सितम्बर 2011 के आरम्भ में एक प्रचण्ड आग ने टेक्सस में बैस्ट्राप शहर और उसके चारों ओर 600 घरों को नष्ट कर दिया। कुछ सप्ताह बाद आॅस्टिन अमरीकन-स्टेट्समैन अखबार में इस मुख्य खबर के साथ यह लेख प्रकाशित हुआ: जिन लोगों ने अधिक खोया, वे उन बातों पर ध्यान केन्द्रित करते हैं जो उन्होंने नहीं खोया है।“ लेख ने समाज की उदार सहायता और पड़ोसियों, मित्रों, और प्राप्त करनेवालों की अनभूति का वर्णन किया और समाज उनकी खोयी हुई वस्तुओं से कहीं अधिक महत्वपूर्ण था।
इब्रानियों का लेखक प्रथम शताब्दी के मसीही अनुयायियों को स्मरण करने की ताकीद दी कैसे उन्होंने अपने विश्वासी जीवन के आरम्भ में बहादुरी से सताव सहा था। वे निन्दा, और क्लेश में और दूसरे विश्वासियों के साथ-साथ स्थिर रहे(इब्रा. 10:32-33)। “तुम कैदियों के दुःख में भी दुःखी हुए, और अपनी संपत्ति भी आनन्द से लुटने दी; यह जानकर कि तुम्हारे पास एक और भी उत्तम और सर्वदा ठहरनेवाली संपत्ति है“(पद.34)। उनका ध्यान उनकी खोयी हुई वस्तुओं पर नहीं था किन्तु अनन्त की वस्तुओं पर जो उनसे छीनी नहीं जा सकती थीं।
यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, “जहाँ तेरा धन है वहाँ तेरा मन भी लगा रहेगा“(मत्ती 6:21)। जब हम प्रभु और उसमें जो भी हमारे पास है, पर केन्द्रित होते हैं, हम अपने सबसे बहुमूल्य सम्पत्ति को भी महत्वहीन मान सकते हैं।