एक पासवान ने अपनी कलीसिया को बेचैन करनेवाली चुनौती देकर वाक्यांश “वह तुम्हें सब कुछ दे देगा” में जान डाल दी l क्या होगा यदि हम अपने कोट उतारकर ज़रुरतमंदों को दे दें? तत्पश्चात उसने अपना कोट उतारकर कलीसिया के आगे रख दिया l बहुतों ने उसके नमूने का अनुसरण किया l यह सर्दियों के समय हुआ, इसलिए उस दिन घर जाना कम आरामदायक था l किन्तु अनेक ज़रुरतमंदों को उस मौसम ने थोड़ी गर्माहट दी l

जब यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला यहूदिया के निर्जन प्रदेश में फिरता था, उसके पास आनेवाली भीड़ के लिए कड़ी चेतावनी थी l उसने कहा, “हे साँप के बच्चों … मन फिराव के योग्य फल लाओ” (लूका 3:7-8) l चौंक कर उन्होंने उससे पूछा, “तो हम क्या करें?” उसने एक सलाह के साथ उत्तर दिया : “जिसके पास दो कुरते हों, वह उसके साथ जिसके पास नहीं है बाँट ले और जिसके पास भोजन हो, वह भी ऐसा ही करे” (पद.10-11) l सच्चा पश्चाताप एक उदार हृदय उत्पन्न करता है l

क्योंकि “परमेश्वर हर्ष से देनेवाले से प्रेम करता है,” दान दोष-आधारित अथवा विवशता में न हो (2 कुरिं.9:7) l किन्तु जब हम स्वतंत्रता और उदारता से देते हैं, तो हम देखते हैं कि वास्तव में लेने से देना धन्य है l