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Articles by टिम गस्टफसन

यीशु अनुकरण करने के योग्य है

 
रोनित एक धार्मिक लेकिन गैर मसीही परिवार से आती है। उनकी आत्मिक चर्चाएं बड़ी ही नीरस व सैद्धान्तिक होती थी। उसने बाइबल का अध्ययन करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे, लगातार, वह यीशु में मसीहा के रूप में विश्वास की ओर बढ़ती गई। रोनित उस निर्णायक क्षण का वर्णन करते हैं: "मैंने अपने दिल में एक स्पष्ट आवाज़ सुनी, जो कह रही थी 'तुमने बहुत कुछ सुन लिया है। तुमने बहुत कुछ देख लिया है। अब बस विश्वास करने का समय है।'" लेकिन रोनित को एक समस्या का सामना करना पड़ा: उसके पिता। "मेरे पिता ने इस तरह प्रतिक्रिया व्यक्त की जैसे माउंट वेसुवियस फट गया हो," वह याद करती हैं 
 
जब यीशु इस पृथ्वी पर चलते थे तो उनके पीछे भीड़ चलती थी (लूका 14:25) हमें स्पष्ट रूप से पता नहीं है कि भीड़ क्या ढूंढ रही थी, परंतु यीशु चेलों की तलाश में था । और उसके लिए कीमत चुकानी पड़ती है । “यदि कोई मेरे पास आए, और अपने पिता और माता और पत्नी और बच्‍चों और भाइयों और बहिनों वरन् अपने प्राण को भी अप्रिय न जाने, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता", यीशु ने कहा (पद 26)। उसने एक गढ़ बनाने के विषय कहानी कही । "पहले बैठकर खर्च न जोड़े....? उसने पूछा (पद 28)। यीशु का मतलब अपने परिवार से घृणा करना नहीं था परंतु यह कहना चाह रहे थे कि इन सबसे बढ़कर हमें उसका चुनाव करना है । उन्होंने कहा, "तुम में से जो कोई अपना सब कुछ त्याग न दे, वह मेरा चेला नहीं हो सकता"(पद 33)। 
 
रोनित अपने परिवार को बहुत प्रेम करती हैं फिर भी उसने कहा चाहे कितनी भी कीमत क्यों ना हो मैंने जान लिया है कि वह योग्य है। यीशु आपका मार्गदर्शन कर रहे हैं तो उनका अनुसरण करने के लिए आपको क्या त्यागने की आवश्यकता हो सकती है? 
- टिम गुस्ताफ़सन  
 

मैं कौन हूँ?

किज़ोम्बो बैठा कैम्प फयर(camp fire) देख रहा था और अपने जीवन के बहुत बड़े प्रश्नों पर विचार कर रहा था। मैंने क्या हासिल किया है? उसने सोचा। और बहुत ही जल्दी उसे उत्तर मिला: वास्तव में बहुत ज्यादा नहीं। वह अपनी जन्म भूमि पर वापस आ गया था, उस स्कूल में सेवा कर रहा था जिसे उसके पिता ने वर्षावन (rain forest) में शुरू किया था। वह अपने पिता की दो गृहयुद्धों से बचने की सशक्त कहानी भी लिखने की कोशिश कर रहा था। मैं यह सब करने की कोशिश करने वाला कौन होता हूं? 
किज़ोम्बो की शंकाएँ मूसा की तरह लगती हैं। परमेश्वर ने हाल में मूसा को एक मिशन दिया था: "इसलिए मैं तुझे फ़िरौन के पास भेजता हूँ कि तू मेरी इसराएली प्रजा को मिस्र से निकल ले आए" (निर्गमन 3:10)। मूसा ने उत्तर दिया, "मैं कौन हूँ?" (पद-11) मूसा के कुछ कमजोर बहाने के बाद, परमेश्वर ने उससे पूछा, "तेरे हाथ में वह क्या है?" वह एक लाठी थी (4:2) परमेश्वर के निर्देश पर, मूसा ने उसे ज़मीन पर फेंक दिया। लाठी सांप बन गया. अपनी स्वाभाविक प्रवृत्ति के विरुद्ध, मूसा ने उसे उठाया। और फिर से, वह एक लाठी बन गयी (पद- 4)। परमेश्वर की शक्ति में, मूसा फिरौन का सामना कर सकता था। उसके हाथ में वस्तुतः मिस्र के "देवताओं" में से एक - एक साँप-था। मिस्र के देवता एक सच्चे परमेश्वर के लिए कोई ख़तरा नहीं थे।  
किज़ोम्बो ने मूसा के बारे में सोचा, और उसे परमेश्वर का उत्तर महसूस हुआ: तुम्हारे पास मैं और मेरा वचन है। उसने उन दोस्तों के बारे में भी सोचा जिन्होंने उसे अपने पिता की कहानी लिखने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि अन्य लोग उसके जीवन में परमेश्वर की शक्ति के बारे में जान सकें। वह अकेला नहीं था। अपने आप में, हमारा सर्वोत्तम प्रयास भी अपर्याप्त हैं। लेकिन हम उस परमेश्वर की सेवा करते हैं जो कहता है, “निश्चय मैं तेरे संग रहूंगा।" (3:12)। 
-टिम  गुस्ताफसन 

सभी उत्तर

डेल अर्नहार्ड्ट जूनियर उस भयानक क्षण का वर्णन करते हैं जब उन्हें एहसास हुआ कि उनके पिता चले गए हैं। मोटर रेसिंग के दिग्गज डेल अर्नहार्ड सीनियर की डेटोना 500 के अंत में एक भयानक दुर्घटना में मौत हो गई थी - एक दौड़ जिसमें डेल जूनियर ने भी भाग लिया था। युवा अर्नहार्ड्ट ने कहा, मुझ में से ऐसा शोर आ रहा है कि मैं यह नहीं कर सकता। यह सदमे दुःख और भय की आवाज है। और फिर एकाकी सत्य यह है कि: “अब मुझे यह स्वयं ही करना होगा।” अर्नहार्ड्ट जूनियर ने बताया कि पिताजी का होना एक सहायक पत्र (cheat sheet) जैसा था। पिताजी का होना सभी उत्तरों को जानने जैसा था। 
यीशु के शिष्यों ने सभी उत्तरों के लिए उसकी सहायता लेना सीख लिया था। सूली पर चढ़ाये जाने की पूर्व संध्या पर उसने उन्हें आश्वासन दिया कि वह उन्हें अकेला नहीं छोड़ेगा। यीशु ने कहा, “मैं पिता से विनती करूंगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा जो तुम्हारी सहायता करेगा और सदैव तुम्हारे साथ रहेगा – सत्य का आत्मा” (यूहन्ना 14:16–17)। यीशु ने वह सांत्वना उन सभी को दी जो उस पर विश्वास करेंगे। उन्होंने कहा, “यदि कोई मुझ से प्रेम रखे तो वह मेरे वचन को मानेगा, और मेरा पिता उस से प्रेम रखेगा, और हम उसके पास आएंगे, और उसके साथ वास करेंगे।” (पद 23)। 
जो लोग मसीह का अनुसरण करना चुनते हैं उनके भीतर आत्मा है जो उन्हें सभी चीजें सिखाता है और उन्हें यीशु द्वारा सिखाई गई हर चीज की याद दिलाता है (पद 26)। हमारे पास सभी उत्तर नहीं हैं, लेकिन हमारे पास उसकी आत्मा है जो यह सब करता है।। 
 —टिम गुस्टाफ़सन 

सब कुछ खोना

समय इससे बुरा नहीं हो सकता था। पुल, स्मारक और बड़ी इमारतों की इंजीनियरिंग करके थोड़ा-बहुत पैसा कमाने के बाद, सीज़र के मन में एक नया काम शुरू करने की इच्छा थी। इसलिए उसने अपना पहला व्यवसाय बेच दिया और पैसे बैंक में जमा कर दिए, और जल्द ही उसे फिर से निवेश करने की योजना बनाई। उस छोटी सी अवधि के दौरान, उसकी सरकार ने निजी बैंक खातों में रखी सभी संपत्तियों को जब्त कर लिया। एक पल में, सीज़र की जीवन भर की बचत खत्म हो गई। अन्याय को शिकायत का कारण न मानते हुए, सीज़र ने परमेश्वर से आगे का रास्ता दिखाने के लिए कहा। और फिर—उसने बस फिर से शुरुआत की 
एक भयानक पल में, अय्यूब ने अपनी संपत्ति से कहीं अधिक खो दिया l उसने अपने अधिकाँश सेवकों और अपने सभी बच्चों को खो दिया (अय्यूब 1:13-22) l फिर उसका स्वास्थ्य बिगड़ गया (2:7-8) l अय्यूब की प्रतिक्रिया अय्यूब की प्रतिक्रिया हमारे लिए एक चिरस्थायी उदाहरण बनी हुई है। l उसने प्रार्थना की, “मैं अपनी माँ के पेट से नंगा निकला और वहीं नंगा लौट जाऊँगा; यहोवा ने दिया और यहोवा ही ने लिया; यहोवा का नाम धन्य है” (1:21) l अध्याय समाप्त होता है, “इन सब बातों में भी अय्यूब ने न तो पाप किया, और न परमेश्वर पर मुर्खता से दोष लगाया” (पद.22) l   
अय्यूब की तरह, सीज़र ने परमेश्वर पर भरोसा करके कुछ ही वर्षों में अधिक सफल व्यवसाय खड़ा कर लिया l उसकी कहानी अय्यूब के परिणाम के समान है (देखें अय्यूब 42) l लेकिन भले ही सीज़र कभी भी आर्थिक रूप से ठीक नहीं हुआ, वह जानता था कि उसका असली खज़ाना वैसे भी इस पृथ्वी पर नहीं था (मत्ती 6:19-20) l वह अभी भी ईश्वर पर भरोसा करता रहेगा l  
—टिम गुस्ताफ़सन 

आसानी से कमाया जाने वाला धन

 
1700वे शतक के अंत में, एक युवक ने कनाडा के नोवा स्कोटिया के ओक द्वीप पर एक रहस्यमय गडढ़े की खोज की। यह अनुमान लगाते हुए कि समुद्री लुटेरों ने — शायद कैप्टन किड ने भी — वहाँ खजाना गाड़ दिया होगा, उसने और कुछ साथियों ने वहां पर खुदाई शुरू की। पर उन्हें कभी कोई ख़ज़ाना नहीं मिला, लेकिन अफवाह सब जगह फैल गई। सदियों से, अन्य लोगों ने उस जगह पर खुदाई करना जारी रखा: इसमें बहुत अधिक समय और धन खर्च हुआ। गड्ढा अब सौ फुट (तीस मीटर) से अधिक गहरा है। 
इस तरह के जुनून मानव हृदय में खालीपन को प्रकट करते हैं। बाइबल की एक कहानी दिखाती है कि कैसे एक आदमी के व्यवहार से उसके दिल में ऐसी ही एक शून्यता प्रकट हुई। गेहजी लंबे समय से महान भविष्यद्वक्ता एलीशा का विश्वसनीय सेवक था। लेकिन जब एलीशा ने एक सेनापति के, जिसे परमेश्वर ने कुष्ठ रोग से चंगा किया था, भव्य उपहारों को अस्वीकार कर दिया, तो गेहजी ने लूट में से कुछ पाने के लिए एक कहानी गढ़ी (2 राजा 5:22)। जब गेहजी घर लौटा, तो उसने नबी से झूठ बोला (पद 25)। परन्तु एलीशा जानता था। उस ने उस से पूछा, “जब वह पुरूष तुझ से भेंट करने को अपके रथ पर से उतरा, तब क्या मेरा आत्मा तेरे साथ न था? (पद 26)। अंत में, गेहजी को वह मिल गया जो वह चाहता था, परन्तु जो महत्वपूर्ण था उसने उसे खो दिया (पद 27)। 
यीशु ने हमें इस दुनिया के खज़ाने का पीछा नहीं करने और इसके बजाय “स्वर्ग में धन इकट्ठा करने की शिक्षा दी।” (मत्ती 6:20)। अपने दिल की इच्छाओं के लिए किसी भी शॉर्टकट (जुगाड़) से सावधान रहें। यीशु का अनुसरण करना, खालीपन को किसी वास्तविक चीज़ से भरने का तरीका है। 

चुराए गए देवता

 
एक नक्काशीदार लकड़ी की आकृति—एक घरेलू देवता—एकुवा नाम की एक महिला से चुराई गई थी, इसलिए उसने अधिकारियों को इसकी सूचना दी। यह मानते हुए कि उन्हें मूर्ति मिल गई है, कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने उसे पहचानने के लिए आमंत्रित किया। "क्या यह तुम्हारा परमेश्वर है?" उन्होंने पूछा। उसने उदास होकर कहा, "नहीं, मेरा परमेश्वर इससे कहीं बड़ा और सुंदर है।" 
लोगों ने लंबे समय से देवता की अपनी अवधारणा को आकार देने की कोशिश की है, इस उम्मीद में कि एक हाथ से बनाया गया देवता उनकी रक्षा करेगा। शायद इसीलिए याकूब की पत्नी राहेल ने लाबान से भागते समय "अपने पिता के घर के देवताओं को चुरा लिया" (उत्पत्ति 31:19)। परन्तु याकूब के डेरे में मूरतें छिपी होने के बावजूद परमेश्वर का हाथ उसके ऊपर था (पद 34)।  
बाद में, उसी यात्रा में, याकूब पूरी रात "एक पुरुष" के साथ मल्लयुद्ध करता रहा (32:24)। वह समझ गया होगा कि यह विरोधी एक मनुष्य नहीं था, क्योंकि भोर में याकूब ने जोर देकर कहा, "जब तक तू मुझे आशीर्वाद न दे, तब तक मैं तुझे जाने न दूंगा" (पद. 26)। उस व्यक्ति ने उसका नाम बदलकर इस्राएल ("परमेश्वर युद्ध करता है") रखा और फिर उसे आशीष दी (पद. 28-29) । तब याकूब ने यह कह कर उस स्थान का नाम पनीएल ("परमेश्‍वर का मुख") रखा: कि परमेश्वर को आम्हने साम्हने देखने पर भी मेरा प्राण बच गया है (पद. 30)। यह परमेश्वर—एक सच्चा परमेश्वर—इकुवा की किसी भी कल्पना से कहीं अधिक बड़ा और अधिक सुंदर है। उसे गढ़ा, चुराया या छिपाया नहीं जा सकता। फिर भी, जैसे याकूब ने उस रात सीखा, हम उसके पास जा सकते हैं! यीशु ने अपने शिष्यों को इस परमेश्वर को "स्वर्ग में हमारा पिता" कहना सिखाया (मत्ती 6:9)। 

परमेश्वर के पास अन्य योजनाएँ थीं

उनकी सटीक उम्र अज्ञात हैl एक चर्च की सीढ़ियों पर मिली थी; दूसरी को केवल इतना पता था कि उसे ननों(nuns) ने पाला थाl द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पोलैंड में जन्मी, लगभग अस्सी वर्षों तक न तो हेलिना और न ही क्रिस्टीना एक-दूसरे के बारे में जानती थीं l तब डी.एन.ए(DNA) परीक्षण के परिणामों ने उन्हें बहनें होने का खुलासा किया और एक सुखद पुनर्मिलन हुआl इसने उनकी यहूदी पैतृकी को भी प्रकट किया, यह समझाते हुए कि उन्हें क्यों छोड़ दिया गया था l दुष्ट लोगों ने केवल लड़कियों की पहचान के कारण उन्हें मृत्यु के लिए चिन्हित किया थाI 

एक भयभीत माँ की कल्पना करना जो अपने डरे हुए बच्चों को वहां छोड़ देती है जहाँ उन्हें बचाया जा सकता था, मूसा की कहानी याद दिलाता है l एक इब्रानी बच्चे के रूप में, उसे जातिसंहार(genocide) के लिए चिन्हित किया गया था (देखें निर्गमन 1:22) l उसकी माँ ने युक्तिपूर्ण रूप से उसे नील नदी(2:3) में रखा, जिससे उसे जीवित रहने का मौका मिल सकता था l परमेश्वर के पास एक योजना थी जिसका वह सपना भी नहीं देख सकती थी—मूसा के द्वारा अपने लोगों को बचाने कीl 

मूसा की कहानी हमें यीशु की कहानी की ओर इशारा करती है l जैसे फिरौन इब्री लड़कों की हत्या करना चाहता था, वैसे ही हेरोदेस ने बैतलहम में सभी बच्चों को मारने का आदेश दिया थाI (मत्ती 2:13-16) 

ऐसी सभी घृणा के पीछे—खासकर बच्चों का —हमारा शत्रु शैतान है l ऐसी हिंसा से परमेश्वर आश्चर्य में नहीं पड़ता l उसके पास मूसा के लिए योजनाएँ थीं, और उसके पास आपके और मेरे लिए भी योजनाएँ हैं l और अपने पुत्र,यीशु के द्वारा, उसने अपनी सबसे बड़ी योजना को प्रकट किया—उन्हें बचाने और पुनर्स्थापित करने के लिए जो कभी उसके शत्रु थे l 

निर्णायक समिति 8

“एक आदमी मर गया है। एक और आदमी का जीवन दांव पर है," न्यायधीश ने 1957 की क्लासिक फिल्म 12 एंग्री मेन (हिंदी में एक रूका हुआ फैसला के रूप में भी रीमेक) में गंभीरता से कहा। युवा संदिग्ध के खिलाफ सबूत बहुत गंभीर प्रतीत होते हैं। लेकिन विचार-विमर्श के दौरान, यह निर्णायक समिति का अलगाव है जो सामने आता है। बारह में से एक—निर्णायक सदस्य संख्या 8— " निर्दोष” का मत(वोट) देता हैI एक गरमागरम बहस शुरू हो जाती है, जिसमें एकमात्र निर्णायक सदस्य का मज़ाक उड़ाया जाता है क्योंकि वह गवाही में विसंगतियों को इंगित करता है। भावनाएँ बढ़ती हैं, और निर्णायक सदस्यों की अपनी जानलेवा और पूर्वाग्रही प्रवृत्तियाँ सामने आती हैं। एक-एक करके निर्णायक सदस्यों ने अपने मत(वोट) को “निर्दोष” होने के लिए बदल दिया।

जब परमेश्वर ने इस्राएल के नए राष्ट्र को अपने निर्देश दिए, तो उसने सच्चे साहस पर जोर दिया। "जब तू किसी मुकद्दमे में गवाही दे," परमेश्वर ने कहा, "भीड़ का पक्ष करके न्याय बिगाड़ने की साक्षी न देना" (निर्गमन 23:2) दिलचस्प बात यह है कि अदालत को न तो "गरीब का पक्ष लेना" था (पद. 3) और न ही "अपने दरिद्र लोगों का न्याय चुकाना" (पद. 6) परमेश्वर, धर्मी न्यायी है जो हमारी सारी कार्यवाहियों में हमारी खराई चाहता है।

12 एंग्री मेन में, मत (वोट) देने वाले दूसरे निर्णायक सदस्य ने पहले सदस्य के बारे में कहा, "दूसरों के उपहास को सहते हुए उनके विरूद्ध अकेले खड़े रहना आसान नहीं है।" फिर भी परमेश्वर यही चाहता है। निर्णायक सदस्य नंबर 8 ने वास्तविक साक्ष्य के साथ-साथ परीक्षण पर व्यक्ति की मानवता को देखा। पवित्र आत्मा के कोमल/सौम्य मार्गदर्शन से, हम भी परमेश्वर के सत्य के लिए खड़े हो सकते हैं और शक्तिहीन के लिए आवाज़ उठा /बोल सकते हैं।

हृदय परेशानी

“क्या आप इसे देखते हैं, भाई टिम?”  मेरे मित्र, घाना के एक पादरी ने मिट्टी की झोपड़ी की ओर झुकी हुई एक नक्काशीदार वस्तु पर अपनी टार्च की रोशनी डाली। उसने चुपचाप कहा, “वह गाँव की मूर्ति है।”प्रत्येक मंगलवार की शाम, पादरी सैम, इस सुदूर गाँव में बाइबल साझा करने के लिए  इस झाड़ी में जाता था।

यहेजकेल की पुस्तक में, हम देखते हैं कि कैसे मूर्तिपूजा ने यहूदा के लोगों को नष्ट   किया। जब यरूशलेम के अगुवे यहेजकेल भविष्यद्वक्ता से मिलने आएए तो परमेश्वर ने उससे कहा, “इन लोगों ने अपने मन में मूरतें गढ़ी हैं” (14:3)। परमेश्वर उन्हें केवल लकड़ी और पत्थर से तराशी गई मूर्तियों के विरुद्ध चेतावनी नहीं दे रहा था। वह उन्हें बता  रहा था कि  मूर्तिपूजा दिल की समस्या है। हम सब इससे जूझते हैं।

बाइबिल शिक्षक एलिस्टेयर बेग एक मूर्ति का वर्णन इस प्रकार करते हैं— “परमेश्वर के अलावा और कुछ भी, जिसे हम अपनी शांति, अपनी आत्म–छवि, अपनी  संतुष्टि, या  अपनी स्वीकार्यता के लिए आवश्यक मानते हैं।”  यहां तक कि  जो चीजें देखने में भली लगती हैं वे भी हमारे लिए मूर्ति बन सकती हैं। जब हम जीवित परमेश्वर के अलावा किसी और चीज में आराम या आत्म सम्मान की तलाश करते हैं, तो हम मूर्तिपूजा करते हैं।

“पश्चाताप!” परमेश्वर ने कहा। “अपनी मूरतों से फिरो और अपने सब घिनौने कामों को त्याग दो!” (पद 6)। इस्राइल ऐसा करने में असमर्थ साबित हुआ। शुक्र है, परमेश्वर के पास इसका समाधान था। मसीह के आने और पवित्र आत्मा के उपहार की प्रतीक्षा करते हुए, उसने प्रतिज्ञा की, “मैं तुम्हें नया मन दूंगा, और तुम में नई आत्मा डालूंगा” (36:26) । यह हम अकेले नहीं कर सकते।