आप को दे दिया और सम्पूर्ण महिमा और प्रसिद्धि उसे प्राप्त हो।
खुद की ओर किसी भी प्रकार का ध्यानाकर्षण हमें हमारे प्रभु से ध्यान भटकाता है और चूँकि वह हमारा एकमात्र उद्धारकर्ता है और संसार के लिए एकमात्र आशा है, जो भी श्रेय हम उससे चुराते हैं वह हमें नुक्सान पहुंचाता है।
चुनौती की ओर दौड़
डेविड ने उन युवकों का पीछा किया जो उसके निर्बल मित्र की बाइक चुरा रहे थे l उसके पास कोई योजना नहीं थी l वह केवल जानता था कि उसे वह बाइक वापस लाना ही है l वह चकित हुआ, तीनों चोर उसकी ओर देखे, बाइक छोड़ दिए, और वापस चले गए l डेविड को राहत राहत मिली और वह खुद से प्रभावित हुआ जब उसने बाइक उठाया और वापस मुड़ा l उसी समय उसने अपने मजबूत मित्र, संतोष को देखा, जो उसके निकट पीछे चल रहा था l
एलिशा घबरा गया जब उसने अपने शहर को एक दुश्मन सेना से घिरा हुआ देखा l वह एलिशा के पास भागा, “अरे नहीं, स्वामी! हमें क्या करना चाहिए?” एलिशा ने उसे शांत रहने को कहा l “जो हमारी ओर हैं, वह उन से अधिक हैं, जो उनकी ओर हैं l” तब परमेश्वर ने उसके सेवक की आँखें खोल दीं और उसने “एलिशा के चारों ओर का पहाड़ अग्निमय घोड़ों और रथों से भरा हुआ” देखा (पद. 15-17) l
यदि आप यीशु के पीछे चलने का यत्न करेंगे, तो आप अपने आप को कुछ खतरनाक स्थिति में पाएंगे l आप अपनी प्रतिष्ठा को जोखिम में डाल सकते हैं, और शायद अपनी सुरक्षा को भी, क्योंकि आपने सही करने का दृढ़ निश्चय किया है l आप यह सोचकर नींद खो सकते हैं कि इसका परिणाम क्या होगा l याद रखें, आप अकेले नहीं हैं l आपके सामने चुनौती से अधिक मजबूत या होशियार होने की ज़रूरत नहीं है l यीशु आपके साथ है, और उसकी शक्ति सभी विरोधियों से अधिक है l अपने आप से पौलुस के सवाल पूछें, “यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है? (रोमियों 8:31) l वाकई, कौन? कोई नहीं l परमेश्वर के साथ अपनी चुनौती की ओर दौड़ें l
मार्ग पर रहें
शाम होने लगी थी जब मैं मध्य चीन के पहाड़ों में कटे सोपानी दीवारों की चोटी के साथ-साथ ली बाओ के पीछे चला l मैं इस तरह के मार्ग पर पहले कभी नहीं चला था, और मैं एक से अधिक कदम आगे नहीं देख सकता था या हमारी बायीं ओर की धरती कितनी गहरी थी l मैं घूँट भरा और ली के अति निकट चला l मुझे नहीं पता था कि हम कहाँ जा रहे थे या इसमें कितना समय लगेगा, लेकिन मुझे अपने मित्र पर भरोसा था l
मैं थोमा के रूप में उसी स्थिति में था, शिष्य जो हमेशा आश्वास्त होने की ज़रूरत महसूस करता था l यीशु ने अपने शिष्यों से कहा कि उसे उनके लिए एक जगह तैयार करने के लिए जाना होगा और वे “वहाँ का मार्ग जानते [थे] कि [वह] कहाँ जा रहा [था]” (यूहन्ना 14:4) l थोमा ने एक तार्किक अनुवर्ती प्रश्न पूछा : “हे प्रभु, हम नहीं जानते कि तू कहाँ जा रहा है; तो मार्ग कैसे जानें?” (पद.5) l
यीशु ने थोमा के संदेह को यह समझाते हुए शांत नहीं किया कि वह उन्हें कहाँ ले जा रहा था l उसने बस अपने शिष्य को आश्वात किया कि वह ही वहाँ का मार्ग है l और इतना ही पर्याप्त था l
हमारे भविष्य को लेकर भी हमारे मन में प्रश्न हैं l हममें से कोई भी इस बात का विवरण नहीं जानता है कि आगे क्या है l जीवन उन घुमावों से भरा है जिन्हें हम आते देख नहीं सकते हैं l यह ठीक है l यह यीशु को जानने के लिए पर्याप्त है, जो “मार्ग और सत्य और जीवन है” (पद.6) l
यीशु जानता है कि आगे क्या है l वह केवल चाहता है कि हम उसके अति निकट चलें l