एक सहेली ने मुझे एक घर के अन्दर लगानेवाला एक पौधा दी जो चालीस वर्षों से अधिक समय से उसके पास था l वह पौधा मेरी ऊंचाई का था, और उसके अलग-अलग कमजोर तनों से बड़े पत्ते निकलते थे l समय के साथ, पत्तों के वजन ने पौधे के तीनों तनों को भूमि की ओर नीचे झुका दिए थे l उसके तनों को सीधा करने के लिए, मैंने उस गमले के नीचे से खूंटा से सहारा देकर पौधे को खिड़की के निकट रख दिया ताकि सूर्य के किरणों से उसके पत्ते सीधे हो जाएँ और पौधे की ख़राब स्थिति ठीक हो जाए l

उस पौधे को प्राप्त करने के शीघ्र बाद, मैंने एक स्थानीय व्यवसायिक केंद्र के प्रतीक्षालय में उसी प्रकार का एक पौधा देखा l वह भी तीन पतले तनों से उगा था, परन्तु उनको मजबूती देने के लिए उन्हें एक साथ बाँध कर, उनके भीतरी भाग को और अधिक मजबूत कर दिया गया था l यह पौधा बिना किसी सहायता के सीधा खड़ा था l

कोई भी दो व्यक्ति एक ही “गमले” में वर्षों तक रह सकते हैं, फिर भी अलग अलग बढ़ सकते हैं और परमेश्वर की आशीषों में से कुछ ही का आनंद प्राप्त कर सकते हैं l जब परमेश्वर के साथ उनके जीवन मिल जाते हैं, हालाँकि, अब स्थायित्व और निकटता का बहुत बड़ा भाव है l सम्बन्ध और अधिक मजबूत हो जाएगा l “जो डोरी तीन धागों से बटी हो वह जल्दी नहीं टूटती” (सभोपदेशक 4:12) l

घरेलु पौधे की तरह, विवाह और मित्रता को पोषण की ज़रूरत होती है l इन संबंधों की देखभाल में आत्मिक रूप से एक होना ज़रूरी है ताकि हर एक विशेष बंधन के मध्य में परमेश्वर उपस्थित है l वह प्रेम और अनुग्रह का अनंत श्रोत है – चीजें जिनकी हमें परस्पर जुड़कर आनंदित रहने के लिए सबसे अधिक ज़रूरत है l