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Articles by शेरिडन योयता

कुछ भी करें

हाल ही के एक अंग्रेजी फिल्म में , एक स्व-घोषित “genius(अपूर्व बुद्धि का मनुष्य)” “दहशत, भ्रष्टाचार, अज्ञानता, और गरीबी” के बारे में कैमरा के सामने बड़बड़ाता है और जीवन को ईश्वरहीन और बेतुका घोषित करता है l हालाँकि ऐसे सोच कई आधुनिक फिल्म कथानक में असामान्य नहीं है, लेकिन रुचिकर यह है कि यह कहाँ ले जाता है l अंत में, मुख्य चरित्र दर्शकों की ओर मुड़ता है और हमें थोड़ी ख़ुशी पाने के लिए जो कुछ भी करना होता है उसे करने के लिए प्रेरित करता है l उसके लिए, इसमें पारंपरिक नैतिकता को पीछे छोड़ना शामिल है l
लेकिन “कुछ भी करें” क्या कामयाब होगा? जीवन की अपनी भयावहता पर अपनी खुद की निराशा का सामना करते हुए, पुराना नियम के सभोपदेशक के लेखक ने बहुत पहले यह कोशिश की थी कि आमोद प्रमोद (सभोपदेशक 2:1,10), भव्य कार्य योजनाएं (पद.4-6), धन (पद.7-9), और दार्शनिक जाँच-पड़ताल (पद.12-16) के माध्यम से ख़ुशी की तलाश की जाए l और उसका आंकलन? “सब कुछ व्यर्थ और वायु को पकड़ना है” पद.17) l इनमें से कोई भी चीज़ मृत्यु, आपदा, या अन्याय के लिए प्रतिरक्षा नहीं है (5:13-17) l
केवल एक ही चीज़ सभोपदेशक के लेखक को निराशा से वापस लाती है l जीवन के परीक्षणों के बावजूद, जब परमेश्वर हमारे रहें और काम करने का हिस्सा हॉट अहै, तो हम तृप्ति पा सकते हैं : “क्योंकि परमेश्वर से दूर रहकर, कौन व्यक्ति खा-पी सकता है?” ((Hindi-C.L.) l जीवन कई बार अर्थहीन लगेगा, लेकिन “अपने सृजनहार को स्मरण [रखें]” (12:1) l जीवन को समझने की कोशिश में खुद को न थ्काएं, लेकिन “परमेश्वर का भय [माने] और उसकी आज्ञाओं का पालन [करें] (पद.13) l
परमेश्वर को केंद्र में रखे बिना, जीवन के सुख और दुःख केवल मोहभंग की ओर ले जाते हैं l

चाक़ू स्वर्गदूत

जब यूनाइटेड किंगडम(यू.के.) में चाकू अपराध बढ़ गया, तो ब्रिटिश आएरनवर्क सेन्टर एक विचार लेकर आया l स्थानीय पुलिस बलों के साथ काम करते हुए, सेन्टर ने देश भर में दो सौ डिपाजिट बॉक्स बनाए और एक आम माफ़ी अभियान चलाया l एक लाख चाकू गुमनाम रूप से आत्मसमर्पण कर दिए गए, कुछ एक के धार पर अभी भी खून था l इसके बाद उन्हें कलाकार एल्फी ब्रैडली के पास भेज दिया गया, जिन्होंने कुछ चाकुओं के धार को भोथरा कर दिया, कुछ एक चाकुओं पर उन्होंने चाक़ू-अपराध से पीड़ित युवा शिकारों के नाम के साथ पूर्व-दोषियों के खेद सन्देश खुदवा दिए l उसके बाद सभी 100,000 चाकू जोड़कर एक चाकू स्वर्गदूत (Knife Angel) बनाया गया – झिलमिलाती स्टील के पंखों के साथ सत्ताईस फीट ऊंची स्वर्गदूत की मूर्ति l
जब मैं चाक़ू स्वर्गदूत (Knife Angel) के निकट खड़ा था, मैंने सोचा कि इसके अस्तित्व से  कई हज़ार घाव बनने से रुक गए l मैं भी यशायाह का नया आकाश और नयी पृथ्वी के दर्शन के विषय सोचा (यशायाह 65:17), एक स्थान जहाँ छोटे बच्चों की मृत्यु न होगी (पद.20) या अपराध उत्पन्न करनेवाली गरीब में उनका पालन पोषण नहीं होगा(पद.22-23), एक स्थान जहां चाक़ू अपराध अब नहीं है क्योंकि समस्त तलवारों को पुनः आकार दिया गया है और उनको और अधिक रचनात्मक उद्देश्य दिए गए हैं (2:4) l
वह नया संसार अभी यहाँ नहीं है, परन्तु हमें प्रार्थना करना है और उसके आने तक सेवा करना है (मत्ती 6:10) l उसके अपने तरीके में, यह चाक़ू स्वर्गदूत(Knife Angel) हमें परमेश्वर के प्रतिज्ञात भविष्य की झलक देता है l तलवार हल के फाल बन जाते है l हथियार कला कार्य बन जाते हैं l हम उस भविष्य की थोड़ी और झलक पाने के लिए कौन सी छुटकारा देनेवाली परियोजनाएँ पर विचार कर सकते हैं?

बिलकुल आपके समीप

यरूशलेम में एक डाक घर में हर दिन, कार्यकर्ता अवितरणीय चिट्ठियों के ढेर को इस प्रयास में छांटते हैं कि वे प्राप्तकर्ता तक पहुँच जाएं l उनमें से कई चिट्ठियाँ विशेष रूप से चिन्हित एक डिब्बा “परमेश्वर को भेजी गयी” में पहुँच जाती हैं l 

हर साल लगभग एक हज़ार ऐसे पत्र यरूशलेम पहुँचते हैं, जो बस परमेश्वर या यीशु को संबोधित होता है l उनके साथ क्या करना है, इससे हैरान होकर, एक कार्यकर्ता यरूशलेम की पश्चिमी दीवार तक पत्र ले जाने लगा ताकि उन्हें अन्य पत्रों के साथ पत्थर के खण्डों के बीच रख दे l अधिकांश पत्र नौकरी, जीवनसाथी या अच्छे स्वस्थ्य की मांग करते हैं l कुछ लोग क्षमा का अनुरोध करते हैं, अन्य केवल धन्यवाद देते हैं l एक व्यक्ति ने परमेश्वर से पुछा की क्या उसकी मृत पत्नी उसके सपनों में दिखाई दे सकती है क्योंकि वह उसे फिर से देखने के लिए तरस रहा है l प्रत्येक प्रेषक का मानना था कि परमेश्वर सुनेंगे, यदि केवल परमेश्वर तक पहुंचा जा सकता है l 

इस्राएलियों ने जंगल में यात्रा करते हुए बहुत कुछ सीखा l एक सबक यह था कि उनका परमेश्वर उस समय ज्ञात अन्य देवताओं की तरह नहीं था – जो दूर, बहरे, भौगोलिक रूप से सीमित हों, केवल लम्बी तीर्थयात्रा या अंतर्राष्ट्रीय मेल द्वारा पहुँच में हों l जब भी हम उससे प्रार्थना करते हैं, तो “हमारा परमेश्वर यहोवा,  . . . [हमारे समीप रहता है] (व्यवस्थाविवरण 4:7) l अन्य लोग क्या दावा कर सकते थे? यह क्रन्तिकारी समाचार था!

परमेश्वर यरूशलेम में निवास नहीं करता है l वह हमारे बहुत निकट है, हम जहां भी हैं l कुछ लोगों को अभी भी इस मौलिक सच्चाई को जानना है l काश उनमें से हर एक पत्र का जवाब दिया जा सकता : परमेश्वर आपके बिलकुल निकट है l तुरंत उससे बातें करें l 

दोबारा दोस्त

एक माँ और उसकी छोटी बेटी एक दिन चर्च में बैठे हैं l सेवा के दौरान, लोगों को सार्वजनिक रूप से परमेश्वर की क्षमा प्राप्त करने का अवसर दिया जाता है l हर बार जब कोई ऐसा करने के लिए आगे बढ़ता है, तो छोटी लड़की ताली बजाने लगती है l “मुझे खेद है, ”बाद में माँ ने कलीसिया के अगुआ से कहा, “मैंने अपनी बेटी को समझाया कि पश्चाताप हमें परमेश्वर के साथ फिर से दोस्त बनाता है, और वह केवल सभी के लिए आनंद मनाना  चाहती थी l

माँ के शब्द एक बच्चे के दिमाग के लिए सहज बनाया गया, सुसमाचार की एक अच्छी व्याख्या थी l एक समय परमेश्वर के शत्रु, मसीह की मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा उससे हमारा मेल हुआ है (रोमियों 5:9-10) lअब हम वास्तव में परमेश्वर के दोस्त हैं l चूँकि हम दोस्ती को तोड़ने वाले थे (पद.8), पश्चाताप बहाली प्रक्रिया को पूरा करने में हमारा हिस्सा है l और छोटी लड़की की प्रतिक्रिया इससे और बेहतर नहीं हो सकती थी l इसलिए कि एक व्यक्ति के पश्चाताप करने पर सम्पूर्ण स्वर्ग ताली बजाता है (लूका 15:10), तो वह अनजाने में उस प्रशंसा को प्रतिध्वनित कर रही थी l

यीशु ने अपने मेल करने के कार्य का समान शब्दों में वर्णन किए l“इससे बड़ा प्रेम किसी का नहीं कि कोई अपने मित्रों के लिए अपने प्राण दे” (यूहन्ना 15:13) l हमारे प्रति मित्रता के इस त्यागपूर्ण कार्य के परिणामस्वरूप, अब हम उसके मित्र हो सकते हैं l “मैं तुम्हें दास न कहूँगा . . . परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है” (15:15) l

एक समय परमेश्वर के शत्रु, अब हम परमेश्वर के मित्र हैं l यह एक अभिभूत करनेवाली सोच है l और ताली के लायक l

मृत्यु कतार आनंद

1985 में एंथोनी रे हिंटन पर दो रेस्तोरां प्रबंधकों की हत्या करने का आरोप लगाया गया था l यह एक बनायी हुयी बात थी – अपराध होने के समय वह मीलों दूर था – लेकिन उसे दोषी पाया गया और उसे मौत की सजा हुयी l मुक़दमे में, रे ने उन लोगों को माफ़ कर दिया, जिन्होंने उसके बारे में झूठ बोला था, यह कहते हुए कि इस अन्याय के बावजूद उन्हें ख़ुशी थी l उन्होंने कहा, “मेरी मृत्यु के बाद मैं स्वर्ग जा रहा हूँ l आप कहाँ जा रहे हैं?”

मृत्यु कतार में जीवन रे के लिए कठिन था l जब भी बिजली की कुर्सी का उपयोग दूसरों के लिए किया जाता था तो जेल की बत्तियां टिमटिमाती थी, जो आगे क्या होनेवाला है की भयानक याद दिलाती थी l रे ने एक झूठ पकड़ने वाले मशीने की जांच से भी गुज़रा परन्तु उसके परिणामों को नज़रंदाज़ कर दिया गया, कई अन्यायों में से एक जिसका उसने सामना किया जिसमें उसके मुकदमे की पुनः सुनवाई हो सकी l 

आख़िरकार 2015 में गुड फ्राइडे के दिन, रे की सजा को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया l वह लगभग तीस वर्षों से मौत की कतार में था l उसका जीवन परमेश्वर की सच्चाई के प्रति एक साक्षी है l यीशु पर उसके विश्वास के कारण, रे को अपने मुकदमे से परे भरोसा था (1 पतरस 1:3-5) और अन्याय के सामने अलौकिक आनंद का अनुभव हुआ (पद.8) l यह ख़ुशी जो मेरे पास है,” रे ने अपनी रिहाई के बाद कहा, “वे जेल में भी कभी उसे छीन नहीं सके l” इस प्रकार के आनंद ने उसके विश्वास को वास्तविक साबित कर दिया (पद.7-8) l 

मौत की कतार में आनंद? इसे गढ़ना कठिन है l यह हमें एक ऐसे परमेश्वर की ओर इशारा करता है, जो भले ही अनदेखा है और हमारे अपने कठिन अनुभव में थामने के लिए तैयार है l 

परमेश्वर के बराबर प्रेम

मैंने एक बार डोमिनिकन रिपब्लिक में सैंटो डोमिंगो के एक गरीब पड़ोस का दौरा किया l घरों को नालीदार लोहे से बनाया गया था, जिसके ऊपर बिजली के जीवित तार लटक रहे थे l वहाँ मुझे परिवारों का साक्षात्कार करने और यह सुनने का सौभाग्य मिला कि चर्च कैसे बेरोजगारी, नशीली दवाओं के उपयोग और अपराध का मुकाबला करने में मदद कर रहे थे l 

एक गली में मैं एक माँ और उसके बेटे का साक्षात्कार लेने के लिए एक छोटे कमरे में जाने के लिए एक छोटी सी सीढ़ी पर चढ़ गया l लेकिंग एक पल के बाद किसी ने कहा, “हमें अब चलना चाहिए l” एक हथियार-बनाने वाले गिरोह (machete-wielding gang) के नेता जाहिर तौर पर हम पर घात लगाकर आक्रमण करने के लिए एक भीढ़ इकठ्ठा कर रहे थे l 

हमने एक दूसरे पड़ोस का दौरा किया, लेकिन वहाँ हमें कोई समस्या नहीं थी l बाद में मुझे पता चला क्यों l जैसा कि मैंने प्रत्येक घर का दौरा किया, एक गैंग लीडर हमारी सुरक्षा के लिए बाहर खड़ा था l यह पता चला कि उनकी बेटी को चर्च द्वारा खिलाया और शिक्षित किया जा रहा था, और क्योंकि विश्वासी उस बेटी के साथ खड़े थे, वह हमारे पक्ष में खड़ा था l 

पहाड़ी उपदेश में, यीशु प्रेम का एक मानक प्रस्तुत करता है जो तुलना से परे है l इस तरह का प्यार न केवल “योग्य” बल्कि जो लायक नहीं हैं (मत्ती 5:43-45) को भी गले लगाता है, परिवार और दोस्तों से परे उन तक पहुँचने के लिए जो हमें प्यार नहीं कर सकते या बदले में प्यार नहीं करेंगे (पद.46-47) l यह परमेश्वर के बराबर प्रेम है (पद.48) – इस तरह का जो सभी को आशीषित करता है l 

जैसे कि सैंटो डोमिंगो में विश्वासियों ने इस प्यार को जीया है, पड़ोस में बदलाव आना शुरू हो गया है l कठिन हृदय उनके कारण स्नेही होने लगे हैं l परमेश्वर के बराबर प्रेम का शहर में आने पर यही होता है l 

रहस्यमय सहायक

लीला मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी(muscular dystrophy)- एक आनुवंशिक बीमारी - से पीड़ित है l एक दिन ट्रेन स्टेशन से निकलते समय उसे एक लिफ्ट या एस्कलेटर(स्वचालित सीढ़ियाँ) के बिना लम्बी सीढ़ियों का सामना करना पड़ा l रोने के कगार पर, लीला ने अचानक एक व्यक्ति को देखा जो आकर, उसके बैग को उठाते हुए धीरे-धीरे सीढ़ियों पर चढ़ने में उसकी सहायता की l जब वह धन्यवाद देने के लिए मुड़ी, वह जा चुका था l 

माइकल को बैठक के लिए देर हो चुकी थी l पहले से ही एक रिश्ते के टूटने से तनावग्रस्त था, और अब लन्दन के यातायात से निकलने के प्रयास में उसकी गाड़ी का टायर पन्चर हो गया l जब वह बारिश में असहाय खड़ा था, एक व्यक्ति भीड़ से बाहर निकला, पेटी खोलकर जैक के कार को ऊपर उठाया और पहिया बदल दिया l जब माइकल उसे धन्यवाद देने के लिए मुड़ा, वह जा चुका था l 

कौन थे ये रहस्यमय सहायक? दयालु अजनबी, या कुछ और?

प्रचलित या पंख वाले प्राणियों के रूप में हमारे पास स्वर्गदूतों की लोकप्रिय छवि केवल आधा सच है l जबकि कुछ इस के दिखाई देते हैं (यशायाह 6:2; मत्ती 28:3), अन्य लोग धूल भरे पैरों के साथ आते हैं, भोजन के लिए तैयार होते हैं (उत्पत्ति 18:1-5) और आसानी से उन्हें रोज़मर्रा के लोग समझ लिए जाने की भूल होती है (न्यायियों 13:16) l इब्रानियों के लेखक का कहना है कि अजनबियों को आतिथ्य दिखाने से, हम इसे महसूस किये बिना स्वर्गदूतों का सत्कार कर सकते हैं (13:2) l 

हम नहीं जानते कि लीला और माइकल के सहायक स्वर्गदूत थे या नहीं l परन्तु पवित्रशास्त्र के अनुसार, वे हो सकते हैं l स्वर्गदूत अभी इसी वक्त काम कर रहे हैं, परमेश्वर के लोगों की मदद कर रहे हैं (इब्रानियों 1:14) l और वे सड़क पर एक साधारण व्यक्ति के रूप में  दिखाई दे सकते हैं l 

बड़ा फेर-बदल

द कॉल ऑफ़ सर्विस(The Call of Service) पुस्तक में, लेखक रोबर्ट कोल्स, सेवा करने के हमारे कारणों की खोज करते हुए, एक वृद्ध महिला की दूसरों के लिए सेवा की मार्मिक कहानी बताते हैं l एक बस ड्राईवर के रूप में, उसने उन बच्चों की ओर बहुत ध्यान दिया, जिन्हें वह हर दिन स्कूल ले जाती थी – उन्हें होमवर्क पर क्विज करवाना और उनकी सफलताओं का जश्न मनाता l “मैं इन बच्चों को जीवन में सफल होते देखना चाहती हूँ,” उसने अपने प्रेरणा के बारे में कहा l लेकिन एक और कारण भी था l

एक युवा के रूप में, एक आंटी के शब्दों ने इस महिला को अन्दर तक झकझोर दिया था l उन्होंने कोल्स से कहा, “वह हमसे कहने वाली थी कि हमें कुछ ऐसा करना था जिसे परमेश्वर देख सकेगा, या फिर हम बड़े फेरबदल में खो जाएँगे!” फैसले की “बड़े फेरबदल” के बाद नरक की सम्भावना पर चिंतित, इस महिला ने “’परमेश्वर का ध्यान पाने” के लिए तरीके बनाए थे – चर्च जाना ताकि “वह मुझे निष्ठावान देखेगा” और दूसरों की सेवा करने के लिए कड़ी मेहनत करते हुए ताकि परमेश्वर ”जो मैं कर रही थी उसे दूसरों से सुन लेगा l”

मुझे उसकी बातें पढ़कर दुःख हुआ l कैसे इस प्रिय महिला को यह कभी नहीं पता था कि उसे पहले से ही परमेश्वर का ध्यान था? (मत्ती 10:30) l उसने यह कैसे नहीं सुना कि यीशु ने हमारे लिए बड़े फेरबदल का ध्यान रखा, हमेशा के लिए न्याय से आजादी की पेशकश की (रोमियों 8:1)? वह किसे चूक गयी थी कि माक्ष अच्छे कर्मों के साथ नहीं खरीदा जा सकता है, लेकिन जो विश्वास करता है यह उपहार उसके लिए है? (इफिसियों 2:8-9) l

यीशु का जीवन, मृत्यु और पुनरुत्थान हमारे भविष्य को परमेश्वर के साथ संभालते हैं और आनंद के साथ दूसरों की सेवा करने के लिए स्वतंत्र करते हैं l

नयी मानवता

जब मैं लन्दन की टेट मॉडर्न गैलरी(दीर्घा) का भ्रमण कर रहा था, तो कला के एक भाग ने मेरा ध्यान अपनी ओर खींचा l ब्राज़ील के कलाकार सिल्डो मेयिरलेस द्वारा बनाया गया, यह सैंकड़ो पुराने रेडियो से बना एक विशाल मीनार था l प्रत्येक रेडियो को चालु कर दिया गया था और हर एक से एक अलग स्टेशन बज रहा था, जिससे भ्रमित करनेवाला, अशोभनीय कोलाहलपूर्ण भाषण दिया जा रहा था l मेयिरलेस ने मूर्तिकला को बाबेल कहा l

शीर्षक उपयुक्त है l बाबेल के मूल मीनार पर, परमेश्वर ने मानव जाति की भाषाओं को भर्मित करके स्वर्ग को अपने कब्जे में करने के मानव जाति के प्रयास को विफल कर दिया (उत्पत्ति 11:1-9) l एक दूसरे के साथ संवाद करने में असफल, मानव जाति विभिन्न बोलियों की जातियों में विभाजित हो गयी (पद.10-26) l भाषा द्वारा विभाजित, हम उस समय से एक दूसरे को समझने में संघर्ष करते रहे हैं l

कहानी का दूसरा भाग है जब पवित्र आत्मा पिन्तेकुस्त के दिन पहले मसीहियों पर उतरा, तो उसने उस दिन यरूशलेम आने वालों की विभिन्न भाषाओं में परमेश्वर की स्तुति करने के लिए उन्हें सक्षम किया (प्रेरितों 2:1-12) l इस आश्चर्यकर्म के द्वारा, सभी ने एक ही सन्देश सुना, चाहे उनकी राष्ट्रीयता या भाषा कोई भी थी l बाबेल की गड़बड़ी उलट दी गयी थी l

जातीय और सांस्कृतिक विभाजन के संसार में, यह शुभ सन्देश है l यीशु के द्वारा, परमेश्वर प्रत्येक राष्ट्र, जनजाति और जीभ से एक नयी मानवता का गठन कर रहा है (प्रकाशितवाक्य 7:9) l जब मैं टेट मॉडर्न में खड़ा था, मैंने उन सभी रेडियो को अचानक एक नए संकेतक के लिए स्वर अनुकूल करने और कमरे में सभी के लिए एक ही गाना बजाने की कल्पना की : “फज़ल अजीब क्या खुश इलहान(Amazing Grace, how sweet the sound) l”