जब मेरे चचेरे भाई ने मुझे केंकड़ा पकड़ने में उसके साथ चलने के लिए आमन्त्रित किया, मैं और कुछ सहायता तो नहीं कर सका, परन्तु उत्तेजित हो गया l मैं मुस्कराया जब उसने मुझे एक प्लास्टिक की बाल्टी पकड़ायी l “कोई ढक्कन नहीं?”

“तुम्हें उसकी जरूरत नहीं पड़ेगी,” मछली पकड़ने की डोरियों और मुर्गियों के टुकड़ों से भरे के एक छोटे थैले को उठाते हुए उसने कहा, जिसे हम चारे के रूप में प्रयोग करने वाले थे l

बाद में, जब मैंने उन केंकड़े को लगभग आधी भरी बाल्टी  में एक दूसरे पर चढ़ कर निकलने का असफल प्रयास करते हुए देखा, तब मुझे अहसास हुआ कि हमें ढक्कन की ज़रूरत क्यों नहीं पड़ेगी l जब भी एक केंकड़ा ऊपर तक पहुँचता था, दूसरा उसे नीचे खींच लेता था l

केंकड़ों की दुर्दशा मुझे याद दिलाती है कि सम्पूर्ण समुदाय के लाभ के स्थान पर मात्र अपने ही लाभ की चिन्ता करना कितना विनाशकारी हो सकता है l पौलुस ऊपर उठाने वाले परस्पर सम्बन्ध को समझ गया था, जब उसने थिस्सलुनीके के विश्वासियों को पत्र लिखा l उसने उनसे आग्रह किया, “जो ठीक चाल नहीं चलते उनको समझाओ कायरों को ढाढ़स दो, निर्बलों को सम्भालो, सब की ओर सहनशीलता दिखाओ l” (1 थिस्सलुनीकियों 5:14)

देखभाल करने वाले उनके समुदाय की सराहना करते हुए (पद 11), पौलुस ने उन्हें और अधिक प्रेममय और शांतिपूर्ण सम्बन्धों के लिए प्रेरित किया l (पद 13-15) क्षमा, करुणा और दया की एक संस्कृति का निर्माण करने के प्रयास के द्वारा परमेश्वर और अन्य लोगों के साथ उनका सम्बन्ध मज़बूत हो सकता था l (पद 15, 23)

इस प्रकार के प्रेम से भरी हुई एकता के द्वारा कलीसिया उन्नति कर सकती है और मसीह की गवाही दे सकती हैl जब विश्वासी उनको नीचे खींचने के स्थान पर दूसरों को ऊपर उठाने के लिए समर्पित होकर परमेश्वर का सम्मान करते हैं, तो हम और हमारे समुदाय फलते-फूलते हैं l