टोगो के मोनो नदी में बप्तिस्मा का इंतज़ार करते हुए, कोस्सी ने झुककर लकड़ी की एक जीर्ण नक्काशी उठायी l  उसके परिवार पीढ़ियों से उसके उपासक थे l इस समय उन्होंने उसे उस कुरूप वस्तु को उस अवसर के लिए जलाई गयी आग में फेंकते देखा l अब उनकी अच्छी मुर्गियाँ इस देवता के आगे बलि नहीं होंगी l

पाश्चात्य देशों में लोग मूर्तियों को परमेश्वर के स्थान पर पूजी जानेवाली वस्तुओं का   अलंकार समझते हैं l पश्चिम अफ्रीका के टोगो में, मूर्तियाँ वास्तविक ईश्वर हैं जिन्हें बलि देकर शांत करना ज़रूरी है l मूर्तियों को जलाना और बप्तिस्मा एक सच्चे परमेश्वर के प्रति एक नए विश्वासी के स्वामिभक्ति की साहसिक अभिव्यक्ति है l

जैसे आठ वर्षीय राजा योशिय्याह ने एक मूर्तिपूजक और यौनाचार ग्रस्त संस्कृति में शासन संभाला l उसके पिता और दादा यहूदा के सम्पूर्ण अनैतिक इतिहास में सबसे ख़राब थे l तब महायाजक को व्यवस्था की पुस्तक मिली l युवा राजा ने उसके वचन सुनकर उनको माना (2 राजा 22:8-13) l योशिय्याह ने विधर्मियों की वेदियाँ ध्वस्त कर दीं, अशेरा देवी को समर्पित वस्तुएं जला दीं, और विध्यात्मक यौनाचार पर विराम लगाया (अध्याय 23) l इन पद्धतियों के स्थान पर, उसने फसह पर्व लागू किया (23:21-23) l

हम जब भी-जाने या अनजाने में-परमेश्वर के बाहर उत्तर खोजेंगे, हम झूठे ईश्वर का अनुसरण करेंगे l खुद से पूछना बुद्धिमत्ता होगी : हमें कौन सी मूर्तियाँ, वास्तविक अथवा प्रतीकात्मक, आग में फेंकनी हैं?