59 की उम्र में मेरे मित्र बॉब ने लिखा, “यदि एक सामन्य जीवन के 70 वर्ष 24 घण्टे के एक दिन में सीमित कर दिए जाएँ, अभी यह मेरे जीवन में संध्या 8.30 होगा ….. समय इतनी तीव्रता से बीत रहा है।“

पृथ्वी पर हमारा समय सीमित है, इस स्वीकृति ने एक कलीई-घड़ी “टिकर“ की रचना को प्रेरित किया जो आपको समय बताती है, आपके स्वभाविक जीवनकाल का अन्दाजा़ लगाती है, और आपके बाकी समय की लगातार उलटी गिनती बताती है। यह ऐसी घड़ी के रूप में विज्ञापित की जाती है “जो आपके जीवन की उल्टी गिनती करती है, कि आप हर क्षण का महत्व जानें।“

भजन 39 में, दाऊद यह कहकर जीवन की अल्पता से सामना कर रहा था, “हे यहोवा, …. मेरा अन्त मुझे मालूम हो जाए, और यह भी कि मेरी आयु के दिन कितने हैं; जिससे मैं जान लूँ कि मैं कैसा अनित्य हूँ“(पद.4)। उसने अपने जीवन काल को बालिश्त भर से लम्बा नहीं बताया, परमेश्वर के समक्ष एक क्षण मात्र, और केवल एक श्वास(पद.5)। दाऊद ने अन्त किया, “अब हे प्रभु, मैं किस बात की बाट जोहूँ? मेरी आशा तो तेरी ओर लगी है“(पद.7)।

घड़ी टिकटिक कर रही है। अपनी सहायता हेतु परमेश्वर की सामथ्र्य को खोजकर उसकी इच्छानुकूल लोग बनने का समय अभी है। अपने अनन्त परमेश्वर में आशा खोजना आज हमारे जीवनों को सार्थक बनाता है।