यह सिर्फ एक स्पर्श था, परन्तु इससे कॉलिन को पूरी तरह फर्क पड़ा l जब उसकी छोटी टीम यीशु के विश्वासियों से विद्वेष रखनेवाले क्षेत्र में परोपकारी कार्य करने की तैयारी कर रही थी, उसका तनाव बढ़ने लगा l जब उसने अपनी चिंता अपने टीम सदस्य के साथ साझा किया, उसका मित्र ठहरकर, उसके कंधे पर अपना हाथ रखा, और उसके साथ कुछ एक उत्साहवर्धन शब्द साझा किए l कॉलिन पीछे मुड़कर उस संक्षिप्त स्पर्श को एक नए मोड़ के तौर पर देखता है, एक सरल सत्य का शक्तिशाली ताकीद कि परमेश्वर उसके साथ था l

युहन्ना, यीशु का निकट मित्र और शिष्य, को सुसमाचार सुनाने के कारण पतमुस टापू में निर्वासित कर दिया गया था, जब उसने “तुरही का सा बड़ा शब्द . . . सुना”(प्रकाशितवाक्य 1:10) l इस आरंभिक घटना के बाद स्वयं प्रभु ने दर्शन दिया, और युहन्ना “उसके पैरों पर मुर्दा सा गिर पड़ा l” परन्तु उस डरावने पल में, उसने आराम और साहस प्राप्त की l युहन्ना लिखता है, “उसने मुझ पर अपना दाहिना हाथ रखकर कहा, ‘मत दर; मैं प्रथम और अंतिम और जीवता हूँ’” (पद.17) l

परमेश्वर हमें नयी बातें दिखाने के लिए, हमें विस्तारित करने के लिए, हमारी उन्नति के लिए हमारे आरामदायक क्षेत्र से हमें बाहर निकालता है l परन्तु वह प्रत्येक स्थिति से गुजरने के लिए साहस और आराम भी देता है l वह हमारी परीक्षाओं में हमें अकेले नहीं छोड़ेगा l उसके नियंत्रण में सब कुछ है l वह हमें अपने हाथों में थामे रखता है l