किम ने 2013 में स्तन कैंसर के साथ संघर्ष करना आरम्भ किया था। उसके उपचार के समाप्त होने के चार दिनों के पश्चात, चिकित्सकों ने उसे लगातार बढ़ रहे फेफड़ों के रोग से ग्रस्त बताया और उसे तीन से पाँच साल और जीने का समय दिया। वह बहुत दुखी हुई और पहले साल अपनी भावनाओं के साथ उसने रो-रोकर परमेश्वर से प्रार्थना की। 2015 में जब मेरी मुलाकात किम के साथ हुई, तब तक उसने अपनी परिस्थिति को परमेश्वर के हाथों में सौंप दिया था और दूसरों पर असर डालने वाला आनन्द और शान्ति प्राप्त कर ली थी। यद्यपि कुछ दिन बहुत ही कठिन होते हैं, फिर भी जब वह दूसरों को प्रोत्साहित करती थी तो परमेश्वर उसके दिल दहला देने वाले दुःख को आशा से भरी हुई स्तुति की सुन्दर गवाही में बदलते रहे।   

यद्यपि जब हम भयानक परिस्थितियों में होते हैं, परमेश्वर हमारे विलाप को आनन्द के नृत्य में बदल सकता है। यद्यपि उनकी चंगाई सर्वदा दिखाई या अनुभव नहीं होती, जिसकी हम आशा करते हैं, परन्तु फिर भी हम परमेश्वर के कार्यों पर दृढ विश्वास कर सकते हैं (भजन संहिता 30:1–3) । इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारा मार्ग कितना भी ऊबड़-खाबड़ प्रतीत हो, हमारे पास उनकी स्तुति करने के अनगिनत कारण हैं (पद  4)। हम परमेश्वर में आनन्द मना सकते हैं, जब वह हमारे विश्वास को स्थिर रखता है (पद 5–7) । हम उसकी दया के लिए दोहाई दे सकते हैं (पद 8–10), और उस आशा से आनन्द मना सकते हैं जो वह अनेक विलाप करते आराधकों के लिए ले कर आता है। मात्र परमेश्वर ही निराशा के विलाप को गुंजायमान आनन्द में बदल सकता है, जो किसी परिस्थिति पर निर्भर नहीं होता है (पद 11–12)।

जब हमारा करुणामयी परमेश्वर हमारे दुःख में हमें आराम प्रदान करता है, तो वह हमें शान्ति से भर देता है और हमें अपने आप और दूसरों के लिए दया दिखाने की सामर्थ प्रदान करता है। हमारा प्रेमी और विश्वासयोग्य प्रभु हमारे विलाप को आराधना में बदल सकता और बदलता है, जो हमारे दिल को गहन भरोसे, स्तुति या आनन्द से परिपूर्ण नृत्य में बदल सकता है।