सामर्थी और सहज रूप से उपलब्ध
जब मुझे माँ के कैंसर का समाचार मिला तब मेरे पति ऑफिस में थे। एक मेसेज छोड़ कर मैं मित्रों और परिवार को फोन करने लगी। कोई भी उपलब्ध नहीं था। कांपते हाथों से चेहरे को ढक कर, मैं सिसकने लगी, "परमेश्वर मेरी मदद करें।" उन क्षणों में जब मैं पूरी तरह से अकेला महसूस कर रही थी तब एक आश्वासन ने, कि परमेश्वर मेरे साथ थे, मुझे शान्ति दी।
जब मेरे पति आ गए और मित्रों और परिवार से भी प्रोत्साहन मिलने लगा तो मैंने परमेश्वर को धन्यवाद दिया। फिर भी, अकेलेपन और दु:ख के उन कुछ घंटों में परमेश्वर की शांति देने वाली उपस्थिति ने मुझे यह आश्वासन दिया था कि परमेश्वर विश्वसनीय हैं और अति सहज से मिलने वाले सहायक हैं, मेरी हर ज़रूरत के समय में कभी भी, कहीं भी।
भजन 46 कहता हैं, परमेश्वर हमारा शरणस्थान...हमारा ऊँचा गढ़ है। परमेश्वर ने चेले बनाए ताकि वे प्रार्थनाएँ करते हुए एक-दूसरे को प्रोत्साहन और सहायता दें। लेकिन वे यह स्पष्ट भी करते हैं कि वह सामर्थी और सहज रूप से उपलब्ध रहते हैं। जब हम परमेश्वर को पुकारते हैं, तब हमारे लिए उनके उपाय के उनके वादे पर विश्वास कर सकते हैं। वह अपने लोगों के माध्यम से और साथ ही उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति के माध्यम से हमें शांति देंगे।
लेखा रद्द करने वाला
अपना मेडिकल बिल देख कर मेरे आंसू निकल आए। पति लम्बे समय से बेरोजगार थे। यदि मासिक किश्त दें तोभी आधा बिल चुकाने में भी कई साल लगेंगे। अपनी स्थिति स्पष्ट करके भुगतान की योजना का आग्रह करने के लिए डॉक्टर के ऑफिस में फ़ोन करने से पहले मैंने एक प्रार्थना की। थोड़ा समय बाद, रिसेप्शनिस्ट ने मुझे बताया कि डॉक्टर ने हमारे बिल को ख़ारिज कर दिया है।
मैंने सिसकते हुए उसका आभार पूर्वक धन्यवाद किया। फ़ोन रखते हुए, मैंने परमेश्वर की प्रशंसा की। मैंने उस बिल को रख लिया, यह याद दिलाने के लिए नहीं कि मुझे कितना चुकाना था, परन्तु उसे जो परमेश्वर ने किया था।
परमेश्वर ने मेरे पापों के लेखे को रद्द किया है। वचन आश्वासन देता है कि यहोवा “दयालु, अनुग्रहकारी” और “अति करूणामय” हैं, “हमारे पापों के अनुसार हम से व्यवहार नहीं करता” (भजन 103:8,10)। जब मनफिराव करके हम मसीह को अपना उद्धारकर्ता ग्रहण करते हैं तब “उदयाचल अस्ताचल से जितनी दूर है, वह हमारे अपराधों को हमसे उतनी दूर करते हैं।” (पद 12) उनका बलिदान ने उस लेखे को मिटाया है जो हमें चुकाना था। पूर्णतः।
अपनी समर्पित स्तुति और आभार युक्त प्रेम देकर, हम उनके लिए जीवन जी सकते हैं और दूसरों के साथ भी उसे बाँट सकते हैं।
विश्वास-निर्माण की समृतियाँ
संगीत से भरपूर चर्च में प्रवेश करके, मैंने उस भीड़ को देखा जो नए वर्ष की संध्या उत्सव में इकट्ठा हुई थी l पिछले वर्ष की प्रार्थनाओं को याद करने पर आनंद ने मेरे हृदय को आशा से भर दिया l हमारी मंडली ने मिलकर बिगड़े बच्चों, प्रियों की मृत्यु, नौकरियों का छूटना, और टूटे संबंधों पर दुःख प्रगट किया l किन्तु हमने परमेश्वर का अनुग्रह भी अनुभव किया जब हमने परिवर्तित हृदय और व्यक्तिगत संबंधों को ठीक होते देखा था l हमने विजय, विवाह, दीक्षांत, और लोगों को बप्तिस्मा लेकर परमेश्वर के परिवार में आने का उत्सव मनाया l हमारे बीच बच्चों का जन्म हुआ, और बच्चे गोद लिए गए, अथवा प्रभु की उपस्थिति में समर्पित किये गए के साथ और बहुत कुछ l
कलीसिया परिवार द्वारा परीक्षा का सामना करने के इतिहास को याद करते समय, जैसे यिर्मयाह ने अपना “दुःख और मारा मारा फिरना” याद किया(विलाप. 3:29), मैंने माना कि “हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महकरुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है”(पद.22) l जैसे नबी ने अपने को भरोसा दिलाया कि बीते दिनों में परमेश्वर की विश्वासयोग्यता अमर रही, उसके शब्दों ने मुझे भी आराम दिया : “जो यहोवा की बाट जोहते और उसके पास जाते हैं, उनके लिए यहोवा भला है” (पद.25) l
उस शाम, हमारी मण्डली का हर एक व्यक्ति परमेश्वर के जीवन परिवर्तन करने वाले प्रेम का एक प्रतीक था l हम आगे के वर्षों में मसीह की स्वतंत्र देह के सदस्य के रूप में जिस भी स्थिति का सामना करेंगे, हम प्रभु पर निर्भर रह सकते हैं l और जैसे हम लगातार उसे खोजते हुए एक दूसरे की सहायता करते हैं, हम भी, यिर्मयाह की तरह, परमेश्वर का न बदलनेवाला चरित्र और निर्भरता में अपनी आशा को विश्वास निर्माण की स्मृतियों द्वारा प्रमाणित होते देख सकते हैं l
अनंत आशा
क्रिसमस से एक सप्ताह पहले, यानि कि मेरी माँ की मृत्यु के दो महीने बाद, छुट्टियों में खरीददारी और घर सजाना मेरी वरीयता सूची में सबसे नीचे थे l मैंने अपने पति द्वारा मुझे शांति देने के प्रयासों का विरोध किया क्योंकि हमारे परिवार की विश्वासी कुलमाता की मृत्यु से मैं अत्यंत दुखी थी l मैं बहुत उदास थी, जब मेरा बेटा, ज़ेवियर हमारे घर के अन्दर क्रिसमस की बत्तियाँ सजा रहा था l बिना कुछ कहे, अपने पिता के साथ कुछ और काम करने से पहले, उसने बत्तियाँ जला दी l
जैसे ही बत्तियाँ जगमगाने लगीं, परमेश्वर ने धीरे से मुझे अन्धकार से बाहर निकाल दिया l चाहे परिस्थितियाँ जितनी भी दुखद हों, मेरी आशा परमेश्वर की सच्चाई की ज्योति में सुरक्षित थी, जो हमेशा उसके अटल चरित्र को प्रगट करता है l
उस कठिन सुबह के समय परमेश्वर ने जो मुझे याद दिलाया, भजन 146 उसकी पुष्टि करता है : मेरी अनंत आशा “परमेश्वर यहोवा पर है,” जो मेरा सहायक, मेरा सर्वशक्तिमान और करुणामय परमेश्वर है (पद.5) l सबका सृष्टिकर्ता होने के कारण, वह “अपना वचन सदा के लिए पूरा करता रहेगा” (पद.6) l वह “पिसे हुओं का न्याय चुकाता है, और भूखों को रोटी देता है” (पद.7) l “यहोवा झुके हुओं को सीधा खड़ा करता है” (पद.8) l वह “रक्षा करता है,” “संभालता है” और ..., “पीढ़ी पीढ़ी राज्य करता रहेगा” (पद.9-10) l
कभी-कभी, क्रिसमस के दिनों में, हमारे दिन बहुत ही आनंद भरे होंगे l कभी-कभी, हमें हानि होगी, हम दुःख का अनुभव करेंगे, अथवा अकेलापन महसूस करेंगे l किन्तु परमेश्वर हमेशा अन्धकार में ज्योति बनने की और वास्तविक सहायता और अनंत आशा देने की प्रतिज्ञा की है l
यद्यपि के बावजूद परमेश्वर पर भरोसा
1992 में एक दुर्घटना में लगी एक चोट के कारण, मुझे पीठ के ऊपरी भाग, कन्धों, और गले में दर्द होता है l सबसे कष्टदायक और निराशा भरे क्षणों में, हमेशा प्रभु पर भरोसा करना अथवा उसकी प्रशंसा करना सरल नहीं है l किन्तु जब मेरी स्थिति सहन से बाहर हो जाती है, परमेश्वर की अटल उपस्थिति मुझे आराम देती है l वह मुझे सामर्थी बनाता है और अपनी अटल भलाई, असीमित सामर्थ्य, और थामनेवाले अनुग्रह का भरोसा देता है l और जब अपने प्रभु पर शक करने की परीक्षा आती है, मैं शद्रक, मेशक, और अबेदनगो के दृढ़ विश्वास से उत्साह पाता हूँ l उन्होंने आशाहीन स्थिति के बाद भी परमेश्वर की उपासना की और भरोसा किया कि वह उनके साथ है l
राजा नबूकदनेस्सर ने शद्रक, मेशक, और अबेदनगो को सच्चे परमेश्वर का इनकार करके उसके द्वारा बनायी गयी सोने की मूर्ति की उपासना नहीं करने पर उनको धधकती भट्ठी में फेंक देने की धमकी दी (दानि. 3:13-15) l इसके बावजूद इन तीन पुरुषों ने साहसी और भरोसेमंद विश्वास को दर्शाया l “भले ही” परमेश्वर उनको मौजूदा संकट से न छुड़ाए(पद.18), पर उन्होंने हमेशा माना कि परमेश्वर उनकी आराधना के योग्य है (पद. 17) l और परमेश्वर ने उनको उनकी ज़रूरत के समय अकेला नहीं छोड़ा; वह उनके साथ जुड़कर भट्ठी में उनकी सुरक्षा की (पद.24-25) l
परमेश्वर हमें भी अकेला नहीं छोड़ता है l वह नबूकदनेस्सर की भट्ठी की तरह घातक महसूस होनेवाली हमारी परीक्षाओं में हमारे संग रहता है l यदि अनंत के इस ओर हमारे दुःख का अंत न भी हो, परमेश्वर है और हमेशा शक्तिशाली, भरोसेमंद, और भला है l हम उसके अटल और प्रेममय उपस्थिति पर भरोसा कर सकते हैं l
उत्कृष्ट कृतियाँ देखना
मेरे पिता तीरंदाजों के लिए तीर रखने हेतु उनकी पसंदीदा तरकश बनाते हैं l असली चमड़े के तरकश को सिलने से पहले वे उस पर विस्तारपूर्वक वन्य-जीव जंतुओं की तस्वीरें खोद कर बनाते हैं l
एक बार मैंने उनको अपनी एक कलाकृति बनाते देखा l उनके सावधान हाथों ने नरम चमड़े पर तेज़ चाकू से ठीक दबाव डालकर विभिन्न आकृतियाँ बनायीं l उसके बाद उन्होंने सुर्ख लाल रंग में कपड़े का एक टुकड़ा डुबोकर चमड़े पर बराबर रेखाएं खींचकर अपनी रचना की खूबसूरती को बढ़ाया l
अपने पिता की विश्वासपूर्ण शिल्पकारिता की प्रशंसा करते हुए, मैंने जाना कि कई बार मैं दूसरों में और खुद में अपने स्वर्गिक पिता की दिखाई देनेवाली रचनात्मकता को निहारने से चूक जाती हूँ l प्रभु की अद्भुत शिल्पकारिता पर विचार करते हुए, मैं राजा दाऊद की समर्थन को याद करती हूँ कि परमेश्वर ने हमारे “आन्तरिक अस्तित्व” को रचता है और कि हम “भयानक और अद्भुत रीति से” रचे गए हैं (भजन 139:13-14) l
हम भरोसे से अपने सृष्टिकर्ता की प्रशंसा कर सकते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि उसके कार्य “आश्चर्य के हैं” (पद.14) l और हम अपना और दूसरों का अधिक आदर करने के लिए उत्साहित होंगे, विशेषकर जब हम स्मरण करेंगे कि विश्व का सृष्टिकर्ता हमें पूरी तरह जानता था और हमें “[रचने] से पहले” उसने हमारे सब दिन ठहराए (पद.15-16) l
मेरे पिता के कुशल हाथों द्वारा बनाए गए उस चमड़े के तरकश की तरह, हम सब बस इसलिए सुन्दर और मूल्यवान हैं क्योंकि हम परमेश्वर की सृष्टि में अद्भुत हैं l हममें से हर एक, सोची समझी अद्वितीय और उद्देश्पूर्ण बनावट परमेश्वर की प्रिय सर्वश्रेष्ठ कलाकृति हैं, जो परमेश्वर का वैभव प्रगट करते हैं l
भरोसे का हिसाब
हम पति-पत्नी, मसीह को जीवन समर्पित करने से पहले तलाक लेना चाहते थे l किन्तु प्रेम के प्रति समर्पण और परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता के बाद, हमने एक दूसरे के प्रति पूर्णः समर्पण किया l हमने बुद्धिमान सलाह प्राप्त करके पवित्र आत्मा से व्यक्तिगत तौर पर और पति-पत्नी के रूप में हमें रूपांतरित करने को निमंत्रित किया l हमारा स्वर्गिक पिता स्वस्थ संवाद निपुणता विकसित करने में निरंतर हमारी मदद करता है l वह हमें हर परिस्थिति में उस पर और एक दूसरे पर प्रेम और भरोसा करना सिखा रहा है l
फिर भी, विवाह की पच्चीसवाँ वर्षगांठ मनाने की तैयारी में, मैं कभी-कभी वह सब कुछ भूल जाती हूँ जो परमेश्वर ने हमारे आजमाइशों में और उसके द्वारा किया है l कभी-कभी मैं परमेश्वर की पिछली उपलब्धियों पर भरोसा न करके, अज्ञात के प्रति छिपे भय से संघर्ष करते हुए व्यर्थ चिंता अनुभव करती हूँ l
व्यवस्थाविवरण 1 में, मूसा ने प्रभु की विश्वासयोग्यता की पुष्टि करता है l उसने इस्राएलियों से विश्वास में आगे बढ़ने को कहा ताकि वे विरासत का आनंद उठा सकें (पद.21) l किन्तु परमेश्वर के लोगों ने भविष्य के लिए उस पर भरोसा करने सम्बन्धी सारा विवरण माँगा (पद.22-33) l
मसीह के विश्वासी भय अथवा चिंता के अधीन होने के प्रति प्रभावशून्य नहीं हैं l कठिनाईयों से सामना करने अथवा न करने की चिंता हमें हमारे विश्वास पर निर्भर रहने से रोक सकती है, और परमेश्वर और दूसरों के साथ हमारे संबंधों को हानि पहुँचा सकती है l किन्तु पवित्र आत्मा प्रभु की पिछली विश्वासयोग्यता का हिसाब रखने में हमारी मदद कर सकता है l वह हमें कल, आज, और कल परमेश्वर की विश्वासयोग्यता में साहसिक भरोसा उत्पन्न कर सकता है l
हमारे पास सामर्थ्य है
कड़कड़ाहट की आवाज़ ने मुझे चौंका दिया l मैं आवाज़ को पहचानकर रसोई की ओर भागी l मैंने भूल से कॉफ़ी बनाने वाला बिजली का उपकरण ऑन कर दिया था l मैंने उपकरण का प्लग हटाकर, उसके तले को छूकर देखना चाही कि टाइल का काउंटर पैर रखने लायक बहुत गर्म तो नहीं है l उसके चिकने भाग से मेरी उंगलियाँ जल गयीं, और मेरे कोमल पैरों में छाले हो गए l
मेरे पति द्वारा मेरे घाव में दावा लगाते समय मैंने अपना सिर हिलाया l मैं जानती थी कि कांच गरम होगा l “मैं ईमानदारी से कहती हूँ, मुझे नहीं मालुम मैंने उसे क्यों छू दिया,” मैं बोली l
मेरी गलती ने मुझे वचन में एक गंभीर विषय, पाप के स्वभाव के विषय पौलुस का प्रतिउत्तर याद दिलाया l
प्रेरित स्वीकारता है कि जो वह करता है उस को नहीं जानता; क्योंकि जो वह चाहता है वह नहीं करता (रोमि. 7:15) l स्वीकार करते हुए कि वचन सही और गलत को निश्चित करता है (पद.7), वह पाप के विरुद्ध शरीर और आत्मा के बीच निरंतर चलनेवाली जटिल और वास्तविक युद्ध को पहचानता है (पद.15-23) l वह अपनी दुर्बलता स्वीकारते हुए, वर्तमान और सर्वदा की विजय की आशा प्रस्तुत करता है (पद.24-25) l
जब हम मसीह को अपना जीवन समर्पित करते हैं, वह हमें पवित्र आत्मा देता है जो हमें सही करने के लिए सामर्थी बनाता है (8:8-10) l जब वह हमें परमेश्वर का वचन मानने के लिए आज्ञाकारी बनाता है, हम झुलसाने वाले पाप से दूर हो सकते हैं जो हमें उस बहुतायत के जीवन से दूर करता है जो परमेश्वर अपने प्रेम करनेवाले को देने की प्रतिज्ञा की है l
मीठा और खट्टा
हमारा छोटा बेटा नीबू को दांतों से काटकर, नाक सिकोड़कर, जीभ निकलकर, और आँखें मींचकर बोला, “खट्टा” l
मैंने हँसकर, उससे नीबू छीनकर कूड़े में फेंकना चाही l
“नहीं!” ज़ेवियर रसोई से दौड़कर मुझसे नीबू लेने आया l “और चाहिए!” उसने हर बार उस रसीले फल को काटते हुए अपने होंठ सिकोड़े l मैं चौंक गयी जब अंत में वह मुझे चिल्का देकर चला गया l
मेरी स्वाद-कोशिकाएं वास्तविक रूप से जीवन के मधुर क्षण के प्रति मेरा भेदभाव दर्शाती हैं l सभी कड़वी वस्तुओं को दूर रखने की मेरी पसंद अय्यूब की पत्नी की याद दिलाती है, जो दुःख के रूखेपन के प्रति मेरे विरोध के साथ है l
अय्यूब भी कठिनाई या परेशानी में आनंदित नहीं था, फिर भी हृदय की अत्यंत कष्ट पूर्ण स्थितियों द्वारा परमेश्वर का आदर किया (अय्यूब 1:1-22) l अय्यूब ने दुखदाई घावों का दुःख सहा(2:7-8) l उसकी पत्नी ने उससे परमेश्वर की निंदा करने को कहा (पद.9), किन्तु उसने कष्ट और पीड़ा में भी प्रभु पर भरोसा प्रगट किया (पद.10) l
जीवन की कड़वाहट से दूरी स्वाभाविक है l दुःख में परमेश्वर का विरोध करने की परीक्षा आ सकती है l किन्तु हमें भरोसा, निर्भरता, समर्पण सिखाने हेतु दुःख का उपयोग करते समय वह धीरज रखने में भी सहायता करता है l और अय्यूब की तरह, ज़रूरी नहीं कि हम दुःख के पीछे छिपी मिठास अर्थात् विश्वास की दृढ़ता प्राप्त करने के लिए उसका आनंद लें l