ट्रक ड्राईवर के हाथ
खबर भयभीत करनेवाला था l पहले से ही प्रोस्टेट(prostate) कैंसर से बच जाने के बाद, मेरे पिता को अब अग्नाशय(pancreas) के कैंसर का पता चला था । मामलों को जटिल बनाएँ, तो मेरे पिता मेरी माँ की पूर्णकालिक देखभाल करते हैं, उनकी स्वयं की पुरानी बीमारियों में सहायता करते हैं । माता-पिता दोनों को देखभाल की आवश्यकता के साथ, आगे कुछ कठिन दिन आनेवाले थे ।
उनके साथ रहने के लिए फ्लाइट से लौटने के बाद, मैं रविवार को अपने माता-पिता के चर्च गयी l वहाँ, एक व्यक्ति ने यह कहते हुए मुझसे संपर्क किया, कि वह मदद करना चाहता है । दो दिन बाद, यह आदमी एक कार्यसूची के साथ हमारे घर आया । "कीमोथेरेपी शुरू होने पर आपको कुछ भोजन की आवश्यकता होगी," उसने कहा । "मैं खाने की व्यवस्था कर दूँगा l घास कैसे काटी जाएगी? मैं कर सकता हूँ । और किस दिन आपका कूड़ा उठाया जाता है?” यह आदमी एक सेवानिवृत्त ट्रक ड्राइवर था, लेकिन हमारे लिए वह एक स्वर्गदूत बन गया । हमने पाया कि वह अक्सर दूसरों की मदद करता था जैसे अकेली माताएँ, बेघर और वृद्ध l
जबकि यीशु में विश्वासियों को दूसरों की मदद करने के लिए बुलाया गया है (लूका 10:25-37), कुछ लोगों के पास ऐसा करने की एक विशेष क्षमता होती है । प्रेरित पौलुस इसे दया का उपहार कहता है (रोमियों 12: 8)। यह उपहार प्राप्त लोग आवश्यकताओं को पहचान लेते हैं, व्यावहारिक सहायता देते हैं, और अभिभूत हुए बिना अधिक सेवा कर पाते हैं । पवित्र आत्मा द्वारा प्रेरित, ये मसीह के शरीर के हाथ हैं, जो हमारे घावों की देखभाल करते हैं (पद.4-5) ।
हाल ही में पिताजी का कीमोथेरेपी का पहला दिन था, और हमारे सहायक स्वर्गदूत ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया । उस रात मेरे माता-पिता का फ्रिज भोजन से भरा था ।
ट्रक ड्राइवर के हाथों से परमेश्वर की दया ।
देखने के लिए आँखें
मुझे हाल ही में एनामॉर्फिक/anamorphic(पारस्परिक रूप से लंबवत त्रिज्या के साथ विभिन्न ऑप्टिकल इमेजिंग प्रभाव का उत्पादन) कला के आश्चर्य का पता चला । यादृच्छिक/क्रम रहित भागों के वर्गीकरण के रूप में पहली बार दिखाई देने पर, एक एनामॉर्फिक मूर्तिकला केवल सही कोण से देखे जाने पर समझ में आता है । एक टुकड़े में, लम्बवत स्तंभों की एक श्रृंखला एक प्रसिद्ध नेता के चेहरे को प्रकट करने के लिए संरेखित हैं । दूसरे में, केबल(cable) का एक ढेर एक हाथी की रूपरेखा बन जाता है । तार द्वारा निलंबित सैकड़ों काले बिन्दुओं से बनी एक और कलाकृति, सही ढंग से देखने पर एक महिला की आंख बन जाती है । एनामॉर्फिक कला की कुंजी इसे विभिन्न कोणों से देखने की है जब तक कि इसका अर्थ सामने नहीं आता ।
इतिहास, कविता और ज्यादा के हजारों छंदों के साथ, बाइबल कभी-कभी समझने में कठिन हो सकती है । लेकिन पवित्रशास्त्र स्वयं हमें बताता है कि इसका अर्थ कैसे अनलॉक किया जाए। इसके साथ एक एनामॉर्फिक मूर्तिकला की तरह व्यवहार करें : इसे विभिन्न कोणों से देखें और इस पर गहराई से ध्यान दें ।
मसीह के दृष्टान्त इस तरह काम करते हैं । जो लोग उन पर ध्यान देते हैं उन्हें उनका अर्थ देखने के लिए “आँखें” मिलेंगी (मत्ती 13:10-16) l पौलुस ने तीमुथियुस को उसके शब्दों पर “ध्यान” देने के लिए कहा ताकि परमेश्वर उसे अंतर्दृष्टि दे (2 तीमुथियुस 2:7) । और भजन 119 में बार-बार आने वाले शब्द पवित्रशास्त्र पर ध्यान देने का वह तरीका है जिससे बुद्धिमत्ता और अंतर्दृष्टि आती है जिससे उसके अर्थ समझने के लिए हमारी आँखें खुलती हैं (119:18, 97–99) ।
एक सप्ताह तक एक दृष्टान्त पर विचार करना या एक बैठक में एक सुसमाचार पढ़ना कैसा रहेगा? सभी कोणों से एक पद पर विचार करने में कुछ समय बिताएं । गहराई में जाएँ । बाइबल की अंतर्दृष्टि, पवित्रशास्त्र पर ध्यान देने से आती है, न कि इसे केवल पढ़ने से l
हे परमेश्वर, हमें देखने के लिए आंखें दीजिये l
लिफ्ट की मरम्मत करना
सारा की एक दुर्लभ स्थिति है जो उसके जोड़ों के उखड़ने का कारण बनती है, जिससे वह बिजली के व्हीलचेयर पर निर्भर हो जाती है । हाल ही में एक बैठक में जाते समय, सारा अपनी व्हीलचेयर पर ट्रेन स्टेशन तक गयी लेकिन लिफ्ट टूटी हुई पाई । फिर । प्लेटफ़ॉर्म पर जाने का कोई रास्ता नहीं होने के कारण, उसे चालीस मिनट दूर दूसरे स्टेशन तक टैक्सी लेने के लिए कहा गया । टैक्सी बुलाई गई लेकिन वह नहीं आई । सारा हार मानकर घर चली गई ।
दुर्भाग्य से, यह सारा के लिए एक नियमित घटना है । टूटे लिफ्ट उसे ट्रेनों पर चढ़ने से रोकते हैं, भूली हुई चल सीढ़ियाँ उसे उतरने में असमर्थ छोड़ देती हैं । कभी-कभी रेलवे कर्मचारी सारा को सहायता की ज़रूरत के कारण परेशानी मानते हैं l वह अक्सर रोने लगती है l
मानव संबंधों को नियंत्रित करने वाले कई बाइबल नियमावलियों में से, "अपने पड़ोसी को अपने समान प्रेम रख” कुंजी है (लैव्यव्यवस्था 19:18; रोमियों 13: 8–10) । और जबकि यह प्रेम हमें झूठ बोलने, चोरी करने और दूसरों को गाली देने से रोकता है (लैव्यव्यवस्था 19:11,14), यह हमारे काम करने के तरीके को भी बदलता है l कर्मचारियों के साथ उचित व्यवहार किया जाना चाहिए (पद.13), और हम सभी को गरीबों के प्रति उदार होना चाहिए (पद.9–10) । सारा के मामले में, जो लिफ्ट को ठीक करते हैं और चल सीढ़ियों को बाहर खींचते हैं, वे असंगत कार्य नहीं करते हैं, लेकिन दूसरों को महत्वपूर्ण सेवा प्रदान करते हैं ।
अगर हम काम को केवल मजदूरी या अन्य व्यक्तिगत लाभ के साधन के रूप में मानते हैं, तो हम जल्द ही दूसरों को झुंझलाहट के रूप में मानेंगे । लेकिन अगर हम अपनी नौकरियों को प्रेम के अवसरों के रूप में मानते हैं, तो अधिकतर रोजमर्रा का काम एक पवित्र उद्यम बन जाता है ।
प्रेम किया गया, खुबसूरत, वरदान प्राप्त
मोहन एक किशोर के रूप में आत्मविश्वास से भरा दिखाई दिया l लेकिन यह आत्मविश्वास एक मुखौटा था l सच में, एक अशांत घर ने उसे भयभीत, स्वीकृति के लिए बेताब, और अपने परिवार की समस्याओं के लिए गलत तरीके से जिम्मेदार महसूस कराया l “जहां तक मुझे याद है,” वह कहता है, “हर सुबह मैं बाथरूम में जाता था, आईने में देखता हूँ, और खुद से ज़ोर से कहता था, ‘तुम मुर्ख हो, तुम बदसूरत हो, और यह तुम्हारी गलती है l’”
मोहन का स्वयं से नफरत तब तक जारी रहा, जब तक वह इक्कीस वर्ष का नहीं हो गया, जब उसे यीशु में अपनी पहचान का एक दिव्य रहस्योद्घाटन मिला’ l “मुझे एहसास हुआ कि ईश्वर मुझे बिना शर्त प्यार करता है और कोई भी इसे कभी नहीं बदलेगा,” वह याद करता है l “मैं ईश्वर को कभी शर्मिन्दा नहीं कर सकता था, और वह मुझे कभी भी अस्वीकार नहीं करने वाला था l” आखिरकार, मोहन ने आईने में देखा और खुद से अलग बात की l “तुमको प्यार किया जाता है, तुम विशेष हो, तुम प्रतिभाशाली हो,” उसने कहा, “और यह तुम्हारी गलती नहीं है l”
मोहन का अनुभव बताता है कि यीशु में विशवास करने वाले के लिए परमेश्वर की आत्मा क्या करती है – वह यह प्रगट करके कि हमसे कितनी गहराई से प्रेम किया जाता है हमें भयमुक्त करता है (रोमियों 8:15, 38-39), और पुष्टि करता है कि हम उन सभी लाभों के साथ परमेश्वर के बच्चे हैं जो वह स्थिति लाती है (8:16-17; 12:6-8) l परिणामस्वरूप, हम अपनी सोच को नूतन करके (12:2-3) खुद को सही ढंग से देखना शुरू कर सकते हैं l
वर्षों बाद, मोहन अभी भी उन शब्दों को हर दिन फुसफुसाता है, परमेश्वर जो कहता है कि वह कौन है को दृढ़ करता है l पिता की नज़रों में उससे प्यार किया जाता है, सुन्दर है, और प्रतिभाशाली है l और इसलिए हम हैं l
नवीकृत सामर्थ्य
एक मनोचिकित्सक ने एक बार उन लोगों में एक नमूना(pattern) देखा जो दूसरों की सेवा करते समय हिम्मत हार जाते हैं l पहली चेतावनी संकेत थकावट है l इसके बाद स्थिति कभी नहीं सुधरेगी के विषय चिड़चिड़ापन आता है, उसके बाद कड़वाहट, निराशा, अवसाद, और अंततः हिम्मत हार जाना l
टूटे सपनों से उबरने के बारे में एक किताब लिखने के बाद, मैं सम्मेलन में भाषण देने के एक व्यस्त काल में प्रवेश किया l निराशा के बाद भी लोगों को आशा पाने में मदद करना बड़े पैमाने पर लाभदायक था, लेकिन यह कीमत देने पर मिला l एक दिन, मंच पर कदम रखते समय, मुझे लगा जैसे मैं बेहोश हो जाऊँगा l मैं अच्छी तरह से सोया नहीं था, एक छुट्टी ने मुझे थकान से बाहर नहीं निकाला था, और दूसरे व्यक्ति की समस्याओं को सुनने के विचार ने बाद में मुझे भय से भर दिया l मनोचिकित्सक ने जिस नमूने का वर्णन किया था मैं उसी का अनुसरण कर रहा था l
पवित्रशास्त्र हिम्मत हारने की स्थिति पर जय प्राप्त करने के लिए दो रणनीतियाँ बताता है l यशायाह 40 में, थकी हुई आत्मा नवीकृत होती है जब वह प्रभु में आशा रखती है (पद.29-31) मुझे परमेश्वर में विश्राम करने की ज़रूरत थी, अपनी घटती ताकत से बल लगाने की बजाए काम करने के लिए उस पर निर्भर होना था l और भजन 103 कहता है कि परमेश्वर हमारी लालसाओं को उत्तम पदार्थों से तृप्त करता है (पद.5) l जबकि इसमें क्षमा और छुटकारा शामिल है (पद.3-4), आनंद का प्रावधान और अच्छा समय भी उसी की ओर से आते हैं l जब मैंने अपने दिनचर्या को पुनः ठीक करके उसमें अधिक प्रार्थना, विश्राम, और फोटोग्राफी की तरह के शौक शामिल किये, मैं फिर से स्वस्थ्य महसूस करने लगा l
हार मान लेना थकान से आरम्भ होता है l इसे आगे बढ़ने से रोक दें l हम दूसरों की उत्तम सेवा तब करते हैं जब हमारे जीवन में आराधना और विश्राम दोनों होंगे l
फिर से धड़कना आरम्भ करो
2012 में एक अमेरिकी संगीत समूह ने “बीट योर हार्ट टू बीट अगेन” गीत रिलीज किया l यह हार्ट सर्जन की सच्ची कहानी से प्रेरित था l एक मरीज के हृदय को ठीक करने के लिए निकालने के बाद, सर्जन ने उसे फिर से उसके सीने में रखकर उसमें जीवन लाने के लिए उसे धीरे से मालिश करना शुरू किया l लेकिन हृदय फिर से नहीं धड़क रहा था l अधिक गहन उपायों का पालन किया गया, लेकिन हृदय अभी भी धड़क नहीं रहा था l अंत में, सर्जन बेहोश रोगी के बगल में झुक गया और उससे बोला : “मिस जॉनसन, यह आपका सर्जन है l ऑपरेशन पूरी रीति से सफल हुआ है l आपका हृदय ठीक कर दिया गया है l अब आप अपने हृदय को फिर से धड़कने के लिए कहें l” उसका हृदय धड़कने लगा l
यह विचार कि हम अपने शारीरिक हृदय को कुछ करने के लिए कह सकते हैं, अजीब लग सकता है, लेकिन इसमें आध्यात्मिक समानताएं हैं l “हे मेरे प्राण, तू क्यों गिरा जाता है?” भजनकार खुद से कहता है l “परमेश्वर पर आशा लगाए रख” (भजन 42:5) “तू अपने विश्रामस्थान में लौट आ,” एक और भजन कहता है, “क्योंकि यहोवा ने तेरा उपकार किया है” (116:7) l इस्राएल के शत्रुओं को युद्ध में पराजित करने के बाद, न्यायी, दबोरा ने खुलासा किया कि उसने भी युद्ध के दौरान अपने हृदय से बात की थी l उसने उससे कहा था, “हे मन, हियाव बांधे आगे बढ़” (न्यायियों 5:21), क्योंकि प्रभु ने विजय की प्रतिज्ञा की थी (4:6-7) l
हमारे सक्षम सर्जन ने हमारे हृदय को ठीक किया है (भजन 103:3) l इसलिए जब डर, अवसाद, या निंदा आती है, तो शायद हमें भी अपनी आत्माओं को संबोधित करना चाहिये और कहना चाहिये : आगे बढ़ो! मजबूत बनो! कमजोर हृदय, फिर से धड़कना शुरू करो l
कुछ भी करें
हाल ही के एक अंग्रेजी फिल्म में , एक स्व-घोषित “genius(अपूर्व बुद्धि का मनुष्य)” “दहशत, भ्रष्टाचार, अज्ञानता, और गरीबी” के बारे में कैमरा के सामने बड़बड़ाता है और जीवन को ईश्वरहीन और बेतुका घोषित करता है l हालाँकि ऐसे सोच कई आधुनिक फिल्म कथानक में असामान्य नहीं है, लेकिन रुचिकर यह है कि यह कहाँ ले जाता है l अंत में, मुख्य चरित्र दर्शकों की ओर मुड़ता है और हमें थोड़ी ख़ुशी पाने के लिए जो कुछ भी करना होता है उसे करने के लिए प्रेरित करता है l उसके लिए, इसमें पारंपरिक नैतिकता को पीछे छोड़ना शामिल है l
लेकिन “कुछ भी करें” क्या कामयाब होगा? जीवन की अपनी भयावहता पर अपनी खुद की निराशा का सामना करते हुए, पुराना नियम के सभोपदेशक के लेखक ने बहुत पहले यह कोशिश की थी कि आमोद प्रमोद (सभोपदेशक 2:1,10), भव्य कार्य योजनाएं (पद.4-6), धन (पद.7-9), और दार्शनिक जाँच-पड़ताल (पद.12-16) के माध्यम से ख़ुशी की तलाश की जाए l और उसका आंकलन? “सब कुछ व्यर्थ और वायु को पकड़ना है” पद.17) l इनमें से कोई भी चीज़ मृत्यु, आपदा, या अन्याय के लिए प्रतिरक्षा नहीं है (5:13-17) l
केवल एक ही चीज़ सभोपदेशक के लेखक को निराशा से वापस लाती है l जीवन के परीक्षणों के बावजूद, जब परमेश्वर हमारे रहें और काम करने का हिस्सा हॉट अहै, तो हम तृप्ति पा सकते हैं : “क्योंकि परमेश्वर से दूर रहकर, कौन व्यक्ति खा-पी सकता है?” ((Hindi-C.L.) l जीवन कई बार अर्थहीन लगेगा, लेकिन “अपने सृजनहार को स्मरण [रखें]” (12:1) l जीवन को समझने की कोशिश में खुद को न थ्काएं, लेकिन “परमेश्वर का भय [माने] और उसकी आज्ञाओं का पालन [करें] (पद.13) l
परमेश्वर को केंद्र में रखे बिना, जीवन के सुख और दुःख केवल मोहभंग की ओर ले जाते हैं l
चाक़ू स्वर्गदूत
जब यूनाइटेड किंगडम(यू.के.) में चाकू अपराध बढ़ गया, तो ब्रिटिश आएरनवर्क सेन्टर एक विचार लेकर आया l स्थानीय पुलिस बलों के साथ काम करते हुए, सेन्टर ने देश भर में दो सौ डिपाजिट बॉक्स बनाए और एक आम माफ़ी अभियान चलाया l एक लाख चाकू गुमनाम रूप से आत्मसमर्पण कर दिए गए, कुछ एक के धार पर अभी भी खून था l इसके बाद उन्हें कलाकार एल्फी ब्रैडली के पास भेज दिया गया, जिन्होंने कुछ चाकुओं के धार को भोथरा कर दिया, कुछ एक चाकुओं पर उन्होंने चाक़ू-अपराध से पीड़ित युवा शिकारों के नाम के साथ पूर्व-दोषियों के खेद सन्देश खुदवा दिए l उसके बाद सभी 100,000 चाकू जोड़कर एक चाकू स्वर्गदूत (Knife Angel) बनाया गया – झिलमिलाती स्टील के पंखों के साथ सत्ताईस फीट ऊंची स्वर्गदूत की मूर्ति l
जब मैं चाक़ू स्वर्गदूत (Knife Angel) के निकट खड़ा था, मैंने सोचा कि इसके अस्तित्व से कई हज़ार घाव बनने से रुक गए l मैं भी यशायाह का नया आकाश और नयी पृथ्वी के दर्शन के विषय सोचा (यशायाह 65:17), एक स्थान जहाँ छोटे बच्चों की मृत्यु न होगी (पद.20) या अपराध उत्पन्न करनेवाली गरीब में उनका पालन पोषण नहीं होगा(पद.22-23), एक स्थान जहां चाक़ू अपराध अब नहीं है क्योंकि समस्त तलवारों को पुनः आकार दिया गया है और उनको और अधिक रचनात्मक उद्देश्य दिए गए हैं (2:4) l
वह नया संसार अभी यहाँ नहीं है, परन्तु हमें प्रार्थना करना है और उसके आने तक सेवा करना है (मत्ती 6:10) l उसके अपने तरीके में, यह चाक़ू स्वर्गदूत(Knife Angel) हमें परमेश्वर के प्रतिज्ञात भविष्य की झलक देता है l तलवार हल के फाल बन जाते है l हथियार कला कार्य बन जाते हैं l हम उस भविष्य की थोड़ी और झलक पाने के लिए कौन सी छुटकारा देनेवाली परियोजनाएँ पर विचार कर सकते हैं?
बिलकुल आपके समीप
यरूशलेम में एक डाक घर में हर दिन, कार्यकर्ता अवितरणीय चिट्ठियों के ढेर को इस प्रयास में छांटते हैं कि वे प्राप्तकर्ता तक पहुँच जाएं l उनमें से कई चिट्ठियाँ विशेष रूप से चिन्हित एक डिब्बा “परमेश्वर को भेजी गयी” में पहुँच जाती हैं l
हर साल लगभग एक हज़ार ऐसे पत्र यरूशलेम पहुँचते हैं, जो बस परमेश्वर या यीशु को संबोधित होता है l उनके साथ क्या करना है, इससे हैरान होकर, एक कार्यकर्ता यरूशलेम की पश्चिमी दीवार तक पत्र ले जाने लगा ताकि उन्हें अन्य पत्रों के साथ पत्थर के खण्डों के बीच रख दे l अधिकांश पत्र नौकरी, जीवनसाथी या अच्छे स्वस्थ्य की मांग करते हैं l कुछ लोग क्षमा का अनुरोध करते हैं, अन्य केवल धन्यवाद देते हैं l एक व्यक्ति ने परमेश्वर से पुछा की क्या उसकी मृत पत्नी उसके सपनों में दिखाई दे सकती है क्योंकि वह उसे फिर से देखने के लिए तरस रहा है l प्रत्येक प्रेषक का मानना था कि परमेश्वर सुनेंगे, यदि केवल परमेश्वर तक पहुंचा जा सकता है l
इस्राएलियों ने जंगल में यात्रा करते हुए बहुत कुछ सीखा l एक सबक यह था कि उनका परमेश्वर उस समय ज्ञात अन्य देवताओं की तरह नहीं था – जो दूर, बहरे, भौगोलिक रूप से सीमित हों, केवल लम्बी तीर्थयात्रा या अंतर्राष्ट्रीय मेल द्वारा पहुँच में हों l जब भी हम उससे प्रार्थना करते हैं, तो “हमारा परमेश्वर यहोवा, . . . [हमारे समीप रहता है] (व्यवस्थाविवरण 4:7) l अन्य लोग क्या दावा कर सकते थे? यह क्रन्तिकारी समाचार था!
परमेश्वर यरूशलेम में निवास नहीं करता है l वह हमारे बहुत निकट है, हम जहां भी हैं l कुछ लोगों को अभी भी इस मौलिक सच्चाई को जानना है l काश उनमें से हर एक पत्र का जवाब दिया जा सकता : परमेश्वर आपके बिलकुल निकट है l तुरंत उससे बातें करें l