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इंतज़ार के काबिल

एक ठहराव के बारे में बातें करें(Talk about a layover) l फिर स्ट्रिंगर को तूफ़ान के कारण विलंबित हुई उड़ान में चढ़ने के लिए अठारह घंटे इंतज़ार करना पड़ा l हालाँकि, उनका धैर्य और दृढ़ता काम आई l न केवल उसे अपने गंतव्य तक उड़ान भरने और महत्वपूर्ण व्यावसायिक बैठकों में समय पर पहुँचने का अवसर मिला, बल्कि वह उड़ान में एकमात्र यात्री भी था! अन्य सभी यात्रियों ने हार मान ली या अन्य व्यवस्थाएँ की l फ्लाइट परिचारक ने उसे जो भी खाने की चीज़ चाहिए दी, और स्ट्रिंगर कहते हैं, “बेशक, मैं आगे की पंक्ति में बैठा था l जब पूरा विमान आपके पास है तो क्यों नहीं?” परिणाम निश्चित रूप से इंतज़ार के लायक था l 

अब्राहम ने वह भी सहन किया जो एक लम्बी देरी जैसा महसूस हुआ होगा l बहुत पहले जब उसे अब्राम के नाम से जाना जाता था, परमेश्वर ने उससे कहा था कि वह उसे “एक बड़ी जाति [बनाएगा]” और “भूमण्डल के सारे कुल [उसके] द्वारा आशीष पाएंगे” (उत्पत्ति 12:2-3) l पचहत्तर वर्षीय व्यक्ति के लिए केवल एक ही समस्या थी (पद.4) : वह बिना उत्तराधिकारी के एक महान राष्ट्र कैसे बन सकता था? और यद्यपि उसकी प्रतीक्षा कभी-कभी अधूरी रह जाती थी (उसने और पत्नी सारै ने कुछ गलत विचारों के साथ परमेश्वर को अपना वादा पूरा करने में “सहायता” करने का प्रयास किया—देखें 15:2-3; 16:1-2, जब “पुत्र इसहाक उत्पन्न हुआ तब अब्राहम एक सौ वर्ष का था”(21:5) l उसके विश्वास का बाद में इब्रानियों के लेखक द्वारा गुणगान किया गया(11:8-12) l

इंतज़ार करना कठिन हो सकता है l और, अब्राहम की तरह, हम इसे पूरी तरह से नहीं कर सकते है l लेकिन जब हम प्रार्थना करते हैं और ईश्वर की योजनाओं में आराम करते हैं, तो क्या वह हमें दृढ़ रहने में मदद कर सकता है l उसमें, यह हमेशा प्रतीक्षा के लायक है l 

और अधिक यीशु की तरह दिखाई दें

ईश्वर ने बड़े भूरे उल्लू(great gray own) को छिपने में निपूर्ण होने के लिए बनाया है l इसके सिल्वर-ग्रे पंखों में रंग का एक सामूहिक नमूना होता है जो इसे पेड़ों पर बैठने पर छिपने में घुलने-मिलने की अनुमति देता है l जब उल्लू अदृश्य रहना चाहते हैं, तो वे सादे दृश्य में छिप जाते हैं, अपने पंखों वाला छिपने की सहायता से अपने वातावरण में मिल जाते हैं l 

परमेश्वर के लोग अक्सर बड़े भूरे उल्लू की तरह होते हैं l हम आसानी से संसार में घुलमिल सकते हैं और जानबूझकर या अनजाने में मसीह में विश्वासियों के रूप में पहचाने नहीं जा सकते l यीशु ने अपने शिष्यों के लिए प्रार्थना की—जिन्हें पिता ने उसे “जगत में से उसे दिया था,” जिन्होंने उसके वचन को “मान लिया था” (यूहन्ना 17:6) l परमेश्वर पुत्र ने पिता परमेश्वर से उसके जाने के बाद उनकी रक्षा करने और उन्हें पवित्रता और निरंतर आनंद में रहने के लिए सशक्त बनाने के लिए कहा (पद.7-13) l उसने कहा, “मैं यह विनती नहीं करता कि तू उन्हें जगत से उठा ले; परन्तु यह कि तू उन्हें उस दुष्ट से बचाए रख” (पद.15) l यीशु जानता था कि उसके शिष्यों को पवित्र बनाने और अलग करने की ज़रूरत है ताकि वे उस उद्देश्य को पूरा कर सकें जिसे पूरा करने के लिए उसने उन्हें भेजा था (पद.16-19) l 

पवित्र आत्मा हमें लालच से निकालकर संसार में घुलने-मिलने वाले छद्मवेशों का स्वामी(masters of camouflage) बनने में मदद कर सकता है l जब हम प्रतिदिन उसके प्रति समर्पण करते है, तो हम यीशु की तरह अधिक दिख सकते हैं l जब हम एकता और प्रेम में रहते हैं, वह अपनी सारी महिमा में दूसरों को मसीह की ओर आकर्षित करेगा l

निर्जन/वीरान स्थान

जब मैं एक युवा विश्वासी था, मैंने सोचा था कि “पहाड़ की चोटी” के अनुभव ही वह जगह हैं जहां मैं यीशु से मिलूँगा l लेकिन वे ऊँचाइयाँ शायद ही कभी टिकीं या विकास की ओर ले गयीं l लेखिका लीना अबुजामरा का कहना है कि यह निर्जन/वीरान स्थानों में है जहाँ हम परमेश्वर से मिलते हैं और उन्नति करते हैं l अपने बाइबल अध्ययन थ्रू द डेजर्ट(Through the Desert) में वह लिखती है, “परमेश्वर का उद्देश्य हमें मजबूत बनाने के लिए हमारे जीवन में निर्जन/वीरान स्थानों का उपयोग करना है l” वह आगे कहती है, “परमेश्वर की भलाई आपके दर्द के बीच में प्राप्त करने के लिए होती है, दर्द की अनुपस्थिति से साबित नहीं होती l”

दुःख, हानि और दर्द के कठिन स्थानों में परमेश्वर हमें अपने विश्वास में बढ़ने और उसके करीब आने में मदद करते हैं l जैसा कि लीना ने सीखा, “निर्जन/वीरान स्थान परमेश्वर की योजना में कोई चूक नहीं है, बल्कि[हमारे] विकास प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग है l”

परमेश्वर ने कई पुराने नियम के कुलपतियों को निर्जन/वीरान स्थान में पहुँचाया l अब्राहम, इसहाक और याकूब सभी के पास बियाबान/जंगल के अनुभव थे l यह जंगल में ही था कि परमेश्वर ने मूसा के दिल को तैयार किया और उसे अपने लोगों को गुलामी से बाहर निकालने के लिए बुलाया (निर्गमन 3:1-2, 9-10) l और यह निर्जन/वीरान स्थान था कि परमेश्वर ने अपनी मदद और मार्गदर्शन के साथ चालीस वर्षों तक “[इस्राएलियों की] देखभाल करता रहा” (व्यवस्थाविवरण 2:7) l 

परमेश्वर निर्जन/वीरान स्थान में हर कदम पर मूसा और इस्राएलियों के साथ था, और वह हमारे और आपके साथ है l निर्जन/वीरान स्थान में हम परमेश्वर पर भरोसा करना सीखते हैं l वहाँ वह हमसे मिलता है—और वहाँ हम उन्नति करते हैं l 

अन्तरिक्ष की दौड़

29 जून, 1955 को संयुक्त राज्य अमेरिका ने अन्तरिक्ष में उपग्रह स्थापित करने के अपने उद्देश्य की घोषणा की l इसके तुरंत बाद, सोवियत संघ ने भी ऐसा ही करने की अपनी योजना घोषित की l अन्तरिक्ष की दौड़ आरम्भ हो गयी थी l सोवियत संग पहला उपग्रह (स्पुतनिक/Sputnik) प्रक्षेपित करने वाला था जब युरी गगारिन(Yuri Gagarin) एक बार हमारे गृह की परिक्रमा की थी यह दौड़ तब तक जारी रही, जब तक कि 20 जुलाई, 1969 को चंद्रमा की सतह पर नील आर्मस्ट्रांग की “मानव जाति के लिए विशाल छलांग/giant leap for mankind” ने अनौपचारिक रूप से प्रतियोगिता को समाप्त नहीं कर दिया l जल्द ही सहयोग का मौसम आरम्भ हुआ, जिससे अंतर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन का निर्माण हुआ l 

कभी-कभी प्रतिस्पर्धा स्वस्थ्य हो सकती है, जो हमें उन चीज़ों को हासिल करने के लिए प्रेरित करती है जो अन्यथा हम प्रयास नहीं कर पाते l हालाँकि, अन्य समय में, प्रत्स्पर्धा विनाशकारी होती है l कुरिन्थुस के चर्च में यह एक समस्या थी क्योंकि विभिन्न समूह विभिन्न चर्च अगुओं को अपनी आशा की किरण के रूप में देखते थे l पौलुस ने इसे संबोधित करने का प्रयास किया जब उसने लिखा, “न तो लगानेवाला कुछ है और न सींचनेवाला, परन्तु परमेश्वर ही सब कुछ है जो बढ़ानेवाला है” (1 कुरिन्थियों 3:7), जिससे यह निष्कर्ष निकलता है, “क्योंकि हम परमेश्वर के सहकर्मी हैं”(पद.9) l

सहकर्मी—प्रतिस्पर्धी/Co-workers—not competitors नहीं l और न केवल एक दूसरे के साथ बल्कि स्वयं परमेश्वर के साथ भी! उनके अधिकार प्रदान करना और उनके मार्गदर्शन के द्वारा, हम अपने सम्मान के बजाय उनके सम्मान के लिए, यीशु के सन्देश को आगे बढ़ाने के लिए साथी कार्यकर्ताओं के रूप में एक साथ सेवा कर सकते हैं l