दयालुता की विरासत
मार्था ने एक प्राथमिक स्कूल में एक सहायक शिक्षिका के रूप में 30 साल से ज्यादा सेवा की । हर साल, वह जरुरतमन्द बच्चों के लिए नए कपड़े खरीदने के लिए पैसे बचाती थी l उसके ल्यूकेमिया(leukemia) से लड़ाई हारने के बाद, हम ने जीवन सेवा का एक उत्सव आयोजित किया । फूलों की जगह, लोगों ने उन छात्रों को जिन से वह प्यार करती और दशकों से जिनकी सेवा करती थी सौ से अधिक एकदम नए कपड़े दान किए । कई लोग उन के बारे में कहानियाँ बतायीं कि कैसे अनगिनत तरीकों से मार्था ने दूसरों को दयालु शब्दों और विचारशील कार्यों द्वारा प्रोत्साहित किया था l अनंतकाल के इस तरफ उसकी जिन्दगी खत्म होने के बाद उसके साथी शिक्षकों ने तीन वर्षों तक वार्षिक वस्त्र मुहिम चलाकर उसके स्मरण को सम्मानित किया l उसकी भलाई की विरासत आज भी उदारता से जरुरतमंदों की सेवा करने के लिए प्रेरित करती है l
प्रेरितों 9 में, प्रेरित लूका दोरकास की कहानी साझा करता है, एक महिला जो “बहुत से भले-भले काम और दान किया करती थी” (पद.36) l बीमार होकर मरने के बाद, उस शोकित समुदाय ने पतरस को आने के लिए आग्रह किया । सारी विधवाओं ने पतरस को दिखाया कि दोरकास किस तरह सेवा करने के लिए जीती थी (पद.39) । दया के एक आश्चर्यकर्म में, पतरस ने दोरकास को जीवित किया । दोरकास के जीवित होने की खबर फैली, और “बहुतेरों ने प्रभु पर विश्वास किया” (पद.42) । पर यह दोरकास का व्यावहारिक तरीकों से सेवा करने की प्रतिबद्धता थी जो उसके समुदाय में हृदयों को छूआ और उदार प्रेम की सामर्थ्य को प्रकट किया ।
आशा में इंतजार करना
हमारे एक वेटर के रूप में रोगेलिओ ने हमारे सप्ताह भर की छुट्टी के दौरान हमारी सेवा की l एक बातचीत में, उसने आशीष के रूप में मजबूत विश्वास वाली दयालु पत्नी, केली के लिए यीशु को श्रेय दिया l उनके पहले बच्चे के बाद, परमेश्वर ने उनको उनकी भांजी की देखभाल करने का मौका दिया जिसे बौद्धिक विकलांगता(Down syndrome) थी l जल्द ही, रोगेलिओ की सास को वहीँ रहकर देखभाल की ज़रूरत थी l
रोगेलिओ आनंद के साथ काम करता है, अक्सर दो-पारियों में, यह निश्चित करने के लिए कि उसकी पत्नी घर पर रहकर उन लोगों की देखभाल कर सकेगी जिन्हें परमेश्वर ने उनको सौंपा है l जब मैंने साझा किया कि कैसे उन दोनों ने अपने परिवार के सदस्यों की सेवा करने के लिए अपने हृदय और घर को खोलने के तरीके से मुझे बेहतर प्यार करने के लिए प्रेरित किया, तो उसने कहा, “उनकी सेवा करना . . . और आपकी मेरे लिए आनंद की बात है l”
रोगेलिओ का जीवन हमें उदारता के साथ जीना और परमेश्वर पर प्रबंध करने के लिए भरोसा को दृढ़ करता है जब हम निस्वार्थ भाव से परस्पर सेवा करते हैं l प्रेरित पौलुस ने परमेश्वर के लोगों से “प्रेम . . . आशा में आनंदित . . . क्लेश में स्थिर [रहने और] प्रार्थना में नित्य लगे” रहने का आग्रह किया जब हम “पवित्र लोगों को जो कुछ आवश्यक हो, उसमें उनकी सहायता [करते हुए] पहुनाई करने में लगे [हैं]” (रोमियों 12:10-13) l
हमारे जीवन पल भर में बदल सकते हैं, और हमें या हमारे प्रियों को ऐसी परिशितियों में डाल सकते हैं जो असहनीय महसूस होते हैं l लेकिन जब हम परमेश्वर का इंतज़ार करते हुए सब कुछ जो उसने दिया है साझा करने को तैयार हो जाते हैं, तो हम मिलकर उसके स्थायी प्यार में जुड़ सकते हैं l
गुप्त दाता
शारीरिक रूप से अक्षम वयोवृद्ध क्रिस्टोफर के लिए, रोजमर्रा की गतिविधियाँ अधिक चुनौतीपूर्ण हो गई थीं, उन्हें खत्म करने में अधिक समय लगने लगा था, और उसके दर्द में वृद्धि होती थी l फिर भी, उसने अपनी पत्नी और बच्चे की सेवा करने की पूरी कोशिश की l राहगीर उसे हर सप्ताह अपने बगीचे में कड़ी मेहनत करते हुए देखते थे l
एक दिन, क्रिस्टोफर को एक अनाम दाता से एक पत्र मिला─और उसके बगीचे में उसकी मदद करने के लिए एक महंगी मशीन l गुप्त दाता की संतुष्टि किसी की ज़रूरत में मदद करने के विशेषाधिकार के द्वारा आई l
यीशु ने यह नहीं कहा कि हमारा सम्पूर्ण दान गुप्त होना चाहिए, लेकिन जब हम देते हैं तो वह हमारे उद्देश्यों की जांच करने के लिए हमें याद दिलाता है (मत्ती 6:1) l उसने यह भी कहा : “इसलिए जब तू दान करे, तो अपने आगे तुरही न बजवा, जैसे कपटी, सभाओं और गलियों में करते हैं, ताकि लोग उन की बड़ाई करें” (पद.2) l जबकि परमेश्वर हमसे खुले हाथों से देनेवाला बनने की आशा करता है वह हमसे लोगों के सामने विशेष मान्यता या सराहना प्राप्त करने के उद्देश्य से दूर रहने के लिए उत्साहित करता है (पद.3) l
जब हम अहसास करते हैं कि सब कुछ परमेश्वर की ओर से मिलता है, हम गुप्त दाता बन सकते हैं जिन्हें अपनी पीठ थपथपाने या दूसरों की प्रशंसा हासिल करने की जरूरत नहीं है l हमारा सभी अच्छी चीजों का सर्वज्ञानी दाता अपने लोगों के वास्तविक उदारता में प्रसन्न होता है l कुछ भी उसकी मंजूरी के उपहार को पराजित नहीं करता है l
दयालुता की विरासत
मार्था ने एक प्राथमिक स्कूल में एक सहायक शिक्षिका के रूप में 30 साल से ज्यादा सेवा की । हर साल, वह जरुरतमन्द बच्चों के लिए नए कपड़े खरीदने के लिए पैसे बचाती थी l उसके ल्यूकेमिया(leukemia) से लड़ाई हारने के बाद, हम ने जीवन सेवा का एक उत्सव आयोजित किया । फूलों की जगह, लोगों ने उन छात्रों को जिन से वह प्यार करती और दशकों से जिनकी सेवा करती थी सौ से अधिक एकदम नए कपड़े दान किए । कई लोग उन के बारे में कहानियाँ बतायीं कि कैसे अनगिनत तरीकों से मार्था ने दूसरों को दयालु शब्दों और विचारशील कार्यों द्वारा प्रोत्साहित किया था l अनंतकाल के इस तरफ उसकी जिन्दगी खत्म होने के बाद उसके साथी शिक्षकों ने तीन वर्षों तक वार्षिक वस्त्र मुहिम चलाकर उसके स्मरण को सम्मानित किया l उसकी भलाई की विरासत आज भी उदारता से जरुरतमंदों की सेवा करने के लिए प्रेरित करती है l
प्रेरितों 9 में, प्रेरित लूका दोरकास की कहानी साझा करता है, एक महिला जो “बहुत से भले-भले काम और दान किया करती थी” (पद.36) l बीमार होकर मरने के बाद, उस शोकित समुदाय ने पतरस को आने के लिए आग्रह किया । सारी विधवाओं ने पतरस को दिखाया कि दोरकास किस तरह सेवा करने के लिए जीती थी (पद.39) । दया के एक आश्चर्यकर्म में, पतरस ने दोरकास को जीवित किया । दोरकास के जीवित होने की खबर फैली, और “बहुतेरों ने प्रभु पर विश्वास किया” (पद.42) । पर यह दोरकास का व्यावहारिक तरीकों से सेवा करने की प्रतिबद्धता थी जो उसके समुदाय में हृदयों को छूआ और उदार प्रेम की सामर्थ्य को प्रकट किया ।
नवीकृत दर्शन
मेरी बाईं आंख में एक दर्दनाक मामूली सर्जरी के बाद, मेरे डॉक्टर ने दृष्टि परीक्षण की सिफारिश की l आत्मविश्वास के साथ, मैंने अपनी दाहिनी आंख को ढक लिया और चार्ट पर प्रत्येक पंक्ति को आसानी से पढ़ा l अपनी बाईं आंख को ढँकने पर, मैं धक से रह गयी l मैं कैसे महसूस नहीं कर सकी कि मैं इतनी अंधी थी?
नए चश्मे और नवीनीकृत दृष्टि के साथ तालमेल बिठाते हुए, मैंने सोचा कि कैसे दैनिक अभ्यास मुझे अक्सर आध्यात्मिक निकट दृष्टि वाली बना दी l केवल उसी चीज़ पर ध्यान केंद्रित करना, जिसे मैं अति निकट देख सकती थी—मेरे दर्द और हमेशा बदलती परिस्थितियाँ —मैं अपने शाश्वत और अपरिवर्तनीय परमेश्वर की ईमानदारी के प्रति अंधी हो गयी l इस तरह के सीमित परिप्रेक्ष्य के साथ, आशा एक अप्राप्य धुंधलापन बन गया l
पहला शमूएल 1 एक अन्य महिला की कहानी बताता है जो अपनी वर्तमान पीड़ा, अनिश्चितता और नुकसान पर ध्यान केंद्रित करते हुए परमेश्वर की विश्वसनीयता को पहचानने में विफल रही l सालों तक, हन्ना ने अपने पति एलकाना की दूसरी पत्नी पन्निना से संतानहीनता और अंतहीन पीड़ा को सहन किया l हन्ना के पति ने उसे स्वीकार किया, लेकिन संतोष उससे दूर रहा l एक दिन, उसने अत्यधिक ईमानदारी के साथ प्रार्थना की l जब एली याजक ने उससे पूछा, तो उसने अपनी स्थिति बताई l जब वह चली गई, तो उसने प्रार्थना की कि परमेश्वर उसके अनुरोध को स्वीकार करे (1 शमूएल 1:17) l हालाँकि हन्ना की स्थिति में तुरंत बदलाव नहीं आया, लेकिन वह आत्मविश्वास की उम्मीद के साथ वापस गयी (पद.18) l
1 शमूएल 2:1-2 में हन्ना की प्रार्थना उसके ध्यान में बदलाव दर्शाती है l उसकी परिस्थितियों में सुधार होने से पहले, हन्ना के नए दर्शन ने उसके दृष्टिकोण और उसके व्यवहार को बदल दिया l वह परमेश्वर की निरंतर उपस्थिति में आनन्दित थी─उसकी चट्टान और और हमेशा की आशा l
मिलकर काम करना
जो(Joe) ने दिन में बारह घंटे से ज्यादा काम किया, अक्सर बिना अवकाश के l एक धर्मार्थ व्यवसाय के आरम्भ ने इतने समय और ऊर्जा की मांग की कि जब वह घर पहुँचा तो उसके पास उसकी पत्नी और बच्चों के लिए बहुत कम समय बचा था l जीर्ण तनाव की सजा ने जब जो को अस्पताल में पहुंचाया, तो एक दोस्त ने उसकी मदद करने के लिए एक टीम का आयोजन करने की पेशकश की l हालांकि वह नियंत्रण छोड़ने में डर रहा था, जो जानता था कि वह अपनी वर्तमान गति को बनाए नहीं रख सकता l वह अपने दोस्त पर─और ईश्वर पर─भरोसा करने के लिए तैयार हो गया, जब उसने उन लोगों के समूह को जिम्मेदारियाँ सौंपीं जिन्हें उन्होंने एक साथ मिलकर चुना था l एक साल बाद, जो ने स्वीकार किया कि दान और उसका परिवार कभी समृद्ध नहीं हो सकता है यदि उसने उस मदद को अस्वीकार किया होता जिसे परमेश्वर ने उसको भेजा था l
परमेश्वर ने एक प्यार करने वाले समुदाय के समर्थन के बिना लोगों को अभिकल्पित नहीं किया l निर्गमन 18 में, मूसा ने जंगल के रास्ते से इस्राएलियों का नेतृत्व किया l उसने अपने बल पर एक शिक्षक, एक परामर्शदाता, और एक न्यायी के रूप में परमेश्वर के लोगों की सेवा करने की कोशिश की l जब उसके ससुर ने उससे मुलाकात की, तो उन्होंने मूसा को सलाह दी : “इससे तू क्या, वरन् ये लोग भी जो तेरे संग हैं निश्चय थक जाएँगे, क्योंकि यह काम तेरे लिए बहुत भारी है,” यित्रो ने कहा (निर्गमन 18:18) l उसने मूसा को वफादार लोगों के साथ काम का बोझ साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया l मूसा ने मदद स्वीकार की और पूरे समुदाय को फायदा हुआ l
जब हम भरोसा करते हैं कि परमेश्वर अपने सभी लोगों के साथ और उनके द्वारा काम करता है, जब हम एक साथ काम करते हैं, तो हम वास्तविक आराम पा सकते हैं l
लहरों पर सवारी करना
जब मेरे पति चट्टानी समुद्र तट पर टहलते हुए क्षितिज की तस्वीरें ले रहे थे, मैं एक बड़ी चट्टान पर बैठे हुए एक और चिकित्सा नाकामयाबी के विषय क्षुब्ध हो रही थी l हालाँकि मेरे घर लौटने पर मेरी समस्याएँ मेरा इंतजार कर रही होंगी, मुझे उस क्षण शांति की आवश्यकता थी l मैं आने वाली लहरों को घूर रही थी जो काली, नुकीली चट्टानों से टकरा रहे थे l लहर के वक्र में एक अंधेरी छाया ने मेरी आंख को अपनी ओर कर लिए l अपने कैमरे पर ज़ूम विकल्प का उपयोग करते हुए, मैंने उस आकार को एक समुद्री कछुआ के रूप में पहचाना जो शांतिपूर्वक लहरों की सवारी कर रहा था l उसके तरणका-पाद(flippers) फैले हुए और शांत थे l अपने चेहरे को लवणयुक्त मंद हवा की ओर करके, मैं मुस्कुरायी l
”स्वर्ग में तेरे(परमेश्वर) अद्भुत काम की . . . प्रशंसा होगी”(भजन 89:5) l हमारे अतुलनीय परमेश्वर शासन करते हुए “समुद्र के गर्व को . . . तोड़ता है; जब उसके तरंग उठते हैं, तब[परमेश्वर] . . . उनको शांत कर देता है” (पद.9) l उसने “जगत और जो कुछ उस में है, उसे . . . स्थिर किया है” (पद.11) l उसने यह सब बनाया, वही सब का मालिक है, और अपनी महिमा और हमारे आनंद के लिए प्रायोजन करता है l
अपने विश्वास की नींव पर खड़े रहकर─हमारे अपरिवर्तनीय पिता का प्यार─हम “तेरे मुख के प्रकाश में [चल सकते हैं]” (पद.15) l परमेश्वर हमारे साथ सामर्थ में शक्तिशाली और अपने बर्ताव में करुणामयी बना रहता है l हम दिन भर उसके नाम में आनन्दित रह सकते हैं (पद.16) l इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमें किन बाधाओं का सामना करना पड़े या कितनी नाकामयाबियों को सहन करना पड़े, परमेश्वर हमें थामता है जब लहरें उठती और गिरती हैं l
बैगनी शॉल
अपने घर से सैकड़ों मील दूर एक कैंसर केंद्र में अपनी माँ के साथ रहकर देख-रेख करनेवाली(care-giver) के रूप में सेवा करते हुए, मैंने लोगों से हमारे लिए प्रार्थना करने के लिए कहा l जैसे-जैसे महीने बीतते गए, अलगाव और अकेलेपन ने मेरी ताकत छीन ली l मैं अपनी शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक थकावट से हार मानकर अपनी माँ की देखभाल कैसे कर सकती थी?
एक दिन, एक मित्र ने मुझे एक अप्रत्याशित देखभाल पैकेज भेजा l मेरे दोस्त ने क्रोशिया से काढ़कर एक बैंगनी प्रार्थना शॉल बनाया, एक गर्म अनुस्मारक, कि हमारे लिए प्रतिदिन प्रार्थना करने वाले लोग थे l जब भी मैंने अपने कंधों पर उस नरम शॉल को लपेटा, मैंने परमेश्वर को मुझे अपने लोगों की प्रार्थनाओं के साथ गले लगाते हुए महसूस किया l वर्षों बाद, वह अभी भी उस बैंगनी शाल का उपयोग मुझे आराम देने और मेरे संकल्प को मजबूत करने के लिए करता है l
प्रेरित पौलुस दूसरों के लिए प्रार्थना करने के महत्व और आत्मा की स्फूर्तिदायक शक्ति की पुष्टि की l अपनी यात्रा के दौरान प्रार्थना के समर्थन और प्रोत्साहन के लिए अपने भावुक अनुरोध के माध्यम से, पौलुस ने दर्शाया कि जो लोग दूसरों के लिए प्रार्थना करते हैं वे सेवा में भागीदार बनते हैं (रोमियों 15:30) l विशिष्ट अनुरोधों की पेशकश करते हुए, प्रेरित ने न केवल साथी विश्वासियों के समर्थन पर अपनी निर्भरता दिखाई, बल्कि अपना भरोसा कि परमेश्वर शक्तिशाली रूप से प्रार्थना का उत्तर देता है (पद.31-33) l
हम सब ऐसे दिनों का अनुभव करेंगे जब हम अकेला महसूस करेंगे l लेकिन पौलुस हमें दिखाता है कि प्रार्थना कैसे मांगनी है जब हम दूसरों के लिए प्रार्थना करते हैं l जब हम ईश्वर के लोगों की परहित प्रार्थनाओं में लिपटे रहते हैं, तो चाहे जीवन हमें कहीं भी ले जाए, हम परमेश्वर की सामर्थ्य और आराम का अनुभव कर सकते हैं l
सुरक्षित और शांत
उर्जा से भरपूर शिशु विद्यालय का छात्र, मेरे बेटे जेवियर ने दोपहर के आराम के समय से परहेज किया l शांत रहना अक्सर अनचाहा परिणाम, झपकी, लेकर आया, जो अति-आवश्यक था l इसलिए, वह अपनी सीट पर बैठ कर हिलता-डुलता था, सोफे पर खिसकता था, फर्श पर दौड़ता था, और यहाँ तक कि आराम से बचने के लिए पूरे कमरे में चक्कर मारता था l “माँ, मुझे भूख लगी है . . . मुझे प्यास लगी है . . . मुझे बाथरूम जाना है . . . मुझे दुलार करना है l”
निःस्तब्धता के लाभों को समझते हुए, मैं ज़ेवियर को शांत रहने में मदद करने के लिए मुझसे सटकर लेटने के लिए बुलाती थी l मेरी ओर झुककर, वह सो जाता था l
अपने आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत में, मैंने अपने बेटे के सक्रिय रहने की इच्छा पर विचार किया l व्यस्तता मुझे स्वीकृत, महत्वपूर्ण और नियंत्रण में महसूस कराया, जबकि शोर ने मुझे मेरी कमियों और आजमाइशों पर क्षुब्ध होने से ध्यान हटा दिया l आराम करने के लिए समर्पण ने मेरी कमजोर मानवता की पुष्टि की l इसलिए मैंने शांति और खामोशी से परहेज किया, और शक करने लगी कि परमेश्वर मेरी सहायता के बिना चीजों को नहीं संभाल सकता था l
लेकिन वह हमारा शरणस्थान है, चाहे कितनी भी परेशानियाँ या अनिश्चितताएँ हमें घेरे हों l आगे का रास्ता लंबा, डरावना या अभिभूत करनेवाला लग सकता है, लेकिन उसका प्यार हमें घेर लेता है l वह हमें सुनता है, हमें जवाब देता है और हमारे साथ रहता है . . . अब और हमेशा के लिए अनंत काल तक (भजन 91) l
हम परमेश्वर की शांति को गले लगा सकते हैं और उसके अचल प्रेम और निरंतर उपस्थिति में सहारा ले सकते हैं l हम शांत रहकर उसमें विश्राम पा सकते हैं क्योंकि हम उसकी अपरिवर्तनीय विश्वासयोग्यता में सुरक्षित हैं (पद.4) l