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Articles by टिम गस्टफसन

क्रिसमस के समय प्रश्न

कैलेंडर में दिसम्बर माह आने से पहले ही, हमारे उत्तरी शहर में क्रिसमस की खुशियों के बुलबुले फूटने लगते हैं l एक चिकित्सा ऑफिस अपने परिसर के पेड़ों और झाड़ियों को अलग-अलग रंगों की बत्तियों से सजा देता है, जिससे आसपास का परिदृश्य रोशन होकर लुभावना दिखाई देता है l एक और व्यवसाय अपनी इमारत को एक विशाल, असाधारण रूप से क्रिसमस के उपहारों से लिपटा हुआ दिखने के लिए सजाते हैं l क्रिसमस की भावना हर जगह दिखाई देती है – या कम से कम मौसमी व्यापार तो दिखाई देता ही है l

कुछ लोग इन भव्य प्रदर्शनों को पसंद करते हैं l दूसरों के दृष्टिकोण आलोचनात्मक होते हैं l किन्तु महत्वपूर्ण सवाल यह नहीं है कि दूसरे क्रिसमस को किस दृष्टि से देखते हैं l इसके बजाए, हममें से प्रत्येक को यह विचार करने की ज़रूरत है कि उस्तव हमारे लिए क्या अर्थ रखता है l

यीशु ने अपने जन्म से तीस वर्ष से थोड़ा अधिक समय बाद अपने शिष्यों से पूछा, “लोग मनुष्य के पुत्र को क्या कहते हैं?” (मत्ती 16:13) l उन्होंने दूसरों के प्रतिउत्तर दोहराए : यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला, एलिय्याह, और संभवतः कोई और नबी l उसके बाद यीशु ने उस प्रश्न को व्यक्तिगत बनाया : “परन्तु तुम मुझे क्या कहते हो?” (पद.15) l पतरस ने उत्तर दिया, “तू जीवते परमेश्वर का पुत्र मसीह है” (पद.16) l

इस वर्ष, अनेक लोग इस विचार के बिना कि बालक कौन है, क्रिसमस मनाएंगे l जब हम उनसे बातचीत करते हैं, हम उनको इन महत्वपूर्ण प्रश्नों पर विचार करने में सहायता कर सकते हैं : क्या क्रिसमस गौशाले में एक बच्चे के जन्म के विषय हृदय को आनंदित करनेवाली कहानी है? या सृष्टिकर्ता वास्तव में अपनी सृष्टि में आकर हमारे समान ही बन गया?

गलत पक्ष?

घाना, टेकिमैन को जानेवाला पुल बह गया, तानो नदी के उस पार न्यू क्रोबो के निवासी फंस गए l टेकिमैन में पास्टर शमूएल अप्पैयाह की कलीसिया की उपस्थिति घट गयी क्योंकि अधिकतर सदस्य न्यू क्रोबो में ही रहते थे - नदी के "गलत" तरफ l
संकट के मध्य, पास्टर सैम और भी अनाथों की देखभाल के लिए चर्च के वच्चों के होम को बढ़ा रहे थे l इसलिए उन्होंने प्रार्थना की l उसके बाद उनका चर्च न्यू क्रोबो में नदी के उस पार आउटडोर सभाओं को प्रायोजित किया l जल्द ही वे यीशु में नए विश्वासियों को बपतिस्मा दे रहे थे l एक नया चर्च स्थापित होने लगा l केवल यही नहीं, न्यू क्रोबो के चर्च के पास प्रतीक्षा कर रहे अनाथों की देखभाल करने के लिए स्थान भी था l परमेश्वर संकट के समय अपना दृढ़ करनेवाला कार्य बढ़ा रहा था l
जब पौलुस ने खुद को स्वतंत्रता के विपरीत "पक्ष" की ओर पाया, उसने अपनी स्थिति पर आँसू नहीं बहाए l फिलिप्पी के चर्च को एक सशक्त पत्री में, उसने लिखा, "हे भाइयों [और बहनों], कि तुम यह जान लो कि मुझ पर जो बीता है, उससे सुसमाचार ही की बढ़ती हुयी है" (फिलिप्पियों 1:12) l पौलुस ने ध्यान दिया कि किस प्रकार उसकी कैद से "राजभवन की सारी पलटन" मसीह के विषय जान पायी है (पद.13) l और दूसरों को यीशु का सुसमाचार सुनाने का ढाढ़स मिला है (पद.14) l
बाधाओं के बावजूद, पास्टर सैम और प्रेरित पौलुस ने परमेश्वर को उनके संकट में नए मार्ग दिखाते हुए पाया l आज हमारी चुनौतीपूर्ण स्थितियों में परमेश्वर क्या कर रहा है?

अब तक राजा

एक न्यूज़ रिपोर्ट ने इसे संबोधित किया “मसीहियों के लिए दशकों में एक सबसे प्राणघातक दिन l” अप्रैल 2017 में रविवारीय आराधकों पर हमले हमारी समझ को चुनौती देते हैं l हम आराधनालय में रक्तपात को समझाने में असफल हैं l किन्तु इस प्रकार की पीड़ा को अच्छी तरह समझने वालों से हम थोड़ी सहायता ले सकते हैं l
आसाप द्वारा भजन 74 लिखने के समय यरूशलेम के अधिकतर लोग निर्वासन में थे या उनकी हत्या कर दी गयी थी l वह अपने हृदय का शोक दर्शाते हुए, कठोर आक्रमणकारियों के हाथों मंदिर का विनाश वर्णन करता है l “तेरे द्रोही तेरे पवित्स्थान के बीच गरजते रहे हैं,” आसाप ने कहा (पद.4) l “उन्होंने तेरे पवित्रस्थान को आग में झोंक दिया है, और तेरे नाम के निवास को गिराकर अशुद्ध कर डाला है” (पद.7) l
फिर भी, भजनकार ने इस भयंकर वास्तविकता के होते हुए खड़े होने के लिए एक स्थान ढूंढ़ लिया अर्थात् वह उत्साह देता है कि हम भी ऐसा कर सकते हैं l “आसाप ने निर्णय किया, “परमेश्वर तो प्राचीनकाल से मेरा राजा है, वह पृथ्वी पर उद्धार के काम करता आया है” (पद.12) l यद्यपि उस क्षण उसका उद्धार उसे अनुपस्थित दिखाई दे रहा था, इस सच्चाई ने आसाप को परमेश्वर के महान सामर्थ्य की प्रशंसा करने में योग्य बनाया l “आसाप ने प्रार्थना की, “अपनी वाचा की सुधि ले; . . . पिसे हुए जन को अपमानित होकर लौटना न पड़े; दीन और दरिद्र लोग तेरे नाम की स्तुति करने पाएँ” (पद.20-21) l
जब न्याय और करुणा अनुपस्थित महसूस हों, परमेश्वर का प्रेम और सामर्थ्य किसी भी तरह से क्षीण नहीं होते हैं l आसाप के साथ, हम भरोसे के साथ कह सकते हैं, “किन्तु परमेश्वर . . . मेरा राजा है l”

शांति कहाँ है?

“क्याआप अभी भी शांति की आशा करते हैं” 1984 में एक संवाददाता ने बॉब डिलन (एक अमरीकी गायक, गीतकार, संगीतकार) से पूछा l
“कोई शांति नहीं होगी,” डिलन ने उत्तर दिया l उसके उत्तर की आलोचना हुयी, फिर भी यह इनकार नहीं किया जा सकता कि शांति निरंतर दुष्प्राप्य है l
मसीह से 600 वर्ष पूर्व, अधिकतर नबी शांति की भविष्वाणी कर रहे थे l परमेश्वर का नबी उनमें से एक नहीं था l यिर्मयाह ने लोगों को स्मरण दिलाया कि परमेश्वर ने कहा है, “मेरे वचन को मानो, तब मैं तुम्हारा परमेश्वर हूँगा, और तुम मेरी प्रजा ठहरोगे” (यिर्मयाह 7:23) l फिर भी बार-बार उन्होंने प्रभु और उसकी आज्ञाओं की अवहेलना की l उनके झूठे नबियों ने कहा, “शांति है, शांति” (8:11), किन्तु यिर्मयाह ने विनाश की नबूवत की l ई.पु. 586 में यरूशलेम नष्ट हो गया l
शांति दुर्लभ है l किन्तु यिर्मयाह की खौफनाक नबुवतों के मध्य हम निरंतर एक प्रेम करनेवाले परमेश्वर को देखते हैं l प्रभु ने अपने अवज्ञाकारी लोगों से कहा, “मैं तुम से सदा प्रेम रखता आया हूँ . . . मैं तुझे फिर बसाऊंगा” (31:3-4) l
परमेश्वर प्रेम और शांति का परमेश्वर है l उसके प्रति हमारे विद्रोह के कारण विरोध उत्पन्न होता है l पाप संसार की शांति को नष्ट करता है और हमारी भीतरी शांति छीन लेता है l यीशु हमारे संसार में हमें परमेश्वर से मिलाने और हमें वही भीतरी शांति देने आया l पौलुस ने लिखा, “इसलिए विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराए जाकर अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर से हमारा मेल है” (रोमियों 5:1) l उसके लिखे शब्द सबसे अधिक आशा से पूर्ण हैं l
चाहे हम प्रतिरोधक क्षेत्र में रहते हों या शांत पड़ोस में जहां लड़ाई की फुसफुसाहट मात्र भी न हो, मसीह हमें अपनी शांति देने के लिए आमंत्रित करता है l

परमेश्वर की लुकटी

एक घबरायी हुयी सेविका सबसे छोटे बच्चों को जलते हुए घर से निकालकर बाहर भागी l निकलते समय उसने पाँच वर्ष के जैकी को उसके पीछे आने के लिए आवाज़ लगायी l
किन्तु जैकी पीछे से नहीं आया l बाहर, अपने मित्र के कंधे पर सवार एक तमाशाई ने शीघ्रता से प्रतिक्रिया किया l उसने ऊपर की खिड़की तक पहुँचकर, छत गिरने से पहले, जैकी को सुरक्षित बचा लिया l उसकी माँ सुसन्ना बोली, “छोटा जैकी “आग से निकाली हुयी [ब्रांड] लुकटी है l”  आप को यह मालूम हो कि वह “ब्रांड” चलता फिरता प्रचारक जॉन वेस्ली था (1703-1791) l
सुसन्ना वेस्ली जकर्याह का सन्दर्भ दे रही थी, ऐसा नबी जिसने परमेश्वर के चरित्र पर मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान किया l वह नबी प्राप्त एक दर्शन का वर्णन करते हुए, हमें एक न्याय कक्ष के दृश्य में ले चलता है जहाँ शैतान महायाजक यहोशू के निकट खड़ा है (3:1) l शैतान यहोशू पर आरोप लगाता है, किन्तु प्रभु शैतान को डांटते हुए कहता है, “क्या यह आग से निकाली हुयी [ब्रांड] लुकटी सी नहीं है?” (पद.2) l प्रभु यहोशू से कहते हैं, “मैं ने तेरा अधर्म दूर किया है, और मैं तुझे सुन्दर वस्त्र पहिना देता हूँ” (पद.4) l
उसके बाद प्रभु ने यहोशू को यह चुनौती दी और एक अवसर भी : “यदि तू मेरे मार्गों पर चले, और जो कुछ मैं ने तुझे सौंप दिया है उसकी रक्षा करे, तो तू मेरे भवन का न्यायी और मेरे आंगनों का रक्षक होगा” (पद.4) l
यह यीशु में हमारे विश्वास द्वारा परमेश्वर से प्राप्त वरदान का कितना सुन्दर तस्वीर है! वह हमें आग से खींच कर बाहर निकालकर, शुद्ध करता है और जब हम पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन का अनुसरण करते हैं, वह हमारे अन्दर काम करता है l आप हमें आग से निकाले हुए परमेश्वर का ब्राण्ड संबोधित कर सकते हैं l  

यह मछली के विषय नहीं है

मिगालू, पहला असाधारण कुबड़ा व्हेल(albino humpback whale) है जो कई बार ऑस्ट्रेलिया के साउथ क्वीन्सलैंड तट के निकट दिखाई दिया है l ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने इस चालीस फीट से अधिक लम्बे दुर्लभ विशाल प्राणी को सुरक्षित रखने के लिए एक कानून भी  बनाया है l

बाइबल हमें एक दुर्लभ “महामच्छ” के विषय बताती है जिसे परमेश्वर ने एक भगेड़ू नबी को निगलने के लिए बनाया था (योना 1:17) l अधिकतर लोग यह कहानी जानते हैं l परमेश्वर ने योना से न्याय का एक सन्देश नीनवे वासियों को बताने को कहा l लेकिन योना को नीनवे वासियों से, जो इब्रियों और सभी के साथ क्रूरता के लिए विख्यात थे, कुछ लेना-देना नहीं था l इसलिए वह भाग गया l स्थिति बिगड़ गयी l महामच्छ के पेट में, योना ने पश्चाताप किया l आखिर में वह नीनवे के लोगों में प्रचार किया, और उन्होंने भी मन फिराया (3:5-10) l

महान कहानी, ठीक है न? सिवाय इसके कि यह यहाँ पर समाप्त नहीं होती है l जब नीनवे ने मन फिराया, योना खिझ गया l “उसने प्रार्थना की, “क्या मैं यही बात न कहता था? मैं जानता था कि तू अनुग्रहकारी और दयालु परमेश्वर है, और विलम्ब से कोप करनेवाला करुनानिधान है” (4:2) l एक निश्चित मृत्यु से बचा लिए जाने के बाद, योना का पाप से भरा क्रोध बढ़कर आत्मघाती बन गया (पद.3) l

योना की कहानी मछली की कहानी नहीं है l यह मानवीय स्वभाव और परमेश्वर के स्वभाव के विषय है जो हमें विवश करता है l प्रेरित पतरस लिखता है, “[प्रभु] तुम्हारे विषय में धीरज धरता है, और नहीं चाहता कि कोई नष्ट हो, वरन् यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले” (2 पतरस 3:9) l परमेश्वर क्रूर नीनवे वासियों, खिझने वाले नबी, और आपके और मेरे ऊपर प्रेम दर्शाता है l

ऑफिसर मिग्लियो का हृदय

पीछे वहाँ पुलिस थाने में, थके हुए ऑफिसर मिग्लियो दीवार से टिक गए l एक घरेलु हिंसा के निबटारे में उनकी ड्यूटी का आधा समय निकल चुका था l उस घटना के परिणामस्वरूप एक प्रेमी(बॉयफ्रेंड) हिरासत में, और एक जवान लड़की आपातकालीन कक्ष में थी, और एक विचलित माँ सोच रही थी कि यह सब कैसे हो गया l ऑफिसर को इस मामले को सुलझाने में बहुत समय देना था l

उनके सार्जेंट ने उनसे सहानुभूति से बोला, “विक, आप कुछ नहीं कर सकते थे l” लेकिन उनके शब्द खाली गए l कुछ ऑफिसर अपनी ड्यूटी को ड्यूटी के समय ही पूरा करते हैं किन्तु विक मिग्लियो ऐसा कभी नहीं करते थे l और ऐसे कठिन मामले तो बिल्कुल नहीं l

ऑफिसर मिग्लियो यीशु मसीह की तरस को दर्शाते हैं l मसीह के शिष्य अभी-अभी उसके पास एक प्रश्न लेकर आए थे : “स्वर्ग के राज्य में बड़ा कौन है?” (मत्ती 18:1) l एक बालक को अपने बीच खड़ा करके, उसने अपने शिष्यों से कहा, “जब तक तुम न फिरो और बालकों के समान न बनो, तुम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने नहीं पाओगे” (पद.3) l तत्पश्चात उसने बच्चों को हानि पहुंचानेवालों को एक सख्त चेतावनी दी (पद.6) l वास्तव में बच्चे यीशु के लिए इतने विशेष थे कि यीशु ने हमसे कहा, “स्वर्ग में उनके दूत मेरे स्वर्गीय पिता का मुँह सदा देखते हैं” (पद.10) l

तब, यह कितना सुखद है, कि बच्चों के लिए यीशु का प्रेम हमारे लिए उसके प्रेम से सम्बंधित है l इसी कारण वह हमें बच्चों की तरह विश्वास रखते हुए अपने पुत्र और पुत्री बनने के लिए बुलाता है l

समय में दब जाना

सुलह पर वार्ता के दौरान, किसी बुद्धिमान ने कहा, "लोगों को समय में मत रोको" उसने कहा कि लोगों की गलतियां याद रखने की प्रवृति उनसे सुधरने का अवसर छीन लेती है।

कई बार परमेश्वर पतरस को समय में रोक सकते थे। परन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया।I पतरस, यीशु को “सुधारने” की कोशिश करने वाला-एक आवेगी शिष्य-जिसने प्रभु की डांट भी खायी (मत्ती 16:21-23)। उसने पहले मसीह का इंकार किया (यूहन्ना 18:15-27) फिर अपनी गलती सुधार ली (21:15-19)। उसके कारण कलीसिया में जातीय मतभेद भी खड़ा हुआ था।

पतरस (कैफ़ा) उन अन्यजातियों से अलग हो गया था (गलातियों 2:11-12) जिनके साथ पहले मेलजोल रखता था, उसने कुछ यहूदियों के यह कहने पर कि विश्वासियों का खतना आवश्यक था, खतनारहित अन्यजातियों से दूरी बना ली। यह मूसा की व्यवस्था में लौटने की खतरे की घंटी थी। पौलुस ने पतरस के व्यवहार को "पाखंड" बताकर (पद 13) निर्भीकता से उसका विरोध किया जिससे इस मुद्दे का समाधान हो पाया। जिस एकता की इच्छा परमेश्वर हमसे रखते हैं उसमें पतरस उनकी सेवा में फिर लग गया।

अपने बुरे समय में रुकने की किसी को आवश्यकता नहीं। परमेश्वर के अनुग्रह में हम एक-दूसरे को अपना सकते हैं, सीख सकते हैं, और आवश्यकता पड़ने पर विरोध कर सकते हैं, और मिलकर बढ़ सकते हैं।

प्रेम करने के लिए समर्पित

यीशू मसीह के चेले बनने के बाद से, नबील कुरैशी ने अपने पाठकों को उस विश्वास के लोगों के बारे में समझाने के लिए पुस्तकें लिखी जिसे वो छोड़ आए थे। अपने सम्मान जनक शब्दों के साथ कुरैशी सर्वदा अपने लोगों के लिए अपने प्रेम का प्रदर्शन करते हैं।

उन्होंने अपनी पुस्तकों में से एक अपनी उस बहन को समर्पित की, जिसने उस समय तक यीशु को ग्रहण नहीं किया था। समर्पण संक्षिप्त परन्तु प्रभावशाली है। उन्होंने लिखा, "मैं परमेश्वर से उस दिन के लिए प्रार्थना कर रहा हूं जब हम मिलकर उनकी आराधना करेंगे।"

प्रेम ऐसा का भाव हमें रोम की कलीसिया को लिखे पौलुस के पत्र को पढ़ने से मिलता है। उसने कहा, "मुझे बड़ा शोक है...(रोमियो 9:2-3 )।

पौलुस यहूदियों से इतना प्रेम करता था यदि वे यीशु को स्वीकार कर लेते तो बदले में स्वयं   वह परमेश्वर से वंचित रहने को भी तैयार हो जाता । वह जानता था कि यीशु का त्याग करके, उसके लोग एक सच्चे परमेश्वर का इन्कार कर रहे थे। इसी बात ने उसे प्रेरित किया कि अपने पाठकों से यीशु का सुसमाचार हर किसी के साथ बाँटने की अपील करे (10:14-15)।

आज, हम प्रार्थनापूर्वक स्वयं को ऐसे प्रेम के प्रति समर्पित करें जिसमें उन लोगों के लिए दर्द हो जो हमारे निकट हैं!