ईकाबोद का भागना
द लेजेंड ऑफ़ स्लीपी होलो(The Legend of Sleepy Hollow)(एक अंग्रेजी उपन्यास) में, लेखक एक स्कूल शिक्षक ,ईकाबोद क्रेन, के बारे में बताता है जो कैटरीना नाम की एक खूबसूरत युवती से विवाह करना चाहता है l कहानी की कुंजी एक बिना सिर वाला घोड़सवार है जो भुत बनकर उपनिवेशी ग्रामीण क्षेत्र को परेशान करता है l एक रात, ईकाबोद का सामना घोड़े पर सवार एक प्रेतरूपी छाया से होता है और वह डर के मारे उस क्षेत्र से भाग जाता है l पाठक के लिए यह स्पष्ट है कि यह “घोड़सवार” वास्तव में कैटरीना के लिए प्रतिद्वंदी विवाह-प्रस्तावक है, जो बाद में उससे विवाह करता है l
ईकाबोद एक नाम है जो बाइबल में पहले आया है, और जिसकी पिछली कहानी भी धुंधली है l पलिश्तियों के साथ युद्ध में, इस्राएल वाचा का पवित्र संदूक युद्ध में लेकर गया l गलत चाल l उन्होंने इस्राएल की सेना को पराजित कर संदूक छीन लिया l महायाजक एली के पुत्र, होप्नी और पीनहास, मारे गए (1 शमूएल 4:17) l एली भी मरनेवाला था (पद.18) l जब पीनहास की गर्ववती पत्नी ने यह समाचार सुना, “उसको जच्चा का दर्द उठा, और वह दुहर गई ” (पद.19) l अपने अंतिम शब्दों के द्वारा उसने अपने बेटे का नाम ईकाबोद(शब्शः, “कोई महिमा नहीं) रखा l वह हाँफती हुए बोली, “इस्राएल में से महिमा उठ गई है” (पद.22) l
धन्यवाद हो, परमेश्वर के पास इससे भी बड़ी कहानी थी l उसकी महिमा यीशु में प्रगट होने वाली थी, जिसने अपने शिष्यों के विषय कहा, “वह महिमा जो तू [पिता] ने मुझे दी मैं ने उन्हें दी है (यूहन्ना 17:22) l
किसी को नहीं मालूम की आज संदूक कहाँ है, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता l ईकाबोद भाग गया है l यीशु के द्वारा, परमेश्वर ने अपनी खुद की महिमा हमें दी है l
छावनी के बाहर
जिस ग्रामीण क़स्बा में मैं बड़ा हुआ वहां शुक्रवार हाट का दिन था l इन सारे वर्षों में, मैं एक ख़ास विक्रेता को याद करता हूँ l उसके हाथ और पैरों की ऊँगलियाँ हैन्सन बिमारी/Hansen’s disease(कुष्ठ) से गल गईं थीं, वह अपनी चटाई पर दुबककर बैठती थी और अपना माल एक खोखला किये हुए तुम्बा(gourd) से नाप कर बेचती थी l कुछ लोग उससे बचते थे l मेरी माँ नियमित रूप से उससे खरीदने का मन बना रखी थी l मैं उसे केवल हाट के दिनों में देखता था l उसके बाद वह कस्बे से बाहर चली जाती थी l
प्राचीन इस्राएलियों के दिनों में, कुष्ठ रोग की तरह बिमारी का मतलब “छावनी के बाहर” रहना था l यह परित्यक्त अस्तित्व होता था l इस्राएली व्यवस्था ऐसे लोगों के विषय कहती थी, “उसका निवास स्थान छावनी के बाहर हो” (लैव्यव्यवस्था 13:46) l छावनी के बाहर ही वह स्थान भी होता था जहाँ बलिदान किये गए बछड़ों के मृत शरीर जलाए जाते थे (4:12) l छावनी वह स्थान नहीं था जहाँ वे रहना चाहते थे l
इब्रानियों 13 में यीशु के विषय कथन में यह कठोर सत्य जीवन डाल देती है : “इसलिए आओ, उस की निंदा अपने ऊपर लिए हुए छावनी के बाहर उसके पास निकल चलें” (पद.13) l यीशु यरूशलेम के फाटक के बाहर क्रूसित किया गया, एक ख़ास बिंदु जब हम इब्री बलिदान-सम्बन्धी व्यवस्था का अध्ययन करते हैं l
हम लोकप्रिय, इज्ज़तदार होना चाहते हैं, आरामदायक जीवन जीना चाहते हैं l लेकिन परमेश्वर हमें “छावनी के बाहर” जाने को बुलाता है──जहाँ निंदा है l वही वह स्थान है जहाँ हमें हैन्सन बीमारी(कुष्ठ) वाला विक्रेता मिलेगा l वहीं पर हम उन लोगों को पाएंगे जिन्हें संसार ने अस्वीकार कर दिया है l वहीं हम यीशु को पाएंगे l
क्रियाशील विश्वास
सैम के पिता को एक सैनिक आघात से अपने जीवन को बचाने के लिए भागना पड़ा था l आमदनी के अचानक समाप्त होने के बाद, परिवार अनिवार्य दवाइयां खरीदने के योग्य नहीं रहा जो सैम के भाई को जीवित रख सकता था l परमेश्वर से क्षुब्ध होकर, सैम ने सोचा, हमने क्या किया है जिससे हमारी यह दशा है?
यीशु के एक अनुयायी ने इस परिवार की परेशानी के विषय सुना l यह जानकार कि उसके पास दवा के लिए पर्याप्त पैसा है, उसने दवा खरीदी और उनके पास ले गया l एक अपरिचित से जीवन-रक्षक उपहार ने उनपर अद्भुत प्रभाव डाला l “इस रविवार को हम इस व्यक्ति के चर्च जाएंगे,” उसकी माँ बोली l सैम का क्रोध शांत होने लगा l और अंततः, एक एक करके, उस परिवार के प्रत्येक सदस्य ने यीशु में विश्वास कर लिया l
जब याकूब ने मसीह में विश्वास की घोषणा के साथ ईमानदारी की जीवनशैली की आवश्यकता के बारे में लिखा, तो उसने दूसरों की देखभाल करने की ज़रूरत को व्यक्त किया l “यदि कोई भाई या बहिन नंगे-उघाड़े हो और उन्हें प्रतिदिन भोजन की घटी हो, और तुम में से कोई उनसे कहे, ‘कुशल से जाओ, तुम गरम रहो और तृप्त रहो,’ पर जो वस्तुएँ देह के लिए आवश्यक हैं वह उन्हें न दे तो क्या लाभ?” (2:15-16) l
हमारे कार्य हमारे विश्वास की असलियत दर्शाती है l खास तौर से, उस प्रकार के कार्य दूसरों के विश्वास-चयन को प्रभावित कर सकता है l सैम के मामले में, वह एक पास्टर और कलीसिया रोपक बन गया l अंततः, वह उस आदमी को जिसने उसके परिवार की सहायता की थी “पापा मैप्स” पुकारने वाला था l वह अब उसे अपने आत्मिक पिता के रूप में जानता था──वह व्यक्ति जिसने उन्हें यीशु का प्यार दिखाया l
परमेश्वर के लिए लालायित
जब रोहन और रीमा सड़क पर पांच मिल दूर चले गये उनकी बिल्ली बघीरा ने भागकर अपनी नाराजगी व्यक्त की । एक दिन रीमा ने सोशल मिडिया पर अपने पुराने घर की वर्तमान तस्वीर देखी । उस तस्वीर में बघीरा थी!
ख़ुशी से, दंपति उसे वापस लाने गये । बघीरा फिर से भाग गयी l अनुमान लगाइए कि वह कहाँ गयी? इस बार, वह परिवार जिन्होंने उनका घर खरीदा था वे बघीरा को रखने के लिए सहमत हो गए l दंपति अपरिहार्य को रोक नहीं पाए । बघीरा हमेशा “घर” ही लौटती थी l
नहेम्याह राजा के दरबार शूशन में प्रतिष्ठित स्थान पर कार्य करता था, किन्तु उसका हृदय कहीं और था । उसने अभी-अभी “वह नगर जिसमें मेरे पुरखाओं की कब्रें हैं’ की दुखद स्थिति की खबर सुना था” (नहेम्याह 2:3) l और इसलिए उसने प्रार्थना की “उस वचन की सुधि ले, जो तू ने अपने दास मूसा से कहा था, . . . ‘यदि तुम मेरी ओर फिरो, और मेरी आज्ञाएं मानो, और उन पर चलो, तो चाहे तुम में से निकाले हुए लोग आकाश की छोर में भी हों, तौभी मैं उन को वहां से इकट्ठा कर के उस स्थान में पहुँचाऊँगा, जिसे मैं ने अपने नाम के निवास के लिये चुन लिया है’ ”(1:8-9) l
वे कहते हैं, जहाँ हृदय है वहाँ घर है । नहेम्याह के विषय में घर के लिए ललायित होना उस भूमि से बंधे होने से अधिक था । यह परमेश्वर के साथ संवाद था जिसके लिए वह लालायित था l यरुशलेम वह स्थान था जिसे मैंने “अपने नाम के निवास के लिये चुन लिया है l”
वह असंतोष जो हम गहराई से महसूस करते हैं वास्तव में परमेश्वर के लिए लालायित होना है l हम उसके साथ घर में रहने के लिए तड़प रहे हैं ।
परमेश्वर वहां है
ऑब्रे ने अपने बुजुर्ग पिता के लिए ऊन का धारीदार कोट ख़रीदा, पर वह उसे पहनने से पहले ही गुजर गये । तो ऑब्रे ने एक प्रोत्साहन के नोट के साथ $20(बीस डॉलर) का एक नोट पॉकेट में डाला और उस जैकेट को दानी संस्था में दान कर दिया ।
90 मील दूर, अपने परिवार की दुष्क्रियाओं को सहने में असमर्थ, 19 साल का केली बिना कोट लिए अपना घर छोड़ दिया । वह मुड़ने के लिए सिर्फ एक जगह जानता था──अपनी दादी का घर जो उसके लिए प्रार्थना करती थी l घंटों बाद वह बस से उतरा और अपनी दादी के बाँहों में सिमट गया । उसे ठंडी हवा से बचाते हुए, उन्होंने कहा, “हमें तुम्हारे लिए एक कोट लाना होगा!” मिशन स्टोर में, केली ने एक कोट पहनकर देखा जो उसे पसंद आ गया । जैसे ही उसने अपने हाथ पॉकेट में डाले, उसे एक लिफाफा मिला──ऑब्रे की पर्ची के साथ $20(बीस डॉलर) का नोट l
याकूब ने अपने जीवन के डर से दुष्क्रियाओं से पूर्ण अपने परिवार को छोड़ा (उत्पति 27:41-45) । जब वह रात के लिए रुका, तो परमेश्वर ने स्वयं को याकूब के सपने में प्रकट किया । परमेश्वर ने उससे कहा, “मैं तेरे संग रहूँगा, और जहाँ कहीं तू जाए वहाँ तेरी रक्षा करूँगा” (28:15) । याकूब ने सपथ खाई, “यदि परमेश्वर . . . मुझे खाने के लिये रोटी, और पहिनने के लिये कपड़ा दे . . . तो यहोवा मेरा परमेश्वर ठहरेगा” (पद.20-21) l
याकूब ने एक मौलिक वेदी बनायी और उस जगह का नाम “परमेश्वर का भवन” रखा (पद.22) । केली जहाँ भी जाता है अपने साथ ऑब्रे की पर्ची और $20 ले जाता है l और प्रत्येक एक यादगार के रूप में काम करता है कि हम जहाँ भी भागते हैं, परमेश्वर वहाँ है ।
दृष्टि अप्रत्यक्ष
यूरी गगारिन का अंतरिक्ष में जानेवाला पहला आदमी बनने के बाद, वह रूसी ग्रामीण इलाके में पैराशूट से उतरे l एक किसान महिला ने नारंगी रंग के कपड़े पहने हुए उस अन्तरिक्ष यात्री को देखा, जो अभी भी अपना हेलमेट पहना हुआ था और दो पैराशूट खींच रहा था l “"क्या यह हो सकता है कि आप बाहरी अन्तरिक्ष से आए हैं?” उसने आश्चर्य से पूछा l “वास्तव में, मैं आया हूँ,” उन्होंने कहा l
सोवियत नेताओं ने दुखद रूप से ऐतिहासिक उड़ान को धार्मिक विश्वास के विरुद्ध प्रचार में बदल दिया l “गगारिन अंतरिक्ष में गए, लेकिन उन्होंने वहाँ कोई ईश्वर को नहीं देखा,” उनके प्रधानमंत्री ने घोषणा की l (गगारिन ने खुद कभी ऐसी बात नहीं कही l) जैसा कि सी. एस. लियुईस ने ध्यान देखा, “जो लोग पृथ्वी पर [ईश्वर] को नहीं पाते हैं, वे उन्हें अंतरिक्ष में नहीं पा सकते हैं l”
यीशु ने हमें इस जीवन में परमेश्वर की उपेक्षा करने के बारे में चेतावनी दी l उसने दो आदमियों की एक कहानी बताई, जो मर गए─एक अमीर आदमी जिसके पास ईश्वर के लिए समय नहीं था, और लाजर, एक निस्सहाय व्यक्ति जो विश्वास में धनी था (लूका 16:1931) l पीड़ा में, अमीर आदमी ने अब्राहम से अपने भाइयों के लिए याचना की जो अभी भी धरती पर थे l उसने अब्राहम से विनती की, ““लाज़र को भेज l” “यदि कोई मरे हुओं में से उनके पास जाए, तो वे मन फिराएंगे” (पद.27,30) l अब्राहम समस्या के केंद्र में पहुँच गया : “जब वे मूसा और भविष्यद्वक्ताओं की नहीं सुनते, तो यदि मरे हुओं में से कोई जी भी उठे तौभी उसकी नहीं मानेंगे” (पद.31) l
ऑस्वाल्ड चैम्बर्स ने लिखा, “देखना विश्वास करना कभी नहीं होता है l “हम जो विश्वास करते हैं उसके प्रकाश में हम जो देखते हैं उसकी व्याख्या करते हैं l”
चंगाई के लिए एक वृक्ष
लगभग 2.19 करोड़ रुपये में, आप एक नई मैकलेरन लक्जरी स्पोर्ट्स कार खरीद सकते हैं l वाहन V8 इंजन के साथ आता है जिसमें 710 हॉर्सपावर की क्षमता होती है─जो आपके सुबह के जाने और आने के लिए आपकी आवश्यकता से कहीं अधिक है l
बेशक, आप उस सारी शक्ति का उपयोग करने के लिए ललचा सकते हैं l एक ड्राइवर ने जाना कि उसकी कार इतनी “तेज” थी कि वह अत्यधिक महँगी कार वाले शोरूम से रद्दी माल के ढेर में सिर्फ चौबीस घंटे में जा सकती थी! कार खरीदने के एक दिन बाद, उसने उसे एक पेड़ से टकरा दिया l (शुक्र है, वह बच गया l)
बाइबल की कहानी के सिर्फ तीन अध्यायों में, हम सीखते हैं कि कैसे एक अलग बुरे चुनाव और एक पेड़ ने परमेश्वर की अच्छी रचना को बिगाड़ दिया l आदम और हव्वा ने उस एक पेड़ से खाया जिसे उन्हें अकेले छोड़ देना चाहिए था (उत्पत्ति 3:11) l कहानी मुश्किल से शुरू हुई थी, और अदन वाटिका शापित हो गया (पद.14-19) l
एक और पेड़ इस अभिशाप को ख़त्म करने में भूमिका निभानेवाला था─क्रूस जिसे यीशु ने हमारे लिए उठाया l उसकी मृत्यु ने हमारा भविष्य उसके साथ निश्चित कर दिया (व्यवस्थाविवरण 21:23; गलातियों 3:13) l
कहानी बाइबल के आखिरी अध्याय में पूरी हो जाती है l वहाँ हम “जीवन के जल की नदी” के बगल में “जीवन [के] वृक्ष” के विषय पढ़ते हैं (प्रकाशितवाक्य 22:1-2) l जैसा कि यूहन्ना ने वर्णन किया है, इस “वृक्ष . . . से जाति-जाति के लोग चंगे” होंगे (पद.2) l और वह हमें आश्वासन देता है, “फिर श्राप न होगा” (पद.3) l परमेश्वर की कहानी हमारी चाहत के अनुकूल ख़त्म होती है कि सब कुछ सम्पूर्ण और अच्छा होगा l
बर्फ की प्रेरक शक्ति
अमेरिका में एक मध्यम-वर्गीय पड़ोस से एक बैंड(संगीत टोली), शहर में हर साल होने वाले परिवर्तन के बारे में एक गीत गाता है। बैंड के सह-संस्थापक बताते हैं, “जब भी हमें साल की पहली असली बर्फबारी मिलती है, तो ऐसा महसूस होता है कि कुछ पवित्र हो रहा है l” थोड़ी सी तरोताज़ी शुरुआत की तरह l शहर धीमा हो जाता था और शांत हो जाता था l”
यदि आपने भारी बर्फबारी का अनुभव किया है, तो आप समझते हैं कि यह एक गीत को कैसे प्रेरित कर सकता है l एक जादुई सन्नाटा संसार को ढंक देता है जैसे कि बर्फ जमी हुयी गन्दगी और धूसरता को ढक देता है । कुछ क्षणों के लिए, सर्दियों की उदासी चमक उठती है, और हमारे आभास और ख़ुशी को आमंत्रित करती है l
एलीहू, अय्यूब का एक मित्र जो ईश्वर के बारे में एक उपयोगी दृष्टिकोण रखता होगा, ने ध्यान दिया कि सृजन कैसे हमारे ध्यान को नियंत्रित करता है l उसने कहा, “परमेश्वर गरजकर अपना शब्द अद्भुत रीति से सुनाता है (अय्यूब 37:5) l “वह तो हिम से कहता है, पृथ्वी पर गिर, और इस प्रकार मेंह को भी और मूसलाधार वर्षा को भी ऐसी ही आज्ञा देता है l” इस तरह की भव्यता हमारे जीवनों में दखल दे सकती है, और एक पवित्र ठहराव की मांग करती है l एलीहू ने ध्यान दिया, “वह सब मनुष्यों के हाथ पर मुहर कर देता है, जिस से उसके बनाए हुए सब मनुष्य उसको पहचाने (पद.6-7) l
प्रकृति कभी-कभी उन तरीकों से हमारा ध्यान आकर्षित करती है जिसे हम पसन्द नहीं करते हैं l हमारे साथ क्या होता है या हम अपने आस-पास क्या देखते हैं, इसकी परवाह किए बिना, हर पल – शानदार, डरावना या दैनिक कार्य – हमारी आराधना को प्रेरित कर सकते हैं l हमारे भीतर कवि का हृदय पवित्र खामोशी के लिए तरसता है l
निराशजनक समाधान
सत्रहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, विलियम ऑफ़ ऑरेंज ने जानबूझकर अपने देश की अधिकांश भूमि को जलमग्न कर दिया l डच सम्राट ने हमलावर स्पेन के लोगों को खदेड़ने की कोशिश में इस तरह के कठोर उपाय का सहारा लिया l यह काम सफल नहीं हुआ, और खेती योग्य भूमि का एक विशाल महत्वपूर्ण हिस्सा समुद्र में डूब गया l वे कहते हैं, “निराशजनक समय निराशजनक उपायों की मांग करता है l”
यशायाह के दिन में, यरूशलेम निराशजनक उपायों की ओर मुड़ गया जब अश्शूरी सेना ने उन्हें धमकी दी l घेराबंदी सहने के लिए जल भंडारण व्यवस्था बनाने के साथ ही लोगों ने शहर की दीवारों को मजबूत करने के लिए घरों को भी तोड़ दिये l इस तरह के हथकंडे भले ही समझदारी के रहे हों, लेकिन उन्होंने सबसे अहम कदम को नजरअंदाज किया l “तू ने दोनों दीवारों के बीच पुराने पोखरे के जल के लिए एक कुण्ड खोदा l परन्तु तू ने उसके कर्ता को स्मरण नहीं किया, जिसने प्राचीनकाल से उसको ठहरा रखा था, और न उसकी ओर तू ने दृष्टि की” (यशायाह 22:11) l
आज हमारे लिए अपने घरों के बाहर एक असली सेना का सामना करने की संभावना नहीं है । ओसवाल्ड चैम्बर्स ने कहा, “संप्रहार(battering) हमेशा आम तरीकों से और आम लोगों के माध्यम से आते हैं l” फिर भी, इस तरह के संप्रहार वास्तविक खतरें हैं l शुक्र है, वे अपने साथ हमारी ज़रूरत के लिए पहले परमेश्वर की ओर मुड़ने के लिए उसका निमंत्रण लाते हैं l
जब जीवन की चिड़चिड़ाहट और रुकावटें आती हैं, तो क्या हम उन्हें परमेश्वर की ओर मुड़ने के अवसरों के रूप में देखेंगे? या हम अपने निराशजनक समाधान की तलाश करेंगे?