शारीरिक रूप से अक्षम वयोवृद्ध क्रिस्टोफर के लिए,  रोजमर्रा की गतिविधियाँ अधिक चुनौतीपूर्ण हो गई थीं,  उन्हें खत्म करने में अधिक समय लगने लगा था, और उसके दर्द में वृद्धि होती थी l  फिर भी,  उसने अपनी पत्नी और बच्चे की सेवा करने की पूरी कोशिश की l राहगीर उसे हर सप्ताह अपने बगीचे में कड़ी मेहनत करते हुए देखते थे l

एक दिन,  क्रिस्टोफर को एक अनाम दाता से एक पत्र मिला─और उसके बगीचे में उसकी मदद करने के लिए एक महंगी मशीन l गुप्त दाता की संतुष्टि किसी की ज़रूरत में मदद करने के विशेषाधिकार के द्वारा आई l

यीशु ने यह नहीं कहा कि हमारा सम्पूर्ण दान गुप्त होना चाहिए, लेकिन जब हम देते हैं तो वह हमारे उद्देश्यों की जांच करने के लिए हमें याद दिलाता है (मत्ती 6:1) l उसने यह भी कहा : “इसलिए जब तू दान करे, तो अपने आगे तुरही न बजवा, जैसे कपटी, सभाओं और गलियों में करते हैं, ताकि लोग उन की बड़ाई करें” (पद.2) l जबकि परमेश्वर हमसे खुले हाथों से देनेवाला बनने की आशा करता है वह हमसे लोगों के सामने विशेष मान्यता या सराहना प्राप्त करने के उद्देश्य से दूर रहने के लिए उत्साहित करता है (पद.3) l

जब हम अहसास करते हैं कि सब कुछ परमेश्वर की ओर से मिलता है, हम गुप्त दाता बन सकते हैं जिन्हें अपनी पीठ थपथपाने या दूसरों की प्रशंसा हासिल करने की जरूरत नहीं है l हमारा सभी अच्छी चीजों का सर्वज्ञानी दाता अपने लोगों के वास्तविक उदारता में प्रसन्न होता है l कुछ भी उसकी मंजूरी के उपहार को पराजित नहीं करता है l