बचपन में मैं अपने माता-पिता के संग अपनी नानी से मिलने गयी जो एक फार्म में रहती थी। उनका आहाता विद्युत बाड़े से घिरा था, जिससे गाय उनके अहाते का घास न चर सकें। बाहर खेलने की अनुमति मिल गयी, किन्तु समझाया कि बाड़े को छूने का परिणाम विद्युत झटका था।

दुर्भाग्यवश, चेतावनी पर ध्यान नहीं देकर मैंने अपनी उंगलियाँ बाड़े के उन तारों पर रख दी, और मुझे तेज़ झटका लगा जो गाय को सिखाने लायक था। तब मैं समझी कि मुझसे प्रेम रखने और मुझे हानि से बचाने हेतु उन्होंने मुझको चिताया था।

जब परमेश्वर ने यरूशलेम में प्राचीन यहूदियों को मूर्ति बनाते और उनकी उपासना करते देखा, उसने “बड़ा यत्न करके …. उनके पास कहला भेजा, क्योंकि वह अपनी प्रजा …. पर तरस खाता था“(2 इति. 36:15)। परमेश्वर ने यिर्मयाह नबी द्वारा बात की, किन्तु लोगों ने कहा, “हम तो अपनी ही कल्पनाओं के अनुसार चलेंगे और अपने बुरे मन के हठ पर बने रहेंगे“(यिर्म.18:12)। इस कारण, परमेश्वर ने नबूकदनेस्सर को यरूशलेम को नष्ट करके अधिक से अधिक निवासियों को बन्दी बनाने की अनुमति दी।

सम्भवतः परमेश्वर आज आपको आपके जीवन के किसी पाप के सम्बन्ध में चेतावनी दे रहा है। यदि हाँ, तो उत्साहित हों। हमारे लिये यह उसकी करुणा का प्रमाण है(इब्रा. 12:5-6)। उसे ज्ञात है आगे क्या है और आनेवाली समस्या से हमें बचाना चाहता है।