एक व्यक्तिगत कहानी
न्यू यॉर्क चर्च के बाहर क्रिसमस झाँकी के पास चरनी में एक नवजात बालक को कोई छोड़कर चला गया l किसी परेशान युवा माँ ने उसे गर्म कपड़ो में लपेटकर ऐसे स्थान पर रख दिया था जहाँ वह दिखाई दे जाए l यदि हम उसका न्याय करन चाहते हैं, इसके बदले हम धन्यवाद दें कि इस शिशु को अब जीवन मिल सकता है l
यह मेरे लिए व्यक्तिगत है l खुद एक दत्तक संतान होकर, मैं अपने जन्म के विषय अज्ञान हूँ l किन्तु मैं कभी परित्यक्त महसूस नहीं किया l मैं इतना जानता हूँ, मेरी दो माताएं हैं जो मुझे जीवित चाहती थीं l एक ने मुझे जन्म दिया, और दूसरे ने अपना जीवन मुझमें निवेश किया l
हम निर्गमन में एक परेशान प्रेमी माँ को देखते हैं l फिरौंन ने सभी यहूदी लड़कों को मारने की आज्ञा दी थी (1:22) l मूसा की माँ ने उसको जब तक छिपा सकी छिपाया l मूसा के तीन माह का होने पर उसने उसे एक सुरक्षित टोकरी में रखकर नील नदी में छोड़ दिया l यदि योजना राजकुमारी द्वारा बच्चे को बचाना थी, फिरौंन के महल में परवरिश थी, और आख़िरकार लोगों को दासत्व से छुड़ाना थी, यह बिलकुल पूरी हुई l
जब एक परेशान माँ अपने बच्चे को एक मौका देती है, परमेश्वर वहाँ से उसे उठा लेता है l उसकी ऐसी आदत है-अत्यधिक अकल्पनीय रचनात्मक तरीकों से l
धन
अपनी जीविका के आरंभिक काल में मैंने अपनी नौकरी को उद्देश्य/मिशन माना, जिससे एक और कंपनी ने मेरे समक्ष खासा अच्छा वेतन वाला पद पेश किया l इससे अवश्य ही परिवार लाभान्वित होता l किन्तु मैं एक नयी नौकरी नहीं तलाश रहा था, मैं वर्तमान कार्य से प्रेम करता था, जो एक बुलाहट बनती जा रही थी l
किन्तु वह पैसा . . .
शरीर से दुर्बल मेरे 70 वर्षीय पिता ने सटीक एवं स्पष्ट उत्तर दिया : “पैसे के विषय सोचों भी नहीं l तुम क्या करोगे?”
मैंने तुरंत निर्णय कर लिया l मेरे पसंदीदा कार्य को छोड़ने का कारण केवल पैसा होता! पिताजी, धन्यवाद l
यीशु ने अपने पहाड़ी उपदेश की शिक्षा का एक बड़ा हिस्सा पैसा और उसके प्रति हमारे लगाव पर केंद्रित किया l उसने हमसे धन इकट्ठा करने की बजाए “हमारी प्रतिदिन की रोटी” मांगने को कहा (मत्ती 6:11) l पृथ्वी पर धन इकट्ठा न करने की चेतावनी देकर पक्षियों और फूलों द्वारा बताया कि परमेश्वर अपनी सृष्टि की बहुत चिंता करता है (पद.19-31) l “पहले तुम परमेश्वर के राज्य और उसके धर्म की खोज करो,” यीशु ने कहा, “तो ये सब वस्तुएँ भी तुम्हें मिल जाएंगी” (पद.33) l
पैसा महत्वपूर्ण है l किन्तु हमारी निर्णय प्रक्रिया इसके ऊपर हो l कठिन समय और बड़े निर्णय अपने विश्वास को नए तरीकों से बढ़ाने के अवसर हैं. हमारा स्वर्गक पिता हमारी चिंता करता है l
आसमान देखनेवाला
अपने कार्य और घर के मसलों से परेशान, मैट घूमने निकला l शाम की बसंती हवा आलोकित थी l अनंत आसमान नीले से काला हुआ, घने कुहरे ने धीरे-धीरे घास को ढक दिया l तारे और पूरब में पूर्ण चाँद दिखा l वह क्षण, मैट के लिए अत्याधिक आत्मिक था l वह वहाँ है, उसने सोचा l परमेश्वर वहाँ है, और यह उसका है l
रात में कुछ लोग आकाश में केवल प्रकृति देखते हैं l दूसरे बृहस्पति गृह की तरह एक दूरस्त और ठंडे ईश्वर को देखते हैं l किन्तु वही परमेश्वर जो “ऊपर आकाशमंडल पर विराजमान है ... गणों को गिन गिनकर, ... नाम ले लेकर बुलाता है” (यशायाह 40:22,26) l वह अपनी सृष्टि को घनिष्ठता से जानता है l
यही व्यक्तिगत परमेश्वर ने अपने लोगों से पुछा, “हे इस्राएल, तू क्यों बोलता है, “मेरा मार्ग यहोवा से छिपा हुआ है, मेरा परमेश्वर मेरे न्याय की कुछ चिंता नहीं करता? उनके लिए दुखित, परमेश्वर ने उनको उसे ढूंढने की बुद्धिमत्ता याद दिलाया l “क्या तुम नहीं जानते? क्या तुमने नहीं सुना? ... वह थके हुए को बल ... और शक्तिहीन को बहुत सामर्थ्य देता है” (पद.27-29) l
परमेश्वर को भूलने की परीक्षा आती है l घूमने से समस्या नहीं जाएगी, किन्तु हमें विश्राम और निश्चयता मिलेगी कि परमेश्वर अपनी भली इच्छा पूरी कर रहा है l “मैं यहाँ हूँ,” वह कहता है l तू मेरा है l”
चिन्ह और चेतना
एक परिचित जवान आदतनुसार परमेश्वर से चिन्ह माँगता था l उसकी प्रार्थनाएँ उसकी भावनाओं का प्रमाण चाहती थीं l जैसे, उसकी प्रार्थना होगी, “परमेश्वर यदि तेरी इच्छा है मैं यह करूँ, तो आप वह करें, और मैं जान लूँगा वह ठीक है l”
इससे दुविधा हो गई है l क्योंकि उसका परमेश्वर से उत्तर प्राप्त करने के तरीके अनुसार वह अपनी पुरानी प्रेमिका के पास लौटना चाहता है जबकि वह मानती है कि परमेश्वर की यह इच्छा नहीं है l
यीशु के युग के धार्मिक अगुए उसके दावों के प्रमाण में चिन्ह मांगते थे (मत्ती 16:1) l वे परमेश्वर के मार्गदर्शन के बदले; उसके दिव्य अधिकार को चुनौती देते थे l यीशु का उत्तर था, “इस युग के बुरे और व्यभिचारी लोग चिन्ह ढूढ़ते हैं” (पद.4) l यीशु का सशक्त प्रतिउत्तर परमेश्वर का मार्गदर्शन खोजने से रोकने हेतु एकमुश्त कथन नहीं, बल्कि, वचन में उसके अभिषिक्त होने के संकेत की अवहेलना हेतु, उनको दोषी ठहराना था l
परमेश्वर हमसे प्रार्थना में उसका मार्गदर्शन खोजने को कहता है (याकूब 1:5) l वह आत्मा (यूहन्ना 14:26) वचन (भजन 119:105) परामर्शदाता और बुद्धिमान अगुओं द्वारा भी मार्गदर्शन देता है l और उसने खुद यीशु का उदाहरण दिया है l
परमेश्वर का स्पष्ट मार्गदर्शन मांगने की इच्छा नेक है, किन्तु वह हमेशा हमारी इच्छानुसार नहीं करता l प्रार्थना का व्यापक बिंदु परमेश्वर का चरित्र जानना और पिता के साथ सम्बन्ध विकसित करना है l
शक्तिशाली विजेता
हममें से अधिक लोग अच्छे शासन की आशा से मत देते, सेवा करते, और उचित और न्याय-संगत कारणों से आवाज़ उठाते हैं l किन्तु अधिकतर राजनैतिक हल हमारे हृदयों की स्थिति परिवर्तन में असमर्थ हैं l
यीशु के अनेक अनुयायियों को एक छुड़ानेवाला चाहिए था जो रोम के निरंकुश शोषण का जोरदार राजनैतिक प्रतिउत्तर दे सके l पतरस ने इस प्रक्रिया में, रोमी सैनिकों द्वारा मसीह की गिरफ़्तारी के समय, तलवार से याजक के सेवक का कान उड़ा दिया l
यीशु ने एक-व्यक्ति जंग को यह कहकर रोका, “अपनी तलवार म्यान में रख l जो कटोरा पिता ने मुझे दिया है, क्या मैं उसे न पीऊँ?” (यूहन्ना 18:11) l घंटो बाद, यीशु पिलातुस से बोल सकता था, “मेरा राज्य इस संसार का नहीं; यदि ... होता, तो मेरे सेवक लड़ते कि मैं यहूदियों के हाथ सौपा न जाता” (पद.36) l
प्रभु के जीवन के न्याय के समय, उसके उद्देश्य के विस्तार पर विचार करते उसका संयम हमें चकित करता है l एक दिन, वह युद्ध में स्वर्गिक सेना की अगुवाई करेगा l यूहन्ना ने लिखा, “वह धर्म के साथ न्याय और युद्ध करता है” (प्रका. 19:11) l
किन्तु अपनी गिरफ़्तारी, जांच, और क्रूसीकरण के आज़माइश में, यीशु अपने पिता की इच्छा पर केन्द्रित था l क्रूस पर मृत्यु द्वारा, उसने घटनाओं की एक कड़ी प्रतिपादित की जो हृदय बदलता है l और उस प्रक्रिया में, हमारा शक्तिशाली विजेता मृत्यु को पराजित किया l
मेरे भाइयों और बहनों
कई वर्ष पूर्व दक्षिणी कैलिफोर्निया की अर्थव्यवस्था में गिरावट के समय, पास्टर बॉब जोनसन ने कठिनाई और अवसर देखी l इसलिए शहर के महापौर से मिलकर चर्च से मदद की पेशकश की l महापौर चकित हुआ l आमतौर पर लोग मदद लेते थे l यहाँ एक पास्टर पूरी मण्डली की सेवा देना चाहता था l
महापौर और पास्टर ने मिलकर…
विपरीत करना
निर्जन प्रदेश में भ्रमण डरावना, किन्तु उत्साही लोगों के रोमांच में यह केवल इज़ाफा है l पैदल यात्रियों को अपने उठाने की क्षमता से अधिक पानी चाहिए, इसलिए वे अंतर्निर्मित फ़िल्टर वाली पानी की बोतलें खरीदते हैं जिससे पानी पीने का तरीका स्वाभाविक के विपरीत है l एक प्यासे यात्री को फ़िल्टर से पानी निकालने के लिए बलपूर्वक उस बोतल…
कोई परदेशी नहीं
घाना के दूरस्थ इलाके में, “भोजन का समय, कोई मित्र नहीं” एक सामान्य कहावत थी l भोजन की किल्लत के कारण स्थानीय लोग “भोजन के समय” किसी के घर जाना अशिष्ट मानते थे l नियम पड़ोसियों और बाहरी लोग दोनों ही के लिए था l
किन्तु फिलिपीन्स में, अचानक भोजन के समय किसी के आने पर, मेजबान भोजन बाँटकर खाते…
बुरा विश्वास, अच्छा विश्वास
“आपको विश्वास करना है,”लोग कहते हैं l किन्तु इसका अर्थ क्या है? क्याकोई विश्वास अच्छा विश्वास है?
“खुद में और जो कुछ आप हैं उसमें विश्वास करें,” एक शताब्दी पूर्व एक सकारात्मक विचारक ने कहा l “जाने कि आपके अन्दर कुछ है जो किसी भी बाधा से महान है l” यह शब्द सुनने में चाहे जितना मधुर लगे, सच्चाई से…